Diary Writing In Hindi | डायरी (दैनंदिनी) लेखन के बारे में

Diary Writing In Hindi डायरी (दैनंदिनी) लेखन के बारे में: अपनी यादों, अनुभवों, एहसासों और किस्सों को सहेजने का अच्छा तरीका डायरी लिखना हैं.

अपने जीवन में घटित बातों को लेखनबद्ध लिखना बहुत से लोग पसंद भी करते हैं. डायरी लिखना बेहद आसान भी हैं क्योंकि इसके लेखन में नियमों आदि का बंधन नहीं होता हैं.

अपने मन के भावों को जिस रूप में चाहे उतार सकते हैं. आज के आर्टिकल में हम डायरी लेखन के बारे में जानेगे.

Diary Writing In Hindi डायरी (दैनंदिनी) लेखन के बारे में

Diary Writing In Hindi | डायरी (दैनंदिनी) लेखन के बारे में

डायरी को हिंदी में दैनंदिनी भी कहते है. वैसे तो हम सभी कभी न कभी डायरी लिखते है. विद्यालयों में अध्यापक कक्षा 6, 7, 8, 9, 10 के विद्यार्थियों को डायरी लिखवाते है.

वे गृहकार्य देते है. विद्यालय गतिविधियों की अन्य सूचनाएँ भी डायरी में विद्यार्थियों से लिखवाई जाती है. किन्तु हम जिस डायरी विधा (diary lekhan) की बात कर रहे है वह विद्यालयी डायरी से थोड़ा भिन्न है.

व्यक्ति जब अपने अनुभवों को  प्रतिदिन लिखता है वह डायरी कहलाती है. इसे रोजनामचा, दैनंदिनी और दैनिकी भी कहते है.

भारत में भी डायरी लेखन की परम्परा नई नही है. भारत में बही लिखने की परम्परा अति प्राचीन है. व्यवसायी दैनंदिन लेखा जोखा बही खाते में करता आया है. कई शताब्दियों से यहाँ डायरी लिखी जा रही है.

लगभग सभी सम्राटों राजाओं के यहाँ रोजनामचा लिखने की नियुक्ति इसी कार्य के लिए होती थी. वे राज्य में हुई प्रतिदिन की घटनाओं का उल्लेख करते थे.

तारीख या तवारीख शब्द ही यह स्पष्ट कर देते है कि उस युग में एतिहासिक कृतियाँ पहले दैनन्दिनी विवरण के रूप में प्रस्तुत हुआ करती थी. और अंत में उनका सम्मुचित या संकलित रूप काल विशेष का इतिहास हो जाता था.

डायरी लेखन का इतिहास व महत्व (History and importance of Diary Writing In Hindi)

मुस्लिम इतिहासकार मात्र प्रायः इसी पद्दति से इतिहास प्रस्तुत किया करते थे. प्राचीन हस्तलिखित पुस्तकों और बहियों आदि से पता चलता है कि राजघरानों तथा सम्पन्न परिवारों में कहीं कहीं दैनदिनी विवरण लिखने की भी परम्परा थी. इन विवरणों में मुख्यतः नित्य के आय व्यय का हिसाब और तत्कालीन घटनाओं का ब्यौरा रहता था.

जीवन परिवर्तनशील है, गतिशील है. हमारे जीवनानुभव प्रतिदिन बढ़ते रहते है. डायरी लेखन हमारे व्यक्तित्व को सुधारने एवं सँवारने में अत्यधिक प्रभाव डालता है. जीवन के आरम्भिक दिनों में डायरी लेखन का कार्य कालान्तर में बड़ा मूल्यवान सिद्ध होता है.

अधिक आयु में जब हमारी लिखी डायरी को देखते है तो हम पाते है कि पूर्व के दिनों की अपेक्षा हममें कितना परिवर्तन हुआ है. हमने जीवन को किस ढंग से जीया है?

हमे यह सोचने का अवसर मिलता है, कि हमने जीवन में क्या खोया है और क्या पाया है. हमें यह पता चलता है कि पिछले दिनों की तुलना में हम कितने गंभीर और परिपक्व हुए है.

यों कहे कि डायरी हमारे बीते हुए जीवन का दर्पण है तो अनुचित नही होगा. अपने अनुभवों, विश्वासों तथा आकांक्षाओं की प्रौढ़ता का विकासक्रम समझने में यह आकर्षक और रमणीय साधन है.

वर्तमान काल में डायरी लेखन (present time Diary Writing In Hindi)

डायरी आधुनिक काल का शब्द है तथा यह विधा भी आधुनिक काल की नव्यतम विधाओं में से एक है. डायरी शैली आत्मकथात्मक, भावप्रवण गद्य विधा है.

डायरी का शाब्दिक अर्थ प्रतिदिन की घटनाओं का प्रभावी ढंग से लेखन (daily RECORD of EVENTS) है. व्यवहार में हम देखते है कि डायरी या दैनन्दिनी लेखन में, उस प्रकार की प्रवृति वाले लेखक, अपने दैनिक अनुभवों (थोड़े बहुत विस्तार से) का, भेंटवार्ताओं का, स्थानिक निरीक्षणों का विवरण देते है.

आज डायरी के माध्यम से विभिन्न समस्याएँ और विचार प्रस्तुत होने लगे है. डायरी का सम्बन्ध प्रत्यक्षतः एक व्यक्ति के होने के कारण इसमें व्यक्तित्ता की प्रधानता होती है.

प्रत्येक समस्याओं पर डायरी लेखक आत्मपरक दृष्टि डालता है. आत्मचिंतन और अपने भोगे हुए सन्दर्भों को प्रस्तुत करता है. आचार्य उमेश शास्त्री ने डायरी लेखन की निम्नलिखित विशेषताएं बताई है.

डायरी लेखन की विशेषताएं (Characteristics of Diary Writing In Hindi)

  • डायरीकार तत्कालीन संवेदनात्मक भावों की अभिव्यक्ति करता है.
  • डायरी लेखन में व्यक्ति सापेक्षता अधिक रहती है.
  • डायरी लेखन विधा में लेखक के आत्मीय गुण तथा प्रवृतियों की अभिव्यक्ति होती है.
  • डायरीकार अपनी भावना के प्रति ईमानदार होता है.
  • डायरी लेखन डायरीकार की प्रामाणिक अभिव्यक्ति होती है.
  • डायरीकार साहित्यिक सम्भावना क प्रति उदासीन नही रहता है.
  • डायरी लेखन में सभी लेखन विधियों का स्पर्श रहता है. डायरीकार समय समय पर अतीत के अनुभवों की पुनर्समीक्षा करता हुआ आगे बढ़ता है.

डायरी लेखन के प्रकार (Types of Diary Writing In Hindi)

डायरी साहित्य का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है.

  1. व्यक्तिगत डायरियाँ (Personal diary)– इसका सम्बन्ध व्यक्ति विशेष से होता है. ऐसी डायरी में लेखक अपने जीवन के घटना प्रसंगों, निजी अनुभूतियों, विचारों अथवा आवश्यक तथ्यों को लिखता है. ये डायरियाँ गोपनीय होती है. व्यक्ति अपने यथार्थ को इसमें अंकित करता रहता है. ये अत्यंत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि ये वास्तविकता लिए होती है. व्यक्तिगत डायरियों का महत्व साहित्यिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. साहित्यकार अपने अंतरंग साहित्यिक मित्रों के व्यक्तित्व की टिप्पणी डायरी में नोट कर लेता है. अपनी अन्तश्चेतना मूर्त विचार तथा अपनी धारणा डायरी के पन्नों में उतारकर पर्यालोचन करता रहता है. और यही डायरी एक दिन उसके और उल्लिखित मित्रों के व्यक्तित्व को प्रकाशित कर देती है.
  2. वास्तविक डायरियाँ
  3. काल्पनिक डायरियाँ
  4. साहित्यिक डायरियाँ

डायरी लेखन के उदाहरण Examples Of Diary Writing In Hindi

आज के दिन आप कहाँ थे क्या क्या किया खाया पीया गाया, किसी से मिले कोई ख़ास घटना घटी अथवा आज के दिन आपके अनुभव क्या रहे, इन्हें आप दिनांक वार एक पुस्तिका में दर्ज करके डायरी लेखन की शुरुआत कर सकते हैं.

यहाँ हम कुछ उदाहरण बता रहे हैं, कि डायरी कैसे लिखे, इन रुपरेखा की तरह आप भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं. डायरी को लिखते समय किसी विशेष पैटर्न का पालन नहीं किया जाता हैं. इसका लोकप्रिय तरीका ये हैं.

Diary Entry In Hindi

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Hindi Diary Format

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