पादपों व जंतुओं में अंतर | Difference Between Plants And Animals In Hindi

Difference Between Plants And Animals In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम पादपों व जंतुओं में अंतर के विषय में जानेंगे. दोनों के बीच मूलभूत अंतर किन आधारों पर होते हैं अथवा पादप व जन्तु में क्या मुख्य अंतर है.

इन्हें वृद्धि, गति, प्रकाश संश्लेषण, खनिज लवणों के अवशोषण, विशेष प्रकार के उत्सर्जन अंग, कोशिका भित्ति, सेंट्रोसोम, लाइसोसोम, अंग तन्त्र और जनन के आधार पर अंतर कर सकते हैं. कक्षा 10, 11, 12 विज्ञान व बायोलॉजी के इस टॉपिक को विस्तार से जानते हैं.

Difference Between Plants And Animals In Hindi

जैसा कि हम जानते हैं कि उच्च श्रेणी के पादपों को आसानी से जन्तुओं से विभेदित किया जा सकता हैं, परन्तु निम्न श्रेणी के पादपों और जन्तुओं को विभेदित करना थोड़ा कठिन होता हैं.

क्योंकि कुछ वनस्पतिशास्त्री इन्हें वनस्पतिविज्ञान में वर्गीकृत करते हैं तो कुछ जन्तु वैज्ञानिक इन्हें जन्तु विज्ञान में मानते हैं, जैसे युग्लिना व पेरामिशियम.

लेकिन स्पष्टः पादप व जन्तुओं में पाए जाने वाले अंतरों का अध्ययन निम्नलिखित मुख्य लक्षणों के आधार पर किया जा सकता हैं.

पादप व जंतु में अंतर (Difference Between Plants And Animals In Points)

वृद्धि (Growth)

पादप बहुकोशिक जीव है जिनमें जीवनपर्यन्त निरंतर वृद्धि करने का विशेष गुण पाया जाता हैं. यह वृद्धि पादप के शीर्ष भाग पर पाए जाने वाले विशेष प्रकार के ऊतक जिन्हें विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissue) कहते हैं, के कारण होती है.

यह विभज्योतक प्ररोह एवं मूल के शीर्ष भाग में पाया जाता हैं. मूल व स्तम्भ की मोटाई पार्श्वीय विभज्योतक Lateral Meristem के कारण होती हैं.

इसके विपरीत जन्तुओं में वृद्धि इनके समस्त भागों में होती हैं. इस प्रकार यह कहा जा सकता हैं कि पादपों में वृद्धि स्थानीकृत (Localised) जबकि जन्तुओं में विसरित (Diffuse) प्रकार की होती हैं.

पुनः पादपों में वृद्धि सिमित आयु तक होती हैं अर्थात जीवनपर्यन्त नहीं होती है. केवल उन भागों को छोड़कर जिनमें पुनरुदभवन की क्रिया होती रहती हैं. इसके विपरीत जन्तुओं में यह वृद्धि उनकी मृत्यु के काफी समय पूर्व ही रूक जाती हैं.

गति (Speed)

अधिकांश पादप मृदा में अपनी मूल या मूलाभासों द्वारा एक ही स्थान पर स्थिर रहते हैं. जबकि अधिकांश जन्तु एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने भोजन एवं अनुकूल वातावरण की प्राप्ति के लिए आसानी से चलन गति कर सकते हैं.

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)

पादपों में पर्णहरित पाया जाता हैं. अतः समस्त पादप सूर्य के प्रकाश, जल की उपस्थिति में वातावरण की कार्बनडाई ऑक्साइड का उपयोग कर प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन के रूप में कार्बनिक पदार्थों का निर्माण कर सकते हैं,

परन्तु जन्तुओं में पर्णहरित का अभाव होता हैं अतः प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं होती हैं. फलस्वरूप जन्तु भोजन के लिए पूर्ण रूप से स्वपोषी पादपों पर निर्भर रहते हैं. इस आधार पर पादप स्वपोषी जबकि जन्तु परपोषी हैं.

खनिज लवणों का अवशोषण (Absorption of mineral salts)

पादप, मृदा से खनिज लवणों का अवशोषण मूल द्वारा घुलित अवस्था में करते है तथा इन्ही घुलित अवस्था में अवशोषित किये हुए खनिज लवणों का उपयोग अपनी उपापचयी क्रियाओं में करते हैं. जबकि जन्तु अपना भोजन ठोस व तरल अवस्था में अपने मुहं से ग्रहण करते हैं.

विशेष प्रकार के उत्सर्जन अंग (Excretory organs)

जन्तुओं में अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन के लिए विशेष प्रकार के उत्सर्जन तन्त्र पाए जाते है जबकि पादपों में विशिष्ट उत्सर्जन तंत्र नहीं पाए जाते हैं. इनमें उत्सर्जन की क्रिया छाल के हटने या पत्तियों की जीर्णता के द्वारा हटने जैसी क्रियाओं से होती हैं.

कोशिका भित्ति (Cell wall)

समस्त पादप कोशिकाओं का जीव द्रव्य सेल्यूलोज से निर्मित एक मोटी भित्ति से घिरा होता है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं. जन्तुओं में इस प्रकार की कोशिका भित्ति का अभाव पाया जाता हैं.

सेंट्रोसोम (Centrosome)

जन्तुओं में केन्द्रक के पास एक ताराकार सेंट्रोसोम पाया जाता हैं. यह कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं. यह सेंट्रोसोम उच्च श्रेणी के अधिकांश पादपों में नहीं पाया जाता हैं.

लाइसोसोम (Lysosome)

एक विशेष प्रकार का कोशिकांग जिसे लाइसोसोम कहते हैं. जिसमें अपघटनीय एंजाइम पाए जाते हैं जो मृत कोशिकाओं के अपघटन करने का कार्य करता हैं.

यह लाइसोसोम केवल जन्तु कोशिकाओं में ही पाया जाता हैं. कुछ अपवादों को छोड़कर पादपों में इसके समकक्ष अन्य रचनाएं पाई जाती हैं.

अंग तंत्र (Organ system)

पादपों में व्यवस्थित व निश्चित अंग तन्त्र जैसे पाचन, श्वसन, उत्सर्जन, तंत्रिका एवं जनन तंत्र आदि नहीं पाए जाते हैं. यदपि उच्च श्रेणी के पादप मूल, स्तम्भ, पत्तियों एवं पुष्प जैसे अंगों में विभेदित होते है. लेकिन जन्तुओं की भांति स्पष्ट अंग तंत्र का अभाव पाया जाता हैं.

जनन (Generation)

सामान्य लैंगिक जनन के अतिरिक्त पादपों में कायिक व अलैंगिक जनन भी होता हैं जबकि अधिकांश जन्तु अपनी वंश वृद्धि केवल लैंगिक जनन के द्वारा ही कर सकते हैं. कुछ निम्न श्रेणी के जन्तुओं में अनुकूलन जैसी जनन विधियाँ भी देखी जा सकती हैं.

पादप कोशिका किसे कहते हैं?

पादप कोशिका को अंग्रेजी में प्लांट सेल कहा जाता है। यह ऐसी कोशिकाएं होती है जो पेड़ पौधों के अंदर पाई जाती है और यह जंतु कोशिका से बिल्कुल अलग ही होती है। अगर इनकी भिन्नता के बारे में बात करें तो जंतु कोशिका के बाहर जो आवरण होता है उसे प्लाज्मा झिल्ली कहते हैं।

परंतु पादप कोशिका के बाहर जो आवरण मौजूद होता है उसे कोशिका भित्ति कहा जाता है। यह कोशिका भित्ति सैलूलोज नाम के पदार्थ से बनी हुई होती है।

जब कोशिका का विभाजन होता है तो उस दरमियान पादप कोशिका के बीच में एक पट्टिका होती है। यह पट्टिका अंदर की साइड से बाहर की साइड बढ़ती जाती है। 

पादप कोशिका की संरचना बहुत ही जटिल होती है। इसके द्वारा पौधों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से गुजरने में सक्षम बनाया जाता है और पौधों में जो लचीलापन होता है वह पादप कोशिका की वजह से ही होता है। पादप कोशिका का आकार 10 से 200 µm के बीच होता है।

पादप कोशिका  टोटल तीन प्रकार की होती है, जो निम्नानुसार है।

1: पैरेन्काइमा कोशिकाएं

जिस कोशिका के द्वारा मुख्य उत्तक का निर्माण किया जाता है उसी कोशिका को पैरेंकाइमा कोशिका कहा जाता है। यह पौधों में काफी अच्छी मात्रा में पाई जाती है और यह एक प्रकार की सेल्यूलर संरचना होती है। 

पौधों में इसकी मौजूदगी तकरीबन 80% तक होती है। इसके द्वारा प्रकाश संश्लेषण का काम किया जाता है और यह पौधों की बॉडी के अधिकतर भागों में पाई जाती है। जैसे कि फल के छिलके में अथवा गूदे में।

2: कोलेन्काइमा कोशिकाएं

यह कोशिकाएं कुछ अलग ही होती है। इसके अंदर प्रतिरोध और लचीलेपन का गुण होता है और इसीलिए यह कोलेन्काइमा ऊतकों का निर्माण करने का काम करती है।

कोलेन्काइमा एक प्रकार की जीवित कोशिकाएं होती है, जिस की दीवार थोड़ी सी मोटी होती है और अपनी इसी मोटाई की वजह से यह पैरेंकाइमा कोशिका से अलग होती है।

हालांकि यह ज्यादा मात्रा में पौधों में प्राप्त नहीं होती है, क्योंकि यह अधिकतर उसी जगह पर पाई जाती है जो जगह ज्यादा विकसित होती है।

3: स्क्लेरेन्काइमा कोशिकाएं

यह कोशिका मोटी कोशिका होती है। हालांकि इन्हें मृत कोशिका कहा जाता है। यह मुख्य तौर पर ऐसे अंगो को सहारा देने का काम करती है जो पौधे में पैदा होना बंद हो चुके हैं। जैसे कि पत्तियां और तना

जंतु कोशिका किसे कहते हैं?

जंतु कोशिका को अंग्रेजी भाषा में एनिमल सेल कहा जाता है। यह कोशिका मूलभूत तौर पर जंतु कोशिका में पाई जाती है और इसीलिए इसे जंतु कोशिका का नाम दिया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक कोशिकीय प्रोटोजोआ यूग्लीना के अलावा दूसरी जितनी भी जंतु कोशिका है उनमें लवक बिल्कुल भी नहीं मौजूद होता है।

जंतु कोशिका के आकार के बारे में बात करें तो यह सामान्य तौर पर छोटे आकार की कोशिका होती है। जब इनकी कोशिका का विभाजन होता है तो उस समय एक खांच के द्वारा दो भागों में यह बढ़ती है और बाहर से अंदर की और यह जाती है।

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