पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Essay on Environmental Pollution In Hindi

नमस्कार,पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution In Hindi प्रदूषण आज के समय में एक ज्वलंत वैश्विक मुद्दा बन चूका है.

पर्यावरण प्रदूषण निबंध आज के इस लेख में हम पर्यावरण प्रदूषण के कारण प्रभाव तथा समाधान के उपायों के साथ साथ जल प्रदूषण रोकने के उपाय,वायु प्रदूषण रोकने के उपाय, प्रदूषण के प्रकार व कारणों के सार रूप में विद्यार्थियों के लिए हिंदी में निबंध उपलब्ध करवा रहे है. सरल भाषा में लिखा गया.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution Hindi

Big Essay on Environmental Pollution In Hindi 500 Words

प्रस्तावना-

पर्यावरण उन सभी दशाओं, प्रणालियों तथा प्रभावों का योग है जो कि जीवो व उनकी प्रजातियों के विकास, जीवन, मृत्यु को प्रभावित करता है. आज पूरा विश्व पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित है.

आज संसार की हर एक वस्तु प्रदूषण से ग्रसित है. यहाँ तक पानी, हवा, मिटटी आदि सभी प्रदूषित हो गये है. जिसके कारण धरती का पर्यावरण प्रदूषित हो गया है और प्राणियों का जीवन अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रहा है. इस तरह आज पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चूका है.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental pollution in hindi)

मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण तीन प्रकार का ही होता है जिसकी तह तक जाने पर इन्हे छ: भागों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है.

जल प्रदूषण (water pollution in hindi)

जल में किसी तरह के जैविक या रासायनिक पदार्थ के मिलने से यदि इसके रंग और गुण में परिवर्तन आ जाए तो उन्हें जल प्रदूषण कहा जाता है. जिससे जल की गुणवता में कमी आ जाती है.

जल प्रदूषण के कारणों में मानव मल या गंदगी का जल स्त्रोतों में मिलाना, जलाशयों के पास स्वच्छता का ध्यान न रखा जाना, औद्योगिक इकाइयों से निष्काषित जल को नदी या नहरों में मिला देना जैसे मुख्य कारण है.

जल प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार व् गैर सरकारी संगठनो द्वारा लोगों में जलाशयों को स्वच्छ रखने, इसमें प्रदूषण फैलाने वाले लोगों/ संस्थानों को चिन्हित कर दंडित किया जाए तो जल प्रदूषण को रोका जा सकता है.

वायु प्रदूषण (air pollution in hindi)

हमारे वायुमंडल में प्रकृति का बनाया एक नैसर्गिक संतुलन है. इस वायुमंडलीय गैसों में 78 फीसदी नाईट्रोजन 21 फीसदी ऑक्सीजन तथा शेष एक प्रतिशत में सभी गैसे विद्यमान है.

तेजी से बढ़ती जनसंख्या तथा तीव्र औद्योगिक विकास जैसे कारणों की वजह से हमारा वायुमंडल दूषित हो रहा है. वाहनों तथा कल कारखानों से निकलने वाली खतरनाक गैसे वायु में सभी गैसों में असंतुलन की स्थति पैदा कर रही है.

प्राणवायु ऑक्सीजन में कमी तथा कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन जैसी गैसों की बढ़ती मात्रा वायु प्रदूषण कहलाती है.

वायु प्रदूषण का प्रभाव को कम करने के लिए वनों की कटाई को रोककर, वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर, अधिक धुआ छोड़ने वाले वाहनों व् फैक्ट्रियो को निलंबित कर इसकी रोकथाम की जा सकती है.

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

कानों को सुनने की एक सिमित मात्रा होती है. कानों को अप्रिय लगने वाली तेज ध्वनियाँ जो शोर और अशांति के माहौल को बनाती है. इस प्रकार की स्थति ध्वनि प्रदूषण कहलाती है. ध्वनि प्रदूषण का सबसे विपरीत प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है.

कानों की सुनने की क्षमता में कमी, चिडचिडापन तथा सिर दर्द की समस्याओ का मूल कारण अत्यधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण है.

इसे रोकने (नियंत्रित) करने के लिए ऐसें सयंत्रो को आबादी से दूर स्थापित करने, सरकार द्वारा निश्चित समय के बाद लाउडस्पीकर के उपयोग पर रोक जैसे प्रभावी कदम उठाए जा सकते है.

भूमि प्रदूषण (Ground pollution)

रसायनिक खादों और उर्वरको के अधिक मात्रा में खेतों में उपयोग से कृषि भूमि के मूल तत्वों में कमी होना ही भूमि प्रदूषण है.

  • प्रकाश प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण

पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Causes Of Environmental Pollution)

वैज्ञानिकों ने अनुसन्धान करके पर्यावरण प्रदूषण के जो कारण गिनाए है, उनमे ये प्रमुख है- निरंतर बढती हुई जनसंख्या, तीव्र गति से होता शहरीकरण, बड़े उद्योगों की स्थापना, परमाणु सयंत्र, जमीन से अत्यधिक मात्रा में खनिज पदार्थो का अत्यधिक दोहन, सड़को एवं बड़े बांधो का निर्माण, पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहनों की अधिकता आदि.

कारखानों से गन्दा पानी नदियों और जलाशयों में गिरकर उन्हें गन्दा कर रहा है. अधिक वाहनों की संख्या के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है. वन निरंतर काटे जा रहे है इस कारण हवा, पानी आदि में प्रदूषण बढ़ रहा है.

गंगा जैसी नदियाँ इन कारणों से गन्दी हो गई है. तथा उनका पानी आज न तो पीने लायक न नहाने लायक रह गया है.

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान (Environmental pollution problems and solutions)

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव बहुत हानिकारक है. इस कारण अब मानव पर अनुवांशिक प्रभाव पड़ने लगा है. आज कई असाध्य रोग ऐसे है जो दूषित जल, हवा व दूषित गैसों के कुप्रभाव से जानलेवा बन गये है.

जल प्रदूषण के प्रभाव से उपजाऊ खेती नष्ट हो रही है. बड़ी बड़ी खानों से निकाले गये खनिज पदार्थो के साथ जो गंदा पदार्थ बाहर निकल रहा है, इससे बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वाहनों की अधिकता से ध्वनि प्रदूषण बड़े पैमाने पर हो रहा है. इससे आदमी के सुनने और समझने की क्षमता निरंतर कम हो रही है. अब तो दिल्ली जैसे नगरों की हवा में श्वास लेना भी कठिन हो रहा है.

पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय (How To Control Pollution In Hindi)

प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अनेक प्रयास कर रहा है. हमारे देश में भी इस दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे है.

जैसे- अधिक से अधिक पौधों को रोपना, गंदे नालों तथा जल मल की सफाई के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना, नदियों-जलाशयों को स्वच्छ रखना, हरित क्षेत्र में विकास करना, दूषित गैसों व रेडियोधर्मिता पर नियन्त्रण, वनों की कटाई को रोकना, खनिज पदार्थो के अत्यधिक दोहन पर रोक लगाना आदि कार्य किये जा रहे है.

इसके अतिरिक्त पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम और जन-जन तक इस संदेश को प्रचारित करने के लिए पर्यावरण दिवस, जनसंख्या दिवस, पृथ्वी दिवस जैसो दिनों का मनाया जाना इस दिशा में अहम कदम है.

इनके अतिरिक्त सरकारों और विभिन्न गैर सरकारी संगठनो द्वारा जनजागरण का कार्य किया जा रहा है.

उपसंहार-

पर्यावरण प्रदूषण की इस समस्या का समाधान सरकार के कह देने भर या इस हेतु दिवसों को मना लेने भर से नही होगा.

इसके लिए आम जनता में इसके प्रति जागरूकता लाना जरुरी है. प्रदूषण फैलाने वाले साधनों या कार्यो पर रोक लगाने से पर्यावरण संतुलन स्थापित किया जा सकता है.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Environmental Pollution Essay In Hindi

(प्रस्तावना)

पर्यावरण उन सभी दशाओं, प्रणालियों तथा प्रभावों का योग है जो की जीवों व उनकी प्रजातियों के विकास, जीवन व् मृत्यु को प्रभावित करता हैं. आज सारा संसार पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं.

आज संसार की प्रत्येक वस्तु प्रदूषण से ग्रस्त हैं. यहाँ तक पानी हवा, मिटटी आदि सभी प्रदूषित हो गये हैं. इसके कारण धरती का पर्यावरण दूषित हो गया हैं और प्राणियों का जीवन अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो रहा हैं. इस कारण पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके पर्यावरण प्रदूषण जो कारण गिनाये है उनमे से प्रमुख है, निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या, तीव्र गति से शहरीकरण, बड़े उद्योगों की स्थापना, परमाणु संयंत्र जमीन से खनिज पदार्थों का अधिक मात्रा में दोहन, सडकों एवं बड़े बांधों का निर्माण, पेंट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहनों की अधिकता आदि.

कारखानों से गन्दा पानी नदियों और जलाशयों में गिरकर उन्हें प्रदूषित कर रहा हैं. वन काटे जा रहे हैं. इन सभी कारणों से हवा, पानी आदि में प्रदूषण बढ़ रहा हैं.

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव अत्यधिक हानिकारक हैं. आज कई असाध्य रोग ऐसे है जो दूषित पानी हवा या दूषित गैसों के कुप्रभाव से जानलेवा बन गये हैं. जल प्रदूषण के प्रभाव से उपजाऊ खेती नष्ट हो रही हैं.

बड़ी बड़ी खानों से निकाले गये खनिज के साथ गंदा पदार्थ बाहर आ जाता है और कारखानों से बड़ी मात्रा में अपशिष्ट निकलता है उससे जल एवं वायु में प्रदूषण बढ़ रहा हैं.

वाहनों की अधिकता से ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा हैं. इनसे आदमी की सुनने समझने की शक्ति कम हो रही हैं.

पर्यावरण सुधार के उपाय

प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन अनेक उपाय कर रहा हैं. हमारे देश में भी अनेक उपाय किये जा रहे हैं.

जैसे अधिक से अधिक पेड़ पौधों को रोपना, जल मल की सफाई के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना, नदियों जलाशयों को स्वच्छ रखना, हरित क्षेत्र का विकास करना, दूषित गैसों एवं रेडियोंधर्मीता पर नियंत्रण रखना, वनों की कटाई रोकना, खनिज दोहन पर रोक लगाना आदि. इसके लिए सरकार और कुछ समाज सेवी लोगों के द्वारा जन जागरण किया जा रहा हैं.

उपसंहार

पर्यावरण प्रदूषण का समाधान केवल सरकार के कहने से नही हो सकता, इसके लिए जनता में जागरूकता जरुरी हैं. प्रदूषण फैलाने वाले साधनों या कार्यों पर रोक लगाने से पर्यावरण में संतुलन स्थापित हो सकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay On Environmental Pollution In Hindi With Headings

प्रस्तावना

आज भारत ही नहीं सारा संसार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से आक्रान्त हैं. वर्तमान में पानी, हवा, रेत मिट्टी आदि के साथ साथ पेड़ पौधे, खेती एवं जीव जन्तु आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं.

बड़े छोटे कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट, परमाणु संयंत्रों की रेडियोधर्मिता, शहरों कस्बों से जल मल के निकास से तथा यातायात के यांत्रिक साधनों के कारण सारा वातावरण दूषित हो रहा हैं.

गैस, धुआं, धुंध, कर्णकटु ध्वनि आदि तरीकों से हर तरह का प्रदूषण देखने को मिल रहा हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष पांच जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता हैं, परन्तु पर्यावरण प्रदूषण कम नहीं हो रहा हैं.

पर्यावरण प्रदूषण का कुप्रभाव

जनसंख्या की अप्रत्याशित वृद्धि होने, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण हरे भरे खेतों, वनों को उजाड़ दिए देने, भूमिगत जलवायु को प्रदूषित करने तथा प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन करने से पर्यावरण प्रदूषण निरंतर बढ़ रहा हैं.

इससे मानव के साथ ही वन्य जीवों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा हैं.  जैविक विकास की क्रिया बाधित हो रही हैं. आनुवांशिक दुष्प्रभाव बढ़ रहा हैं. तथा बाढ़ व भूस्खलन आदि की भी वृद्धि हो रही हैं.

राजस्थान में इसी कारण रेगिस्तान बढ़ रहा हैं. पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक कुप्रभाव मानव सभ्यता पर पड़ रहा है जो कि आगे चलकर इसके विनाश का कारण हो सकता हैं.

धरती के तापमान में वृद्धि तथा असमय ऋतु परिवर्तन होने से प्राकृतिक वातावरण नष्ट होता जा रहा हैं.

प्रदूषण निवारण के उपाय

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदूषण रोकने के अनेक उपाय कर रहा हैं. भारत सरकार द्वारा प्रदूषण निवारण के लिए ये प्रयास किये जा रहे हैं.

  1. शहरों के मल जल के निकास की उचित व्यवस्था की जा रही हैं.
  2. गंगा आदि नदियों को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जा रहा हैं.
  3. पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरण किया जा रहा हैं.
  4. पेड़ पौधों की को रोपने तथा वनों की कटाई को रोकने के उपाय किये जा रहे हैं.
  5. वन संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाए गये हैं.
  6. पर्यावरण प्रदूषण के अन्य कारणों पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा हैं.

उपसंहार

हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. देश में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित पाठ्यक्रम भी लागू किया गया हैं. बड़े उद्योगों में प्रदूषण रोकने के उपाय अपनाने को कहा जा रहा हैं.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं. साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इन सब उपायों से पर्यावरण में संतुलन रखने का प्रयास किया जा रहा हैं.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध In Hindi: अर्थ, कारण, दुष्प्रभाव, उपाय

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ व भूमिका (Meaning and Role of Environmental Pollution)

एनवायरमेंट यानि पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है- चारों ओर का वातावरण, जिसमें हम श्वास लेते है. इसके अंतर्गत वायु, जल, धरती, ध्वनि आदि से युक्त पूरा प्राकृतिक वातावरण आ जाता है.

आज भारत ही नही सारा संसार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से त्रस्त है. वर्तमान में पानी, हवा, रेत मिट्टी आदि के साथ साथ पेड़ पौधे, खेती एवं कर्मी कीट आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हो रहे है.

अनेक उपायों के बिच संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है., परन्तु पर्यावरण प्रदूषण कम होने का नाम ही नही ले रहा है.

प्रदूषण के कारण (Due to pollution)

आज हमारी सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि जिस पर्यावरण में हमारा जीवन पलता है, वही प्रदूषित होता जा रहा है.

बड़े छोटे कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट, परमाणु संयंत्रों से बढ़ने वाली रेडियोधर्मिता, शहरों कस्बों से मल जल निकास तथा यातायात के यांत्रिक साधनों के कारण सारा वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है.

गैस, धुआं, धुंध, कर्ण कटु ध्वनि आदि भी पर्यावरण प्रदूषण के कारण है. प्रदूषण बढ़ने का एक अन्य कारण जनसंख्या की असीमित वृद्धि भी है.

औद्योगिकीकरण, शहरीकरण एवं यातायात सुविधा आदि के लिए खेतों व वनों को उजाड़ा जा रहा है. इससें भी पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है.

पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव (Side effects of environmental pollution)

निरंतर जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण तथा प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन होने से पर्यावरण में निरंतर प्रदूषण बढ़ रहा है. इससे मानव के साथ ही वन्य जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जैविक विकास की क्रिया बाधित हो रही है.

आनुवांशिक दुष्प्रभाव पड़ रहा है. तथा बाढ़ व भूस्खलन आदि की भी वृद्धि हो रही है. राजस्थान में इसी कारण रेगिस्तान बढ़ रहा है. बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक कुप्रभाव मानव सभ्यता पर पड़ रहा है.

जो कि आगे चलकर इसके विनाश का कारण हो सकता है. धरती पर तापमान की वृद्धि तथा असमय ऋतु परिवर्तन होने से प्राकृतिक वातावरण नष्ट होता जा रहा है.

प्रदूषण निवारण के उपाय (Measures for pollution prevention)

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदूषण रोकने के अनेक उपाय कर रहा है. भारत सरकार द्वारा प्रदूषण निवारण के लिए ये प्रयास किये जा रहे है.

  1. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत पेयजल एवं ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रमों पर जोर दिया जा रहा है.
  2. शहरों में मल जल के निकास की उचित व्यवस्था की जा रही रही है.
  3. गंगा आदि नदियों को स्वच्छ रखने के प्रयास किये जा रहे है.
  4. पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरण किया जा रहा है.
  5. पेड़ पौधों को रोपने तथा वनों की अवैध कटाई रोकने के उपाय किये जा रहे है.
  6. वन संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाए गये है.

निष्कर्ष

हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे है. देश में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किया गया है.

बड़े उद्योगों के दूषित अपशिष्टों को जल मल की संशुद्धि के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लागाए जा रहे है. साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे है. इन सब उपायों से पर्यावरण में संतुलन रखने का प्रयास किया जा रहा है.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Pollution Essay In Hindi

वर्तमान समय में हमारा पर्यावरण प्रदूषण की विकराल समस्यासे जूझ रहा हैं. ज्यो ज्यो मानव प्रोद्योगिकी विकास कर रहा हैं. यह समस्या उतनी ही ज्यादा बढ़ रही हैं.

वास्तव में प्रदूषण हैं क्या ? इसके बारे में कहा जा सकता हैं कि वे तत्व जो अपनी अधिकता से वायु, जल, भूमि के भौतिक, रासायनिक अथवा जैव परिलक्षण में अनेपक्षित परिवर्तन करते हैं वे प्रदूषण कहलाते हैं. और अनेपक्षित परिवर्तन ही प्रदूषण हैं.

यह प्रदूषण, प्रदूषको के अत्यधिक जमाव के कारण होता हैं. ये परिवर्तन हमारे संसाधनो की कच्ची सामग्री तथा पर्यावरण को बर्बाद कर रहे हैं या उसका हास्य करते हैं.प्रदूषण का जैविक प्रजातियों सहित मानव पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं.

यह हमारे औद्योगिक विधियों, रहन सहन तथा सांस्कृतिक पूंजी को नुकसान पहुचाता हैं, मनुष्य की क्रियाओ द्वारा वायुमंडल में कई परिवर्तन होते हैं.

आज विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ हमारे जीवन में कई वस्तु के उपयोग में अधिकता व्यापक रूप से बढ़ी हैं.कल-कारखानों से निकलने वाला धुआ, वनों की अंधाधुंध कटाई, विषैली गैसे तथा रेडियों धर्मी गैसों से पर्यावरण प्रदूषण होता हैं.

मनुष्य ने अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए पहाड़ो, वनों तथा नदी नालों का अंधाधुंध उपयोग किया हैं. जिससे हमारे आस-पास की वायु, जल आदि प्रदूषित हो गईं हैं. जिससे हमारे जीवन की कठिनाइयाँ बढ़ गईं हैं.

आज मनुष्य ही नही बल्कि इस प्रदूषित जल, वायु तथा वातावरण का दुष्परिणाम प्राणिमात्र ( जिनमें पशु-पक्षी भी शामिल हैं) पर भी पड़ रहा हैं.

मुख्यत पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव प्रकृति के जिन तत्वों पर पड़ता हैं वे हैं- जल वायु तथा ध्वनि. इन्ही के आधार पर पर्यावरण प्रदूषण को जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण आदि क्षेत्रो में बाटा गया हैं.

उघोग से निकलने वाले गन्दे अपशिष्ट तथा विषैलें कचरे को शहरों कस्बो के पास बहने वाली नदियों में बहाना सबसे ज्यादा घातक हैं, जिससे पानी के शुद्ध के प्राकृतिक स्त्रोत प्रदूषित हो गया हैं.

वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारा वर्षा चक्र प्रभावित हो गया हैं तथा वर्षा की कमी के कारण भूगर्भ के जल स्तर से तेजी से गिरावट हो गईं हैं. जो पानी नलकूपों आदि से 400-500 फुट की गहराई से लिया जा रहा हैं,

वह न मनुष्यों के लिए उपयोगी रहा और ना ही कृषि के लिए. फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा ने पानी को और अधिक प्रदूषित कर दिया हैं.

वायु मंडल में ध्वनि तरंगो का अधिक शोर, शादी विवाह के अवसरों पर बजने वाले लाउडस्पीकरो, भौपुओ, कारखानों तथा बड़ी मशीनों से निकलने वाली ध्वनि तरंग मनुष्य में चिडचिडापन बहरापन तथा स्वभाव में उतेजना पनपाने का काम कर रही हैं जिससे लोगों में रक्तचाप, मधुमेह, मानसिक तनाव जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं.

इसलिए पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए पहला कार्य तो हमे यह करना चाहिए कि हम इस समस्या को ठीक से पहचाने. साथ ही प्रदूषण के मुख्य कारकों व कारणों को चिन्हित करे. जिससे उनका सीधा समाधान निकाला जा सके.

वनों की कटाई रोकने के साथ ही आस-पास नये पेड़-पौधे लगाकर तथा हरियाली को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना सकते हैं. कल-कारखानों के अपशिष्ट तथा कचरे का अन्यत्र प्रबंध किया जाना चाहिए जिससे नदियों का जल प्रदूषित ना हो.

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर निबंध

भूमि, जल, वायु, आकाश, वृक्ष, नदी, पर्वत यही सब मिलकर बनाते हैं- पर्यावरण. इन्ही के बिच मनुष्य आदिकाल से रहता चला आ रहा हैं.

पर्यावरण मनुष्य को प्रकृति का अमूल्य वरदान हैं. लेकिन वैज्ञानिक प्रगति के मंद में मत मानव ने प्रकृति को अपनी दासी बनाने के अभियान में अपार हानि पहुचाई हैं.

प्रदूषण क्या हैं- दूषण का अर्थ दोषयुक्त होना हैं. प्र उपसर्ग लगने से दूषण की अत्याधिकता व्यक्त होती हैं. आजकल प्रदूषण शब्द का प्रयोग एक विशेष अर्थ में लिया जा रहा हैं. पर्यावरण के किसी अंग को, किसी भी प्रकार से मलिन या दूषित बनाना ही प्रदूषण हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

जल प्रदूषण- जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुआँ, तालाब, नदी तथा वर्षा का जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. औद्योगिक प्रगति के कारण उत्पन्न हानिकारक कचरा और रसायन इन जल स्रोतों को दूषित कर रहे हैं.

वायु प्रदूषण- आज शुद्ध वायु मिलना कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं.

खाद्य प्रदूषण- प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज प्रदूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मासाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नही बच सकता.

ध्वनि प्रदूषण– आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों यंत्रों और ध्वनिविस्तारकों का शोर, सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हैं.

प्रदूषण रोकने के उपाय– प्रदूषण रोकने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. आजकल हमारी सरकार औद्योगिक कचरे से बायो ऊर्जा बनाकर इसके निस्तारण को प्रबल कर रही हैं.

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति तभी मिलेगी जब वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए. हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने. रेडियो टेप रिकॉर्डर तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए.

उपसंहार- यदि प्रदूषण पर समय रहते नियंत्रण नही किया गया तो आदमी अशुद्ध जल वायु भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गंभीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

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आशा करता हूँ दोस्तों पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध आपको अच्छा लगा होगा, यदि आपकों Essay on Environmental Pollution In Hindi का यह निबंध भाषण पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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