सी एफ एंड्रयूज की जीवनी C F Andrews Biography In Hindi: चार्ल्स फ्रीर एंड्रयूज का जन्म 12 फरवरी 1871 को हुआ था. वे इंग्लैंड के पादरी थे.
एक ईसाई मिशनरी , शिक्षक और में समाज सुधारक थे. महात्मा गांधी के ये करीबी दोस्त रहे तथा उनके साथ उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन भी लड़ा.
नागरिकों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक करने व महात्मा गांधी अफ्रीका से लौटकर भारत आकर आंदोलन करने के लिए सी एफ एंड्रयूज ने ही मनाया था. यहाँ Deenbandhu Andrews के बारे में अधिक जानेगे.
सी एफ एंड्रयूज की जीवनी C F Andrews Biography In Hindi
Charles Freer Andrews: सी एफ एंड्रयूज इंग्लैंड के एक धर्म प्रचारक मानव प्रेमी व परोपकारी थे. जो कि अपने निस्वार्थपूर्ण कार्यों के लिए सदा याद किये जाएगे. इंग्लैंड में रहते हुए भी वह निचले स्तर के लोगों के उद्धार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में मानवीय सेवा सम्बन्धी कार्य करते थे.
भारत में आने के बाद वह पूरे 8 वर्ष तक दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में अध्यापन के कार्य से जुड़े रहे. इस अवधि के दौरान वह बहुत से प्रसिद्ध नेताओं व समाज सुधारकों के नजदीकी सम्पर्क में रहे, जैसे दादाभाई नौरोजी, जी के गोखले, लाला लाजपत राय, टीवी सप्रू तथा रविन्द्रनाथ टैगोर आदि.
समय के साथ साथ वह पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति में रंग गये थे. अपना परिचय वह एक विदेशी के रूप में नहीं, एक भारतीय के रूप में देते थे.
उन्होंने अपने पूरे अंतर्मन से स्वाधीनता संग्राम में भारत का साथ दिया था और ब्रिटिश सरकार में अन्यायपूर्ण जातीय राजनीतिकरण की कड़े शब्दों में निंदा की.
चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज ने सभी राजनैतिक व सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया जो कि भारतीय नेताओं द्वारा चलाए गये थे, 1918 में मद्रास में सूती उद्योग बुनकरों द्वारा किये गये हड़ताल के दौरान उन्होंने इस सम्बन्ध में अपना उद्देश्य व्यक्त किया और 1919 में चांदपुर में चाय बागान के बेरोजगार मजदूरों को कार्य करने हेतु एक रिलीफ कैम्पेन की स्थापना की.
उसी तरह वह राजस्थान व शिमला के मजदूरों के अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे. साथ ही साथ 1921-22 में टूंडला के रेलवे कर्मचारियों के हड़ताल के सम्बन्ध में उनके अधिकारों के लिए जमकर उनका साथ दिया. वह 1925 व 1927 में 2 बार ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये.
उन्होंने बी आर अम्बेडकर के साथ 1933 में हरिजनों के मांगों से सम्बन्धित प्रस्तावों को लागू कराने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटे रहे तथा अछूतों के उद्धार के लिए चल रहे आंदोलन में उनके सक्रिय योगदान का कोई मुकाबला नहीं, गरीबों व असहायों के प्रति उनकी संवेदना को देखकर महात्मा गांधी ने उन्हें दीनबंधु की उपाधि से विभूषित किया.
चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज ने विश्व के और किसी भी भाग में बसे हुए भारतीयों के अधिकारों के लिए भी खुले दिल से समर्थन करने की वकालत की. विशेष रूप से इंग्लैंड उपनिवेश के क्षेत्र में जो भारतीय बसे हुए थे.
उन्होंने अनेक बार दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की जहाँ रह रहे भारतीयों के साथ विदेशी ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा किये जा रहे असमानता व अन्यायपूर्ण व्यवहार के विरुद्ध उन्होंने जमकर संघर्ष किया.
चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज गांधीजी के साथ दक्षिण अफ्रीका के फिनिक्स आश्रम में भी ठहरे थे. दक्षिण अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका, वेस्ट इंडीज, फिजी आदि देशों में भारतीय मजदूरों द्वारा उठाई जा रही कठिनाइयों व परेशानियों को उन्होंने पूरी दुनिया के सामने रखा और उसके सम्बन्ध में उन्होंने बकायदा प्रमाण भी दिए.
1935 के बाद चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज ने अपने आपकों मिशनरी के कार्यों में लगा लिया. 1938 में उन्होंने ताम्रबम में इसाई विश्व सम्मेलन में भाग लिया .
गांधीजी के अनुसार वे मानवता के पुजारी थे तथा उन्होंने प्रेम के शुद्धतम रूप का उपदेश दिया व उसके अनुसार खुद वह वैसा जीवन जीये या भोगे. उनका देहांत 1940 में कलकत्ता में हुआ.
सीएफ एंड्रयूज की व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम | चार्ली फ्रीर एंड्रयूज |
जन्म | 12 फरवरी, 1871 |
मृत्यु | 5 अप्रैल, 1940 |
प्रोफेशन | क्रिश्चियन मिशनरी, सोशल वर्कर, एजुकेटर, एक्टिविस्ट |
जन्म स्थान | नॉर्थंबरलैंड, इंग्लैंड |
मृत्यु | बंगाल प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश कालीन भारत |
प्रसिद्ध | महात्मा गांधी के साथ दोस्ती |
धर्म | क्रिश्चियन |
पिता | जान एडविन आनोल्ड |
माता | शालाट एंड्रयूज |
भाई / बहन | कई भाई-बहन |
शिक्षा | ग्रेजुएट |
यूनिवर्सिटी | कैंब्रिज यूनिवर्सिटी |
FAQ:
Q: सीएफ एंड्रयूज कौन थे?
Ans: यह इंग्लैंड के एक बहुत ही प्रसिद्ध क्रिश्चियन मिशनरीज थे।
Q: सीएफ एंड्रयूज ने अपनी ग्रेजुएशन कहां से पूरी की?
Ans: उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कंप्लीट की।
Q: सीएफ एंड्रयूज भारत कब आए?
Ans: 20 मार्च 1904
Q: सीएफ एंड्रयूज को सबसे पहले दीनबंधु कौन से देश में पुकारा गया?
Ans: फिजी देश में
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