समानता का अर्थ क्या होता है | Equality Meaning In Hindi

समानता का अर्थ क्या होता है | Equality Meaning In Hindi: समानता की अवधारणा की उत्पत्ति विशेषाधिकार प्रथा के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में हुई है.

प्रकृति ने सभी मनुष्यों को जन्म से ही समान उत्पन्न किया है. असमानता का निर्माण मानव निर्मित परिस्थतियों के कारण होता है.

मानव अधिकारों के घोषणा पत्र में कहा गया है कि ” मनुष्य स्वतंत्र और समान पैदा हुए है और वे अपने अधिकारों के विषय में भी स्वतंत्र और समान रहते है.

अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा 1776 में भी कहा गया है कि हम इस सत्य को स्वयसिद्ध मानते है कि प्रकृति ने सभी मनुष्यों को समान रूप से उत्पन्न किया है. Equality Meaning Hindi में विस्तार से समानता क्या है जानेगे.

समानता का अर्थ क्या होता है | Equality Meaning In Hindi

समानता का अर्थ क्या होता है | Equality Meaning In Hindi

Equality Meaning in Hindi, Definition of Equality in Hindi : समानता उस परिस्थिति का नाम है, जिसके कारण सभी व्यक्तियों के अस्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो सके.

साथ ही सामाजिक विषमता के कारण उत्पन्न होने वाली असमानताओं को समाप्त किया जा सके. समाज में सभी व्यक्तियों को एक समान किये जाने की अवधारणा संभव नहीं हैं. प्रकृति ने सभी लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से समान योग्यताएं नहीं दी हैं.

समानता का अर्थ क्या होता है – Equality Meaning In Hindi

लोसकी के अनुसार समानता का अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए या प्रत्येक व्यक्ति को समान वेतन दिया जाए.

यदि एक मजदूर का वेतन प्रसिद्ध वैज्ञानिक या गणितज्ञ के बराबर कर दिया आए तो इससे समाज का उद्देश्य नष्ट हो जाएगा.

इसलिए समानता का अर्थ यह है कि कोई विशेष अधिकार वाले वर्ग नहीं रहे और सबकों उन्नति के समान अवसर प्राप्त हो.

बार्कर (Barker) के अनुसार– समानता का आशय उस स्थिति से है जब मुझे वे सब सहुलते प्राप्त है वह दूसरो को भी उसी रूप में मिले, जो राइट्स अन्य नागरिकों को है वह मुझे भी प्राप्त हो.

समानता के आधारभूत तत्व

  • समान लोगों के साथ समान व्यवहार ही समानता हैं
  • सभी लोगों को विकास के समान अवसर प्राप्त हो
  • समाज एवं राज्य सभी लोगों के साथ समान आचरण व व्यवहार करे
  • मानवीय गरिमा तथा अधिकारों को समान संरक्षण प्राप्त हो.
  • समाज में किसी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, भाषा, लिंग, निवास स्थान, सम्पति, राष्ट्रीयता आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाए
  • प्रत्येक व्यक्ति को समाज में समान महत्व दिया जाए.

समानता के प्रकार (Types of equality)

समानता के विविध प्रकारों का जिक्र राजनीतिक चिंतकों ने किया है जिन्हें समेकित रूप में हम इस प्रकार देख सकते हैं

नागरिक समानता (Civil equality Meaning)

राज्य के सभी नागरिकों को नागरिक अधिकार प्राप्त हो तथा राज्य द्वारा अपने नागरिकों के साथ किसी तरह का भेदभाव नही किया जिससे नागरिकों के मन में राज्य के प्रति विशवास की भावना कायम हो सके.

विधि के शासन की स्थापना द्वारा नागरिक समानता को स्थापित किया जा सकता हैं. हमारे देश में संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 14 द्वारा सभी नागरिकों को विधि के समक्ष समानता तथा विधि का समान संरक्षण का अधिकार दिया जाता हैं.

राजनीतिक समानता (Political equality Meaning)

राज्य के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के राज्य के कार्यों में भाग लेने की समानता हो. सभी वयस्क नागरिक जो अन्य योग्यताएं पूर्ण करते हो, समान रूप से मताधिकार, निर्वाचन हेतु अभ्यर्थ देने, सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो. राजनीतिक समानता प्रजातंत्र की आधारशिला है.

सामाजिक समानता (social equality Meaning)

सामाजिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान हो, किसी को विशेषाधिकार प्राप्त न हो. समाज में सभी को विकास के समान अवसर व सहभागिता मिले. इससे सामाजिक न्याय की अवधारणा परिपक्व होगी.

प्राकृतिक समानता (Natural equality Meaning)

इस अवधारणा के प्रतिपादक मानते है कि प्रकृति के सभी मनुष्यों को समान बनाया है. उसमें एक जैसा शरीर एवं बुद्धि होती है. कालान्तर में उनमें जो अंतर् दीखता है वह सामाजिक परिस्थतियों की भिन्नता का कारण है.

प्राकृतिक समानता का सिद्धांत सबसे ज्यादा मतवैभिन्य युक्त हैं. प्रकृति सभी को समान पैदा नहीं करती हैं. न ही प्रकृति से सभी मनुष्य, गुण. योग्यता, क्षमता, शक्ति, प्रतिभा, विचार आदि से समान होते हैं.

आर्थिक समानता (Economic equality Meaning)

यह समानता अन्य सभी समानताओ का आधार हैं. आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक, नागरिक एवं सामाजिक समानता अर्थ विहीन है.

सम्पति का समान वितरण या सभी को समान वेतन, आर्थिक समानता नहीं है. यह अवसर की समानता है अर्थात सभी लोगों को कार्य करने के समान अवसर उपलब्ध करवाएं जाए एवं सभी व्यक्तियों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो.

सांस्कृतिक समानता (Cultural affinity Meaning)

राज्य द्वारा बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक वर्गों के साथ समानता का व्यवहार करना, सांस्कृतिक समानता की श्रेणी में आता है.

इन्हें अपनी भाषा, लिपि, संस्कृति तथा सामाजिक परिवेश के संरक्षण के समुचित अवसर प्रदान किये गये. हमारा संविधान सांस्कृतिक समानता हेतु मौलिक अधिकार का प्रावधान करता हैं.

प्रजातांत्रिक राज्यों में कानूनी समानता की स्थापना करके ही विषमता का अंत किया जा सकता हैं. इसका तात्पर्य है कि कानून के समक्ष समानता तथा कानूनों का समान संरक्षण.

कानून के समक्ष समानता का अर्थ बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को कानून के समक्ष समान समझना जिससे विधि के शासन की स्थापना हो सके.

द्वितीय कानून के समान संरक्षण का तात्पर्य है ”एक जैसे लोगों से कानून का एक जैसा व्यवहार” अर्थात सभी के लिए समान कानून, समान न्यायालय व एक जैसे गुनाह पर समान दंड.

अवसर की समानता (equality Meaning of opportunity)

राज्य अपने समस्त नागरिकों को समुचित विकास के अवसर प्रदान करता हैं. राज्य, जाति, धर्म, वर्ग, वर्ण, लिंग, नस्ल आदि के आधार पर बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को अवसर की समानता प्रदान करता हैं.

शिक्षा की समानता (Meaning Equality of education)

राज्य द्वारा अपने सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान शैक्षणिक अवसर उपलब्ध करवाता हैं. लेकिन राज्य द्वारा समाज के कमजोर व पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करना समानता का हनन नहीं हैं.

स्वतंत्रता और समानता में सम्बन्ध (Relationship between freedom and equality In Hindi)

स्वतंत्रता एवं समानता के पारस्परिक सम्बन्धों का विवेचन आवश्यक हैं. ये दोनों ही अवधारणाएं व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करती हैं. किन्तु इस पर विद्वानों में एक मत नहीं हैं. पहला मत इन्हें परस्पर विरोधी मानता है तो दूसरा पूरक.

स्वतंत्रता एवं समानता परस्पर विरोधी हैं

इस अभिमत के समर्थक मानते है कि इनमें कोई साम्यता नहीं है. लार्ड एक्टन का मानना है कि समानता के आवेश ने स्वतंत्रता की आशा को व्यर्थ कर दिया हैं. इसकी मान्यता है कि प्रकृति में ही असमानता विद्यमान हैं.

योग्य और अयोग्य में समानता स्थापित करने का कोई औचित्य नहीं हैं. और न ही वास्तविक रूप में समानता स्थापित की जा सकती हैं. व्यवहार में दोनों से किसी एक परिस्थति को स्थापित किया जा सकता हैं.

दूसरा विचार दोनों को एक दूसरे के पूरक मानता है

रूसों तो यहाँ तक कहता है कि समानता के बिना स्वतंत्रता जीवित नहीं रह सकती हैं. पोलार्ड लिखते है स्वतंत्रता की समस्या का एकमात्र समाधान समानता में निहित है. व्यक्ति के विकास हेतु दोनों ही आवश्यक है. साथ ही यह भी आवश्यक है कि दोनों अवधारणाएं अपनी मर्यादा में रहे.

महात्मा गांधी का यह विचार समीचीन है कि स्वतंत्रता का अर्थ नियंत्रण का अभाव नहीं बल्कि व्यक्तित्व के विकास की अवस्थाओं की प्राप्ति से हैं. नियंत्रणहीन स्वतंत्रता स्वछ्द्ता तो बंधनयुक्त स्वतंत्रता निरर्थक हैं.

राजनीतिक समानता के बिना स्वतंत्रता अर्थहीन हो जाएगा. नागरिकों का एक बड़ा समूह शासन की भागीदारी से वंचित हो जाएगा.

वहीँ नागरिक समानता के अभाव में स्वतंत्रता कुछ लोगों का विशेषाधिकार बनकर रह जाएगी तथा आर्थिक समानता की अनुपस्थिति में सम्पति के केन्द्रीकरण पूंजीपतियों के हाथ में हो जाने से शेष समाज उनके रहमोकरम पर जिएगा.

हर्बर्ट डीन का यह मत दोनों सम्बन्धों को स्पष्ट कर देता है स्वतंत्रता में समानता निहित हैं. स्वतंत्रता तथा समानता में परस्पर कोई द्वंद नहीं है और न ही एक दूसरे से पृथक वरन एक ही आदर्श के दो तथ्य हैं.

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