भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय | Bhogilal Pandya In Hindi

भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय | Bhogilal Pandya In Hindi: बागड़ के गांधी भोगीलाल पंड्या का जन्म 15 मार्च 1904 को हुआ. इन्होने 15 वर्ष की अल्पायु में ही डूंगरपुर में एक विद्यालय की स्थापना की.

इसके बाद उन्होंने बच्चों व प्रोढ़ों के लिए पाठशालाओं की श्रंखला स्थापित करना शुरू कर दिया. ताकि उस आदिवासी क्षेत्र में राजनीतिक चेतना का प्रादुर्भाव हो सके.

भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय | Bhogilal Pandya In Hindi

भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय | Bhogilal Pandya In Hindi
जन्म13 नवंबर 1904
स्थानडूंगरपुर जिला( सीमलवाडा गांव)
पितापीतांबर पांड्या
माताश्रीमती नाथीबाई
पत्नीमणीबेन (1920 में विवाह हुआ)
प्राथमिक शिक्षासरकारी स्कूल से
उच्च शिक्षाअजमेर
व्यवसायअध्यापक, स्वतंत्रता सेनानी
उपनामबागड़ का गांधी
मृत्यु31 मार्च 1981
सम्मानपद्म भूषण

13 नवम्बर, 1904 को डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा गाँव में पंड्या का जन्म हुआ था. इनके पिता का नाम पीताम्बर पंड्या एवं माता का नाम श्रीमती नाथीबाई था.

इन्होने सरकारी स्कूल से ही स्कूल शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद इन्होने डूंगरपूर की एक स्कूल से आगे की पढ़ाई की तथा उच्च शिक्षा के लिए इन्होने अजमेर जाने का फैसला किया. वर्ष 1920 में इनका विवाह मणिबेन के साथ सम्पन्न हुआ था.

बचपन से ही समाज सेवा में इनकी गहरी रुंची थी. वे सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगों के बीच कार्य करते रहे.

वर्ष 1935 में जब राष्ट्रपति महात्मा गाँधी ने हरिजन आंदोलन शुरू किया तो इसकी चिंगारी राजस्थान में भी आ पहुची.

जब भोगीलाल ने आदिवासी बहुल क्षेत्र डूंगरपूर बाँसवाड़ा में हरिजन सेवक संघ की शुरुआत कर समाज सेवा के लिए एक मंच की स्थापना की.

बांगड़ के गांधी भोगीलाल पंड्या ने बांगड़ सेवा मंदिर के नाम से एक संस्था की स्थापना की. इसकी गतिविधियों से आशंकित होकर रियासत ने इस संस्था पर प्रतिबन्ध लगा दिया. संस्था के बंद हो जाने पर उन्होंने सेवा संघ का गठन किया.

1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में भोगीलाल पंड्या ने रियासत के कोने कोने में प्रचार किया और 1944 ई में रियासती शासन के विरुद्ध उठ खड़े होने के लिए अनेक सभाओं का आयोजन किया.

1944 ई में डूंगरपुर रियासत भी राजस्थान संघ में मिल गई तब भोगीलाल पंड्या इसमें मंत्री बनाए गये. सुखाड़िया मंत्रिमंडल में भी ये दो बार मंत्री बनाए गये.

भारत छोड़ों आंदोलन से पूर्व तक भोगीलाल एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे. मगर इस आंदोलन के बाद इन्होने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता को बढाया.

इन्होने 1944 में प्रजामंडल की स्थापना की. आजादी के बाद इस रियासत का राजस्थान में विलय कर दिया गया.

भारतीय शासन व्यवस्था के तहत राजस्थान में पहली सरकार में इन्हें मंत्री पद दिया गया. 1969 में इन्हें राज्य के राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया.

आदिवासियों, पीड़ितों एवं वंचितों के लिए आजीवन कार्य करने वाले भोगीलाल जी को 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया. 31 मार्च 1981 को इस सामाजिक कार्यकर्ता का देहांत हो गया.

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आशा करता हूँ दोस्तों भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय | Bhogilal Pandya In Hindi का यह लेख आपकों अच्छा लगा होगा.

यदि आपके पास भी भोगीलाल पंडया जी के जीवन परिचय, जीवनी, इतिहास से जुड़ी कोई जानकारी हो तो हमारे साथ भी साझा करे.

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