अलाउद्दीन मसूदशाह का इतिहास Alauddin Masud Shah History In Hindi : बहराम शाह को बंदी बना लेने के बाद तुर्क सरदार इज्जुद्दीन किशलू खां ने अपने आपकों सुल्तान घोषित कर दिया. परन्तु एक दूसरे से इर्ष्या रखने वाले तुर्की सरदारों ने उसे सुल्तान मानने से इंकार कर दिया.
वूल्जले हेग ने ठीक ही लिखा हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं कि साधारणतया सिंहासन भी चालीस में से ही किसी एक को मिल जाता, यदि उनकी पारस्परिक इर्ष्या ने उन्हें अपने में से ही किसी एक को चुनने से न रोका होता.
Alauddin Masud Shah History In Hindi
परिणामस्वरूप इल्तुतमिश के वंशजों पर विचार किया गया और अंत में सर्वसहमती से रूकनुद्दीन फिरोजशाह के पुत्र अलाउद्दीन मसूदशाह को सुल्तान बनाया गया.
परन्तु तुर्की सरदारों ने सुल्तान ने अपना प्रभाव बनाए रखने की दृष्टि से इल्तुतमिश दोनों बेटों नासिरुद्दीन और जलालुद्दीन को जेल में डाल दिया ताकि समय आने पर उनका उपयोग किया जा सके.
दूसरा काम महत्वपूर्ण पदों पर अधिकार जमाना था. ताकि सुल्तान मनमानी न कर सके. इस दृष्टि से कुतुबुद्दीन हसन गोरी को नायब, निजामुलमुल्क को वजीर और मलिक को कराकश को नगर का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया.
जब वजीर ने अपनी सत्ता को बढ़ाने का प्रयास किया तो दूसरे सरदार असंतुष्ट हो गये. और उन्होंने मिलकर वजीर का वध करवा दिया. उसके स्थान पर विनम्र स्वभाव वाले अबूबकर को वजीर बनाया गया.
सुल्तान मसूदशाह ने प्रारम्भ में उदारता का परिचय दिया. उसने अपने दोनों चाचाओं को जेल से मुक्त करवा दिया और जलालुद्दीन को कन्नौज का और नसीरूद्दीन को बहराइच का शासक नियुक्त किया.
विद्वानों और धर्माचार्यों को भी पुरुस्कृत किया. परन्तु दूरस्त प्रान्तों के अधिकारियों ने उसके शासनकाल में मनमाने ढंग से शासन करना शुरू कर दिया और केन्द्रीय सरकार की अवज्ञा करने लगे.
उदहारण के लिए बंगाल का सूबेदार तैमूर खां स्वेच्छा से युद्ध तथा संधियाँ करने लग गया था, मुल्तान का हाकिम ऐयाज भी दिल्ली के आदेशों की परवाह नहीं करता था.
क्योंकि उसने बिना दिल्ली की सैनिक सहायता के मंगोलों के विरुद्ध अपने सूबे की रक्षा की थी. कटेहर और बिहार में राजपूतों ने विद्रोह करके अव्यवस्था फैला दी थी.
पंजाब में खोखरों की लूटमार बढ़ती जा रही थी. ऐसी स्थिति में मसूदशाह भोग विलास में डूबता गया. अतः तुर्की सरदारों को विश्वास हो गया कि उसमें शासन संचालन की योग्यता नहीं. अतः सभी ने मिलकर इल्तुतमिश के पुत्र नासिरुद्दीन को सिंहासन पर बैठाने का निश्चय किया.
इस योजना को पूरा करने का दायित्व बलबन को सौपा गया. बलबन का उदय ही कुछ ही वर्षों में हुआ था. और कराकश के स्थान पर उसे अमीर ऐ हाजिब पद पर नियुक्त किया गया था.
जून 1246 ई में बलबन ने बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से योजना को कार्यान्वित कर दिखाया. अलाउद्दीन मसूदशाह को कारागार में डाल दिया गया जहाँ बाद में उनकी मृत्यु हो गई, नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान घोषित कर दिया गया.
अलाउद्दीन मसूद शाह की व्यक्तिगत जानकारी
नाम | अलाउद्दीन मसूद शाह |
पिता का नाम | रुकनुद्दीन फिरोजशाह |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
मजहब | इस्लाम |
जाति | ज्ञात नहीं |
जन्म | अखंड भारत |
बेगम | ज्ञात नहीं |
भाई | ज्ञात नहीं |
बहन | ज्ञात नहीं |
मृत्यु | ज्ञात नहीं |
तबकात ए नासिरी
यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें अलाउद्दीन मसूद शाह के शासन काल के बारे में काफी गहराई से बताया गया है। इस की रचना 13वी शताब्दी के आसपास फारसी भाषा में की गई थी और इसकी रचना करने का श्रेय मिनहाज उस सिराज को जाता है।
तारीख ए मुबारकशाही
याहिया बिन अहमद सरहिंदी के द्वारा इसकी रचना तब की गई थी जब सैयद वंश के महाराजा मुबारक शाह गद्दी पर विराजमान थे।
आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि इसके अंदर काफी गहराई से सैयद वंश की हिस्ट्री के बारे में डिटेल दी गई है.
परंतु इसके अलावा भी कुछ ऐसे अन्य मुस्लिम शासकों की डिटेल भी इसके अंदर आपको मिल जाती है, जिन्होंने अपने अपने समय में अच्छा कार्यभार संभाला था।
अलाउद्दीन मसूद शाह का समय काल
- इनके पिता का नाम रुकनुद्दीन फिरोजशाह था।
- तुर्क सरदारों को द्वारा बड़ी ही बेरहमी से मुईजुद्दीन बहराम शाह का मर्डर साल 1242 में 15 मई के दिन कर दिया गया था।
- बैरम शाह का मर्डर हो जाने के बाद अलाउद्दीन मसूद शाह दिल्ली का सुल्तान बना।
- मसूद शाह ने मलिक कुतुबुद्दीन हसन को नाइब ए ममलिकात का पद दिया।
- शाह ने इमामुद्दीन हसन को मुख्य काजी का पद दिया।
- मसूद शाह से ज्यादा शक्ति वजीर मुहाजबुद्दीन के पास थी।
- मुहाजबुद्दीन ने सरदारों का खात्मा करने के लिए रणनीति तैयार की थी परंतु उसकी रणनीति सफल हो पाती, उसके पहले तुर्क सरदारों ने उसका खून कर दिया
- नजमुद्दीन अबू बकर को नए वजीर का पद
- मुहाजबुद्दीन का खून हो जाने के बाद मिला।
- बलबन को अलाउद्दीन ने मुख्य दरबारी अधिकारी का पद दिया था।
- बलबन के द्वारा अलाउद्दीन को सुल्तान के पद से हटाने के लिए बलबन ने अपनी माता और नसीरुद्दीन महमूद का साथ लिया।
- अलाउद्दीन को सुल्तान के पद से हटाने के बाद बलबन ने साल 1246 में 10 जून को दिल्ली के सुल्तान के पद को ग्रहण किया।
- अलाउद्दीन ने 1242-1246 तक शासन किया।
FAQ:
Q: अलाउद्दीन मसूद शाह की मृत्यु कब हुई थी?
Ans: इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है।
Q: अलाउद्दीन मसूद शाह किस मजहब के थे?
Ans: इस्लाम
Q: अलाउद्दीन मसूद शाह के पिता जी का नाम क्या था?
Ans: रुकनुद्दीन फिरोज शाह
Q: अलाउद्दीन मंजूर शाह की माता का नाम क्या था?
Ans: ज्ञात नहीं
Q; बलबन ने दिल्ली के सुल्तान के पद को कब प्राप्त किया?
Ans: 1246, 10 जून
Q: अलाउद्दीन मसूद शाह का जन्म कहां हुआ था?
Ans: अखंड भारत में
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