अष्टांग योग क्या है और अष्टांग योग के फायदे | Ashtanga Yoga In Hindi

अष्टांग योग क्या है और अष्टांग योग के फायदे Ashtanga Yoga In Hindi:- आदि योग गुरु पतंजलि के योगसूत्र नामक ग्रन्थ में राजयोग के बारे में तथा इसके फायदों  के बारे में बताया गया है.

ये योग के आठ चरण पृथक्-पृथक् न होकर सम्पूर्ण अष्टांग योग प्रणाली का हिस्सा है. यम,नियम,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ध्यान और समाधि को समन्वित रूप से अष्टांग योग पद्धति का नाम दिया गया. है.

अष्टांग योग क्या है और अष्टांग योग के फायदे | Ashtanga Yoga In Hindi

अष्टांग योग क्या है और अष्टांग योग के फायदे | Ashtanga Yoga In Hindi

आज से करीब करीब 2200 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम महर्षि पतंजलि ने योग विद्या को व्यवस्थित रूप से योग सूत्र नामक ग्रंथ की रचना कर प्रस्तुत किया था. इस कारण इन्हें योग का पिता और जनक भी कहा जाता हैं.

पतंजलि के योग को राजयोग अथवा अष्टांग योग भी कहा जाता हैं. इसमें आठ अंगों के योगों का समावेश किया गया हैं. गौतम ने भी मोक्ष का जो आष्टांगिक मार्ग बताया हैं जिनमें योगसूत्र के ही आठ अंगों का वर्णन हैं.

महर्षि पतंजलि ने पूरी योग विद्या को आठ भागों के आधार पर बांटकर उन्हें अष्टांग योग अर्थात योग के आठ अंग का नाम दिया हैं.

जिस तरह एक कुर्सी की चार टाँगे होती हैं उन्ही की भांति ये योग के आठ अंग हैं. कुर्सी की भांति अष्टांग योग का हर एक अंग योग के पूर्ण स्वरूप से जुड़ा है तथा जैसे एक कुर्सी की टांग खीचने से कुर्सी निकट आ जाती हैं उसी भांति योग के एक अंग को अपनाने से बाकी अंग स्वाभाविक रूप से आचरण में आ जाते हैं.

महर्षि पतंजलि ने शरीर, मन आत्मा की शुद्धि के लिए योग के आठ चरण बताएं है, जिन्हें हम अष्टांग योग के नाम से जानते है. अष्टांग योग निम्न है.

अष्टांग योग के नाम

  • यम- (सामजिक अनुशासन) यम अष्टांग योग का प्रथम तत्व है. इसे अपनाने से इन्द्रियों एवं मन को हिंसादी जैसें अशुभ भावों को हटाकर आत्मकेंद्रित किया जाता है, इसे यम कहते है.
  • नियम- (व्यक्तिगत अनुशासन) नियम द्वारा व्यक्ति जीवन में अनुशासन का तौर तरीका सीखता है और इसे अपनाने से व्यक्ति के अच्छे चरित्र का निर्माण होता है.
  • आसन- किसी भी आसन में स्थिरता और सुखपूर्वक बैठना ही आसन कहलाता है.
  • प्राणायाम- (सांस पर नियंत्रण एवं नियमन) शरीर में रहने वाली आवश्यक शक्ति (VITAL FORCE) को उत्प्रेरित, नियमित व संतुलित बनाना ही प्राणायाम के उद्देश्य है.
  • प्रत्याहार- (इन्द्रियों पर अनुशासन) बाह्या वातावरण से विमुख होकर मन और इन्द्रियों को अन्तर्मुखी करना ही प्रत्याहार है. प्रत्यहार के द्वारा ही साधक का इन्द्रियों पर पूर्ण अधिकार हो जाता है.
  • धारणा- (एकाग्रता) नाभिचक्र, ह्रदय-पुण्डरीक, भूमध्य, बहारन्ध, नासिकांग आदि शारीरिक प्रदेशों में से किसी एक का स्थान पर मन का निग्रह या एकाग्र होना ही धारणा है. प्रत्यहार द्वारा जब इन्द्रियों एवं मन अंतर्मुख होने लगे तब उसकों किसी स्थान विशेष पर स्थिर करने का नाम ही धारणा है.
  • ध्यान- (साधना) जब व्यक्ति समय और सीमा के बंधन से मुक्त होकर अपना ध्यान केन्द्रित करता है. तब वह ध्यान (साधना) कहलाता है.
  • समाधि- (आत्म-अनुभूति) इसमें व्यक्ति की पहचान, आंतरिक और बाह्य रूप से ध्यान में खो जाती है. सुख-दुःख या दरिद्रता से मुक्त होकर सर्वोच्च आनन्द की अनुभूति होती है. ध्यान की पराकाष्ठा समाधि है.

अष्टांग योग के फायदे और शरीर पर प्रभाव (benefits of ashtanga yoga primary series)

योग के द्वारा स्वास्थ्य पर प्रभाव व लाभ निम्नलिखित है.

  1. योग के द्वारा ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह निरंतर बना रहता है जिससे आज की होने वाले कई रोग जैसे गाठिया, सूजन, प्लेटलेट्स की कमी आदि को सही करने में मददगार है.
  2. अष्टांग योग से व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में विकास होता है.
  3. योग से व्यक्ति के अंतर्मन के अवसाद खत्म होते है जिससे अपराधिक मानसिकता में कमी होने लगती है.
  4. नियमित रूप से योग करने से वृद्धावस्था में भी शारीरिक संतुलन बना रहता है.
  5. योग करने से बालकों में स्वाध्याय, सहजता, व्यवहारिकता, भावनात्मकता, दृढ निश्चयता व एकाग्रता आदि गुण विकसित होते है.
  6. प्राणायाम या योग तंत्रिका तंत्र की उत्तेजना को शांत करता है, जिससे आज की तनाव भरी जिंदगी से छुटकारा मिलता है.
  7. योग के द्वारा को सही कार्य करने का मार्गदर्शन मिलता है, जिससे सकारात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है.
  8. योग से प्रतिरक्षा तंत्र की प्रणाली की कार्यक्षमता बढ़ जाती है, जिससे हमारा शरीर रोगों से बेहतर तरह से लड़ सकता है.
  9. अष्टांग-योग और ध्यान के द्वारा व्यक्ति में जागरूकता का निर्माण होता है जिससे आज के प्रतिस्पर्धा वाले वातावरण में बालकों को क्रोध, विनाशकारी भावनाओं से मुक्त होता है तथा उन्हें सुविचारित दृष्टिकोण मिलता है.
  10. योग द्वारा प्राप्त स्वस्थ शरीर से कर्म योग की भावना जाग्रत होती है, जिससे वह दूसरों व देश की सेवा करने की इच्छा रखता है.
  11. अष्टांग योग के द्वारा शरीर के भीतरी अंगो के पर्याप्त व्यायाम होते है. योग करने से व्यक्ति अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्राप्त करता है.
  12. योग से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढती है.
  13. शरीर अधिक लचीला बनता है.
  14. मन को शांत करने तथा इन्द्रियों पर काबू पाने के लिए योगासन शारीरिक व मानसिक शक्तियों का विकास करता है.
  15. विभिन्न योगासनों द्वारा रक्त शुद्ध होता है.
  16. योग अहिंसक गतिविधि है, इससे व्यक्ति में नैतिक मूल्यों का विकास होता है.
  17. योग शरीर की ग्रंथियों को उत्कृष्ट करता है, जिससे शरीर का संतुलित विकास होता है.

अंत में हम कह सकते है कि योग द्वारा व्यक्ति का सर्वागीण विकास व आजीवन निरोग रहता है.

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