जिलाधीश (जिलाधिकारी) पर निबंध | Essay On District Collector In Hindi

जिलाधीश (जिलाधिकारी) पर निबंध | Essay On District Collector In Hindi : प्रिय साथियो आज हम एक नयें निबंध के साथ आपके साथ हाजिर हैं.

District Collector Essay में महत्वपूर्ण भारतीय प्रशासनिक सेवा के जिलाधिकारी या जिलाधीश पर निबंध साझा कर रहे हैं.

अंग्रेजी में “डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर” या फिर सिर्फ “कलेक्टर” के रूप में हम साधारण भाषा में इस शब्द का प्रयोग करते हैं. जिले के सर्वोच्च अधिकारी की नियुक्त कार्य व दायित्व क्या होते हैं. इस कलेक्टर एस्से में जानेगे.

जिलाधीश पर निबंध | Essay On District Collector In Hindi

जिलाधीश (जिलाधिकारी) पर निबंध | Essay On District Collector In Hindi

जिलाधीश पर निबंध

जिलाधीश जिला स्तरीय प्रशासन का प्रधान होता हैं. वह जिले में कानून एवं व्यवस्था बनाएं रखने के साथ साथ विभिन्न विकास कार्यों एवं राजस्व मामलों की देखरेख भी करता हैं.

जिलाधीश के अधीन उपखंड स्तर पर उपखंड अधिकारी एवं तहसील स्तर पर तहसीलदार प्रशासनिक नियंत्रण व क्रियान्वयन एवं राजस्व सम्बन्धी मामलों की देखरेख के लिए उतरदायी होते हैं.

वर्तमान में जिलाधीश भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य होता हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का चयन संघ लोक सेवा आयोग करता हैं तथा उसकी सिफारिश पर केंद्र सरकार उन्हें विभिन्न राज्यों में नियुक्त करती हैं.

इनकी सेवा की शर्ते केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित होती हैं. और इन पर प्रशासनिक नियंत्रण संबंधित राज्य सरकार का होता हैं.

भूमिका व कार्य

  • जिलाधीश जिला प्रशासन का प्रमुख होता हैं. जिला स्तर पर वह राज्य का प्रतिनिधित्व करता है तथा राज्य सरकार की आँख व कान तथा बाहों की भांति कार्य करता हैं.
  • जिलास्तर पर वह प्रशासन को नेतृत्व प्रदान करता हैं. वह जिला प्रशासन की धुरी हैं. जिला स्तरीय प्रशासन में समन्वय स्थापित करने का दायित्व जिलाधीश का होता हैं.
  • जिलाधीश राज्य, जिला प्रशासन तथा जनता के मध्य कड़ी का कार्य करता हैं.
  • संकटकालीन प्रशासक के रूप में जिलाधीश की भूमिका मसीहा के समान हो जाती हैं. प्राकृतिक विपदाओं में घायलों के उपचार, निवास, भोजन आदि की व्यवस्था, विस्थपितों के पुनर्स्थापन व उन्हें मुआवजा राशि देना आदि अनेक दायित्व जिलाधीश के हैं.
  • विकास अधिकारी के रूप में सभी विकास कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिलाधीश की ही हैं.

जिलाधीश के कार्य

  • जिले में मतगणना करवाना
  • प्रोटोकॉल से सम्बन्धित दायित्व पूरे करना
  • विस्थापितों का पंजीकरण और उनका पुनर्स्थापन करवाना
  • संसद विधानसभा और स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव करवाना
  • जिले में विकास योजनाएं एवं कल्याणकारी कार्यक्रमों की क्रियान्विति करवाना
  • जिले के प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्य करना.

जिला कलेक्टर पर निबंध

जिलाधीश को ही अंग्रेजी भाषा में कलेक्टर कहा जाता है, जिनके ऊपर किसी भी एक जिले की पूरी जिम्मेदारी होती है। जिस प्रकार 1 जिले में सिर्फ एक ही एसपी होता है, उसी प्रकार एक जिले में एक ही कलेक्टर होता है।

जिलाधीश को जिले का सबसे बड़ा अधिकारी कहा जाता है और यह तमाम प्रकार के छोटे बड़े कामों को करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

जैसे कि लोन का वितरण, कर्ज वसूली, टैक्स वसूली, भूमि अधिग्रहण, भूमि मूल्यांकन, डिजास्टर मैनेजमेंट, गवर्नमेंट की योजना को लागू करवाना इत्यादि, साथ ही साथ न्यायाधीश कानून व्यवस्था की भी देखरेख करते हैं और कानून व्यवस्था में कोई भी खलल ना पड़े, इसकी भी देखरेख जिलाधीश ही करता है।

जिलाधीश यानी की कलेक्टर का पद बहुत ही बड़ा होता है। यही वजह है कि जो लोग पढ़ने में होशियार होते हैं और जिनके सोचने समझने की शक्ति ज्यादा होती है, वही कड़ी मेहनत कर के जिलाधीश के पद को प्राप्त करने में सफलता हासिल करते हैं।

जिलाधीश की नौकरी पाने के लिए आपको सिविल सर्विस एग्जाम को पास करना पड़ता है, जिसका आयोजन यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा करवाया जाता है।

बता दें कि सिविल सर्विस की एग्जाम में आप ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अप्लाई कर सकते हैं और अगर आपने सही से मेहनत की होगी, तो निश्चित ही आपको जिलाधीश की पोस्ट मिलेगी।

जिलाधीश बनने के लिए सबसे पहले विद्यार्थियों को इसकी प्रारंभिक एग्जाम में शामिल होना पड़ता है, जो कि जून या जुलाई के महीने में होती है, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को 2 पेपर देने होते हैं।

इसके बाद विद्यार्थियों को जिलाधीश की मुख्य परीक्षा में शामिल होना पड़ता है, जो कि सामान्य तौर पर दिसंबर या फिर जनवरी के महीने में होती है।

इसके बाद विद्यार्थियों को इंटरव्यू में बुलाया जाता है, जो विद्यार्थी इंटरव्यू को भी सही से पास कर लेते हैं, उन्हें इसके बाद ट्रेनिंग पर भेज दिया जाता है और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें इंडिया के किसी भी एक जिले में जिलाधीश की पोस्ट दी जाती है।

जिलाधीश बनने के लिए आरक्षण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग समुदाय के लोगों के लिए अलग-अलग उम्र भी तय की जाती है।

जैसे कि सामान्य श्रेणी के लोगों के लिए कम से कम उम्र 21 साल और अधिक से अधिक उम्र 32 साल रहती है, वही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा जाति के लोगों को उम्र में 5 साल की छूट दी जाती है।

जिलाधीश बन जाने के बाद व्यक्ति को मान सम्मान और पावर की प्राप्ति होती है। इसके अलावा उसे अच्छी सैलरी भी मिलती है।

सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद इंडिया में एक जिलाधीश को महीने में ढाई लाख रुपए की सैलरी मिलती है। इसके अलावा गवर्नमेंट की तरफ से उसे दूसरे तमाम प्रकार के भत्ते और गवर्नमेंट सर्विस भी प्राप्त होती है।

जिलाधीश बन जाने के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारी और उसके काम काफी बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह किसी भी जिले का मुख्य अधिकारी होता है और इन्हें कई प्रकार के काम करने पड़ते हैं।

इन्हें जिले में कानून व्यवस्था का सही से पालन हो रहा है या नहीं, इसकी देखरेख करनी होती है। इसके अलावा यह कर्ज वसूली और टैक्स वसूली पर भी विशेष तौर पर ध्यान देते हैं, साथ ही यह भूमि राजस्व की वसूली भी करते हैं।

जिलाधीश के अंडर में ही उसके जिले में आने वाले सभी पुलिस थाने होते हैं। जिलाधीश चाहे तो किसी भी पुलिस थाने का औचक निरीक्षण कर सकता है।

इसके अलावा जिलाधीश का यह कर्तव्य और काम होता है कि वह लोगों को न्याय दिलाएं और किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय ना होने दें तथा भारत की न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बना रहे, इसके लिए काम करें।

एक जिलाधीश चाहे तो वह भारत के केंद्र सरकार को देश के विकास के लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी दे सकता है।

इसके अलावा जिलाधीश दंगे की स्थिति में उच्च अधिकारियों से बातचीत करके पुलिस अधिकारियों को विशेष छूट भी दे सकता है ताकि वह दंगों पर कंट्रोल करने के लिए आवश्यक कदम उठा सके और दंगों को शांत कर सके।

जिलाधीश बनने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है। इसलिए अगर कोई विद्यार्थी जिलाधीश बनना चाहता है, तो उसे कठिन परिश्रम के लिए तैयार रहना पड़ेगा, तभी वह अपने सपनों को साकार कर के जिलाधीश की पोस्ट प्राप्त कर सकेगा।

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