क्रिप्स मिशन 1942 का इतिहास | Cripps Mission 1942 History In Hindi

क्रिप्स मिशन 1942 का इतिहास Cripps Mission 1942 History In Hindi: सैंकड वर्ल्ड वॉर में इंग्लैंड एवं मित्र राष्ट्र निरंतर नयें खतरों के दौर से गुजर रहे थे.

जर्मनी और जापान की आक्रामक नीतियों के चलते इंग्लैंड के प्रधानमन्त्री विंस्टन चर्चिल को लगा कि भारत में उनका ब्रिटिश साम्राज्य खतरे में है तथा जापान कभी भी भारत पर हमला कर अंग्रेजों को परास्त कर सकता हैं

इसलिए उन्होंने स्टीफन क्रिप्स के नेतृत्व में एक डेलीगेट्स भारत भेजा तथा भारत के लोगों को अपनी तरफ करने के उद्देश्य से भेजा गया मिशन अपने उद्देश्यों में विफल रहा, यहाँ हम क्रिप्स मिशन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेगे.

क्रिप्स मिशन 1942 का इतिहास | Cripps Mission 1942 History In Hindi

क्रिप्स मिशन 1942 का इतिहास | Cripps Mission 1942 History In Hindi

cripps mission kya tha cripps Yojana in hindi: कुछ राजनीतिक समस्याओं के समाधान के लिए 23 मार्च 1942 को क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया इस एक सदस्यीय आयोग के अध्यक्ष स्टेफोर्ड क्रिप्स थे. 23 मार्च 1942 को क्रिप्स द्वारा कुछ सुझाव प्रस्तुत किये गये थे जिन्हें क्रिप्स सुझाव कहा जाता हैं.

क्रिप्स मिशन प्रस्ताव में संविधान सभा के गठन की मांग को स्वीकार किया गया. संविधान सभा में भारतीय राज्यों के प्रति निधि शामिल करना स्वीकार किया गया.

क्रिप्स मिशन ने सर्वप्रथम निर्वाचन के आधार पर संविधान सभा गठित करने का सुझाव दिया. कांग्रेस व मुस्लिम लीग ने क्रिप्स मिशन का विरोध किया.

  • महात्मा गांधी ने कहा प्रस्ताव एक उत्तरदिनांकित (Post Dated) चैक हैं जो डूबते बैंक पर लिखा गया हैं एक आगामी तिथि का चैक हैं.
  • पं नेहरू ने कहा उनके पुराने मित्र क्रिप्स शैतान के वकील बनकर आए हैं.
  • 29 मार्च 1942 को क्रिप्स प्रस्तावों की घोषणा की गई परन्तु 11 अप्रैल 1942 को उसे वापिस ले लिया गया.

क्रिप्स मिशन की सिफारिशे- proposals Of cripps mission in hindi

  1. भारतीय संविधान की रचना भारतीयों द्वारा निर्वाचित संविधान सभा करेगी.
  2. युद्ध समाप्त होते ही निर्धारित विधि द्वारा भारतीयों का एक निर्वाचक मंडल बनाया जाएगा जो भारत के लिए संविधान तैयार करेगा.
  3. संविधान भारत को डोमिनियन परिस्थीती और ब्रिटिश राष्ट्रकुल में बराबरी की भागीदारी देगा.
  4. इस विधानसभा में भारतीयों को भी शामिल करने का प्रबंध किया जाएगा.
  5. सभी देशी रियासतों एवं प्रान्तों को मिलाकर एक संघ बनेगा.
  6. अंग्रेजी सरकार इस संविधान को निम्नलिखित शर्तों पर स्वीकार करेगी.
  • अंग्रेजी प्रान्तों में जो इस संविधान को न स्वीकार करना चाहे उन्हें अधिकार होगा कि वे अपनी पहले वाली स्थिति बना सकते हैं. और फिर चाहे वे संविधान में ही शामिल हो जाए जो नहीं शामिल होंगे उनको वही पद प्राप्त होगा जो शेष भारतीय संघ को होगा.
  • जिस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को पूर्ण अधिकार दिए जाएगे उनमें जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा आदि के प्रबंध किये जायेगे. परन्तु इस पर अन्य अंग्रेजी राष्ट्रमंडल के सदस्यों के साथ सम्बन्धों पर कोई भी प्रतिबंध नहीं होगा.

क्रिप्स मिशन क्यों असफल रहा (cripps mission came to india)

कांग्रेस और मुस्लिम लीग न्र क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. मुस्लिम लीग ने इसलिए अस्वीकार किया कि सांप्रदायिक आधार पर पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया गया.कांग्रेस ने इसको इसलिए स्वीकार नहीं किया कि इससे भारत के छोटे छोटे टुकड़े होने की संभावना थी.

क्रिप्स मिशन के सुझाव 

 क्रिप्स मिशन के सुझाव निम्नलिखित हैं।

1: इस मिशन के अंदर यह सुझाव दिया गया था कि हमारे देश को ब्रिटिश मंडल के तहत औपनिवेशिक स्वराज्य दिया जाएगा।

2: जब युद्ध खत्म हो जाएगा तो उसके तुरंत बाद संविधान सभा का इलेक्शन होगा, जो इंडिया के लिए नए संविधान को तैयार करेगी जिसे अंग्रेजी गवर्नमेंट एक्सेप्ट करेगी।

3: किसी अन्य समझौते की योजना अगर इंडियन पॉलीटिशियन के द्वारा पेश नहीं की गई तो लड़ाई खत्म होने के बाद प्रांतीय विधानमंडल का इलेक्शन होगा और संविधान सभा के मेंबर की कुल संख्या प्रांतीय विधानमंडल के 1/10 होगी।

4: ब्रिटिश इंडिया के हर प्रांत और देसी राज्यों को संघ में शामिल होने पर या फिर नहीं होने पर अलग अलग रह कर के अपने औपनिवेशिक स्तर का अधिकार रहेगा।

5: देसी राज्य के द्वारा विधानसभा के मेंबर की नियुक्ति प्रतिनिधियों के समान जनसंख्या के अनुपात से ब्रिटिश इंडिया में होगी।

6: ब्रिटिश गवर्नमेंट इंडिया की प्रतिरक्षा के लिए जिम्मेदार होगी और वह विश्व युद्ध के प्रयास के अंश के तौर पर इंडिया की प्रतिरक्षा को कंट्रोल करेगी, साथ ही ब्रिटिश गवर्नमेंट हमारे भारत देश के भौतिक, नैतिक और सैनिक साधन को संगठित करेगी।

7: अगर इंडिया की इच्छा है तो वह राष्ट्रमंडल से अपने संबंधों को तोड़ सकता है।

क्रिप्स मिशन के दोष 

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब क्रिप्स मिशन की घोषणा की गई थी, तब इसके अंदर जानबूझकर के कुछ ऐसी बातें रखी गई थी,

जिसके कारण अंतर्विरोध पैदा हो ताकि क्रिप्स मिशन असफल हो जाए और साथ ही हमारे इंडिया को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। नीचे हमने क्रिप्स मिशन में मौजूद कुछ प्रमुख दोष की चर्चा की है।

1: बता दे कि इंडिया को तुरंत ही ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा कुछ भी नहीं दिया जा रहा था ना ही वह इसके लिए तैयार थी और लड़ाई हो जाने के बाद ही स्वशासन भी देने की बात कही गई थी।

2: वायसराय को ज्यादा अधिकार दिए गए थे। वायसराय चाहे तो वह कभी भी काउंसिल के डिसीजन को चेंज कर सकता था।

3: क्रिप्स मिशन में इनडायरेक्ट तौर पर सांप्रदायिकता और विभिन्न राज्यों में अलगाववाद को खूब बढ़ाने का काम किया गया था, साथ ही इसके अंदर पाकिस्तान की डिमांड को भी पैदा किया गया था।

4: भारत को विभाजित करने के लिए ब्रिटिश राज्य के अंतर्गत जो रियासतें आती थी, उन्हें स्वतंत्रता क्रिप्स मिशन में दी गई थी, साथ ही इस मिशन में इंडिया की जो देशी रियासतें थी, उन्हें भी अलग रखने के लिए कहा गया था जो भारत की अखंडता के लिए खतरा था।

क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ब्रिटिश गवर्नमेंट ने यह अंदाजा लगाया था कि भारत और भारत के लोग तथा विश्व जनमत उसकी कूटनीति चाल को नहीं समझ सकेंगे और वह आसानी के साथ सभी को मूर्ख बना लेंगे।

 परंतु ऐसा संभव नहीं हो पाया क्योंकि जब क्रिप्स मिशन को सामने लाया गया तब भारत के कई राष्ट्रवादी लोगों ने इसका पूरा एनालिसिस किया और इस प्रकार उन्हें इसके अंदर कई खामियां नजर आई।

उन्हें यह लगा कि यह भारत के हित के लिए सही नहीं है। इसीलिए सभी राष्ट्रवादीयो ने मिलकर के एक साथ क्रिप्स मिशन को एक सिरे से खारिज कर दिया।

बता दे कि इस मिशन का उद्देश्य भारत को जातियों के आधार पर छोटे-छोटे टुकड़े में बांटना था और मिशन के अंतर्गत भारत को कोई विशेष लाभ नहीं होना था।

हिंदू महासभा, कांग्रेश और सिखों ने भी क्रिप्स मिशन को पूर्ण रूप से अस्वीकार कर दिया था और इस प्रकार यह इंडिया में नहीं आ पाया।

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