यदि मैं अध्यापक होता तो निबंध | Essay on If I Were a Teacher in Hindi Language

Essay on If I Were a Teacher in Hindi Language यदि मैं अध्यापक होता तो निबंध: शिक्षक अध्यापक गुरु का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान हैं.

if I were a teacher essay in Hindi अर्थात यदि मैं शिक्षक बना होता तो यह हिंदी निबंध स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में लिखा गया हैं.

यदि मैं अध्यापक होता इस निबंध में हम जानेगे कि बालक  के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व होता हैं अध्यापक के क्या लक्ष्य व उद्देश्य होने चाहिए आदि.

यदि मैं अध्यापक होता तो निबंध | Essay on If I Were a Teacher in Hindi

यदि मैं अध्यापक होता तो निबंध | Essay on If I Were a Teacher in Hindi

अध्यापक और समाज का घनिष्ठ सम्बन्ध होता हैं. किसी भी समाज व राष्ट्र की उन्नति उस देश के आदर्श, सुयोग्य तथा चरित्रवान अध्यापकों पर निर्भर करती हैं. अध्यापक को राष्ट्र का निर्माता समझा जाता हैं. एक अध्यापक की तुलना हम सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से भी कर सकते हैं.

जैसे ब्रह्मा का कार्य संसार के प्रत्येक प्राणी और पदार्थ को बनाया हैं. उसी प्रकार उन सब बने हुए मनुष्यों को संसार के व्यवहार के योग्य बनाना हैं, सजा संवार कर प्रस्तुत करना एक आदर्श अध्यापक का कार्य हैं. इन सभी कार्यों को भली प्रकार पूर्ण करने के लिए अध्यापकों को सुयोग्य चरित्रवान तथा कर्तव्य परायण होना चाहिए.

हमारे देश में प्राचीन काल में प्रायः आदर्श अध्यापक होते ही थे तथा उन्हें ही अध्यापन का कार्य सौपा जाता था ऐसे अध्यापकों का जीवन स्वार्थ तथा लोभ से दूर रहता था. उनका जीवन तपोमय तथा ह्रदय विशाल होता था. परन्तु आज हमें इसके विपरीत स्थिति दिखाई देती हैं.

आज के अध्यापक में ऐसा कर पाने का गुण व शक्ति नहीं रह गई हैं. उनकी मनोवृत्ति आम व्यावसायियों और दुकानदारों जैसी हो गई हैं. जिनका मुख्य लक्ष्य धन कमाना होता हैं.

यह बहुत खेद की बात हैं हमे अपनी विचारधारा में परिवर्तन कर आदर्श जीवन अपनाना चाहिए, क्योंकि आदर्श अध्यापक ही राष्ट्र का सच्चा गुरु होता हैं तथा मानव जीवन को ऊँचा उठाता हैं.

आदर्श अध्यापक में अनेक गुण विद्यमान होते हैं. वह प्रत्येक विद्यार्थी के साथ प्रेम का व्यवहार करता हैं. वह दीन दुखी तथा असहाय विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार सहायता करना अपना कर्तव्य समझता हैं.

वह सच्चे अर्थों में विद्वान् होता हैं. जिसे अपनी विद्वता पर अहंकार नहीं होता हैं. उसको अपने विद्यार्थियों के सम्मुख एक एक पग आदर्श का होता हैं. वह सदैव अपने विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में अपना जीवन लगा देता हैं. उसका ह्रदय परोपकारी होता हैं.

आदर्श अध्यापक कभी भी अपने कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होता हैं. वह समाज व राष्ट्र को ऐसी सम्पति प्रदान करता हैं जिसे पाकर उस समाज व राष्ट्र के प्राणी युगों तक शान्ति व आनन्द प्राप्त करते रहते हैं.

परन्तु खेद हैं की आज के युग में ऐसे आदर्श अध्यापक बड़ी कठिनाई से मिलते हैं. परन्तु जिन राष्ट्रों तथा समाजों को ऐसे अध्यापक मिल जाते हैं वे सौभाग्यशाली होते हैं.

यदि मै अध्यापक (शिक्षक) होता निबंध

चाहे कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा आदमी क्यों न बन जाए, उसे वहां तक पहुंचने की प्रेरणा देने वाला एक अध्यापक ही होता है क्योंकि अध्यापक ही अध्ययन काल के दरमियान विद्यार्थियों को जीवन में सफल होने की प्रेरणा देता है।

अध्यापक विद्यार्थियों को एजुकेशन देता है और एक सही अध्यापक वही होता है जो विद्यार्थियों को हमेशा सही कार्य करने की शिक्षा दें।

यदि मैं अध्यापक होता तो मैं हमेशा बच्चों को ज्ञानवान बनाने के बारे में सोचता। वर्तमान के समय में ऐसे कई अध्यापक हैं जो सिर्फ पैसे कमाने के उद्देश्य से ही पढ़ाने का काम करते हैं और उसमें भी ऐसे काफी कम लोग ही हैं जो बच्चों को सही शिक्षा देते हैं। 

कई अध्यापक अपने कर्तव्यों का सही प्रकार से पालन नहीं करते हैं। अगर मैं अध्यापक होता तो मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं करता। अध्यापक होने के नाते मेरी यह जिम्मेदारी है कि अगर मैं तनख्वाह ले रहा हूं तो उसका मैं हक भी अदा करूं और विद्यार्थियों को सही शिक्षा दू।

अगर मैं अध्यापक होता तो मैं ऐसे विद्यार्थियों को भी पढ़ाता, जिनके पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं है और उनके लिए मैं  समय अपना बहुमूल्य समय निकालता।

इसके अलावा अगर मेरी तनख्वाह अच्छी होती तो अध्यापक होने के नाते मैं ऐसे विद्यार्थियों की फीस भी भरता जो आर्थिक रूप से कमजोर है और जो फीस न भर पाने के कारण अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

मैं हमेशा अपने विद्यार्थियों को जीवन में एक ईमानदार व्यक्ति बनने की सलाह देता और उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता।

अगर मैं अध्यापक होता तो मैं हमेशा अपने विद्यार्थियों को उच्च क्वालिटी की एजुकेशन देता और उन्हें किताबी ज्ञान के साथ ही साथ प्रेक्टिकल इंफॉर्मेशन भी देता, ताकि वह बेहतर ढंग से मेरे द्वारा पढ़ाई गई चीजों को समझ सके।

मेरे द्वारा पढ़ाई की चीजों को अगर कोई विद्यार्थी सही प्रकार से नहीं समझ पाता तो मैं उस पर विशेष ध्यान देता और उस विद्यार्थी को सभी चीजें समझ में आए, इस प्रकार से समझाता ताकि मेरे द्वारा पढ़ाया गया हर विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक हासिल कर सके।

अगर मैं अध्यापक होता तो मैं कभी भी अपने विद्यार्थियों के साथ मारपीट नहीं करता क्योंकि मारपीट करने पर विद्यार्थी और भी ज्यादा बिगड़ जाते हैं जो किसी भी मायने में सही नहीं होता है।

एक अच्छा अध्यापक होने के नाते मेरा यह फर्ज होता है कि मैं बच्चों को प्यार से समझाता क्योंकि प्यार से ही बच्चे सीखते हैं ना कि मारपीट से।

अगर मैं टीचर होता तो मैं अपने विद्यार्थियों को इस बात की भी शिक्षा देता की जब वह कभी जिंदगी में सफल हो जाएं और जब उनके विवाह का मौका आए, तब वह किसी भी कन्या या फिर उसके पिता से दहेज की डिमांड ना करें क्योंकि कन्या ही दहेज होती है।

दहेज लेना वही लोग पसंद करते हैं, जिन्हें अपनी कमाई के ऊपर विश्वास नहीं होता है या फिर जिन्हें अपने ऊपर विश्वास नहीं होता है। जो लोग अपने ऊपर विश्वास रखते हैं वह दहेज नहीं लेते हैं।

एक अध्यापक होने के नाते मैं विद्यार्थियों को यह भी बताता कि वह कभी भी अपने देश के साथ गद्दारी ना करें क्योंकि देश भक्ति सबसे बड़ी शक्ति होती है, जो किसी भी राष्ट्र को मजबूत बनाती है।

इसके अलावा मै विद्यार्थियों से यह भी आग्रह करता कि वह जिंदगी में कभी भी घूसखोरी ना करें, ना ही कभी किसी गरीब व्यक्ति को तंग करें बल्कि हो सके तो अधिक से अधिक आवश्यक मंद लोगों की सहायता करें और एक अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य निभाए।

मैं अध्यापक होने के नाते विद्यार्थियों को यह भी बताता कि दुनिया में वह कहीं भी चले जाएं, वह अपने देश के साथ जुड़े हुए रहे क्योंकि जो पेड़ अपनी जड़ से जुड़ा हुआ होता है वह लंबे समय तक टिका रहता है।

विद्यार्थी किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए मैं अपने विद्यार्थियों से उनका लक्ष्य तय करने के लिए कहता और उन्हें उनके लक्ष्य को पूरा करने की प्रेरणा देता तथा हर कठिन मार्ग पर उनका साथ देने का प्रयास करता।

एक अध्यापक होने के नाते मैं बच्चों को इस बात की भी सीख देता कि वह अपने से बड़े सभी लोगों का आदर करें और अपने से छोटे लोगों को सम्मान दें और हमेशा नियम के पक्के रहे तथा कभी भी झूठ ना बोलें और जिसके साथ जो वादा करें, उसे अवश्य निभाए।

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