विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay On Discipline In Student Life In Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आज हम विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay On Discipline In Student Life In Hindi आपकों यहाँ बता रहे हैं.

इस छोटे बड़े निबंध की मदद से आप आसानी से स्टूडेंट्स लाइफ में अनुशासन के महत्व पर छोटा बड़ा निबंध लिख सकते हैं. तो चलिए आरम्भ करते हैं.

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay On Discipline In Student Life In Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay On Discipline In Student Life In Hindi

Essay On Discipline In Student Life In Hindi अनुशासन शब्द अनु और शासन दो शब्दों से मिलकर बना हैं, जिसका अर्थ होता हैं नियमों रहना.

आज का यह हिंदी निबंध अनुशासन पर दिया गया हैं, जिन्हें कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स 100, 200, 250, 300, 400, 500, 1000 शब्दों में डिसिप्लिन एस्से यहाँ दिया गया हैं.

(300 शब्द) विद्यार्थी और अनुशासन निबंध- student and discipline essay in hindi

भूमिका– जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नहीं जिसकी कोई आस्था और आदर्श नहीं, वह मानव जीवन नहीं पशु जीवन ही हो सकता हैं. ऊपर से स्थापित नियंत्रण या शासन सभी को अखरता हैं.

इसीलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमो का पालन करना ही अनुशासन हैं. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और  आवश्यक हो जाता हैं.

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन– वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं, किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढियां ढलती है उस विद्यार्थी में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

किन्तु आज के विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति अत्यंत शोचनीय हैं. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता हैं. अध्य्यन के बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने में आती हैं.

अनुशासनहीनता के कारण– विद्यालयों मे बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नहीं हैं. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके जिम्मेदार हैं.

टीवी ने छात्र को समय से पहले ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया हैं. उसे फैशन और आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं, बेरोजगारी उचित मार्गदर्शन न मिलना तथा अभिभावकों का जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के कारण हैं.

दुष्परिणाम– छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अन्धकारमय बना रही हैं बल्कि देश कि भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रही हैं. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना हैं.

हर संस्था और कम्पनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में हैं. इस स्थिति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीन छात्र कहाँ ठहर पाएगे. आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नहीं उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में हैं. अनुशासनहीनता ही अपराधियों और गुंडों को जन्म दे रही हैं.

निवारण के उपाय– इस स्थिति से केवल अध्यापक या प्रधानाचार्य नहीं निपट सकते. इसकी जिम्मेदारी पूरे समाज को उठानी चाहिए. विद्यालयों में ऐसा वातावरण हो जिसमें शिक्षक एवं विद्यार्थी अनुशासित रहकर शिक्षा का आदान प्रदान कर सके. अनुशासनहीन राजनीतिज्ञों को भी अनुशासित होकर भावी पीढ़ी को प्रेरणा देनी होगी.

उपसंहार– आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नहीं हैं. उसकी आँखे और कान दोनों खुले हैं. समाज में जो कुछ घटित होगा वह छात्र के जीवन में भी प्रतिबिम्बित होगा.

समाज अपने आपको सम्भाले तो छात्र स्वयं सम्भल जाएगा. अनुशासन की खुराक केवल छात्रों को ही नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को पिलानी होगी. जब देश में चारों ओर अनुशासनहीनता छायी हुई है तो विद्यालयों में इसकी आशा करना व्यर्थ हैं.

(400 शब्द) विद्यार्थी व अनुशासन Essay On Discipline In Student Life In Hindi

अनुशासन का जीवन में गहरा महत्व है| अनुशासन ही वह कुंजी है जिससे हम जीवन का विकास कर पाते है तथा सफलता के अनेक चरण छूते है| यदि हम देखे तो समूची प्रकृति भी एक अनुशासन में बंधी हुई है|

सूर्य का नित्यप्रति एक ही दिशा में उगना तथा उसी तरह अस्त होना अनुशासन के ही प्रमाण है| चन्द्रमा, तारे, बादल, बिजली, सबका अपना अनुशासन है|

इनमे भी जब किसी का अनुशासन भंग होता है तब कुछ अप्रतिक्षित तथा विध्वंसकारी घटनाए घटती होती है| एक क्रम से ही वस्तुओं का आना -जाना होता है| समुद्र में ज्वार -भाटा आने पर भी समुद्र मर्यादित रहता है|

एक निश्चित गति से पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना या अनेक उपग्रहों का अपनी गति से गतिमान रहना उनके अनुशासन का ही परिचायक है| ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का अत्यधिक महत्व है|

कहा गया है कि -काक चेष्टा बको ध्यानम श्वान निद्रा तथैव च| अल्पाहारी ब्रर्हचारी विद्यार्थी पंच लक्षणम| विद्यार्थी के ये पाचों गुण उसके अनुशासन की ही विभिन्न सीढिया है| विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है| जिसमे वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक तथा रचनात्मक निर्माण करता है|

एक निश्चित गति से पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना या अनेक उपग्रहों का अपनी गति से गतिमान रहना उनके अनुशासन का ही परिचायक है|

ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का अत्यधिक महत्व है| कहा गया है कि -काक चेष्टा बको ध्यानम श्वान निद्रा तथैव च| अल्पाहारी ब्रर्हचारी विघार्थी पंच लक्षणम|

विद्यार्थी के ये पाचों गुण उसके अनुशासन की ही विभिन्न सीढिया है| विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है| जिसमे वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक तथा रचनात्मक निर्माण करता है|

अत; आत्मानुशार की प्रेरणा विद्यार्थी के जीवन निर्माण की पहली सीढी है|’दूसरी ओर बार्हानुशार स्वयं के अलावा किसी दुसरे व्यक्ति के दबाव होने तथा उसके अधिकारों के कारण माना जाने वाला अनुशासन है|

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ ही अनु +शासन है| अनु का अर्थ है अनुरूप या अनुसार तथा शासन का अर्थ है शासित होना या परिचालित होना| इसका आशय यह हुआ की विद्यार्थी बहुत से कार्यो में स्वयं के द्धारा परिचालित होता है तथा बहुत से दुसरे कार्यो में शिक्षक, माता -पिता अथवा विघालय द्धारा परिचालित होता है|

चुकि विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने की अवस्था में बालक का निर्माण सीखने की प्रिक्रिया में होता है| इसलिए इस अवस्था में जो वह सीखता है वे उसके जीवन के स्थाई मूल्य बन जाते है |संसार में अनेक महापुरुषों ने अनुशासित रहकर ही समूचे विश्व का मार्गदर्शन किया है |

(450 शब्द) विद्यार्थी जीवन में अनुशासन Discipline In School Student Life In Hindi

जिस जीवन में कोई नियम व्यवस्था नही है, जिसकी कोई आस्था आदर्श नही है, वह मानव नहीं पशु जीवन ही हो सकता है. ऊपर से स्थापित नियत्रण या शासन सभी को अखरता है.

इसलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता है. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन ही अनुशासन कहलाता है. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और भी आवश्यक हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन

वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है, किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढियां ढ़लती है उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

किन्तु आज विद्यालयों में अनुशासन की स्थति अत्यंत शोचनीय है. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता है. अध्ययन की बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने को मिलती है.

अनुशासनहीनता के कारण

विद्यालयों में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के पीछे छात्रों की उद्दण्ता ही कारण नही है. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती हुई जीवन शैली भी इसके लिए जिम्मेदार है. टीवी ने छात्र को समय से पूर्व ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया है.

उसे फैशन और आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है. बेरोजगारी, उचित मार्गदर्शन न मिलना और अभिभावकों की जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के ही कारण है.

दुष्परिणाम

छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अंधकारमय बना रही है बल्कि देश की भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रहा है. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना है. हर संस्था और कंपनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में है.

इस स्थति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीनता छात्र कहाँ ठहर पाएगे? आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नही उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में है. अनुशासनहीनता ही अपराधियों और गुंडों को जन्म दे रही है.

निवारण के उपाय

इस स्थति से केवल अध्यापक या प्रधानाचार्य नही निपट सकते है. इसकी जिम्मेदारी पुरे समाज को उठानी चाहिए, विद्यालयों में ऐसा वातावरण हो जिसमे शिक्षक एवं विद्यार्थी अनुशासित रहकर शिक्षा का आदान प्रदान कर सके.

अनुशासनहीनता राजनीतिज्ञों को भी अनुशासित होकर भावी पीढ़ी को प्रेरणा देनी होगी.

आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नही है. उसकी आँखे और कान दोनों खुले है. समाज में जो कुछ घटित होगा, वह छात्र के जीवन में भी प्रतिबिम्बित होगा. समाज अपने आप को संभाले तो छात्र स्वयं संभल जाएगा.

अनुशासन की खुराक केवल छात्रों को ही नही बल्कि समाज के हर वर्ग को पिलानी चाहिए. जब देश में चारो ओर अनुशासन हीनता छाई हुई है, तो विद्यालयों में इसकी आशा करना व्यर्थ है.

(500 शब्द) छात्र जीवन में अनुशासन Essay On Discipline In Student Life In Hindi

प्रस्तावना- जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नही, वह मानव जीवन नही, वह पशु जीवन ही हो सकता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन करना ही अनुशासन हैं.

अनुशासन का महत्व– चाहे कोई संस्था हो या व्यवसायिक प्रतिष्ठान, चाहे परिवार हो या प्रशासन, अनुशासन के बिना किसी का भी कार्य नही चल सकता. सेना और पुलिस विभाग में तो अनुशासन सर्वोपरि माना जाता हैं. विद्यालय देश की भावी पीढ़ी को तैयार करते हैं, विद्यालय जीवन ही व्यक्ति की भावी तस्वीर प्रस्तुत करता हैं. आज हर क्षेत्र में देश को अनुशासित युवकों की आवश्यकता हैं.

विद्यालय जीवन और अनुशासन– वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं. किन्तु जीवन का जो भाग सारे जीवन का आधार हैं उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. किन्तु वर्तमान समय में विद्यार्थी अनुशासनहीन होते जा रहे हैं.

अनुशासनहीनता के कारण– विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नही हैं, सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके लिए कम जिम्मेदार नही हैं.

दूरदर्शनी संस्कृति ने छात्रों को समय से पूर्व ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया हैं. भविष्य के लिए उपयोगी ज्ञान वर्तमान में ही परोसना शुरू कर दिया हैं. सारी सांस्कृतिक शालीनता उनसे छिनी जा रही हैं.

आरक्षण ने भी छात्रों को निराश और लक्ष्यविहीन बना डाला हैं. अभिभावकों की उदासीनता ने भी इस विष बेल को बढ़ावा दिया हैं. अधिकांश अभिभावक विद्यालयों में बच्चों के प्रवेश के बाद उनकी सुध नही लेते.

निवारण के उपाय- इस स्थिति से केवल अध्यापकों या प्रधानाचार्य नही निपट सकते. शिक्षा एक सामूहिक दायित्व हैं जिसकी जिम्मेदारी पूरे समाज को उठानी चाहिए.

यह भी सच है कि अनुशासन किसी पर बलपूर्वक थोपा नही जा सकता, इसलिए दूसरों को अनुशासित रखने के लिए स्वयं भी अनुशासित रहकर आदर्श प्रस्तुत करना होगा.

उपसंहार- अनुशासन का दैनिक जीवन में बहुत महत्व हैं. अनुशासन का क्षेत्र भी अत्यंत व्यापक हैं. अनुशासन के बिना मनुष्य जीवन में सफलता नही प्राप्त कर सकता. अनुशासन के अभाव में शिक्षा का कोई महत्व नही हैं.

(550 शब्द) अनुशासन निबंध Essay On Discipline In Hindi

अनुशासन का अर्थ और महत्व- जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नहीं, जिसकी कोई आस्था और आदर्श नहीं, वह मानव जीवन नहीं पशु जीवन ही हो सकता हैं.

ऊपर से स्थापित नियंत्रण या शासन सभी को अखरता हैं. इसलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन करना ही अनुशासन हैं. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और भी आवश्यक हो जाता हैं.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता- वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं. किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढ़ी ढलती हैं. उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक हैं.

किन्तु आज विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति अत्यंत शोचनीय हैं. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता हैं. अध्ययन के बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने को मिलती हैं.

विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति- विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नहीं हैं. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.

टीवी ने छात्रों को समय समय से पूर्व ही युवा बनाना आरम्भ कर दिया हैं. उसे फैशन या आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं. बेरोजगारी उचित मार्गदर्शन न मिलना तथा अभिभावकों का जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के कारण हैं.

विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में अनुशासन का प्रभाव- छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं. बल्कि देश की भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रही हैं. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना हैं.

हर संस्था और कम्पनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में हैं. इस स्थिति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीन छात्र कहाँ ठहर पाएगे. आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नहीं उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में हैं.

विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में अनुशासन का प्रभाव स्पष्ट हैं. अनुशासित विद्यार्थी ही भविष्य में उत्तम नागरिक बन सकता हैं.

उपसंहार- आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नहीं हैं. उनकी आँखे और कान, दोनों खुले हैं. समाज में जो कुछ घटित होगा. वह छात्र के जीवन में प्रतिबिम्बित होगा.

यदि समाज अपने आपकों सम्भाले तो छात्र स्वयं सभल जाएगा. समाज के हर वर्ग को अनुशासन का पालन करना होगा तभी छात्रों से अनुशासित होने की अपेक्षा की जा सकती हैं.

(600 शब्द) डिसिप्लिन निबंध discipline in student essay in hindi

अनुशासन का अर्थ व महत्व– वर्तमान काल की निरुद्देश्य शिक्षा प्रणाली व गिरते हुए परीक्षा परिणामों का जब हम चिन्तन करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में एक शब्द कुलबुलाता है अनुशासन.

और स्वचालित मशीन की भांति हमारा मस्तिष्क इन पांच अक्षरों के समूह के इर्द गिर्द चक्कर लगाता हैं. वस्तुतः विद्यार्थियों का अनुशासनहीन होना उनके अध्ययन व उनकी उन्नति में तथा उनके चारित्रिक विकास में बाधक हैं. अतः विद्यार्थी समुदाय को अनुशासन का महत्व समझ लेना चाहिए.

अनुशासन को हम दूसरे शब्दों में संयम की संज्ञा दे सकते हैं. अनुशासन शब्द अनु व शासन इन दोनों शब्दों के मेल से बना हैं. अनु का अर्थ पीछे या अनुकरण तथा शासन का अर्थ है व्यवस्था, नियंत्रण अथवा संयम. इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ नियंत्रण या संयमपूर्वक रहना.

जीवन में अनुशासन– केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं अपितु सारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन के लिए अनुशासन का विशेष महत्व हैं. जिस राष्ट्र के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते है और समय का सदुपयोग करने में सतर्क रहते हैं.

वह राष्ट्र प्रगति के उच्च शिखर पर आरूढ़ हो जाता हैं. परन्तु अनुशासनहीन समाज अपनी अवनति का कारण स्वयं बनाता हैं. हमारे देशवासी वर्तमान में अनुशासनहीनता से ग्रस्त हैं. यही कारण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की जो प्रगति होनी चाहिए, वह नहीं हो पाई हैं.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व-चूँकि विद्यार्थी जीवन, जीवन की वह अवधि है जिनमें नयें संस्कार और आचरण एक नींव की भांति विद्यार्थी के मन को प्रभावित करते हैं. इस अवस्था में विद्यार्थी जिस प्रकार का आचरण एवं व्यवहार सीख लेता हैं.

वही आचरण व व्यवहार उसके भावी जीवन का अंग बन जाता हैं. विद्यार्थी के सुकोमल मस्तिष्क पर अनुशासनहीनता या अनुशासनप्रियता का अधिक प्रभाव पड़ता हैं. इसलिए अनुशासन विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. विद्यार्थी के चरित्र निर्माण तथा शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए अनुशासन का होना एक अनिवार्य शर्त हैं.

अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम– वर्तमान में हमारे देश में अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त के प्रति उदासीन हो रहे हैं. वे गुरुजनों का आदर नहीं करते हैं. तथा तोड़ फोड़ आंदोलन आदि का सहारा लेकर शिक्षा जगत को दूषित कर रहे हैं.

राजनीतिक दलों के सदस्य भी स्वयं अनुशासित नहीं रहते हैं. और वे विद्यार्थियों को गलत रास्ते पर भटकाने का कार्य करते हैं. सरकारी कर्मचारी भी अनुशासनहीन हो रहे हैं.

इस तरह आज हमारा समाज, विशेषकर विद्यार्थी वर्ग अपने दायित्वों को नहीं समझ रहा हैं. इससे अनेक दुष्परिणाम समस्या रूप में उभर रहे हैं.

अनुशासनप्रियता के सुपरिणाम– जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन की भावना रखना हैं. जिस राष्ट्र के लोगों को अनुशासन का महत्व स्वीकार्य है, जो उत्तरदायित्व को समझते है, वे अपना तथा अपने राष्ट्र का गौरव बढाते हैं.

विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व हैं. क्योंकि आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी सुनागरिक हैं. अनुशासनप्रिय छात्र ही परिश्रमी, कर्तव्यपरायण और विनयशील हो सकता हैं और जीवन में प्रगति पथ पर स्वतः अग्रसर हो सकता हैं.

उपसंहार– अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है, जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है. इससे अनेक श्रेष्ठ गुणों का विकास होता हैं.

अनुशासित रहकर छात्र अपनी और राष्ट्र की प्रगति कर सकता है व मानव जीवन धारण करने का सुफल पा सकता हैं. अतः अनुशासनपूर्ण जीवन ही वास्तविक जीवन हैं.

(650 शब्द) निबंध विद्यार्थी जीवन में अनुशासन Importance Of Discipline In Student Life In Hindi

वर्तमानकाल की निरुद्देश्य शिक्षा प्रणाली व गिरते हुए परीक्षा परिणाम का जब हम चिन्तन करते है. तो हमारे मस्तिष्क में एक ही शब्द कुलबुलाता है, अनुशासन.

और स्वचालित मशीन की भाति हमारा मस्तिष्क इन पांच शब्दों के इर्द गिर्द चक्कर लगाता है. वस्तुतः विद्यार्थियों का अनुशासनहीन होना उनके अध्ययन व उनकी उन्नति तथा उनके शारीरिक विकास में बाधक है.

“विद्यार्थी जीवन में अनुशासन” अतः विद्यार्थी समुदाय को अनुशासन का महत्व समझ लेना चाहिए.

अनुशासन को हम दूसरें शब्दों में संयम की संज्ञा दी जा सकती है. अनुशासन शब्द अनु तथा शासन इन दो शब्दों के मेल से बना है. अनु का अर्थ है पीछे या अनुकरण.

शासन का अर्थ है व्यवस्था, नियन्त्रण या संयम. इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ नियन्त्रणपूर्वक या संयमपूर्वक रहना.

केवल विद्यार्थियों के लिए ही नही अपितु सामाजिक और राष्ट्रिय जीवन के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है. जिस देश के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते है.

और समय का उपयोग करने में सतर्क रहते है. वह राष्ट्र प्रगति के उच्च शिखर पर आरूढ़ हो जाता है. परन्तु अनुशासनहीन समाज अपनी अवनति का गर्त स्वयं बनाता है.

हमारे देशवासी वर्तमान में अनुशासनहीनता से ग्रस्त है. यही कारण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की जो प्रगति होनी चाहिए, वह नही हो पाई है. इस तथ्य से जीवन में अनुशासन का महत्व सिद्ध हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व (student and discipline in hindi)

चूँकि विद्यार्थी जीवन, जीवन की वह अवधि है जिसमे नए संस्कार और आचरण एक नीव की भांति विद्यार्थी के मन को प्रभावित करते है. इस अवस्था में विद्यार्थी जिस प्रकार का आचरण और व्यवहार सीख लेता है.

वही व्यवहार और आचरण उनके भावी जीवन का अंग बन जाता है. विद्यार्थी का मस्तिष्क चूँकि पूर्ण परिपक्व नही नही होता है, यही कारण है कि उसके सुकोमल मस्तिष्क पर अनुशासनहीनता और अनुशासनप्रियता का अधिक प्रभाव पड़ता है.

इसलिए अनुशासन विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. विद्यार्थी के जीवन निर्माण तथा शारीरिक तथा बौद्धिक विकास के लिए अनुशासन का होना एक अनिवार्य शर्त है.

विद्यार्थी और अनुशासन हीनता (importance of discipline in school)

वर्तमान में हमारे देश में अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे है. विद्यार्थी ज्ञान प्राप्ति के प्रति उदासीन हो रहे है. वे गुरुजनों का आदर नही करते है. तथा तोड़ फोड़ आंदोलन आदि का सहारा लेकर शिक्षा जगत को दूषित कर रहे है. राजनितिक दलों के सदस्य भी स्वयं अनुशासित नही रहते है.

और वे विद्यार्थियों लप गलत रास्ते पर भटकाने का कार्य करते है. सरकारी कर्मचारी भी अनुशासनहीन हो रहे है. इन सब बातों से स्पष्ट हो जाता है कि आज हमारा समाज विशेष कर विद्यार्थी वर्ग अपने दायित्वों को नही समझ पा रहा है. इससे अनेक दुष्परिणाम समस्या के रूप में उभर रहे है.

अनुशासन के लाभ (benefits of discipline in hindi)

जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन की भावना रखना है. जिस राष्ट्र के लोगों को अनुशासन का महत्व स्वीकार्य है. जो अपने उतरदायित्व को समझते है.

वे अपना तथा अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाते है. विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व है. क्युकि आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी सुनागरिक है.

अनुशासनप्रिय छात्र ही परिश्रमी, कर्तव्यपरायण और विनयशील हो सकता है और जीवन में प्रगति पथ पर स्वयं अग्रसर हो सकता है. अनुशासन एक ऐसी प्रवृति और संस्कार है. जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है, इससे अनेक श्रेष्ट गुणों का विकास होता है.

अनुशासित रहकर विद्यार्थी अपनी और अपने राष्ट्र की प्रगति कर सकता है तथा मानव जीवन धारण करने का सुफल प्राप्त कर सकता है. अतः अनुशासनपूर्ण जीवन ही वास्तविक जीवन है.

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