अहंकार पर निबंध | Essay on Ahankar in Hindi

Essay on Ahankar in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम अहंकार पर निबंध लेकर आए हैं. अहंकार/ घमंड/ Ego व्यक्ति के चरित्र को पतन की ओर ले जाने वाली प्रवृत्तियाँ हैं.

प्रत्येक इंसान को अहम भाव का त्याग कर समभाव और सद्भाव से जीवन जीने का प्रयत्न करना चाहिए. स्टूडेंट्स के लिए यहाँ सरल भाषा में अहंकार पर भाषण, स्पीच, निबंध, एस्से अनुच्छेद दिया गया हैं.

अहंकार पर निबंध | Essay on Ahankar in Hindi

अहंकार पर निबंध | Essay on Ahankar in Hindi

300 शब्द : अहंकार निबंध

इतिहास गवाह है कि प्राचीन काल से लेकर के वर्तमान के समय तक जितने भी लोगों ने अहंकार किया है उनका अहंकार एक ना एक दिन अवश्य टूटा है क्योंकि कहावत है कि अहंकार अधिक दिन तक नहीं चलता है।

अगर कोई अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानता है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि दुनिया में हर व्यक्ति से बड़ा कोई ना कोई अवश्य होता है और सृष्टि के निर्माण कर्ताओं के द्वारा ऐसा चक्र बनाया गया है कि कोई भी अपने आप को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ नहीं समझ सकता और अगर समझता है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है।

प्राचीन काल में रावण जैसा महान विद्वान पंडित हुआ था जिसके पास अपार शक्तियां थी। रावण भी अपने आप को सबसे शक्तिशाली समझता था और उसे यह अहंकार हो गया था कि उससे बड़ा बलशाली कोई नहीं है.

परंतु जब श्री राम जैसे अवतार पुर से उसका सामना हुआ तो रावण का सारा अहंकार धीरे-धीरे चूर होता चला गया और अहंकारी रावण की मृत्यु एक दिन साधारण से दिखाई देने वाले भगवान श्री राम के हाथों हुई तो कहने का तात्पर्य यह है कि जब रावण जैसा महा पराक्रमी महाबली व्यक्ति भी अहंकार की वजह से काल के गर्त में समा गया तो हमारी और आपकी क्या बिसात।

इसलिए ऋषि मुनि कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपने ऊपर अहंकार नहीं करना चाहिए। व्यक्ति चाहे कितना भी धनवान हो, चाहे कितना भी बलशाली क्यों ना हो अगर उसके मन में अहंकार पैदा होता है तो कहीं ना कहीं यहीं से उसके विनाश की लीला भी शुरू हो जाती है क्योंकि जब जब किसी व्यक्ति ने इनकार किया है तब तक भगवान के द्वारा उस अहंकारी व्यक्ति को दंड दिया गया है।

अहंकार को दुनिया की सबसे खराब चीजों में रखा गया है। इसलिए हमें हमेशा ही इसका त्याग करना चाहिए और हमेशा अपने अंदर हमें परोपकार की भावना रखनी चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि हमें जो कुछ भी मिला है उसके पीछे कहीं न कहीं परमात्मा की ही कृपा है और अहंकार करके तथा दूसरे व्यक्तियों को दुख पहुंचा कर हम कहीं ना कहीं परमात्मा को भी दुखी कर रहे हैं।

800 शब्द : अहंकार निबंध

अहंकार अथवा घमंड को हम कोई अन्य नाम देना चाहे तो इसे बीमारी अथवा दीमक की उपमा दे सकते हैं. जिस तरह बीमारी के रोगाणु दिनोंदिन शरीर को क्षीण कर एक दिन समाप्त कर देते हैं.

अहंकार भी उसी अनुरूप व्यक्ति को ऐसे नशे में मदहोश कर देता है वह व्यक्ति को न केवल सच्चाई से परे एक कल्पना लोक में ले जाता हैं बल्कि जीवन के लिए असमायोजन करने वाली विकट स्थितियों को भी जन्म दे देता हैं.

जीवन में दुःख का पर्याय अहंकार ही हैं. व्यक्ति अपने अहम भाव के कारण सभी से स्वयं को श्रेष्ठ तथा हर क्षेत्र में ज्ञान, शक्ति से सम्पन्न मानने लगता हैं. वह इस नशे में इस हद तक डूबा रहता है कि दूसरों के ज्ञान, अनुभव, सलाह का उपयोग करने की कभी जरूरत ही नहीं समझता हैं.

संसार में अनगिनत जीव है उनमें से सबसे कमजोर जीव में भी एक जबर्दस्त खूबी होती है वो है अनुकरण. जिसके सहारे वह अपनी क्षमता में वृद्धि करता जाता हैं. मगर अहंकारी इंसान कभी किसी के अनुकरण को स्वीकार नहीं करता हैं.

जहाँ अहंकार का वास होता है वहां नम्रता, बुद्धि, विवेक, चातुर्य कोई गुण विद्यमान नहीं होगा. घमंड जिस इंसान पर हावी होता है वह सबसे पहला काम भी यही करता है कि अन्य गुणों का प्रवेश न हो.

व्यर्थ के अहं भाव के कारण उसकी नजर में हमेशा सब लोग नीचे एवं निम्न स्तर के होते हैं. वह सदैव दूसरों की राह में बाधाएं उत्पन्न कर प्रसन्नता पाता है तथा औरों को गिराकर अपनी राहे बनाता हैं.

जैसे जैसे अहंकारी व्यक्ति का ओहदा बढ़ता जाता है उसी अनुरूप उसका दम्भ भी वृद्धि करने लगता हैं. सत्ता, धन आदि के नशे में इस कद्र मशगूल रहता है कि वह कभी कल्पना नहीं कर पाता है कि एक दिन उसका भी पतन होगा, जीवन में कठिनाईयाँ आएगी तथा उस समय उसके साथ खड़े होने वाला कोइ नहीं होगा.

एक अभागे इंसान स्वरूप उन्हें एकांकी रहकर कष्टों के बीच जीवन यापन करते हुए अन्तः पतन को प्राप्त होना होगा. कितना भी अच्छे व्यक्तित्व वाला इंसान हो यदि वह अहंकारी है तो उसके समस्त गुण उस तरह धुंधले हो जाते है जिस तरह धधकते अंगारों पर जमी राख की परत अग्नि को धुंधला कर जाती हैं.

अहंकार युक्त इंसान को मानव जाति का सबसे तुच्छ प्राणी माना जाता हैं. वह अपने अहम भाव को बनाए रखने के लिए किसी पाप को करने से भी नहीं हिचकता हैं.

व्यक्ति में स्व प्रशंसा से अह भाव का जन्म होता हैं तथा स्वयं को सबसे सर्वोच्च मान लेने की स्थिति में यह अपने उत्कृष्ट रूप में दीखता हैं. दूसरों के अधिकारों की परवाह न करते हुए अतिक्रमण करना समेत कई तरह के मानसिक विकार भी अहंकार के कारण ही पनपते हैं.

दम्भ मृगतृष्णा की भांति है जिससे न उसकी प्यास शांत होती है न औरों की. अपनी तमाम कमजोरियों और दरकिनार कर हर क्षेत्र में स्वयं को पूर्ण मानने की भूल एक अहंकारी की प्रथम विशेषता कही जाती हैं.

वह अपने बारें में कई गलत धारणाएं भी पाले रहता है जैसे वह बुद्धिमान है तथा औरों की कमियों व दोषों को ही हमेशा देखता रहता हैं. परनिंदा में उसे आनन्द की प्राप्ति होती हैं.

यदि आपका कोई दोस्त अहंकारी है तो विश्वास कीजिए एक दिन आपकों उसकी तरफ से घृणा, द्वेष, क्रोध, प्रतिशोध इनमें से कोई एक तोफहा अवश्य मिलेगा. क्योंकि संकीर्ण स्वयं स्वयंभू मस्तिष्क केवल इसी तरह के विचारों को जन्म देता हैं.

क्षमा, दया, करुणा, प्रेम, धैर्य, नम्रता, सादगी ये कुछ ऐसे गुण है जो प्रत्येक मानव में आंशिक रूप से हो यह अपेक्षा की जाती हैं मगर जहाँ अहंकार का घर होता है वहां इन समस्त मानवीय मूल्यों के लिए कोई जगह नहीं बसती हैं.

वह व्यक्ति इन अमोघ रुपी औषधि से जीवन भर अपरिचित ही रहता हैं. जिसके कारण उसके अहं का स्वरूप दिन ब दिन उसे जकड़ता चला जाता हैं.

यदि एक विवेकशील व्यक्ति चाहे तो अपने अहंकार को मिटा सकता है उस पर नियंत्रण पा सकता हैं. इससे पूर्व उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि वह दम्भ में रहता हैं. जब तक गलती स्वीकार नहीं की जाएं उसमें सुधार की गुंजाइश न के बराबर होती हैं.

अतः खुले ह्रदय से अपने अहं भाव को स्वीकार करिये तथा भविष्य में उसके दोहरान से बचने का प्रयास करे तो निश्चय ही हम अहंकार रुपी रावण से बच सकते हैं.

हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में कहा गया है क्षमा परमो धर्मः, अतः हमें उस इंसान से क्षमा मांग लेनी चाहिए जिसकों हमारे अहं भाव के कारण पीड़ा पहुंची हो.

विनम्रता व्यक्तित्व का गहना होती हैं. इसकी शुरुआत अहंकार के अंत से ही होती हैं. जीवन में शान्ति और आनन्द के अनुभव तभी पाए जा सकते है जब हम विनम्र हो,

हमें विनम्रता के आभूषण का वरण कर अपनी आंतरिक असीम शक्ति को जागृत करना होगा यदि हम ऐसा कर पाते है तो निश्चय ही समस्त तरह के मानसिक मनोविकारों से भी स्वयं को बचा सकते है तथा अपने खुशहाल जीवन की नीव रख सकते हैं.

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दोस्तों उम्मींद करता हूँ Essay on Ahankar in Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा. अहंकार पर दिया गया यह निबंध आपकों कैसा लगा हमें कमेंट कर जरुर बताएं.

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