आंगनवाड़ी पर निबंध | Anganwadi essay in hindi

आंगनवाड़ी पर निबंध | Anganwadi essay in hindi: आंगनवाड़ी एक सरकारी संस्था है जिससे हम सभी परिचित हैं यह महिलाओं एवं बच्चों के पोषण व स्वास्थ्य के लिए संचालित की गयी थी.

परिवार नियोजन तथा प्रसव जैसे कार्यों में भी आंगनवाड़ी अहम भूमिका निभाती हैं. आज हम बच्चों के लिए यहाँ सरल भाषा में आंगनबाड़ी पर निबंध, स्पीच, अनुच्छेद, लेख उपलब्ध करवा रहे हैं.

आंगनवाड़ी पर निबंध | Anganwadi essay in hindi

आंगनवाड़ी पर निबंध | Anganwadi essay in hindi
गठन1975
संस्थापकभारत सरकार
प्रकारसरकारी संगठन
कानूनी स्थितिसरकारी संगठन
प्रयोजनबच्चों की भूख और कुपोषण से लड़ना।
मूलइंडिया

भारत में वर्ष 1975 में Anganwadi योजना आरम्भ की गयी, इसमें छः वर्ष से कम आयु के ८ करोड़ बालकों को इसका लाभार्थी बनाया गया.

आंगनवाड़ी योजना के तहत तीन वर्ष से लेकर 6 वर्ष की आयु तक बच्चें व माँ के स्वास्थ्य की जाँच तथा उनके टीकाकरण व पोषाहार का वितरण किया जाता हैं.

केंद्र प्रवर्तित Anganwadi Yojana में वर्ष २०१० से राज्यों के बाल विकास एवं महिला मंत्रालयों ने भी अपनी भागीदारी निभानी शुरू की हैं. वर्तमान में भारतीय आंगनवाड़ी क्षेत्र भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की गिरफ्त हैं.

आंगनवाड़ी योजना क्या है: आंगनवाड़ी अथवा आंगन आश्रय के नाम से शुरू की गयी इस योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों एवं महिलाओं को कुपोषण एवं खराब स्वास्थ्य से बचाना था.

केंद्र सरकार द्वारा बाल विकास सेवा केंद्र के रूप में इस योजना की शुरुआत की गई थी. इस स्कीम के तहत बहुल आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों ग्राम पंचायत स्तर पर आंगनवाड़ी केंद्र खोला जाता हैं.

सरकार ने आंगनबाड़ी को पूर्व स्कूल शिक्षा के रूप में संस्थान निर्मित करने की योजना जारी की, मगर दुर्भाग्य से आज भी Anganwadi लावारिस अवस्था में पड़े हैं.

केंद्र सरकार इन्हें पूर्व स्कूल संस्था के रूप में कई आधुनिक सुविधाएं एवं उपकरण उपलब्ध करवाती हैं यथा पोषित भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं, खेल सामग्री, बच्चों की पुस्तकें, गर्भधात्री महिलाओं की सही समय पर जाँच और परामर्श, बच्चों को बुनियादी ज्ञान आदि. मगर सरकारी भ्रष्टाचार व बन्दरबाँट खेल के चलते आज यह संस्था पूर्ण रूप से अनुपयोगी एवं फिजूल प्रतीत होती हैं.

सरकार द्वारा इस योजना के तहत चार पदों का सृजन किया गया जिनमें सीडीपीओ और सुपरवाइजर के पद सरकारी है जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के पदों को संविदा क्षेत्र में रखा गया हैं.

आंगनवाड़ी को सुचारू रूप से चलाने के लिए सीडीपी ओ का गठन किया गया. जिसके अधीन सभी पदाधिकारी कार्य करती हैं. योजना के अंतर्गत दूसरा पद सुपरवाइजर का रखा गया है जिसके अधीन २० से ३० आंगनवाड़ी केंद्र आते हैं. एक आंगनवाड़ी केंद्र का सर्वोच्च पद कार्यकर्ता का होता है जो संविदा पद हैं.

उद्देश्य

बच्चों को भूख और कुपोषण से बचाने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के क्रियान्वयन के रूप में भारत सरकार द्वारा 1975 में आंगनवाड़ी कार्यक्रम शुरू किया गया था ।

आंगनवाड़ी का मतलब हिंदी में “आंगन आश्रय” है। 31 जनवरी 2013 तक हमारे देश में करीब 13 लाख 30 हजार केंद्र खोले गये हैं.

भारत में डॉक्टरों की भारी को कम करने के उद्देश्य से इस प्रणाली को अपनाकर स्वास्थ्य मापदन्डों को पूरा करने का प्रयास किया गया. 2013 में भारत में प्रति 1800 नागरिकों पर एक डोक्टर का अनुपात था जो कि अनुशंसित 1:1000 से बहुत अधिक था.

आंगनवाड़ी योजना में भ्रष्टाचार: सरकारी संस्थाओं में खाना पूर्ति एवं भ्रष्टाचार के सर्वाधिक मामले आंगनवाड़ी क्षेत्र में देखे गये हैं. जहाँ केंद्र या राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गयी धनराशी लाभार्थी को न देकर कार्यकर्ता अथवा सीडीपीओ द्वारा निगल ली जाती हैं.

संविदा पद पर कार्यकर्ता एवं सहायिका कार्य करती हैं इस कारण भी उन्हें नौकरी का भय भी नहीं रहता हैं. इसके आलावा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर मिलने वाले पोषाहार की गुणवत्ता की निम्न स्तरीय होती हैं.

वाकई यदि हम बाल एवं महिला विकास को लेकर शुरू की गयी आंगनवाड़ी संस्था की उपयोगिता एवं महत्व के पहलुओं पर चर्चा करे तो यह ग्रामीण क्षेत्र में कारगर उपाय साबित हो सकती हैं.

जिससे बच्चों व महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण आदि में तो सुधार आएगा ही साथ ही बाल एवं प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु को भी कम किया जा सकता हैं.

आंगनबाड़ी में गर्भवती महिला को प्रसव से पूर्व कई टीके लगाए जाते हैं. बच्चें के जन्म के बाद भी कई प्रकार के टीकाकरण से उसे रोगों से मुक्त रखने का प्रयास किया जाता हैं.

सरकारी प्रावधानों के अनुसार प्रति ५०० से ८०० की आबादी वाले क्षेत्रों में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाता हैं. बड़े जनसंख्या वाले गाँव में एक से अधिक केंद्र स्थापित किये जा सकते हैं.

जिन्हें कार्यकर्ता एवं महिला सहायिका द्वारा चलाया जाता हैं. इन जैसे २५ केन्द्रों पर एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाती है जिन्हें मुख्य सेविका अथवा सुपरवाइजर के नाम से जाना जाता हैं.

यदि आप भी एक जागरूक नागरिक है तो आपका यह दायित्व है कि आप स्वयं आंगनबाड़ी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं तथा कार्यों से परिचित हो तथा स्वयं तथा समाज के अन्य लाभार्थी लोगों को जागरूक बनाए, ताकि सरकार की ओर से प्रदत्त सेवाओं का फायदा असली हकदार को हासिल हो. एक आंगनवाड़ी केंद्र में निम्न सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं.

6 साल की आयु से कम सभी नवजात शिशुओं का टीकाकरण, सभी प्रसुताओं की देखभाल प्रसव से पहले व बाद में तथा टीकाकरण, छः वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशिष्ट पोषाहार, १५ वर्ष से ४५ वर्ष की आयु की समस्त महिलाओं के लिए पोषण तथा स्वास्थ्य से जुड़ी शिक्षा, 6 माह तक नवजात शिशु की देखभाल, कुपोषण या अन्य बिमारी की स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र में शिशु देखभाल यूनिट को भेजना, 3 से 6 वर्ष के बच्चों की पूर्व प्राथमिक शिक्षा आदि सेवाएं एक आंगनवाड़ी केंद्र में उपलब्ध करवाई जाती हैं.

एक आंगनवाड़ी केंद्र में आवश्यक भौतिक सुविधाओं की बात की जाए तो यह केंद्र कम से कम 650 वर्ग फिट क्षेत्र में बना हो, इसका बरामदा 6 वाई डेढ़ का हो तथा समस्त क्षेत्र पूर्ण रूप से बाधामुक्त हो.

बच्चों के लिए समस्त खेल सामग्री खिलौने तथा एक खेल मैदान होना चाहिए. साफ़ सफाई तथा स्वच्छ जल, रसोई घर एवं शौचालय बने होने चाहिए.

इसके अतिरिक्त मूलभूत मापदंड़ो के अनुसार विद्युत कनेक्शन, जल, बाल्टी, ब्रुश झाडु साबुन, अध्ययन सामग्री आदि होने चाहिए.

एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उसी गाँव या बस्ती की महिला को नियुक्त किया जाता हैं. वह कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं. उसे सम्बन्धित क्षेत्र से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दे एवं समस्याओं की गहन जानकारी होती हैं. उसका प्रत्येक घर तक सम्पर्क रहता हैं. कार्यकर्ता के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं.

प्रत्येक नवजात शिशु का कम से कम एक माह में एक बार वजन कर उसे शिशु के कार्ड में अंकित करना, सभी मातृ व शिशु कार्ड की सुरक्षा तथा उच्च शिक्षा अधिकारी के दौरे पर उन्हें बताना, 3 से 6 वर्ष समूह के बच्चों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए गतिवि धियों का आयोजन, महिलाओं व बच्चों के लिए आहार की व्यवस्था,

स्वास्थ्य व पोषण की शिक्षा देना तथा नवजात शिशुओं को माँ का दूध पिलाने के लिए प्रसुताओं को जागरूक बनाना, स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव से पूर्व व बाद आयोजित जाँच व टीकाकरण में मदद करना, विकलांगता की पहचान कर उन्हें जिला पुनर्वास केंद्र रेफर करना आदि.

आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत कार्यकर्ता का वेतन बेहद न्यून हैं. वर्ष 2018 तक ३००० रूपये मासिक मानदेय प्राप्त था. केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर ४५०० रूपये प्रतिमाह कर दिया था.

मगर २०१९ में अब सहायिका को ३५०० से ४२०० तथा कार्यकर्ता को ४५०० से ५७५० रूपये का मासिक वेतन मिलता हैं.

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