क्या होता है ग्लोब, इसके बारे में जानकारी, Definition Meaning Of Globe In Hindi

क्या होता है ग्लोब, इसके बारे में जानकारी, Definition Meaning Of Globe In Hindi ग्लोब पृथ्वी का एक लघु प्रतिरूप है, सरल शब्दों में कहे तो हमारी पूरी धरती के आकार में छोटा मॉडल हैं.

जो पृथ्वी के विभिन्न भौतिक प्रतिरूपों, महाद्वीपों, महासागरों, विभिन्न देशों, द्वीपों आदि की आकृति, स्थति, उनकी दिशा आदि को समतल कागज पर बनाए गये मानचित्र की अपेक्षा हम ग्लोब पर ज्यादा सही रूप से दर्शा सकते है. इसलिए ग्लोब पर बने मानचित्र बिलकुल सही होते है.

ग्लोब का अर्थ क्या है Definition Meaning Of Globe In Hindi

क्या होता है ग्लोब, इसके बारे में जानकारी, Definition Meaning Of Globe In Hindi

पृथ्वी का अक्ष तथा कक्ष (axis of the earth rotation)

जब हम ग्लोब को देखते है तो हम पाते है कि पृथ्वी सीधी होने की बजाय हमे एक तरफ झुकी हुई नजर आती है. जब आप देखेगे कि यह किस प्रकार झुकी हुई है, तो आपकों पता चलेगा कि ग्लोब के स्टैंड पर एक कील है, जो ग्लोब के भीतर से उसके आर पार हो रही है, उसकी वजह से ही ग्लोब घुमा हुआ है. इसी कील को हम अक्ष (AXIS) कहते है.

इसी अक्ष पर हम ग्लोब को स्वतंत्र रूप से घुमा सकते है. इसी प्रकार हमारी पृथ्वी भी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घुमती है. पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण तल से साढ़े 66 डिग्री का कोण बनाता है, अर्थात पृथ्वी के घूर्णन करने का अक्ष उसके परिक्रमण कक्ष पर झुका हुआ है.

अक्षांश (Latitude information about globe in hindi)

पृथ्वी पर काल्पनिक रूप से भुगोलवेताओं ने कुछ लेटी हुई तथा कुछ आड़ी रेखाओं की रचना की है. इन्ही रेखाओं में से पृथ्वी पर आड़ी (लेटी हुई, पूर्व से पश्चिम) रेखा जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है, उसे भूमध्य रेखा (Equator) या विषुवत रेखा/Equatorial line का नाम दिया है.

इस प्रकार Equatorial line वह है जो पृथ्वी को उत्तर और दक्षिण दो बराबर भागों में विभाजित करती है. विषुवत रेखा के उत्तर में स्थित भाग को उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिण स्थित भाग को दक्षिण गोलार्द्ध कहा जाता है. इसी भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की तरफ किसी भी स्थान की कोणीय स्थति ही अक्षांश (Latitude) है.

अक्षांश और देशांतर रेखाए एवं ध्रुव (latitude and longitude meaning in hindi)

उतर दक्षिण में विभाजन की दृष्टि से कुल 180 अक्षांश होते है. समान अक्षांशों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहा जाता है. इस प्रकार सभी अक्षांश रेखाए विषुवत रेखा के समानान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर खिची जाती है.

विषुवत रेखा से उत्तर और दक्षिण की तरफ जाने पर अक्षांश रेखाओं की लम्बाई में कमी आ जाती है. उतर तथा दक्षिणी ध्रुव तो बिंदु है. 90 डिग्री उतरी अक्षांश को उतरी ध्रुव तथा 90 डिग्री दक्षिणी अक्षांश को दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है.

प्रमुख अक्षांश वृत (Major Latitude Circle)

विषुवत रेखा को हम 0 डिग्री अक्षांश कहते है. साढ़े 23 डिग्री उतरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा (kark rekha) और साढ़े 23 डिग्री दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा (makar rekha) कहते है. कर्क और मकर रेखाओं के मध्य के भाग को उष्ण कटिबंध (Tropical) कहते है.

कर्क रेखा से आर्कटिक वृत साढ़े 66 डिग्री उतर तथा मकर रेखा से अंटार्कटिक वृत साढ़े 66 डिग्री दक्षिण के मध्य स्थित भूभाग को क्रमशः उतरी एवं दक्षिणी शीतोष्ण कटिबंध तथा आर्कटिक वृत से उतरी ध्रुव तक तथा अंटार्कटिकवृत से दक्षिणी ध्रुव के मध्य स्थित भू भाग को शीत कटिबंध के नाम से जाना जाता है. ये ताप कटिबंध है.

ग्लोब पर देशान्तर एवं देशांतर रेखाएं (latitude and longitude lines on the globe)

पृथ्वी पर उतरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो लंबवत रेखा जिसे मध्य भाग में खिची जाती है, उसे जीरो डिग्री देशांतर कहा जाता है. इसको प्रधान मध्यान्ह रेखा भी कहते है. इस प्रधान मध्यान्ह रेखा से पूर्व या पश्चिम में स्थित किसी भी स्थान की कोणीय स्थति देशांतर कहलाती है.

देशान्तरो की कुल संख्या 360 होती है. समान देशान्तरो को मिलाने वाली रेखा देशांतर रेखा कहलाती है. यह रेखाएं ये रेखाएं उतरी धुर्व से दक्षिणी ध्रुव तक खिची जाती है.

जीरो डिग्री देशांतर रेखा को मानक या ग्रीनविच रेखा भी कहा जाता है, जो कि इंग्लैंड के ग्रीनविच शहर से होकर गुजरती है. इस रेखा के पश्चिम में स्थिति १८० डिग्री देशांतर तक पश्चिमी देशांतर तथा पूर्व में १८० डिग्री देशांतर तक पूर्वी देशांतर रेखाए स्थित है.

ग्लोब में कौन सी चीजें शामिल हैं?

दिखने में ग्लोब गोल गोल होता है और अगर इसमें शामिल चीजों के बारे में बात की जाए तो इसमें बहुत सारी चीजें शामिल है जिसे नीचे हम आपको पॉइंट करके बता रहे हैं ताकि आप आसानी से यह समझ जाए कि इसके अंदर क्या-क्या शामिल होता है।

  1. इसमें आपको यह दिखाई देता है कि दुनिया में कितने देश है और उन देशों की सीमा दूसरे किन देशों के साथ मिलती है, साथ ही आप इसमें यह भी देख सकते हैं कि कौन से देश का पड़ोसी देश कौन सा है। इसके अलावा आप यह भी देख सकते हैं कि उस देश का नक्शा कैसा है।
  2. इसमें आपको यह भी दिखता है कि कौन से देश की राजधानी कौन सा शहर है और आप उस देश के इंपॉर्टेंट शहरों के नाम भी जान सकते हैं।
  3. आप ग्लोब की सहायता से किसी भी देश की मुख्य नदी के बारे में इंफॉर्मेशन हासिल कर सकते हैं और यह भी इसे देख कर के जान सकते हैं कि वह नदी कहां से निकलती है और कहां पर जा करके वह नदी खत्म होती है।
  4. दुनिया में जितने भी प्रमुख महासागर हैं, उन सभी को आप ग्लोब में देख सकते हैं। इसके अलावा जो सागर हैं उन सभी को भी आप ग्लोब में देख सकते हैं।
  5. देशांतर रेखा और भूमध्य रेखा यह दोनों रेखा भी आपको इसके अंदर दिखाई देती हैं। इसके अलावा आप ट्रॉपिक आफ कैप्रीकॉर्न और ट्रॉपिक ऑफ़ कैंसर भी इसके अंदर देख सकते हैं।
  6. साउथ पोल और नॉर्थ पोल, इसे भी आप ग्लोब में देख सकते हैं।

ग्लोब का आविष्कार कब हुआ?

बता दें कि अगर आप यह समझते हैं कि ग्लोब अंग्रेजी का शब्द है तो ऐसा नहीं है यह लैटिन भाषा का शब्द है जिस का हिंदी में अर्थ देखा जाए तो इसका अर्थ होता है गोलाकार।

जब अंतरिक्ष से हमारी पृथ्वी को देखा जाता है तो हमारी पृथ्वी गोल ही दिखाई देती है। इसीलिए इसे ग्लोब कहकर बुलाया जाता है।

इसके आविष्कार के बारे में बात की जाए तो ऐसा कहा जाता है कि मार्टिन बेहैम नाम के एक व्यक्ति ने सबसे पहले साल 1492 में टेरेस्टेरियल ग्लोब की खोज की थी जिसमें उन्होंने एक पेंटर की सहायता ली थी जिसका नाम जॉर्ज Georg Glockendon था।

ग्लोब कितने प्रकार का होता है?

ग्लोब के प्रकार के बारे में बात करें तो मुख्य तौर पर यह दो प्रकार का होता है जिसमें पहला प्रकार है Terrestrial Globe और दूसरा है Celestial Globe। इन दोनों के बारे में नीचे आपको जानकारी दी जा रही है।

Terrestrial Globe

यह जो टेरेस्टेरियल ग्लोब होता है यह बिल्कुल पृथ्वी की तरह ही दिखाई देता है और इस प्रकार के ग्लोब के अंदर आपको किसी भी देश के बारे में, उस देश की नदियों के बारे में, उस देश के प्रमुख शहर के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

Celestial Globe

हमें इस प्रकार के ग्लोब में सितारे दिखाई देते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के ग्लोब का इस्तेमाल करके आप खगोलीय पिंड की जानकारी को हासिल कर सकते हैं।

ग्लोब ओर मानचित्र में क्या अंतर है?

कई लोग इंटरनेट पर इसके बारे में सर्च करते रहते हैं कि आखिर मानचित्र और ग्लोब में डिफरेंस क्या है। अगर वास्तव में देखा जाए तो इन दोनों का मकसद एक ही है और वह है लोगों को दुनिया के बारे में जानने में उनकी सहायता करना। हालांकि फिर भी इन में कुछ ना कुछ अंतर अवश्य है।

ग्लोब की सहायता से आप दुनिया के किसी भी देश के बारे में काफी कुछ जानकारी हासिल कर सकते हैं क्योंकि इसे घुमाने पर आपको बहुत सारी जानकारी प्राप्त होती है वही मानचित्र में आपको कुछ स्पेशल जानकारी ही प्राप्त होती है।

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि ग्लोब बिल्कुल पृथ्वी की तरह ही दिखाई देता है क्योंकि इसका निर्माण ही इस प्रकार से किया जाता है कि यह बिल्कुल पृथ्वी की तरह दिखाई दे, वही जो मानचित्र होता है वह इसके बिल्कुल उल्टा होता है।

ग्लोब के फायदे क्या है?

अगर ग्लोब के फायदे के बारे में बात की जाए तो इसके जरिए हमें कई प्रकार के फायदे होते हैं परंतु जिन लोगों को सबसे ज्यादा इसका फायदा होता है वह है स्कूली विद्यार्थी क्योंकि इसके जरिए उन्हें दुनिया के बारे में काफी कुछ चीजें जानने को मिलती है।

ग्लोब का इस्तेमाल करके विद्यार्थी यह जान सकते हैं कि दुनिया के कौन से देश का पड़ोसी देश कौन सा है और उसकी सीमा किन किन देशों से मिलती है। इसके अलावा कौन से देश में कौन सी विशाल नदी मौजूद है, साथ ही दुनिया के जो फेमस शहर है वह दुनिया के कौन से देश में है।

FAQ:

Q: ग्लोब का आविष्कार या फिर ग्लोब की खोज कब हुई थी?

Ans: पहली बार ग्लोब की खोज साल 1492 में हुई थी।

Q: उस व्यक्ति का नाम क्या है जिसने ग्लोब की खोज की थी?

Ans: मार्टिन बेहम 

Q: ग्लोब क्या है?

Ans: एक प्रकार से यह हमारी पृथ्वी का डुप्लीकेट ढांचा है, जो या तो प्लास्टिक से बना हुआ होता है या फिर कांच से बना हुआ होता है।

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