भारत में वनों के प्रकार एवं वितरण | Classification Types Of Forest in India in Hindi

भारत में वनों के प्रकार एवं वितरण Classification Types Names Of Forest in India in Hindi-प्राकृतिक संसाधन किसी भी आधुनिक देश की सबसे बड़ी निधि होती हैं. जिनमें वन भी आते हैं.

इस मामलें में भारत बेहद सौभाग्यशाली देश हैं. भारत के कुल क्षेत्रफल के 21 प्रतिशत भाग वन आच्छादित हैं. विश्व में सर्वाधिक वनों वाले देशों की बात करे तो भारत की गिनती दुनियां के शीर्ष 10 देशों में की जाती हैं.

आज के इस लेख में हम भारत में भारत में वनों के प्रकार के बारें में विस्तार से जानेगे.

भारत में वनों के प्रकार वितरण Classification Types Of Forest India

भारत में वनों के प्रकार एवं वितरण | Classification Types Of Forest in India in Hindi

भारत की राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार भौगोलिक क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग पर वन होना अनिवार्य है. प्राकृतिक पर्यावरण में भिन्नता के कारण भारत में वनों के प्रकार व वितरण में राज्य व क्षेत्र अनुसार भी भिन्नता पाई जाती है.

भारत एक विशाल देश है, जिससे यहाँ तापमान, वर्षा, मिट्टी, धरातल की प्रकृति, पवनों व सूर्य प्रकाश के प्रारूप में भिन्नता पायी जाती है. इसलिए भारत में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का पाया जाना स्वाभाविक है.

प्राकृतिक वनस्पति व वन्य जीव किसी भी राष्ट्र की सम्रद्धि के आधार होते है. भारत के प्राकृतिक पर्यावरण का यह एक महत्वपूर्ण घटक है. भारत में प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव बहुतायत में रहे है,

लेकिन अब अविवेकपूर्ण दोहन से इसका विनाश बढ़ता जा रहा है. मानव सभ्यता को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवों को बचाएं रखना अत्यंत आवश्यक है. भारत में वनों के प्रकार और इसके वितरण व वर्गीकरण पर एक नजर.

भारत में वनों का प्रकार व वितरण (types of forests in india)

यहाँ पाए जाने वाली वनस्पति के अनुसार प्रमुख प्रकार के वन निम्नलिखित है.

सदाबहार वन (mangrove forest)

ये वन देश के उन भागों में मिलते है, जहाँ औसत वर्षा 200 सेमी से अधिक तथा वार्षिक औसत तापमान 24 डिग्री सेंटीग्रेड के लगभग रहती है. इसके तीन प्रमुख क्षेत्र है.

  1. पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल
  2. अंडमान निकोबार द्वीप समूह
  3. उत्तरी पूर्वी भारत में बंगाल, असम, मेघालय तथा तराई प्रदेश.

इस प्रकार के वनों में मुख्य रूप रबर, महोगनी, एबोनी, लौह काष्ट, जंगली आम, ताड़ आदि वृक्ष व बांस तथा कई प्रकार की लताएं पायी जाती है.

इन वृक्षों की ऊँचाई 30 से 45 मीटर तक होती है. वृक्षों की सघनता इतनी अधिक होती है कि धरातल पर सूर्य का प्रकाश नही पहुच पाता है.

इन वृक्षों का शोषण कम होता है क्योंकि इनकी लकड़ी कठोर होती है, एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार के वृक्ष पाए जाते है. वृक्षों, लताओं व छोटे छोटे पौधों की सघनता होती है,

जिससे वृक्षों को काटने में असुविधा होती है. तथा परिवहन के साधनों की कमी है, इसलिए आर्थिक दृष्टि से इसका उपयोग अधिक नही हुआ है.

पतझड़ या मानसूनी वन (autumn Or monsoon forests)

ऐसे वन उन भागों में पाए जाते है जहाँ 100 सेमी से 200 सेमी तक औसत वार्षिक वर्षा होती है. ये वन उत्तरी पर्वतीय प्रदेश क्र निचले भाग, विध्यांचल व सतपुड़ा पर्वत, छोटा नागपुर व असम की पहाड़ियाँ, पूर्वी घाट के दक्षिणी भाग एवं पश्चिमी घाट का पूर्वी क्षेत्र में पाए जाते है.

ये वन न अधिक घने और वृक्ष न अधिक ऊँचे होते है. इनमे प्रमुख वृक्ष साल, सागवान, नीम, चन्दन, रोजवुड, आंवला, शहतूत, एबोनी, आम, शीशम, बांस आदि है. इनकी लकड़ी अधिक कठोर नही होती है. ये आसानी से काटे जा सकते है. इनकी लकड़ी से जलयान, फर्नीचर आदि बनाए जा सकते है.

इन क्षेत्रों में यातायात के साधनों के विकसित होने के पश्चात अधिक मांग व अधिक उपयोग से लगातार दोहन के कारण ऐसे वनों का क्षेत्र लगातार घटता जाता है.

शुष्क वन (dry forest in india)

ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते है, जहाँ वर्षा का औसत 50 से 100 सेमी तक रहता है. इन क्षेत्रों में जल कमी सहन करने वाले वृक्ष बहुतायत मिलते है.

इन वृक्षों की जड़े लम्बी व मोटी होती है. इस प्रकार के वन मुख्यतः दक्षिणी पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान व दक्षिणी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते है.

प्रमुख वृक्ष कीकर, बबूल,नीम, आम, महुआ, करील, खेजड़ी आदि है. वर्षा के अभाव में वृक्ष कम ऊँचे होते है. वृक्षों की उंचाई 6 से 9 मीटर होती है, इन वृक्षों का केवल स्थानीय महत्व है.

मरुस्थलीय वन (desert forest in india)

ये वन 50 सेमी से कम वर्षा वाले भागों में पाए जाते है.यहाँ के वृक्षों में पत्तियाँ कम, छोटी व कांटेदार होती है. बबूल यहाँ बहुतायत उगते है. नागफनी, रामबांस, खेजड़ी, खैर, खजूर आदि यहाँ की प्रमुख वनस्पति है.

ये वनस्पतियाँ दक्षिणी पश्चिमी पंजाब, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पाई जाती है. इनका केवल स्थानीय महत्व है.

ज्वारीय वन (tidal forest in india)

इन्हें दलदली वन भी कहा जाता है, ये वन महानदी, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रायद्वीपीय नदियों के मुहाने पर तथा गंगा ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई भागों में पाए जाते है. ज्वार भाटे के समय समुद्र का अग्रसित जल वृक्षों की जड़ो की सींचता है.

ऐसे प्रदेशों में कीचड़ तथा दलदल होती है, इन वनों में सुन्दरी वृक्ष, गंगा ब्रह्मपुत्र के डेल्टा में विशेष रूप से पाए जाते है. अन्य वृक्ष ताड़, नारियल, हैरोटीरिया, राईजोफोरा, युरेनेशिया आदि है, इन वृक्षों की लकड़ी बहुत मुलायम होती है.

पर्वतीय वन (mountain forest in india)

इस प्रकार के वन दक्षिणी भारत में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर तथा मध्यप्रदेश के पंचमढ़ी आदि ऊँचे भागों में 500 मीटर की उंचाई पर पाए जाते है. यहाँ वृक्ष 15 से 18 मीटर ऊँचे होते है. वृक्ष मोटे तने वाले होते है. जिनके नीचे सघन झाड़ियाँ मिलती है.

वृक्षों की पतियाँ घनी व सदाबहार तथा टहनियों पर लताएं छाई रहती है. अधिक ऊँचे भागों में यूजेनिया, मिचेलिया व रोडेनड्रोंस आदि वृक्ष मिलते है. उत्तरी भारत में हिमालय पर्वत श्रेणियों पर भिन्न भिन्न उंचाई भिन्न भिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती है.

1000 से 2000 मीटर की उंचाई पर चौड़ी पती वाले ओंक तथा चेस्तनत 1500 से 3000 मीटर की उंचाई पर शंकुधारी वृक्ष जैसे देवदार, स्प्रूस, चीर आदि तथा 3500 से अधिक ऊंचाई पर अल्पाइन वनस्पति जैसे सेल्वर, फर, बर्च, जूनिपर इत्यादि पाए जाते है.

भारत के प्रसिद्ध वन व वन्य जीव अभ्यारण्य (Famous Forest in India)

  • पश्चिम बंगाल का सुंदर वन- इन्हें वाइट टाइगर का घर भी कहा जाता हैं प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीवों से पूर्ण समृद्ध यह वन लगभग दस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ हैं गंगा नदी पर बनने वाला सुंदर वन डेल्टा यही हैं जो दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा भी हैं. इसे यूनेस्कों ने वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी शुमार किया हैं. यहाँ की ख़ास बात यह हैं कि इस जंगल में आप बाघों को नदी व तालाब में तैरते पाएगे, यह नजारा शायद ही दुनियां में कही ओर देखने को मिले.
  • कान्हा नेशनल पार्क : मध्य प्रदेश का यह वन स्थल बाघों के लिए भी जाना जाता हैं. 300 से अधिक जातियों के पक्षी भी यही पाए जाते हैं. इस वन के एक हजार किमी भाग को वर्ष 1973 में बाघ परियोजना के लिए स्वीकृत किया गया. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बारह सिंगा हिरण पाया जाता हैं जो दुनिया के किसी अन्य हिस्से में देखने को नहीं मिलता हैं.
  • जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान: उत्तराखंड राज्य में स्थित जिम कार्मेट वन फिशिंग बिल्लियाँ, हिमालयी तहर, सीरो के लिए विश्व विख्यात हैं. वर्ष 1974 में यह देश का पहला टाइगर प्रोजेक्ट बना.
  • गिर वन- एशियाई शेरो के लिए गुजरात का यह वन प्रसिद्ध हैं. लगभग पन्द्रह सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस वन में बड़ी संख्या में लोग शेरो को देखने के लिए आते हैं. जंगली चित्तीदार बिल्ली, भालू, नीलगाय, चिंकारा और जंगली सूअर यहाँ का विशिष्ट आकर्षण है.

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