दिल्ली सल्तनत पर आक्रमणों का इतिहास | Delhi Sultanate History And Mughal Attack

दिल्ली सल्तनत पर आक्रमणों का इतिहास | Delhi Sultanate History And Mughal Attack : मध्यकालीन दिल्ली का इतिहास में सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद भारत की राजनितिक एकता समाप्त हो गई.

भारत के विभिन्न भागों में स्वतंत्र राज्य बन गये. इन नयें राज्यों में अपनी प्रभुता स्थापित करने के लिए संघर्ष छिड़ गया. इस कारण दिल्ली सल्तनत की राजनैतिक और दृष्टि से कमजोरी का लाभ उठाकर बाहरी आक्रमणकारियों ने भारत पर हमले किये.

चूंकि मध्यकाल में दिल्ली सल्तनत को ही भारत के शासन का प्रतीक माना जाता था, जिसका दिल्ली पर अधिकार हो जाता था उसे भारत का सम्राट माना जाता था.

दिल्ली सल्तनत पर आक्रमणों का इतिहास (Delhi Sultanate History Hindi)

दिल्ली सल्तनत पर आक्रमणों का इतिहास | Delhi Sultanate History And Mughal Attack

दिल्ली पर शासन करने वाले मध्यकालीन शासकों व प्रमुख राजवंशों की जानकारी

तोमर राजवंश(736-1160)
शाकम्भरी के चौहान(1160-1206)
गुलाम वंश(1206-1289)
खिलजी(1290-1320)
तुगलक(1320-1413)
सैयद(1414-1451)
लोदी(1451-1526)
मुगल(1526-1540)
सूरी(1540-1553)
हिंदू-हेमू(1553-1556)
मुगल(1556-1757)
मराठा(1757-1803)
ईस्ट इण्डिया कम्पनी शासन(1803-1857)
ब्रिटिश(1857-1947)
तोमार राजवंश

दिल्ली सल्तनत का कालखंड (Period of Delhi Sultanate history In Hindi)

सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली अथवा दिल्ली सल्तनत वर्तमान भारत की राजधानी नई दिल्ली के पांच वंशों के शासनकाल की अवधि में इसे इस नाम से जाना गया था. सन् 1210 से 1526 ई तक शासन करने वाले मुख्य राजवंशों में गुलाम वंश इसके बाद खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और अफगान लोदी वंश मुख्य थे.

कुतुब-उद-दीन ऐबक जिसने दिल्ली में गुलाम वंश की नीव रखी थी. जिसने अपने साम्राज्य को लगभग सम्पूर्ण उत्तरी भारत तक विस्तृत कर दिया था. इसके बाद तुर्की के खिजली वंश के शासकों ने अफगान से लेकर बंगाल तक सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया, मगर ये राजनितिक एकता बनाने में विफल रहे.

इस दिल्ली सल्तनत के काल क्रम में भारत की बहुजातीय आबादी हिन्दुओं के साथ बड़ा अत्याचार किया गया. उनसे धर्म के आधार पर कर वसूलें जाते थे. उनके पूजा स्थलों तथा मन्दिरों को लूटकर ध्वस्त कर दिया गया. इस तरह के अत्याचारी सल्तनत शासन का भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना के साथ ही अंत हो गया.

तोमर

9 वीं से 12 वीं सदी पर दिल्ली सल्तनत पर तोमर वंश के शासको का शासन रहा, उस समय इसे ढल्लिका कहा जाता था, तुर्कों ने इसे देहली और फिर देहली के रूप में परिवर्तित कर दिया.

12 वीं सदी के मध्यान्ह में अनंगपाल तोमर ने अपने नाती पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली की राजगद्दी पर बिठाया था, चौहान की पराजय के पश्चात दिल्ली पर तोमर वंश का प्रभाव समाप्त हो गया.

महमूद गजनी का आक्रमण (mahmud ghazni and his invasion of india):-

तुर्की आक्रमणकारियों में गजनी के महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए. इन आक्रमणों में महमूद ने मन्दिरों को तोड़ा और भारत से अपार सम्पति लूट कर ले गया.

उसने 1025 ई. में गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया और मंदिर को तोड़ फोड़ कर प्रचुर मात्रा में धन सम्पति लूट कर ले गया. महमूद के आक्रमणों से भारत की संस्कृति के प्रतीक कई मंदिर और स्मारक नष्ट हो गये.

मुहम्मद गौरी के दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण का इतिहास (attack of muhammad ghori history in hindi):-

महमूद गजनवी के बाद गौर प्रदेश के मुहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किए और भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना का बीजारोपण किया. गौरी ने भारत में कई लड़ाईयां लड़ी, परन्तु उसके अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान के साथ लड़े गये तराईन के युद्ध महत्वपूर्ण रहे.

तराईन के प्रथम युद्ध में गौरी बुरी तरह पराजित हुआ और भाग गया. किन्तु तराईन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान हार गया. भारत के इतिहास में यह निर्णायक युद्ध था.

इस विजय के बाद विदेशी आक्रमणकारी तुर्कों को दिल्ली सल्तनत पर सत्ता प्राप्त करने का अवसर मिल गया. भारत में गौरी का अंतिम अभियान 1206 ई. में खोखरों के विरुद्ध था. यह अभियान खत्म कर जब गौरी लौट रहा था तो झेलम के किनारे खोखरों ने उसकी हत्या कर दी.

कुतुबुद्दीन ऐबक का दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण और मुस्लिम शासन की स्थापना (delhi sultanate history, the delhi sultanate class 7):-

मुहम्मद गौरी के कोई पुत्र नही था. उसकी अचानक मृत्यु से उसकें सेनापतियों और सूबेदारों में सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष शुरू हो गया. इस संघर्ष में गौरी का गुलाम और सूबेदार कुतुबुद्दीन ऐबक विजयी हुआ. इसके साथ ही भारत में प्रथम मुस्लिम शासन की स्थापना हुई.

दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ई. में हुई और 1526 में हुए पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी की पराजय तक सल्तनत राज चला. इस दौरान विभिन्न राजवंशों ने दिल्ली पर राज किया, जिनमें दास वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश प्रमुख हैं. इन वंशों को निरंतर राजस्थान तथा अन्य देशी राजाओं से चुनौती मिलती रही.

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