राष्ट्र संघ : उद्देश्य इसके अंग एवं असफलता के कारण | League Of Nations In Hindi

राष्ट्र संघ : उद्देश्य और इसके अंग | League Of Nations In Hindi : राष्ट्र संघ की स्थापना पेरिस शांति सम्मेलन 1919 का एक महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्य था. 

राष्ट्र संघ की स्थापना में अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका रही. वर्साय संधि की प्रथम 26 धाराओं में राष्ट्र संघ की ही व्याख्या है.

1920 में राष्ट्र संघ ने अपना वैधानिक स्वरूप प्राप्त किया. वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने वाले 32 देश इसके संस्थापक सदस्य बने. बाद में इनकी संख्या 55 हो गई.

राष्ट्र संघ : उद्देश्य अंग असफलता के कारण | League Of Nations In Hindi

मुख्यालयजिनेवा, स्विट्जरलैंड
अधिकारी भाषाएंअंग्रेज़ी, फ़्रांसीसी, और स्पेनी
स्थापना10 जनवरी 1920
संस्थापकवुडरो विल्सन
सदस्य58
समझौतापेरिस शान्ति सम्मेलन
उद्देश्यवैश्विक शांति और विवाद निपटारा
परवर्ती संयुक्त राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ क्या था?

अंतर्राष्ट्रीय विवादों को बातचीत के जरिये हल करने, शस्त्रों की होड़ में कमी लाने तथा दुनियां को बड़े युद्धों के संकट से बचाने के लिए पेरिस समझौते के तहत राष्ट्र संघ का गठन किया गया. इसकी स्थापना के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन का हम योगदान था.

उन्होंने 14 सूत्री मसौदा तैयार किया तथा 1918 में पहले विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद शान्ति स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले एक वैश्विक मंच की कल्पना की गई, जो दो देशों के मध्य के विवादों को आपसी झगड़े की बजाय मिल बैठकर बातचीत कर सुलझाने की ओर काम करेगा.

साल 1918 के दिसम्बर माह में अपने 14 बिन्दुओं के सुझावों को लेकर विल्सन पेरिस गये और अगले सात माह बाद एक समझौता करके लौटे जिसमें लीग ऑफ़ नेशंस को बनाने विचार केंद्र में था. हालांकि इस वर्साय की संधि के खिलाफ अमेरिका में भी आवाजे उठी.

विल्सन ने अमेरिकी लोगों को भरोसे में लेने के भी भरसक प्रयास किये उन्होंने 27 दिनों तक रेल यात्रा कि ताकि वे लोगों को इस संधि की मूलभूत बातों को समझा सके, हालांकि अस्वस्थता के चलते अपने इस अभियान को सिमित करना पड़ा था.

अमेरिकी कांग्रेस ने सरकार को राष्ट्र संघ का सदस्य बनने से रोक दिया, फलत वह सदस्य नहीं बन सका मगर विल्सन के प्रयासों ने एक वैश्विक मंच का रास्ता खोल दिया.

राष्ट्र संघ के उद्देश्य (Aims And Objectives Of The League Of Nations)

  1. आपसी विवादों को सुलझाना व सुरक्षा की व्यवस्था करना.
  2. सभी राष्ट्रों के मध्य भौतिक व मानसिक सहयोग को प्रोत्साहन देना.
  3. पेरिस शांति समझौते द्वारा सौपे गये कर्तव्यों को पूरा करना.

राष्ट्र संघ के अंग (Organizations of the League of Nations)

राष्ट्र संघ के तीन प्रमुख अंग थे.-

  1. असेम्बली
  2. कौन्सिल
  3. सचिवालय

इसके अलावा इसके दो और स्वायत अंग थे. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय व अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन. लीग ऑफ नेशन की स्थापना के उद्देश्य तो विश्व समुदाय के लिए अच्छे थे.

लेकिन यह महाशक्तियों के असहयोग और मनमानी गतिविधियों के कारण मात्र एक औपचारिक संगठन ही बनकर रह गया था. अपने उद्देश्य में इसे सफलता नही मिली.

राष्ट्र संघ के असफलता के कारण (Causes Of Failure Of League Of Nations)

पेरिस शांति सम्मेलन की उपज के रूप में उभरा अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व शान्ति स्थापना के लिए गठित किया गया था. इसकी स्थापना में अमेरिका के राष्ट्रपति की अग्रणी भूमिका थी.

वर्साय संधि के साथ ही जन्म लेने वाला संगठन अपनी कार्यशैली तथा स्वरूप के कारण अपने उद्देश्यों में सफल नही हो सका,

जिसका परिणाम दूसरे विश्व युद्ध के रूप में देखने को मिला. इस संगठन की असफलता के पीछे कई कारण थे, जो निम्नलिखित थे.

  • इसकी असफलता का प्रमुख कारण सदस्य राष्ट्रों द्वारा ही इस पर विशवास नही किया जाना था, जिस कारण यह मात्र एक संगठन बनकर रह गया.
  • हालाँकि लीग ऑफ नेशंस की नीव अमेरिकी राष्ट्रपति के द्वारा रखी गई, मगर अमेरिका जैसे प्रभावशाली देश का इसका सदस्य न रहना. इसकी असफलता का सबसे बड़ा कारण था. इस वजह से राष्ट्रसंघ एक दुर्बल संगठन बनकर रह गया, जो किसी भी तानाशाही राष्ट्र पर किसी तरह का प्रतिबंध नही लगा सकता था.
  • यू.एस.एस.आर. आरम्भ से ही इसे अमेरिका तथा कुछ पूंजीपति देशों का संगठन मानकर चलता था. शुरुआत में यू.एस.एस.आर. को इसका सदस्य भी नही बनाया था, मगर हिटलर के भय के चलते सोवियत रूस को राष्ट्रसंघ की सदस्यता दी गई.
  • आरम्भ में जर्मनी को इसका सदस्य बनाया गया था, लेकिन वर्साय की अपमानजनक संधि के चलते जर्मनी ने कभी भी राष्ट्रसंघ का साथ नही दिया, तानाशाही शासक हिटलर अपने इस अपमान का बदला लेना चाहता था.
  • दूसरी तरफ इटली का शासक मुसोलिनी विश्व शांति के सिद्धांत में यकीन नही रखता था. इस कारण जर्मनी तथा इटली जैसे बड़े देशों का सहयोग भी इस संगठन को नही मिल सका.
  • शेष बचे यूरोपीय देश और सोवियत संघ सीधे तौर पर किसी पर कार्यवाही करके अपने राष्ट्र हितों को नुक्सान नही पहुचाना चाहते थे.

इस तरह की कमजोर और असहयोगी व्यवस्था को लेकर “राष्ट्र संघ”का लम्बे समय तक काम करना संभव नही था. इसी के परिनामस्वरूप दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध की मार झेलनी पड़ी.

राष्ट्रसंघ के सफलताएँ (Achievements of League of Nations)

पहले विश्व युद्ध के बाद पेरिस शान्ति समझौते के तहत राष्ट्र संघ की स्थापना एक बड़ी और महत्वपूर्ण घटना थी. 10 जनवरी 1920 को स्थापित राष्ट्रसंघ जिस बड़े उद्देश्य के लिए बनाया गया उसमें काफी हद तक विफल रहा, दूसरा विश्व युद्ध और जापान पर परमाणु बम इसकी विफलता के प्रमाण थे.

फिर भी संगठन द्वारा विश्व के कई देशों को एक साथ लाकर शान्ति के लिए काम करने की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि थी.

भले ही यह पहला प्रयास विफल हो गया हो इस दिशा में दूसरा कदम संयुक्त राष्ट्र संघ के रूप में सामने आया जो आजतक कारगर ढंग से काम कर रहा हैं.

अगर राष्ट्र संघ के प्रयासों और सफलता की बात करें तो कई राष्ट्रों के मध्य आपसी झगड़ों को इन्होने युद्ध में बदलने से रोकने के लिए सराहनीय प्रयास किये.

1922 ई॰ में आलैण्ड के टापू को लेकर फ़िनलैंड और स्वीडन के बीच संघर्ष पैदा हो गया, राष्ट्र संघ बीच मध्यस्था करते हुए यह द्वीप फिनलैंड को देकर संघर्ष विराम किया.

1921 ई॰ में यूनान तथा युगोस्लाविया के बीच अल्देनिया के बोर्डर को लेकर शुरू हुए झगड़े का राष्ट्रसंघ ने निपटारा करवाया.

इसी तरह 1923 ई॰ में लेटेशिया नगर से पेरू का अधिकार खत्म करवाकर इसे कोलम्बिया का सौपा. 1923 ई॰ में पोलैण्ड और चेकोस्तोवाकिया के मध्य हुए सीमा विवाद को शान्ति पूर्वक निपटाया गया.

1923 ई॰ में हंगरी तथा रूमानिया, 1925 में यूनान और बुल्गारिया के संघर्ष विराम में अग्रणी भूमिका राष्ट्र संघ ने निभाई.

इस तरह 1920 और 1935 के बीच के कई संघर्षों को लीग ऑफ़ नेशंस ने शान्तिपूर्वक हल करवाएं मगर यह सिलसिला लम्बे समय तक जारी नहीं रख पाए और दूसरे विश्व युद्ध में लीग ऑफ नेशन्स का बंटवारा हो गया.

FAQ

राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई?

10 जनवरी 1920

राष्ट्र संघ की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या था?

आपसी झगड़ों का बातचीत द्वारा हल करके वैश्विक शांति की स्थापना

राष्ट्रसंघ की विफलता का एक बड़ा कारण क्या था?

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जैसी महाशक्ति का संगठन का हिस्सा न होना, हालांकि राष्ट्र संघ की स्थापना में उसका सबसे बड़ा योगदान था.

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