शिक्षक दिवस पर कविता | Poem on Teachers day 2024 In Hindi

शिक्षक दिवस पर कविता Poem on Teachers day 2024 In Hindi: We Wish You 2024 Happy Teacher’s Day In Hindi Language.

Shikshak Diwas Par Kavita Teachers day Poems For Students and For Wish Your Best School Teachers. शिक्षक दिवस कविता 2024 Specially For Class 1, 2 ,3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 Short & Best Hindi Poems.

शिक्षक दिवस पर कविता Poem on Teachers day 2024 In Hindi

Poem on Teachers day 2024 In Hindi

Poem on teachers day in Hindi-जैसा कि आप सभी जानते हैं. 5 सितम्बर 2024 कों पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस अवसर पर शिक्षक दिवस (teachers day) मनाने जा रहे हैं.

हरेक बालक के व्यक्तित्व निर्माण और जीवन में यदि उसने कुछ हासिल किया हैं, तो इसका कुछ श्रेय उनके शिक्षक को भी जाता हैं.

गुरु जिन्हें हमारी सभ्यता ने ईश्वर के समक्ष सिहासन प्रदान किया हैं. हमारे लिए अपने शिक्षक सम्मानीय हैं. उनके सम्मान को शब्दों द्वारा व्यक्ति करने के लिए आज हम कुछ बेहतरीन शिक्षक दिवस कविताएँ (shikshak divas kavita) लेकर आए हैं. इन teachers day poems 2024 का उपयोग आप अपने शिक्षक दिवस समारोह में भी कर सकते हैं.

टीचर्स डे हिंदी के इस आर्टिकल में शिक्षक दिवस कविता के जरिये कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स गुरु शिष्य रिलेशन शिप पर कविता बोल सकते हैं.

इन छोटी बड़ी कविताओं के माध्यम से बच्चे सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षक के महत्व पर अपना भाषण तैयार कर सकते हैं.

Teachers day 2024 Hindi Poem For Students टीचर्स डे कविता 

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शिक्षक दिवस कविता 2024 Shikshak Diwas Kavita 

गुरूजी, चलें
गुरूजी
चलिए हम खेतों में चलकर
मेहनतकशों से दोस्ती करें
मेहनत से काम करते बच्चों के साथ
मिल कर काम करें
और
धरती को अपने पसीने से सींचें
जैसे तेज बहाव के साथ
पानी की स्वच्छता बढती है
वैसे ही काम के साथ
सचेतनता भी बढती है

special teacher poems thank you teacher poem

रटते- रटते तो
हम पत्थर बन जाते हैं
काम से बढती है समझ
और समझ से काम
आज से हमें
नहीं चाहिए रिक्त पाठ
और बिलकुल नही चाहिए
सिर्फ अंक देने वाली पढाई|


teachers day poem in hindi शिक्षक दिवस पर मजेदार कविता

मेरे भीतर का शिक्षक ,
व्यथा सुनाता है;
बीत गया दौर सम्मान का,
अब भय से थर्राता है।

..
ऊँची -ऊँची अट्टालिकाओं से,
उसका मन घबराता है।
छोटे -छोटे गुरूकुलुओं को।
भूल न पाता है।
मेरे भीतर का शिक्षक
व्यथा सुनाता है।
ज्ञान अर्जन बहुत किया ,फिर भी अज्ञानी कहलाता है।
अर्थ का लोभ उसे भी,
ऐसा सुनने में आता है।
मेरे भीतर का शिक्षक—-
कभी चाण्यक ,आर्यभट्ट कभी कृष्नन् स्मरण हो आता है।
व्यवस्थाओं से लड़ता -भिड़ता,
स्वयं को आज भी पाता है,

poem on teacher in hindi

मेरे भीतर का शिक्षक—-
गुरु ज्ञान अब सीमित हुआ,
अब कौन सुनने को आता है ,
है शिष्य तो भरपूर मगर।
विरला कोई ज्ञान को भाता है।
मेरे भीतर का शिक्षक—–
गोविन्द को गुरु गौड़ कर गए
शिक्षक कलाम सीखाता है।
आज भी जिनके घर का चुल्हा,
उनका संस्कार जलाता है।
मेरे भीतर का शिक्षक—
सच्चा शिक्षक आज भी
मन को धिक्कार लगाता है,

..
व्यवसाय से व्यवसाए ही जन्मे
यह सिखलाता है।
मेरे भीतर का शिक्षक —
संस्कारों की ले पोटली
वो आज भी शाला जाता है,
थक जाता है कुनीतियों से,
उन्हें जब खुद पर हावी पाता है।

..
मेरे भीतर का शिक्षक—
वितरित कर ज्ञान विश्व को
जी उसका तो चाहता है,
केवल सम्मान ही खोजता है।
पर आज उसे न पाता है।
मेरे भीतर का शिक्षक
व्यथा सुनाता है ,
बीत गया दौर सम्मान का
अब वह भय से थर्राता है।

inspirational poems for teachers प्रेरणादायक शिक्षक दिवस कविता

लोग कहते है अगर हाथों की
लकीरें अधूरी हो तो
किस्मत अच्छी नहीं होती
लेकिन हम कहते है की
सर पर हाथ हो अगर
” गुरू ” का तो
लकीरों की ज़रूरत

नहीं होती ।”
शिक्षक दिवस पर एक कविता
विद्यासागर ज्ञानसरोवर हैं शिक्षक
शिक्षा की राहों के रहबर हैं शिक्षक
हम वो शब्द हैं जिनके अक्षर हैं शिक्षक
सबसे बढ़कर सबसे बेहतर हैं शिक्षक
हम वो फूल हैं जिनकी ख़ुशबू हैं शिक्षक
हम हैं रात तो जगमग जुगनू हैं शिक्षक
सर चढ़कर बोले वो जादू हैं शिक्षक
हम वो हाथ हैं जिनके बाज़ू हैं शिक्षक

धूप में तपते सर पर आँचल हैं शिक्षक
अमृत का घट हैं गंगाजल हैं शिक्षक
पक्षपात से दूर हैं निश्छल हैं शिक्षक
अपनी हरिक समस्या का हल हैं शिक्षक
ज्ञान सुमन की अनुपम माला हैं शिक्षक
शिक्षा का अनमोल उजाला हैं शिक्षक
सूर्य की किरणे चाँद का हाला हैं शिक्षक

जग की सर्वोत्तम गुणशाला हैं शिक्षक
शिक्षक दिवस पे यूँ ही मन में रहे लगन
SHIKSHAK दिवस पे यूँ ही कटते रहें रिबन
ES दिवस पे यूँ ही सजता रहे चमन
शिक्षक दिवस पे हर शिक्षक को मेरा नम
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर
गुरु साक्षात् परब्रम्ह तस्मे श्री गुरुवे नम:

poems for teachers from students (५ सप्टेंबर 2024 शिक्षक दिन कविता)

‘प्रभुता पाई काहि मद नाही ‘ तुलसी बाबा भले कह गए
जिसमे वाजिद अली बह गया उसी बाढ़ मे आप बह गए
आप बने शिक्षा – मंत्री तो देहातो के स्कूल ढह गए
हम तो करते रहे पढ़उनी, जेल न जाके यही रह गए

और आपका तो कहना क्या, मुह से बहे आरत की धारा
आदर्शो की छोउक मारकर अजी आपने हमें सुधारा
उपदेशो की धुआधार मे अकुलाता शिक्षक बेचारा
अजी आपको लगता होगा सुखमय यह भूमंडल सारा 

शिक्षक दीवस टीचर डे पर कविता – poem on teacher student relationship

आत्मा को
परम पिता
परमेश्वर से
मिलाने की खातिर ही
जन्म लेता है इंसान ,
और फिर धीरे धीरे
कर्म करता जाता है
इस धरा पर ,
किन्तु ,कभी कभी

..
सद्द्मार्ग पर चलते चलते
भटक जाता है वो
और बन जाता है
खुद एक शैतान
आखिर वो है तो
एक “इंसान” ही न
—–संजय कुमार गिरि

thank you poems for teachers in hindi teachers day kavita teachers day par kavita

जय बुद्ध भूमि… जय पूर्वांचल… जय बुद्ध प्रदेश।
यह न हिंदू थे न मुसलमान थे।
सिर्फ और सिर्फ इंसान थे।
यह भी इसी समाज में पल कर हुए बड़े
फर्क इतना था कि यह पढ़े ही नहीं बल्कि थे कढ़े।
दौलत नहीं सम्मान इकट्ठा किए ये कितने नादान थे?

यह न हिंदू थे न मुसलमान थे।
दोनों को ही संकीर्ण सोच वालों ने नहीं पसंद किया।
इन बातों से बेपरवाह इन्होंनेजीवन भर बस सत्य जिया
न शादी न कोई वारिस सचमुच कितने ये महान थे।
यह न हिंदू थे न मुसलमान थे।
सिर्फ और सिर्फ इंसान थे। – – – भुवनेश्वर शर्मा

teacher par kavita thank you poems for teachers from students

“गुरु गुंडे” दोनु खड़े काके काटु पाए….
किस पर अब विश्वास करू…
सब एक नज़र ही आए……
ये शिक्षा का व्यापार करे…
पद की गरिमा की लजाए…..
ज्ञान का दीप बुझाए….

लालच की अलख जगाए…..
शिष्य की इतनी मार करे…
वो शिक्षा से डर जाए…..
शिष्या पर जैसे बाज कोई…
यूँ गंदी नज़र गड़ाए…..
अब काम तमाम है पुस्तक का…
सुविधा को दुविधा बनाए…..

ये रूप कभी था ईश्वर का…
अब ईश्वर भी लज्जाए…….
अब स्वार्थ बढ़ गया…
भूख बढ़ गयी…..
कोई शिक्षित कैसे बन पाए….
ऐसे शिक्षक पाने से अच्छा….
हम अनपढ़ ही मर जाए…..
‘गुरु दिवस” की आभा…
कुछ इन पर भी पड़ जाए……
“गुरु गोविंद दोनु खड़े काके लागू पाए”..
मन मेरा फिर से गाए…..
नोट:- कृपया जिनकी दाढ़ी में तिनका हो वो चोर शोर ना मचाए…….
“इंदु रिंकी वर्मा”

पोएम ऑन टीचर्स डे इन हिंदी – hindi poem on teacher student relationship

मैं एक शिक्षक हूँ
एक ऐसा शिक्षक
जो सिखाने से
अधिक सीखता है
अपने विद्यार्थियों से
जब आते है वो
समय पूर्व हमेशा
तो सीखता हूँ उनसे

समय का सम्मान करना
जब लेते है आज्ञा
प्रत्येक कार्य से पूर्व
तो सीखता हूँ उनसे
बडों का मान रखना
जब करते है कार्य
कक्षा में दिया गया
तो सीखता हूँ उनसे

सौन्दर्यपूर्ण सृजनात्मकता
जब व्याख्यान के मध्य
ऊंघते हुए वे लेते है उबासी
तो सीखता हूँ उनसे
पाठ्यवस्तु की रोचकता
जब देखता हूँ उनको
क्रीडांगण में दौड लगाते
तो सीखता हूँ उनसे
स्वस्थ शरीर की महत्ता
जब देखता हूँ उन्हें
साथ बैठकर खाना खाते

5 सितम्बर शिक्षक दिवस टीचर्स डे पोयम्स गुरु और शिष्य पर कविता

तो सीखता हूँ उनसे
सामाजिक समरसता
उन युवाओं के बीच रहकर
मैं भी युवा रहता हूँ
इसीलिए गर्वपू्र्वक स्वयं को
चिर युवा कहता हूँ
उनकी ओजस्विता को मैं
देखता रह जाता हूँ
बनकर नक्षत्र अपना तेज
उन दैदीप्यमान सूर्यों से पाता हूँ

जितना मैं देता हूँ उनको
उसका कई गुना लौटाते है
प्रतिदिन वो प्यारे बच्चे
मुझे पाठ अनेक पढाते है
मैं सीखाता उन्हें एक पाठ
वे दस पाठ मुझे सीखाते है
आप ही बताओ प्यारे मित्रों
सच्चा शिक्षक आप किसे अब पाते है

शिछक दिवस / शिक्षक दिवस मराठी कविता गुरु की महिमा पर कविता (hindi poem on teacher in hindi language)

हाथ जोड़कर नमन करूं
गुरूवर वंदन स्वीकार करो
टूटी फूटी कविता हूं
गुरुवर मेरा परिष्कार करो
ज्ञान की ज्योति जला दो गुरूवर
जीवन सफल बने मेरा
ईश्वर के दर्शन करवा दो
मुझ पर ये उपकार करो

short poem on teacher for kids शिक्षक दिवस कविता

जद राजनीति धर्म गी बांदी बण ज्यावै
लोग बंदूकां गी नाळी पर सांस गिणै
आदमी आपगी लाश आप ही चक्यां फिरै
टाबर अर लुगाइयां बाहर लिकड़ण हूं डरै
छोटी – छोटी छौरियां गै लोग बटका भरै
पांच रिपियां गी खातर बेली – साथी नै मारै
पढ़ण खातर टाबर तरसण लागज्यै

अर भर्तियां गी लेण म्है खड़्या ही पड़ै
जद आंधा सेरणी बांटण लागज्यै
अर ठाडै गो डोको डांग नै पाड़ै
तो समझ ल्यो मूलक म्है अंधेर मचज्यै
इं अंधेर म्है भटकतां बाळकां नै जै कोई चानणो दिखावै
तो वो शिक्षक है

जो वानै स्याणी – स्याणी बात सुणावै
आच्छै बुरै गी पहचाण करावै
झूठ – फरेब नै काढ़ भगावै
लुच्चई – लालच हूं चोगा करावै
अन्याय – शोषण गै खिलाफ बुलावै
तर्क विधि हूं सोचणो सिखावै
भ्रम काढ़गे दूर भगावै
आगै बढ़ण नै राह दिखावै
सही रास्तै पर ले ज्यावै
अर फेर जे इस्यो टेम आज्यै
कै वे ही शिक्षक

कलासां म्है तो कम पढ़ावै
ट्यूसनां गा पिस्सा कमावै
प्रोपर्टी गो धंधो चलावै
आपस म्है वे मर – कट ज्यावै
चेला पाळै चरण छुवावै
जात – धर्म म्है फसै – फसावै
छौरियां पर नजर डिगावै
भटकण और भटकाण लागज्यै
तो क्यूकर आस जगै ?
तो क्यूकर आस जगै??

शिक्षक विदाई कविता teachers day poems in english for small kids

परीक्षाभवन में आज फिर होने लगा आत्ममंथन मेरा
काश कुछ पढ़ा होता याद कुछ करा होता
प्रश्नपत्र देखते ही मेरा सर चकरा गया
पढ़ी थी अमोनिया, फास्फोरस आ गया
छात्र एकता संकल्प हमारा है
आज तो बस नकल का ही सहारा है
मैंने सोचा पानी पीने जाता हूँ
वहीं इधर उधर से दो चार पर्ची ले आता हूँ
मैंने पूछा सर पानी पीने जाऊँ
सर बोले ज्यादा प्यासे हो तो पानी वाले को यहीं बुलाऊँ

कैसे दूँ मैं गुरु को झांसा मेरा मन पर्ची का प्यासा
हाय कितने सख्त शिक्षक रूम में पड़े हैं
आधे घंटे से मेरे ही सर पे खड़े हैं
मैंने सर को भोलेपन से देखा और ब्रह्मास्त्र फेंका
सर पिछले कुछ दिनों से मेरी तबीयत खराब रही है
इधर बहुत गर्मी लग रही है
सर मेरे साथ थोड़ी रियायत कीजिये
मुझे उस पंखे के नीचे बिठा दीजिये

poem on teacher in hindi language शिक्षक दिवस की कविता इन हिंदी

सर बोले उधर का पंखा तो और भी धीरे चल रहा है
उधर बैठे बच्चों के देखो कितना पसीना निकल रहा है
तुम मेरी कुर्सी पे आओ समय निकल रहा है
कुछ छात्र तो उत्तर लिख रहे थे
लेकिन अधिकतर परेशान दिख रहे थे
तभी एक छात्र बोला
सर इतनी सख्ती, क्या ये सही है
ऐसे माहौल में बहुत परेशानी हो रही है
गुरु जी बोले मैं नकल नहीं करने दूँगा
गर्दन हिली तो कॉपी छीन लूँगा
सर ये आप कर क्या रहे हैं,
परीक्षा का इस तरह मखौल मत उड़ाइए

inspirational poems for students from teachers स्टूडेंट्स के लिए शिक्षक दिवस पॉएम

जाइए थोड़ा पान वान खाकर आइये
हमारे उतरे हुए चेहरे देख गुरुजी मंद मंद मुस्काने लगे
और अपनी जेब से पान की पुड़िया निकाल वहीं पान खाने लगे
लगता है आज मैं अपने शाकाहारी व्रत को बचा नहीं पाऊँगा
अपने जीवन का प्रथम अंडा इसी प्रश्नपत्र में खाऊँगा
शायद ये मेरे पिछले कुकर्मों का हिसाब है
आज भाग्य भी कुछ ज्यादा ही खराब है

अंततः मैं बोला ठीक है सर इजाजत दीजिये
बहुत हुआ अब मेरी कॉपी जमा कर लीजिये
इस घटना के दो महीने बाद,
पिताश्री अपनी अभिव्यक्तियों को मुझ पर वार रहे थे
मेरे ही भीगे जूतों से मेरे केश संवार रहे थे॥
मेरे जैसे सभी परीक्षार्थियों के साथ सहानुभूति सहित

शिक्षक दिन मराठी कविता गुरु पर कविता : मित्रों शिक्षक दिवस 2024 के अवसर  पर हमने अपने गुरुजनों के सम्मान में 20 से अधिक शिक्षक दिवस पर कविता का कलेक्शन आपके लिए तैयार किया हैं.

ताकि आप भी शिक्षक दिन कविता के माध्यम से अपने प्रिय गुरुजनों को विश कर सकते हैं. हमारे समाज में गुरु को महत्वपूर्ण  स्थान दिया गया हैं शिक्षक कविता के माध्यम से शिक्षक के महत्व उनकी भूमिका व योगदान को हम सरल भाषा में समझ सकते हैं.

शिक्षक पर कविता, अध्यापक पर कविता या टीचर पर कविता को पढकर आप भी आनन्द प्राप्त करे तथा फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर अपने दोस्तों के साथ भी आज शेयर करते रहे.

शिक्षक पर हास्य कविता- teachers day quotes poems शिक्षक दिवस कविता

कल हम चाहते थे
शिक्षक पिता
दस या बीस का पहाड़ा पूछें
लेकिन उन्होंने हमेशा
तेरह-सत्रह और उन्नीस का पहाड़ा पूछा
कैट-मैट-रैट की स्पेलिंग कभी नहीं PUCHI
हमेशा एरोप्लेन और अम्ब्रेला की मीनिंग् PUCHI

भरी कक्षा में मुँह लटक जाता हमारा
डाँट पड़ती
जब वो इतना कठिन पूछते
तब हमें लगता वे ‘अच्छे पिता जी’ नहीं हैं
जब हम अटक-अटक कर बता देते
तब उनके चेहरे पर
‘ हमारा अच्छा बेटा’ वाला भाव जरूर दिखता था
आज भी जब हम करते हैं कोई मुश्किल काम
याद आ जाता है हमें पिता का चेहरा
और पिता इस सब से अंजान
हमारे बच्चों को याद करा रहे हैं ‘क’ से कबूतर
‘ख’ से खरगोश

पूछ रहे हैं दो का पहाड़ा और एप्पल की मीनिंग
और इस तरह खुश हो रहे हैं
जैसे बच्चे तेरह- सत्रह का पहाड़ा सुना रहे हों
यह देखकर हम मुस्कुराते हैं
स्मृतियों में बसे बचपन में चले जाते हैं……
गौरव पाण्डेय

शिक्षक दिन कविता (poem for teachers day celebration) शिक्षक कविता मराठी

दिया है ज्ञान की ज्वाला,अंधेरे को मिटा कर के
बना डाला हमें सोना, लोहे से बदलकर के
किया उपकार हमपे है,चुकाउ मैं भला कैसे
इन्हें चरणों को पूजू मैं, अपना सर झुकाकर के
.
कभी कुछ शब्द कहता हूँ, बड़ी तारीफ होती है
मेरे हर एक हर्फो में यही तालीम होती है
यहां सब लोग कहते है,बड़ी उम्दा गज़ल तेरी
मेरे सर पे मेरे गुरु की सदा आशीष होती है
.
कवि हिमांशु पाण्डेय

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short thank you poems for teachers छोटी शिक्षक पर कविता

गुरुवर
आपकी महिमा का हर पल करूँ मैं बखान
ज्ञान के सागर है मेरे गुरुवर, मैं बालक नादान
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
माता पिता ने चलना सिखाया
आपने गुरुवर अंधकार मिटाया
मैं मूर्ख, गुरु तो परम् सुजान
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
भेद भाव से आगे हो तुम

सब जग सोया, जागे हो तुम
आप दयालु, आप करुणा निधान
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
शब्द ज्ञान के आप हो दाता
आप ही पिता हो ,आप ही हो माता
दूर हुआ मन का अज्ञान,
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
आप ने डांटा, प्यार भी लुटाया
दुनिया मे चलने के काबिल बनाया
आप के चरणों का हम करे ध्यान
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
निंदा नफरत से दूर रहना सिखाया
प्यार प्रीत का हमको पाठ पढ़ाया

गुरुवर होते गोविंद समान
गुरुवर, आपकी महिमा का…..
एहसान गुरु के भूल न जाये
ज्ञान के पथ पर बढ़ते जाये
“गोपी” गुरु के कर्म महान
गुरुवर, आपकी महिमा का हर पल करूँ मैं बखान
गोपी डोगरा

5 सितम्बर शिक्षक दिवस पर अध्यापकों पर कविता

Poem On Teacher In Hindi: 5 सितम्बर को टीचर्स डे हैं. इस शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने गुरुजनों के सम्मान के लिए आप कोमर्या मनोज जी और शिव नारायण वर्मा जी द्वारा रचित ये दो बेहतरीन कविताओं (Poems) का वाचन कर सकते हैं.

मुझको छोड़ न जाना (मनोज)

गुरुवर मेरे तुमसे हैं प्रार्थना,
मुझको छोड़ न जाना तुम,
आत्मविशवास का दीप जलाकर,
मुश्किल मा साथ निभाना तुम.

तू अपनी मेधा के बल पर,
मेरा भी भविष्य बनाना तुम.
अगर लगू हारने जीवन पथ पर,
मेरा हौसला बढाना तुम.

भटक गया गर राह कभी तो,
जीवन की राह दिखाना तुम.
जीवन डगर, जीवन ही समर हैं,
जीवन संघर्ष सिखलाना तुम.

करके अपने ज्ञान की वर्षा,
मुझको भी योग्य बनाना तुम.
प्रकाश पुंज का बन आधार तुम,
मुझकों मेरा कर्तव्य सिखाना तुम.

नमन तुम्हे हैं गुरुवर मेरे,
मुझकों यू ही, छोड़ न जाना तुम,
बन धारा तुम प्रेम नदी की,
मेरी नैय्या पार लगाना तुम.

कभी तू माता, कभी पिता तुम,
कभी दोस्त, सखा बन जाना तुम.
तू भगवान् से पहले भगवन,
परिचय मुझसे मेरा करवाना तुम..

राह दिखाई हैं तुमने

जो राह दिखाई हैं तुमने
पदचिन्हों के पीछे-पीछे,
आजीवन चलता जाउगा,
जो राह दिखाई हैं तुमने
मै औरो को दिखलाउगा

सुखी डाली को हरियाली,
बेजान को जीवनदान दिया.
काले अंधियारे जीवन को,
सौ सूरज से धनवान किया.

परोपकार, भाईचारा,
मानवता, हमकों सिखलाई.
सच्चाई की दी हैं मिसाल हैं.
सहानुभूति क्या दिखलाई.

कान पकड़कर उठक बैठक,
थी छड़ियो की बरसात हुई.
समझ न पाया उस क्षण मै,
अनुशासन की शुरुआत हुई.

मुखमंडल पर अंगार कभी,
आँखों में निश्छल प्यार कभी.
अंतर में माँ की ममता थी,
सोनार कभी लोहार भी.

जीवन को चलते रहना हैं,
लौ इसकी झिलमिल जलती हैं.
जीवन के हर चौराहे पर,
बस कमी तुम्हारी खलती हैं.

जीवन की कठिन सी राहो पर,
आशीष तुम्हारा चाहुगा.
जो राह दिखाई हैं तुमने,
मै औरो को दिखाउगा.
शिव नारायण वर्मा

शिक्षक दिवस कविता

आपने दी ऐसी शिक्षा आत्म विशवास जगाया हैं,
रिद्दी सिद्दी औ गणेश जी, सबसे मिलवाया हैं.
ईश्वर रूप से प्राणिमात्र का साक्षात्कार करवाया हैं,
सुख में संयम दुःख में धीरज, हंसकर जीना सिखलाया हैं.
आज आपकी सिखलाई शिक्षा दुनिया को सिखलाता हू.

आँखे खोली दुनियाँ में, मै अज्ञानता का वाहक था.
बचपन में स्कुल गया, गुरूजी आपका साथ मिला,
रंग जीवन के जाने हमने, जीवन का उद्देश्य मिला.
हे गुरूजी आपकी छड़ी से सही राह का वरदान मिला,
सीखे मैनर्स, पढना-लिखना, ह्रद्य का अनुराग मिला
आज उसी सही राह को बच्चो को सिखलाता हु.

सही गलत अच्छा बुरा, सब आपने ही बतलाया हैं.
सूरज, चन्द्रमा, नदियों, पहाड़ क्या देते समझाया हैं,
प्रकृति शरीर आत्मा, सेहत का मर्म समझाया हैं.
संगी साथी, परिजन समाज, देश हित महत्व समझाया हैं,
आज पुनः आपकों सोच मन से कृतज्ञता बतलाता हु.

दिलों में मेरे बात गलत आ जाती हैं,
आँखे मेरी कुछ निशान दिखलाती हैं.
उन उंगलियों पर पड़े थे, जो आपकी छड़ी के निशान,
और आज वही उंगलियाँ शिष्यों को दिशा दिखलाती हैं.
फिर आप ही के पद चिह्नों पर सरस्वती सेवक कहलाता हू,
आज इस महान गुरु पर्व पर शत शत नमन करता हु.
कमल कान्त अग्रवाल द्वारा रचित

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1 thought on “शिक्षक दिवस पर कविता | Poem on Teachers day 2024 In Hindi”

  1. अमित कुमार वेंदया

    निम्नलिखित कविता का नाम एवं कविता की रचना किसने की है? कृपा करके कवि का नाम बताने का कष्ट करें.. धन्यवाद।

    कविता-
    वो कौन सा है पद,
    जिसे देता ये जहाँ सम्मान।

    वो कौन सा है पद,
    जो करता है देशों का निर्माण।

    वो कौन सा है पद,
    जो बनाता है इंसान को इंसान।

    वो कौन सा है पद,
    जिसे करते हैं सभी प्रणाम।

    वो कौन सा है पद,
    जिसकी छाया में मिलता ज्ञान।

    वो कौन सा है पद,
    जो कराये सही दिशा की पहचान।

    गुरु है इस पद का नाम,
    मेरा सभी गुरुजनों को शत-शत प्रणाम।

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