सुनार पर निबंध | Essay on Goldsmith in Hindi

Short Essay on Goldsmith in Hindi Language: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम सुनार पर निबंध बता रहे हैं. यह भारत की प्राचीनतम व्यावसायिक जातियों में से एक हैं, इन्हें स्वर्णकार भी कहा जाता है.

जो सोने को बेचने खरीदने के अतिरिक्त इसके गहने, आभूषण व धार्मिक कार्यों में प्रयुक्त चिह्न भी बनाते हैं. आज के निबंध में हम सुनार के इतिहास, जाति के उद्भव इनके कार्य आदि पर स्पीच, अनुच्छेद, लेख, पैराग्राफ यहाँ सरल भाषा में बता रहे हैं.

Essay on Goldsmith in Hindi

Essay on Goldsmith in Hindi

400 शब्द

प्राचीनकाल से भारतीय समाज में सुनारी व्यवसाय का महत्वपूर्ण स्थान रहा हैं. मुख्य रूप से भारतीय स्त्रियों की आभूषण प्रियता इस व्यवसाय का केंद्र रही हैं. सदियों से सोनार या स्वर्णकार गहने एवं आभूषण बनाने का कर्म करते हैं.

इस व्यवसाय में सोने तथा चाँदी के कलात्मक एवं जड़ित रत्न या आभूषण बनाए जाते हैं. सुनार जाति के लोग इस व्यवसाय के साथ साथ कृषि एवं व्यापार में भी रत रहे हैं.

कहा जाता है कि सुनार भारत के आरम्भिक मूलनिवासियों में से एक हैं. जिनके पूर्वज क्षत्रिय बताए जाते हैं. इस कारण बहुत से लोग स्वयं को क्षत्रिय सुनार भी कहते हैं.

सुनार शब्द की व्युत्पत्ति की बात की जाए तो यह मूलतः संस्कृत शब्द स्वर्णकार का अपभ्रंश रूप हैं. जिसका आशय होता है सोने जैसी वस्तु या फसल को उत्पादित करने वाला.

वैदिक काल में कुछ स्वर्णकार के उदाहरण मिलते हैं. सम्भवतः निर्माण कला से जुड़े इन लोगों की पुश्तों ने अपनी जाति के व्यवसाय के रूप में यह कार्य अपना लिया तथा स्वयं को सुनार कहा गया.

सुनार जाति के इतिहास और इसके जन्म को लेकर एक कहानी लोकप्रचलन में हैं. जिसके अनुसार कहा जाता हैं जब परशुराम ने सभी क्षत्रियो को मौत के घाट उतार दिया तो दो राजपूत क्षत्रिय बसे जिन्हें एक ब्राह्मण ने अपने घर रखकर बचा लिया, उन्हें मैढ बता दिया.

उन्ही दो क्षत्रियों में से एक ने स्वर्ण कारीगरी का कार्य सीख लिया तथा कोई यह राज न जान पाए इसलिए दूसरे ने खत्री के व्यवसाय को अपना लिया. आगे चलकर कई सुनारों ने आभूषण बनाने के कर्म का त्याग कर कृषि व अन्य व्यवसायों को करने लगे, जो आज भी जारी हैं.

सुनार को एक दक्ष एवं चतुर व्यापारी माना गया हैं. वह अभ्यास से आभूषण बनाने की कला को सीखता है तथा इसी से अपने जीवन का निर्वहन करता हैं. आज भी गाँवों एवं शहरों में इनके हाट अर्थात ज्वेलरी शॉप बने हैं.

एक लेखक के अनुसार भारत में सुनार जाति के लोगों की संख्या 17 करोड़ के आसपास हैं. ये आकंडे भले ही अप्रमाणित हो मगर भारत में सुनार जाति का समाज में अहम स्थान है तथा देश के प्रत्येक राज्य में इनकी बड़ी जनसंख्या निवास करती हैं.

अधिकतर सुनार व्यवसाय से जुड़े लोग आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं. उन्हें कुछ लाभ सोने की कीमत तथा कुछ आभूषण बनाने के कर्म में मिलता हैं.

आजकल सुनार कर्म किसी जातीय बंधन में बंधकर नहीं रहा हैं. इसमें सभी जातियों के दक्ष लोग व्यवसाय कर रहे हैं. बड़े शहरों में ज्वेलरी निर्माण का प्रशिक्षण देने वाले भी कई संस्थान खुल चुके हैं.

सुनार पर निबंध 700 शब्द

सुनार का काम जिस समुदाय के द्वारा किया जाता है उसे ही सुनार कहते हैं। सुनार सोने और चांदी के गहनों को बनाने का काम करते हैं। सुनार चांदी अथवा सोने की धातु को पिघला करके उसके द्वारा नए-नए आभूषण तैयार करते हैं।

कहा जाता है कि सुनार के पूर्वज पहले क्षत्रिय थे। सुनार बहुत ही चतुर चालाक होते हैं क्योंकि उनका काम ही ऐसा होता है कि अगर वह चलाकी ना करें तो वह नुकसान खा बैठे ।

अपनी कला और अपनी चतुराई के द्वारा सुनार सुंदर-सुंदर आभूषणों का निर्माण करते हैं जिन्हें पहनकर के लोग काफी खुश होते हैं। सुनार को अंग्रेजी भाषा में गोल्डस्मिथ कहा जाता है और संस्कृत भाषा में सुनार को स्वर्णकार कहा जाता है।

वैदिक काल से लेकर के वर्तमान तक सुनार सोने और तांबे तथा पीतल और चांदी की धातुओं से संबंधित कामों को कर रहे हैं। सुनार बड़े पैमाने पर भारत के ग्रामीण इलाकों में पाए जाते हैं। इसके अलावा शहरी इलाकों में भी सुनार की मौजूदगी होती है जिन्हें अंग्रेजी में ज्वैलर कहा जाता है।

अगर हम वैदिक काल की बात करे तो वैदिक काल में सुनार के कई उदाहरण हमें सुनने में आते हैं। सुनार कला के इतने माहिर होते हैं कि यह अपनी मेहनत और कला के दम पर सोने चांदी के बर्तन सरलता से बना लेते हैं।

इसके अलावा सरलता से सोने चांदी की धातु के द्वारा अलग-अलग डिजाइन के गहनों का भी निर्माण कर लेते हैं। सुनार जाति का मुख्य व्यवसाय ही खेती करना और आभूषण बनाना है। हमारे देश में सुनार जाति की कुल जनसंख्या तकरीबन 14 से 15 करोड़ के आसपास में है।

सुनार की सुनारी की कला की हमारे द्वारा जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है। एक सुनार सोने की धातु को पिघलाकर के नए आभूषण तैयार करता है।

इसके अलावा वह किसी धातु में टांका लगाता है, धातु की फोर्जिंग करता है,कास्टिंग करता है और चांदी की धातु को भी चमकाने का काम करता है।

सुनार सोने और चांदी के आभूषणों का व्यापार करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करता है। प्राचीन काल में सुनार राजा महाराजाओं के गहने ही अधिकतर तैयार करते थे परंतु वर्तमान के समय में सुनार के द्वारा छोटे से लेकर के मिडिल क्लास और बड़े लोगों के गहने भी बनाए जा रहे हैं।

शहरों में रहने वाले आधुनिक सुनार अब लोगों को किस्तों पर भी सोने और चांदी के गहने देने लगे हैं। इसके अंतर्गत वह लोगों से गहने की आधी पेमेंट पहले ही हासिल कर लेते हैं और उसके पश्चात हर महीने अपने ग्राहक से गहने की किस्त प्राप्त करते हैं।

इस प्रकार से जो लोग सोने और चांदी के गहने खरीदने के शौकीन होते हैं उन्हें बिना एक साथ अधिक पैसे दिए हुए गहने भी प्राप्त हो जाते हैं साथ ही सुनार के आभूषण भी बिक जाते हैं।

शहरों में रहने वाले सुनारों को ज्वैलर कहा जाता है जो किसी बड़ी दुकान में अपने सोने और चांदी की दुकान को खोल करके बैठते हैं और वहीं से अपने व्यापार का संचालन करते हैं।

इसके अलावा भारत के ग्रामीण इलाके में रहने वाले सुनार किसी छोटी दुकान से अपने व्यवसाय को चलाते हैं साथ ही वह गांव गांव जाकर के भी लोगों को नए-नए डिजाइन के आभूषण दिखाते हैं और अपने आभूषणों की बिक्री करते हैं।

सुनार ना सिर्फ नए सोने चांदी के आभूषणों को बेचते हैं बल्कि वह पुराने सोने चांदी के आभूषणों को खरीदते भी हैं और फिर खरीदे गए आभूषणों को गला करके वह उसके द्वारा नए डिजाइन के आभूषण तैयार करते हैं और फिर से उसे अपने ग्राहकों के हाथों बेच देते हैं।

इस प्रकार से सुनार हर प्रकार से फायदा लेने का प्रयास करते हैंल सुनार आभूषण बनाने के पश्चात लोगों से आभूषण बनाने का चार्ज भी लेते हैं साथ ही आभूषण की पूरी कीमत भी लेते हैं।

सुनार जाति के लोग हर साल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं। यह अपनी कला के दम पर गिलट के गहनों पर सोने की परत अथवा चांदी की परत चढ़ाते हैं.

जब यह ऐसा करते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे वास्तव में गिलट सोना बन गया है क्योंकि गिलट की चमक बिल्कुल चांदी अथवा सोने जैसी ही दिखाई देती है।

सुनार सोने और चांदी की शुद्धता को खरीदने के लिए अब मशीन भी रखते हैं और उसके द्वारा ही आभूषण के दाम को तय करते हैं।

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