अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास हिंदी में | Alauddin Khilji History In Hindi

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास Alauddin Khilji History In Hindi : दिल्ली सलतनत के इतिहास में खिलजी वंश का महत्वपूर्ण स्थान है इसी वंश का शासक था अलाउद्दीन खिलजी.

इसका जन्म १२६६-६७ ई में हुआ था, उसके पिता का नाम शिहाबुद्दीन खिलजी था, जो कि जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भाई था.

पिता की अकाल मृत्यु हो जाने के पश्चात उसके चाचा जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ही उसके संरक्षक थे.

Alauddin Khilji History In Hindi – अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी इतिहास

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास हिंदी में | Alauddin Khilji History In Hindi
पूरा नामअलाउद्दीन खिलजी
दूसरा नामजुना मोहम्मद खिलजी
असली नामअलीगुर्शप
जन्म1250 ई
जन्म स्थानलक्नौथी (बंगाल)
शासनावधि1296–1316
पिता का नामशाहिबुद्दीन मसूद
पत्नीमलिका-ए-जहाँ, महरू, कमला देवी
धर्ममुस्लिम
मृत्यु1316 (दिल्ली)
बच्चेकुतिबुद्दीन मुबारक शाह, शाहिबुद्दीन ओमर

कौन था अलाउद्दीन खिलजी

खिलजी वंश का दूसरा राजा और सबसे अधिक इस्लाम को कट्टरता से अपने राजकीय जीवन में उतरने वाले क्रूर शासक के रूप में जाना जाता हैं.

इसकी निर्दयता और गैर मुसलमानों के प्रति नीति का अनुमान इसी बात से लगा सकते है कि खिलजी के शासनकाल के दौरान राजस्थान से चार से पांच जौहर हुए थे, जिनमें पद्मावती जौहर भी एक था.

अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या कर राजसत्ता हथियाने वाला अलाउद्दीन दूसरा सिकन्दर बनने का स्वप्न लेकर अपने साम्राज्य को फैलाने का अभियान ले चला था. उसने सिकन्दर आई सनी की उपाधि भी अर्जित की थी.

अपने शासित राज्य में इस्लाम में हराम की गई चीजे जैसे शराब आदि को इसने प्रतिबंधित कर दी थी. सल्तनतकालीन शासकों में सर्वाधिक क्रूर शासक खिलजी ने न केवल उत्तर भारत को रौदा बल्कि दक्षिण भारत में भी इसने नियमित लूटमार और कत्लेआम जारी रखा.

इतिहास जीवनी

बाल्यावस्था में नियमित शिक्षा के अभाव में यदपि अलाउद्दीन खिलजी निरक्षर रह गया था. फिर भी वह अत्यंत प्रतिभावान था. उसकी प्रतिभा से प्रभावित होकर जलालुद्दीन ने अपनी पुत्री का विवाह उससे किया था.

१२९० में जलालुउद्दीन ने उसे अमीर ए तुजुक पद प्रदान किया. १२९२ में सुल्तान जलालुद्दीन की अनुमति से अलाउद्दीन ने भिलसा पर आक्रमण किया और अतुल धन संपदा को जीता. १२९४ में अलाउद्दीन ने देवगिरी पर आक्रमण किया और अपार धन सम्पति प्राप्त की, इस हमलें को शासक जलालुद्दीन से छुपाकर अंजाम दिया था.

देवगिरी की विजय से अलाउद्दीन की सुल्तान बनने की इच्छा प्रबल हो उठी और उसने १९ जुलाई १२९६ ई को धोखे से सुल्तान जलालुद्दीन की हत्या करके स्वयं सत्ता हस्तगत कर ली.

अलाउद्दीन महान साम्राज्यवादी था, इतिहासकार मानते है कि इसके साथ भारत में साम्राज्यवाद का प्रारम्भ होता है, जो आधी शताब्दी तक चलता रहा.

उत्तर भारत के राज्यों के प्रति उसकी निति राज्य विस्तार की थी. जबकि दक्षिण भारत में वह राज्यों से अपनी अधीनता स्वीकार करवाकर और वार्षिक कर लेकर ही संतुष्ट था.

अलाउद्दीन की प्रारम्भिक इच्छा नवीन धर्म चलाने की तथा विश्वविजेता बनने की थी. इसी के तहत उसने सिकन्दर द्वितीय की उपाधि धारण की, किन्तु काली अलौल्मुल्क के परामर्श से उसने इन दोनों योजनाओं को त्याग दिया. अलाउद्दीन के उत्तर भारत के विजय अभियान में गुजरात, रणथम्भौर, चित्तोड़, मालवा, धार, चंदेरी, सिवाना, जालौर मुख्य क्षेत्र थे.

मलिक मोहम्मद जायसी की 1540 ई की रचना पद्मावत के अनुसार अलाउद्दीन के चित्तोड़ अभियान का कारण वहां के शासक राणा रत्न सिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना चाहता था.

अलाउद्दीन का महान सेनापति मलिक काफूर गुजरात विजय के दौरान नुसरत खां द्वारा एक हजार दीनार में खरीदा गया, जिससे उसे हजारदीनारी भी कहा जाता था.

अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत में विजय पताका फहराई. अलाउद्दीन के दक्षिण भारतीय अभियान का नेतृत्व उसके सेनापति मलिक काफूर ने किया था. उसने १३०७ ई में सर्वप्रथम देवगिरी पर आक्रमण कर वहां के शासक रामचन्द्र देव को पराजित किया.

उसके बाद काफूर ने तेलंगाना क्षेत्र में वहां के शासक प्रताप रुद्रदेव द्वितीय ने मलिक काफूर को विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भेंट किया, जिसे काफूर ने अलाउद्दीन को भेट कर दिया.

काफूर का दक्षिण भारत में विजय अभियान- देवगिरी, वारंगल, द्वारसमुद्र, मालाबार, मदुरै. यह पहला अवसर था जब मुस्लिमों की सेना दक्षिण में मदुरै तक पहुच गई और साथ में मन्दिरों से लुटी गई अकूत सम्पति लेकर लौटी. इस अभियान की सफलता के बाद मलिक काफूर को अपने साम्राज्य का मलिक नायब नियुक्त कर दिया.

अलाउद्दीन खिलजी का राजत्व सिद्धांत (ala ud din theory of kingship)

अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम सम्राट था जिसने धर्म को राजनीति से पृथक किया. उसने धार्मिक वर्ग को शासन में हस्तक्षेप नहीं करने दिया.

उसने खलीफा से अपने सुलतान के पद की स्वीकृति लेने की आवश्कता नही समझी. इस प्रकार अपने शासन में न तो इस्लाम के सिद्धांतों का सहारा लिया, न ही उलेमा वर्ग की सलाह ली. वह निरंकुश राजतन्त्र में विश्वास रखता था.

अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण और विद्रोह (Alauddin Khilji invasion and revolt Hindi)

अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल मंगोलों के भयानक आक्रमण के लिए विख्यात है, मंगोलो से निपटने के लिए अलाउद्दीन ने बलबन की लौह एवं रक्त की नीति ( balban theory of kingship) अपनाई. १३०६ में अलाउद्दीन के समय में दिल्ली का सुल्तान एवं मंगोलों के बीच रावी नदी सीमा थी.

शासक अलाउद्दीन के शासन के प्रारम्भ में कुछ विद्रोह भी हुए. जिनमें १२९९ में नवीन मुसलमानों वह ४००० मंगोल जो जलालुद्दीन खिलजी के राज में इस्लाम कबूल कर दिल्ली में बस गये थे. का गुजरात अभियान से प्राप्त लुट के माल के बंटवारे के प्रश्न पर विद्रोह प्रमुख हैं.

अमीरों पर नियंत्रण के उपाय (Remedies for control over the rich)

यधपि सभी विद्रोहों का दमन कर दिया गया किन्तु इन्होने अलाउद्दीन को चिंतित कर दिया और उसने निष्कर्ष निकाला कि विद्रोहों को रोकने के लिए साम्राज्य की वास्तविक स्थिति और गतिविधियों पर नजर रखना अमीरों के धन में कमी करना और उनका परस्पर मेलजोल रोकना आवश्यक हैं.

इसी क्रम को उसने बांटा हुआ धन छीन लिया, मिल्क और वक्फ संपतियां जब्त कर ली, शराब महफिलों पर रोक लगा दी और अमीरों के परस्पर वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सुलतान की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक कर दिया.

यही नही उसने विद्रोहियों के साथ साथ उनके परिवार वालों को भी दण्डित किया, उदहारण के लिए नवीन मुसलमानों के परिवार को. उसने एक सशक्त गुप्तचर प्रणाली का गठन किया, इसके अतिरिक्त मुन्ही या मुन्हीयन नामक सूचनादाता भी थे. इन उपायों से विद्रोहों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित हुआ.

राजस्व कर एवं लगान व्यवस्था

अलाउद्दीन का उद्देश्य सल्तनत का आंतरिक पुनर्गठन था, जिसके अंतर्गत बिचौलियों का दमन करके गाँवों से सीधा सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया गया.

उसने भूमि की उत्पादकता के आधार पर कर निर्धारित किये तथा भूमि को बिस्वा में मापने की प्रथा शुरू की. राज्य को उत्पादन या बिस्वा का आधा हिस्सा मिलता था. इसे खिराज कहा जाता था.

गृहकर घारी तथा चारागाह पर चरी लागू किये थे. राजस्व एकत्रित करने के लिए मुस्तखराज नामक अधिकारी की नियुक्ति की गई.

बाजार व्यवस्था

अलाउद्दीन ने बाजार में सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम निर्धारित कर दिए थे. किसी भी प्रकार की बेईमानी करने वालों को कड़ा दंड मिलता था. बाजार सुधारों के तहत अलाउद्दीन ने चार बाजार स्थापित किये थे.

  • अनाज मंडी
  • वस्त्र चीनी जडीबुटी सूखे मेवे घी आदि का बाजार जिसे सराय ए अदल भी कहा जाता था.
  • दास मवेशियों और घोड़ो का बाजार
  • सामान्य बाजार

कीमतें स्थिर रखने हेतु आपूर्ति की निरन्तरता पर बल दिया जाता था. सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था. केवल पंजीकृत व्यापारी ही किसानों से गल्ला खरीद सकते थे.

कोई भी व्यापारी अधिक कीमत न ले पाए इसके लिए गुप्तचर नियुक्त किये थे. इन उपायों से दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में लम्बे समय तक कीमतें स्थिर रही तथा अलाउद्दीन खिलजी के लिए कम खर्च में अधिक सेना रखना संभव हो पाया.

सैन्य व्यवस्था

अलाउद्दीन ने एक विशाल शक्तिशाली स्थायी केन्द्रीय सेना रखी. उसने सेना को मंगोल पद्धति से संगठित किया. यही विशाल संगठित सेना उनकी विजयों का आधार बनी.

सर्वप्रथम अलाउद्दीन ने सैनिकों को नकद वेतन दिए जाने की शुरुआत की थी. पहली बार घोड़ो को दागने की प्रथा तथा सैनिकों के लिए हुलिया प्रणाली की शुरुआत की.

सांस्कृतिक योगदान

अलाउद्दीन ने दिल्ली में हजारों स्तम्भों वाला तिमंजिला राजभवन हजार सितून, हौज ए ख़ास, सोरी नगर, जयामत खाना मस्जिद का निर्माण करवाया, उसने अपनी राजधानी सीरी को ही बनाया. उसके दरबार में अमीर खुसरो व हसन दहलवी जैसे कवि थे.

अलाउद्दीन खिलजी के रोचक तथ्य

उसने अपने सेनापति गाजी मलिक द्वारा उत्तरी पश्चिमी सीमा को मजबूती प्रदान कराई. अलाउद्दीन की मृत्यु के पश्चात कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी तथा नसीरुद्दीन खुसरो शाह राजगद्दी पर बैठे, लेकिन गाजी मलिक ने अपनी योग्यता व शक्ति के आधार पर सत्ता पर अधिकार कर लिया.

FAQ

अलाउद्दीन खिलजी का राज्याभिषेक कब हुआ था?

1296 ई में

खिलजी की हिन्दू पत्नी कौन थी?

कमलादेवी (कर्ण की पूर्व पत्नी)

अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड की रानी पर मोहित था?

महारानी पद्मिनी पर

पद्मावत फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका किसने निभाई?

रणवीर सिंह ने

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