अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय | Aruna Asaf Ali Biography In Hindi

अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय Aruna Asaf Ali Biography In Hindi: अरुणा गांगुली का जन्म 16 जुलाई 19-09 को अविभाजित पंजाब के कालका में हुआ था. उनका  परिवार एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार था.

तथा वे रवीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से संबंधित थे. गांगुली से आसफ अली बनी   अरुणा ने भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन ने  भी भाग लिया तथा स्वतंत्रता के बाद 1958   में वह दिल्ली की मेयर भी बनी. aruna asaf ali information in hindi में उनके जीवन परिचय को जानते हैं.

अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय Aruna Asaf Ali Biography In Hindi

अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय Aruna Asaf Ali Biography In Hindi

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नामअरुणा आसफ अली
व्यवसायभारतीय राजनेता
जन्म एवं स्थान16 जुलाई 1909, कालका, हरियाणा, भारत
निधन एवं स्थान29 जुलाई 1929, नई दिल्ली, भारत
शिक्षाऑल सेन्ट्स कॉलेज, नैनीताल

19 वर्ष की आयु में उन्होंने समाज की रुढ़िवादी परम्परा को तोड़ते हुए 1928 में दिल्ली के एक मुस्लिम कांग्रेसी नेता आसफ अली से शादी कर ली, जो कि अमेरिका में भारत के प्रथम राजदूत बने तथा बाद में उड़ीसा के राज्यपाल बनाये गये.

अरुणा 1930 व 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल गई तथा 1940 में गांधी द्वारा व्यक्तिगत सत्याग्रह के आ-ह्वान पर पुनः जेल गई. 1942 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की गिरफ्तारी के बाद, अरुणा ने अगस्त क्रांति आंदोलन के तिरंगे झंडे का भार अपने कंधों पर उठाया.

1947 में वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा चुनी गई. 1950 में वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गई ताकि अपनी इच्छानुसार उसमें स्थायी रूप से एक क्रांति लाई जा सके, पर उसमें केवल 2 वर्ष तक ही रहीं उसके बाद पार्टी छोड़ दी. वर्ष 1958 में दिल्ली की पहली महिला मेयर चुनी गई.

मेयर रहते हुए वह एक यंत्र की तरह कार्य करती रही ताकि लोक प्रशासन में बहुत से सुधार किये जा सकें. पर शीघ्र ही उनका मोह व भ्रम नौकरशाही तथा सरकार से टूट गया. और 14 महीने बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया. वह 1964 में पुनः कांग्रेस में सम्मिलित हो गई.

उन्हें 1964 में राष्ट्रों के बिच शान्ति स्थापित करने के प्रयासों के कारण अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1991 में जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बहुत सी महिला संस्थाओं को संचालित करते वह इसके विरुद्ध थी कि कार्य क्षेत्र या नौकरी में महिलाओं को आरक्षण दिया जाए.

क्योंकि यह कमजोरी व पिछड़ेपन को बढ़ावा देगी. इस कारण उनमें प्रतियोगिता करके आगे बढने की भावना ही समाप्त हो जाएगी, जिसका समाज के विकास पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. वह नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वुमेन और आल इंडिया वुमेन कांफ्रेस की अध्यक्षता के रूप में देश की सेवा करती रही.

उन्होंने आदित्य नारायण तथा ए वी बालिक के सहयोग और लिंक, पैट्रियाट समाचार पत्र समूह की स्थापना की. लम्बी बिमारी के बाद अरुणा आसफ अली का 29 जुलाई 1996 को देहांत हो गया था.

सरस्वती भवन

जब इनका समय था, तब हमारे इंडिया में लड़कियों को पढ़ाई करने के लिए ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था और लड़कियों को पढ़ाई से दूर रखा जाता था, क्योंकि लोगों की यह सोच थी कि लड़कियां पढ़ लिख कर क्या करेंगी,

उन्हें तो आगे चलकर के शादी करके चूल्हा चौकी ही संभालनी है परंतु लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने सरस्वती भवन को दिल्ली में स्थापित किया, जहां पर ऐसी लड़कियों को बिल्कुल फ्री में शिक्षा देने का काम चालू किया गया जो दलित है, असहाय हैं, विधवा, निर्धन या फिर बेसहारा है।

आपको हम यह भी बता दें कि वर्तमान के समय में दिल्ली का फेमस लेडी इरविन कॉलेज भी इन्हीं के द्वारा स्थापित किया गया था, जो कि वर्तमान के समय में काफी प्रसिद्ध बन चुका है,

जहां पर लाखों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा इन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के प्रमुख का पद भी हासिल किया था।

कांग्रेस कमेटी की निर्वाचित अध्यक्ष

कुछ दिनों तक अंडरग्राउंड रहने के बाद यह साल 1946 में एक बार फिर से सामान्य जीवन में आ गई और साल 1947 में इन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने का मौका मिला, जिसके बाद इन्होंने दिल्ली में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए काफी काम किए।

कांग्रेस से सोशलिस्ट पार्टी में

साल 1948 में यह सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गई और 2 साल तक सोशलिस्ट पार्टी में काम करने के बाद इन्होंने साल 1950 में अपनी खुद की लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी बनाई और इसके बाद अपनी इस पार्टी के साथ यह मजदूर आंदोलन में जुट गई। आगे चलकर के साल 1955 में इन्होंने अपनी पार्टी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विलय कर दिया।

भाकपा में

इन्हें ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनने का मौका भी मिला था, साथ ही यह भाजपा की केंद्रीय कमेटी की सदस्य भी बनी थी। साल 1958 में इन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

साल 1964 में जब पंडित जवाहरलाल नेहरु की मौत हो गई, तब इन्होंने कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन कर लिया परंतु यह उसमें अधिक काम नहीं करती थी।

दिल्ली नगर निगम की प्रथम महापौर

इन्हें 1958 में दिल्ली नगर निगम की पहली महापौर भी चुना गया था और मेयर बनने के बाद इन्होंने दिल्ली के डेवलपमेंट के लिए काफी अच्छे अच्छे काम किए।

इन्होंने मुख्य तौर पर दिल्ली के डेवलपमेंट, दिल्ली की सफाई और हेल्थ से संबंधित काम पर फोकस किया और नगर निगम की कार्य करने की प्रणाली को भी बेहतर बनाने का काम किया।

सम्मान और पुरस्कार

साल 1964 में इन्हें लेनिन शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ था और साल 1991 में इन्हें जवाहरलाल नेहरू अंतरराष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार दिया गया था।

इसके बाद अरूणा आसफ अली को साल 1992 में पद्म विभूषण का अवार्ड दिया गया था, साथ ही इसी साल इन्हें इंदिरा गांधी पुरस्कार भी दिया गया था।

और आगे चलकर के हमारे भारत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से इन्हें साल 1997 में सम्मानित किया गया था। इसके बाद इनके ऊपर एक डाक टिकट साल 1998 में जारी किया गया था और इन्हें सम्मान देने के लिए नई दिल्ली की एक सड़क का नाम अरूणा आसफ अली मार्ग रखा गया है।

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