हड़प्पा सभ्यता पर निबंध | Essay On Harappan Civilization In Hindi

हड़प्पा सभ्यता पर निबंध Essay On Harappan Civilization In Hindi: संसार की सर्वाधिक प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भी एक हैं. सिंधु घाटी का एक महत्वपूर्ण स्थल हड़प्पा है जो वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के साहिवाल शहर के क्षेत्र में आता हैं.

हड़प्पा सभ्यता पर निबंध | Essay On Harappan Civilization In Hindi

हड़प्पा सभ्यता पर निबंध | Essay On Harappan Civilization In Hindi

पाकिस्तान में स्थित यह स्थल सिन्धु सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल हैं. जहाँ से सिन्धुकालीन समाज के अवशेष प्राप्त हुए है इस शहर को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता हैं.

पहली बार वर्ष 1921 में जॉन मार्शल के निर्देशन में दयाराम साहनी के द्वारा इस स्थल की खोज की गई थी. हड़प्पा शहर के अधिकतर उत्खनन क्षेत्र का विध्वंस रेलवे लाइन के निर्माण के चलते हुए हैं. 

इस स्थल की खुदाई में शामिल मुख्य इतिहासकारों में दयाराम साहनी, माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर शामिल थे. आज के निबंध स्पीच में हम हड़प्पा सभ्यता के इतिहास, समाज, जीवन पतन के कारण आदि जानेगे.

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार क्षेत्र (harappa civilization extension area)

हड़प्पा सभ्यता एक विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई थी. इस सभ्यता के अवशेष केवल मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा से ही नहीं अपितु अन्य स्थानों से भी प्राप्त हुए हैं जो निम्न हैं.

  1. बलूचिस्तान– सुत्क्गेंदोर, सुत्काकोह, बालाकोट, डाबरकोट
  2. सिंध- मोहनजोदड़ो, चन्हूदडों, कोटदीजी, अली मुरीद
  3. पंजाब पाकिस्तान– हड़प्पा, जलीलपुर, रहमानढेरी, सरायखोला, गनेरीवाल
  4. पंजाब भारत– रोपड़. संधोल, बाड़ा, कोटलानिहंग खान
  5. हरियाणा– बनावली, मीताथल, राखीगढ़ी
  6. जम्मू कश्मीर– मांडा
  7. राजस्थान– कालीबंगा
  8. उत्तर प्रदेश- आलमगीरपुर, अम्बाखेड़ी, कौशाम्बी
  9. गुजरात– रंगपुर, लोथल, रोजदी, सुरकोटड़ा, मालवण, भगवतराय, धौलावीर
  10. महाराष्ट्र– दाइमाबाद

इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, गंगाघाटी तक फैली हुई थी. डॉ विमलचंद पाण्डेय के अनुसार इस सभ्यता के क्षेत्र के अंतर्गत बलूचिस्तान, उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त, पंजाब, सिंध, काठियावाड़ का अधिकांश भाग राजपूताना एवं गंगाघाटी का उत्तरी भाग शामिल था.

प्रो रंगनाथ राव के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण 1100 किलो मीटर के क्षेत्र में था. डॉ राजबली पाण्डेय का कथन है कि हड़प्पा सभ्यता पूर्व में काठियावाड़ से प्रारम्भ होकर पश्चिम में मकरान तक फैली हुई थी.

प्रो गार्डन चाइल्ड के अनुसार सिन्धु घाटी की सभ्यता मिस्र से भी अधिक विस्तृत फैली हुई थी. हड़प्पा की सभ्यता वर्तमान में ज्ञात भौगोलिक विस्तार लगभग 15 लाख वर्ग किलोमीटर हैं.

हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख पुरास्थल (Major Harappan sites In Hindi)

  • हड़प्पा– 1920 में दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स के नेतृत्व में हड़प्पा में खुदाई का काम शुरू किया गया. हड़प्पा पश्चिमी पंजाब के मांटोगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है. यहाँ के अन्नागार, मजदूर बस्तियां मुहरें, मूर्तियाँ उपकरण आदि मिले हैं.
  • मोहनजोदड़ो– 1922 में राखालदास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो में खुदाई का कार्य किया गया. मोहनजोदड़ो सिंध के लरकाना जिले में स्थित हैं.
  • कालीबंगा– सर्वप्रथम 1951 में अमलानन्द घोष ने कालीबंगा की खोज की. कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित हैं.
  • लोथल– 1954 में रंगनाथ राव ने लोथल की खोज की थी. लोथल गुजरात प्रान्त के अहमदाबाद जिले के धोलुका तालुका में स्थित है. यहाँ से एक गोदी बाड़ा के अवशेष मिले हैं.
  • रंगपुर– रंगपुर गुजरात में स्थित है. यहाँ से उपकरण, मिट्टी क्र बर्तन बाट आदि मिले हैं.
  • धौलावीर– धौलावीर गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में स्थित है. यहाँ से अनेक जलाशय, एक विशाल स्टेडियम, प्राचीन द्वार आदि के अवशेष मिले हैं.
  • मीताथल– यह हरियाणा के भिवानी जिले में स्थित हैं. यहाँ से पत्थर के बाट, मिट्टी के बर्तन, खिलौने, गाड़ी के पहिये आदि मिले हैं.
  • राखीगढ़ी– यह हरियाणा के हिसार जिले में स्थित हैं. यहाँ से दुर्ग, प्राचीर, अन्नागार, अग्नि वेदिकाएँ, गोलियाँ, मूर्तियाँ मनके आदि मिले हैं.
  • बनावली– यह हरियाणा में फतेहाबाद जिले में स्थित हैं. यहाँ से मिट्टी के बर्तन, अग्नि वेदिकाएँ, गोलियाँ, मूर्तियाँ, मनके आदि मिले हैं.
  • रोपड़– यह पंजाब में स्थित हैं. यहाँ से मकान, कब्रिस्तान, मिट्टी के बर्तन आदि मिले हैं.
  • संघोल– यह पंजाब के लुधियाना जिले में स्थित हैं. यहाँ से भी सिंध सभ्यता की सामग्री मिली हैं.
  • बाड़ा– यह रोपड़ के समीप स्थित है. यह नगर भी हड़प्पा सभ्यता का केंद्र था.
  • आलमगीरपुर– यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हैं.

हड़प्पा सभ्यता की कलाएं (Arts of Harappan Civilization in Hindi)

मूर्तिकला– हड़प्पा निवासी मूर्तिकला में बड़े निपुण थे, मूर्तियाँ पत्थर, सोना, चाँदी, पीतल, तांबे, कास्य आदि बनाई जाती थीं. हड़प्पा से प्राप्त पत्थर की बनी हुई दो मूर्तियाँ, मोहनजोदड़ो से प्राप्त कांसे की बनी हुई नर्तकी की मूर्ति अत्यंत सुंदर और सजीव हैं. हड़प्पा से प्राप्त कूबड़दार बैल की मूर्तियाँ भी बड़ी सुंदर हैं.

मुहर निर्माण कला– हड़प्पा निवासी मुहर निर्माण कला में भी निपुण थे. मुहरों पर अनेक पशु पक्षियों के चित्र अंकित हैं. एक मुहर पर शिव की मूर्ति अंकित हैं. कुछ मुहरों पर लेख मिले हैं.

चित्रकला– खुदाई में अनेक बर्तन तथा मुहरों पर चित्र मिले हैं अत्यंत सजीव हैं. सांड तथा बैल के चित्र बड़े चिंताकर्षक हैं. चित्रों में वृक्षों पर पशु पक्षियों के चित्र उल्लेखनीय हैं.

मिट्टी के बर्तन बनाने की कला– मिट्टी के बर्तन कुम्हार के चाक पर बनाए जाते थे तथा उन्हें भट्टियों पर पकाया जाता था. बर्तनों के ऊपर अलंकरण भी किया जाता था. अधिकांश बर्तनों पर पशु पक्षियों के चित्र हैं.

नक्काशी की कला– खुदाई में अनेक धातुओं के बर्तन तथा मुहरें मिली हैं, उन पर खुदाई या पच्चीकारी का सुंदर काम किया हुआ हैं.

धातु कला- हड़प्पा निवासी सोने चाँदी, तांबे आदि के सुंदर आभूषण बनाते थे. ये लोग धातुओं की मूर्तियों का भी निर्माण करते थे, धातुओं के बर्तनों पर नक्काशी की जाती थी.

संगीत नृत्य कला– हड़प्पा निवासी संगीत तथा नृत्यकला से भी परिचित थे. खुदाई में तबला, ढोल आदि संगीत सम्बन्धी उपकरण मिले हैं.

गुरियाँ मनके निर्माण कला– हड़प्पा निवासी मिट्टी, पत्थर, हाथीदांत, सोना, चाँदी आदि की गुरियाँ बनाते थे. ये गुरियाएँ आभूषणों के बीच बीच में डाली जाती थी, चन्हूदडों में गुरियाएँ बनाने का एक कारखाना था.

लेखन कला– फादर हेरास हड़प्पा लिपि को द्रविड़ तथा प्राणनाथ सिन्धु लिपि को ब्राह्मी लिपि मानते हैं. फतेहसिंह के अनुसार हड़प्पा निवासियों की भाषा प्रतीकात्मक व वैदिक संस्कृति के निकट हैं.

अधिकांश विद्वानों के हड़प्पा लिपि भाव चित्रात्मक हैं. इसमें प्रत्येक चिन्ह एक शब्द का द्योतक हैं. अभी तक हड़प्पा लिपि के लगभग 419 चित्रों की पहचान की जा चुकी हैं. कुछ विद्वानों के अनुसार यह लिपि दाहिनी ओर से बायीं ओर लिखी जाती थी.

हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं (Characteristics of Harappan Civilization in Hindi)

  • कांस्य सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता कांस्यकाल की सभ्यता है. इसमें कांस्य काल की सर्वश्रेष्ठ विशेषताएं दिखाई देती हैं.
  • नगर प्रधान सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता एक नगर प्रधान सभ्यता थी. विशाल नगरों, पक्के भवनों, सुव्यवस्थित सड़कों, नालियों, स्नानागारों के निर्माता हड़प्पावासियों ने एक गौरवपूर्ण सभ्यता का निर्माण किया.
  • व्यापार प्रधान सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता एक व्यापार प्रधान सभ्यता थी. हड़प्पा सभ्यता का व्यापार अत्यंत उन्नत था. हड़प्पा वासियों के सुमेरिया, ईरान, अफगानिस्तान, मिस्र आदि से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित थे.
  • औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता एक औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता थी. हड़प्पा निवासियों का आर्थिक जीवन औद्योगिक विशिष्टीकरण तथा स्थानीयकरण पर आधारित था.
  • शान्ति प्रधान सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता शांति प्रधान सभ्यता थी. हड़प्पा निवासियों का जीवन शांतिपूर्ण था. खुदाई में कवच, ढाल, टोप आदि हथियार नहीं मिले हैं.
  • समष्टिवादिनी– हड़प्पा सभ्यता समष्टिवादिनी थी, विशाल सभा भवन, विशाल स्टेडियम तथा सार्वजनिक स्नानागारों के अवशेष हड़प्पा निवासियों के सामूहिक जीवन के परिचायक हैं. यहाँ खुदाई में राज सामग्री के स्थान पर सार्वजनिक सामग्री ही मिली हैं.
  • द्विदेवतामूलक सभ्यता– हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत धर्म द्विदेवतामूलक था. हड़प्पा निवासी परम पुरुष तथा परम नारी की उपासना करते थे.
  • लेख, माप तोल की जानकारी– हड़प्पा निवासियों को लिपि, माप तोल आदि जानकारी थी.
  • सुनियोजित नगर योजना– सुनियोजित नगरों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की एक अन्य आधारभूत विशेषता थी. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगरों हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा आदि की नगर योजना प्रायः समान हैं. यह नगर योजना दो ऊंचे टीलों पर केन्द्रित थी. एक टीला ऊंचा था तथा दूसरा नीचा. ऊंचे टीले पर गढ़ी होती थी और नीचे टीले पर मुख्य नगर. गढ़ी और नगर के चारों ओर एक चहारदीवारी होती थी, यह सुरक्षा प्राचीर थी.

हड़प्पा सभ्यता की भारतीय सभ्यता को देन (Contribution of Harappan civilization to Indian civilization)

सुनियोजित नगर योजना– सुनियोजित नगरों का निर्माण हड़प्पा की एक प्रमुख देन हैं. चौड़ी सड़कों का निर्माण, गंदे पानी के निष्कासन के लिए नालियों का निर्माण, नगरों में सफाई और रोशनी की व्यवस्था, सार्वजनिक स्नानागार, विशाल स्टेडियम, विशाल जलाशय आदि हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं हैं.

आज के भवनों, उद्यानों, स्नानागारों एवं भवन निर्माण कला पर हड़प्पा सभ्यता का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं.

कला के क्षेत्र में प्रभाव– हड़प्पा सभ्यता की स्थापत्य कला तथा मूर्तिकला के अनेक तत्वों ने परवर्ती भारतीय कला को प्रभावित किया. हड़प्पा सभ्यता काल में निर्मित दुर्गों और सुरक्षा प्राचीरों के आधार पर बाद में काल में उनका अनुसरण किया गया.

सामाजिक जीवन में प्रभाव– भारतीयों के सामाजिक जीवन पर आज भी हड़प्पा सभ्यता का प्रभाव देखा जा सकता हैं हड़प्पा निवासियों की भांति आज भी भारतीय स्त्री एवं पुरुष दोनों ही आभूषणों का प्रयोग करते हैं.

आज भी भारतीय स्त्रियाँ श्रृंगार प्रसाधनों का प्रयोग करती हैं. हड़प्पा निवासी जिस प्रकार मृतकों का दाह संस्कार करते थे, उसी प्रकार आज भी किया जाता हैं.

आर्थिक जीवन पर प्रभाव– हड़प्पा निवासियों ने ही सर्वप्रथम कपास के धान की खेती शुरू की. उन्होंने ही मध्य एवं पश्चिम एशिया के साथ भारत के सामुद्रिक व्यापार की नींव डाली थी. उनका आंतरिक एवं विदेशी दोनों प्रकार का व्यापार उन्नत था.

धार्मिक जीवन पर प्रभाव– हड़प्पा सभ्यता का सबसे अधिक प्रभाव भारतीयों के धार्मिक जीवन पर देखा जा सकता हैं. हड़प्पा निवासियों की भांति आज भी भारतवासी शिव, मातृदेवी, तुलसी, पीपल आदि की पूजा करते थे.

हड़प्पा निवासी पशु पक्षियों तथा वृक्षों की पूजा करते थे. आज भी भारतवासी गाय, बैल, नाग, पीपल, तुलसी आदि की पूजा करते थे. हड़प्पा सभ्यता की अग्निवेदिकाओं से याज्ञिक अथवा धार्मिक अनुष्ठानों की परम्परा विकसित हुई प्रतीत होती हैं.

हड़प्पा निवासियों की भांति आज भी भारतवासी योग को महत्व देते हैं शिव और शिवलिंग की पूजा, जादू टोना, मंत्र तंत्र, धुप दीप, मूर्तियों की पूजा आदि बातें हिन्दू धर्म में हड़प्पा सभ्यता से ही आई हैं.

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण (causes of decline of harappan civilization in hindi)

जलवायु परिवर्तन– कुछ विद्वानों का मत है कि सिन्धु नदी के मार्ग बदलने और जलवायु परिवर्तन से हड़प्पा सभ्यता नष्ट हो गई.

पर्यावरण का सूखा होना– हड़प्पा निवासी तांबे तथा कांसे के उत्पादन के लिए इटें पकाने के लिए बहुत अधिक लकड़ी जलाते थे. जिससे निकटवर्ती जंगल तथा वन नष्ट हो गये और भूमि की नमी कमी हो गई.

बाढ़ों का प्रकोप– कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु नदी की बाढ़े इस सभ्यता के विनाश के लिए उत्तरदायी थी. मोहनजोदड़ो नगर की खुदाई से प्रतीत होता है कि यह नगर सात बार बसा और उजड़ा हैं. इस प्रकार निरंतर आने वाली बाढ़ से हड़प्पा से हड़प्पा सभ्यता स्वतः नष्ट हो गई होगी.

विदेशी आक्रमण– कुछ विद्वानों का विचार है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हड़प्पा प्रदेश पर आक्रमण करके अपना अधिकार कर लिया था. सम्भवतः ये आक्रमणकारी आर्य थे.

पिगट एवं व्हीलर के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का विनाश आर्यों के आक्रमण से हुआ. आर्य हड़प्पा निवासियों की अपेक्षा अधिक कुशल यौद्धा थे.

हड़प्पा नगरों का समुद्र तट से दूर होना– डेल्स के अनुसार समुद्र तटीय भूमि के सतत ऊपर उठने, नदियों द्वारा लाइ गई मिट्टी के जमाव से उनके मुहाने अवरुद्ध होने आदि प्राकृतिक कारणों से हड़प्पा के अनेक नगर समुद्र तट से दूर होते चले गये.

परिणाम स्वरूप हड़प्पा के नगरों की व्यापार प्रगति अवरुद्ध हो गई और उनकी सम्पन्नता नष्ट हो गई.

आर्द्रता की कमी– घोष के अनुसार कुछ स्थानों पर आर्द्रता की कमी तथा भूमि की शुष्कता के कारण भी हड़प्पा की सभ्यता का अंत हुआ. सरस्वती नदी के सूखने के कारण इस क्षेत्र में रेगिस्तान का प्रसार हुआ और वहां के निवासी दूसरे स्थानों पर चले गये.

प्रशासनिक शिथिलता– धीरे धीरे हड़प्पा सभ्यता का शासन शिथिल पड़ गया. नगरों का प्रशासन ढीला हो गया. सड़कों और नालियों पर अतिक्रमण होने लगा और लोगों ने सड़कों पर अपनी दुकानें और व्यापारिक संस्थान स्थापित किये.

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