सजीवता के लक्षण | Characteristics Of Liveliness In Hindi

Characteristics Of Liveliness In Hindi: दोस्तों आज हम सजीवता के लक्षण पढ़ेगे. सजीव तथा निर्जीव में अंतर (living and non-living Difference) समझने के लिए हमें सजीवों के लक्षण, विशेषताएं तथा गुणधर्म को समझना होगा.

विज्ञान कक्षा 6,7,8,9,10 तथा बायोलॉजी क्लास 11, 12 के स्टूडेंट्स के लिए सजीव व निर्जीव अध्याय के इस टॉपिक को यहाँ विस्तार से जानेंगे.

Characteristics Of Liveliness In Hindi

Characteristics Of Liveliness In Hindi

कोई भी जीव सजीव है या नहीं इसका पता आसानी से लगाया जा सकता हैं. सजीव जीवन अपने जीवनकाल में या दैनिक गतिविधियों में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जैविक क्रियाएँ सम्पन्न करते हैं

जो उनके दैनिक जीवन के लिए आवश्यक भी हैं तथा ये जैविक क्रियाएँ उनके सजीवता के लक्षण को भी प्रकट करती हैं. जैसे

गति (Speed)

सभी सजीव किसी न किसी तरह गति करते हैं जैसे जन्तु एक स्थान से दूसरे स्थान तक चलकर स्पष्ट चलन गति करते हैं. लेकिन कुछ एककोशिक पादपों को छोड़कर अन्य पादप इस प्रकार की गति नहीं दर्शाते हैं लेकिन उनके पादप अंगों में विभिन्न प्रकार की गति देखी जा सकती है जैसे पर्णों व पुष्पों का खुलना बंद होना.

श्वसन (Respiration)

श्वसन सभी जीवों का लक्षण हैं. यह एक जैव रासायनिक अभिक्रिया है जो जीवों की कोशिकाओं में होती हैं. जिसमें ऑक्सीजन की उपस्थिति में कार्बनिक भोजन सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित होता है व ऊर्जा मुक्त होती हैं. यह ऊर्जा जीवों के उपापचयी क्रियाओं के संचालन में काम आती हैं.

संवेदनशीलता (Sensitivity)

सभी सजीव अपने आसपास के वातावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होते हैं. जैसे ताप में परिवर्तन, जल में हानिकारक रासायनिक पदार्थों की उपस्थिति या अन्य खतरे आदि.

वृद्धि (Growth)

सभी सजीव अपने जीवनकाल में वृद्धि होती है. यह वृद्धि जन्तुओं व पादपों में भिन्न प्रकार की होती हैं.

जनन (procreation)

सभी जीव अपनी वंश वृद्धि के लिए जनन करते हैं. जनन द्वारा ही अनुवांशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अर्थात जनकों से उनकी संतति में स्थानान्तरण होता हैं.

उत्सर्जन (Emission)

अपने शरीर से अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करना सजीवों का प्रमुख लक्षण हैं. जन्तुओं में उत्सर्जन के लिए विशेष प्रकार के उत्सर्जन तंत्र व अंग पाए जाते हैं, जबकि पादपों में यह भिन्न प्रकार का होता हैं.

पोषण (Nutrition)

जीवों को जीवित रहने के लिए पोषण की आवश्यकता होती हैं. जन्तु अपना भोजन मुहं से ग्रहण करते हैं, जबकि पादपों में मूल द्वारा मृदा से घुलित अवस्था में तथा प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपने पोषण की क्रिया करते हैं. पोषण की यह क्रिया विभिन्न प्रकार के जीवों में भिन्न प्रकार की होती हैं.

पाचन (Digestion)

सभी जीवों में अपने भोजन पचाने की विशेष प्रक्रिया होती हैं. जन्तुओं में सुस्पष्ट पाचन तंत्र पाया जाता हैं, जबकि पादपों में यह क्रिया विशेष प्रकार के उत्तकों द्वारा सम्पन्न होती हैं.

उपापचय

सभी जीवों की कोशिकाओं में जैव रासायनिक अभिक्रियाएँ होती है जिन्हें उपापचय कहते हैं. यह क्रिया जीवों में सरल रासायनिक पदार्थों को जटिल पदार्थों में तथा जटिल रासायनिक पदार्थों को पुनः सरल रासायनिक पदार्थों में बदलने का कार्य करती हैं.

समस्थिति का प्रदर्शन

यह जीवों का एक ऐसा लक्षण है जिसके द्वारा शरीर में संचालित सभी उपापचयी अभिक्रियाओं के मानकों की दर सामान्य स्थिति में रखी जाती हैं.

अपनी परिसीमा कायम रखना

सभी सजीवों में अपनी एक निश्चित परिसीमा कायम रखने का गुण पाया जाता हैं जैसे किसी गाँव या शहरी परिसीमा में मनुष्यों का उनके पालतू जन्तुओं का रहना.

आकार व आकृति 

सजीवों की आकार और आकृति को अंग्रेजी में साइज एंड शेप कहा जाता है। जितने भी सजीव होते हैं उनकी अपनी अपनी किस्म होती है और जातियों के हिसाब से उनकी एक स्पेशल आकृति भी होती है तथा एक अलग ही आकार होता है और उनकी आकृति तथा आकार में हमेशा निश्चितता होती है।

कोशिकीय संरचना 

कोशिका संरचना को अंग्रेजी में सेल्यूलर स्ट्रक्चर कहा जाता है। जितने भी सजीव है उनकी बॉडी एक या फिर एक से ज्यादा कोशिकाओं से मिलकर के बनी हुई होती है, क्योंकि कोशिका ही सचिवों की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है।

जीवदव्य

सभी सजीवों में जीव द्रव्य पाया जाता है जो कि जीवन का भौतिक आधार होता है क्योंकि इसमे जितनी भी जैविक क्रिया होती हैं वह पूरी होती है। बता दे कि जीव द्रव एक प्रकार का केमिकल पदार्थ का मिक्सचर वाला तरल होता है।

उत्सर्जन 

उत्सर्जन को अंग्रेजी में एक्सक्रिएशन कहा जाता है। उपापचय क्रिया की वजह से ही जितने भी सजीव है, उनके अंदर बे फालतू के और खराब पदार्थ तैयार होते हैं और सजीव के द्वारा लगातार इन खराब पदार्थों को अपनी बॉडी में से बाहर निकाला जाता है अथवा फेंका जाता है।

साम्यावस्था 

साम्यावस्था को अंग्रेजी में होम्योस्टेटीस कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रवृत्ति होती है जिसके अंतर्गत सभी जीव में परिवर्तन के लिए प्रतिरोध करने की अवस्था पैदा होती है।

इसके अलावा सजीवों के जो लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं वह अनुवांशिक पदार्थो की वजह से ही संभव हो पाता है।

जीवनचक्र 

जीवन चक्र को लाइफ साइकिल कहते हैं। जितने भी सजीव होते हैं वह जन्म, वृद्धि, जनन, बुढ़ापा और मृत्यु के तौर पर अलग-अलग प्रकार की क्रियाएं प्रदर्शित करते हैं। इसी क्रिया को जीवन चक्र कहकर बुलाया जाता है।

सजीव और निर्जीव में अंतर

• जो सजीव होते हैं वह सांस लेते हैं परंतु निर्जीव सांस नही लेते हैं।

• सजीव वस्तुओं को भोजन की आवश्यकता होती है परंतु निर्जीव वस्तुओं को भोजन की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती।

• सजीव में स्पीड होती है और निर्जीव में स्पीड नहीं होती है।

• सजीव लगातार बढ़ोतरी करते रहते हैं परंतु निर्जीव कभी भी बढ़ोतरी नहीं करते हैं।

• सजीव प्रजनन करने में सक्षम होते हैं परंतु निर्जीव ऐसा करने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं होते हैं।

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