बाज पर निबंध Essay on Eagle in Hindi

Essay on Eagle in Hindi हेलो, नमस्कार मित्रों आपका हार्दिक स्वागत है आज हम बाज पर निबंध लेकर आए हैं. स्कूल स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में बाज पक्षी ईगल बर्ड.

5 line & 10 Line information of eagle in hindi Language में यह लेख लिखा गया हैं. इसे पढ़ने के बाद आप बाज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी रख पाएगे.

बाज पर निबंध Essay on Eagle in Hindi

बाज पर निबंध Essay on Eagle in Hindi

Eagle Essay In Hindi में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 वी क्लास के स्टूडेंट्स और किड्स के लिए बाज निबंध, बाज पक्षी पर सरल निबंध,

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बाज पर १० पंक्तियाँ हिंदी में 10 lines on eagle in hindi

1. संसार के सबसे बड़े पक्षियों में बाज प्रमुख हैं.

2. बाज़ एक शिकारी पक्षी है जो कि गरुड़ से छोटा होता है। इस प्रजाति में दुनिया भर में कई जातियाँ मौजूद हैं और अलग-अलग नामों से जानी जाती हैं।

3. इसे पेरेग्राइन फाल्कन  के नाम से भी जाना जाता हैं.

4. बाज संयुक्त अरब अमीरात का राष्ट्रिय पक्षी हैं,

5. यह नवजात शिशु का शिकार कर सकता हैं.

6. इसका भोजन मछली, चूहे सांप आदि हैं.

7. यह आसमान में १२ से १५ हजार मीटर तक की उंचाई में उड़ सकता हैं.

8. अनातर्कटीका महाद्वीप को छोडकर सभी महाद्वीप में यह पाया जाता हैं.

9. ये एक बार उड़ान भरने के बाद लगभग 6 से 8 घटें हवा में रह सकता है|

10, मादा बाज वर्ष में एक बार ४ से ५ अंडे देती हैं.

11. चूजे को उड़ने का कठोर प्रशिक्षण मादा बाज द्वारा आसमान की उंचाइयो पर दिया जाता हैं.

बाज निबंध Hindi Essay on Eagle

बच्चों बाज पक्षी को आपने कभी देखा या उसका नाम कहानियो में तो अवश्य ही सुना होगा. पक्षियों की सभी प्रजातियों में यह सबसे बड़ा पक्षी माना जाता हैं.

आकार में चील और गुरुड के समकक्ष बाज को सबसे बेहतरीन शिकारी पक्षी कहा जाता हैं जो मांस खाकर अपना जीवन निर्वहन करता हैं. इसका भोजन मुख्य रूप से छोटे स्थलचर जैसे सांप, चूहा, मेढक मछली आदि बनते हैं.

कहते है जहाँ हमारे हवाई जहाज उड़ान भरते हैं वहां लगभग १२ हजार फीट की ऊंचाई तक बाज उड़ सकता हैं. ये बिना पंखों को हिलाए लम्बे समय तक अन्तरिक्ष में रह सकता हैं.

करीब चार से पांच किलोमीटर की दूरी से अपने भोजन को देखकर आसानी से अपने चंगुल में ले लेता हैं. जंगलों में रहने वाले बाज का जीवन 70 वर्ष का माना जाता हैं. इस तरह यह मानव से भी दीर्घायु जीव हैं.

बाज अंटार्कटिका को छोडकर संसार के सभी महाद्वीपों में पाया जाता हैं. संसार भर में इसकी ६० से अधिक नस्लों की पहचान की जा चुकी हैं. इन्हें प्रमुखता से उन स्थानों में देखा जा सकता है सुनसान समझे जाते हैं.

जैसे कि मरुस्थल जंगल या ऊँचे पर्वत बाज के घर होते हैं इसके उड़ने की गति छोटे फाइटर जेट से अधिक होती हैं लगभग ढाई सौ किमी प्रति घंटा की चाल से यह हवा में उड़ता हैं.

दुसरे विश्व युद्ध में कबूतरों द्वारा डाक पहुचाने से रोकने के लिए कई यूरोपीय देशों ने बाज को प्रशिक्षित कर कबूतरों का शिकार करवाया गया था.

बाज को आसमान का राजा किंग ऑफ़ स्काई कहा जाता हैं ये बादलों के ऊपर पतंग की भांति मडराता रहता हैं इसकी आँखों में लगा आंखों में इन्फ्रारेड सिस्टम लम्बी दूरी पर अपने शिकार को देखने में मदद करता हैं.

बाज की चोंच ९० डिग्री के आकार में घूमी हुई रहती हैं इसके बाहरी भाग में एक छोटा दांत होता हैं. बाज की पकड़ बेहद मजबूत होती हैं जो शिकार के नर्वस सिस्टम को उसी वक्त बंद कर देती हैं.

अपने शरीर के आकार से कई गुणा बड़े जीव को यह सरलता से मारकर खा जाता हैं, शेष बचे हुए भोजन को वेस्ट करने की बजाय अपने घोसले में छोड़ देता हैं.

कहा जाता हैं कि बाज मानव के नवजात शिशु का हरण भी कर सकता हैं इससे हम बाज की ताकत और शिकार करने की क्षमता को समझ सकते हैं. शरीर की लम्बाई 13-23 इंच तथा पंख की लम्बाई 29-47 इंच तथा शरीर का वजन लगभग दस किलो होता हैं.

मादा बाज नर बाज की तुलना में बड़ी होती है यह वर्ष में एक बार ३ से ५ अंडे देती हैं. संयुक्त अरब अमीरात का राष्ट्रीय पक्षी जंगली बाज हैं शिकागो शहर का बर्ड ऑफ़ सिटी का सम्मान भी इसे ही प्राप्त हैं.

बाज का जीवन: शाहीन या ईगल के बच्चें की ट्रेनिंग बेहद कठिन और चुनौती भरी होती हैं. जब बाज का बच्चा कुछ महीने का होता है तो मादा ईगल चूजे को पंजों में दबोचकर ऊपर ले उडती हैं.

जिस उंचाई धरातल से १२-१५ किमी जहाँ जहाज उड़ते हैं वहां तक मादा ८ मिनट में अपने बच्चे को ले जाती हैं. और यही से शुरू होता हैं उसके जीवन का पहला अभ्यास.

अचानक एक पल वह १३ किमी की ऊंचाई से चूजे को छोड़ देती हैं जब वह दो किलोमीटर तक निचे आता हैं तो उसे कोई भान नहीं होता है कि उसके साथ क्या घटित हो रहा है मगर जब तक उसके पंख खुलने लग जाते हैं.

धरती से ९ हजार मीटर की उंचाई पर भले ही उनके पंख खुल जाते हैं मगर वह जिस गति से गिर रहा होता हैं अपने पंख तक फडफडा नहीं पाटा हैं जैसे ही वह धरती से ३ किमी दूर रहता हैं उन्हें अपनी विफलता का अहसास होने लगता है तथा १ किमी से कम दूरी होने पर म्रत्यु के दर्शन होने वाले ही होते हैं कि कोई उसे अपने पंजों में पकड़ लेता हैं.

वह मादा बाज ही होती हैं जो अपने बच्चे के साथ ही लेंडिंग कर रही होती हैं मगर उसे अहसास तक नहीं रहता हैं. साहस भरी इस तरह की ट्रेनिंग के बाद ही बाज अपने पंखों के दम पर उड़ पाता हैं.

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