फास्ट फूड / जंक फूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi

फास्ट फूड जंक फूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi: आज की जीवन शैली में फास्ट फूड का चलन बहुत अधिक हैं, हर जगह आसानी से मिलने और स्वादिष्ट होने के कारण युवा बच्चें, महिलाएं यहाँ तक की वृद्ध की जंक फूड के बेहद शौकीन होते हैं.

जब भी बाहर खाने का मौका हाथ लगता है वे स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर इनको खाते हैं. आज के निबंध में हम फास्ट फूड के बारे में जानेगे.

फास्ट फूड / जंक फूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi

फास्ट फूड / जंक फूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi

त्वरित भोजन (फास्ट फूड) आज के भौतिक युग में हमारे भोजन का सबसे बड़ा विकल्प बन गया है. परन्तु Junk Food शरीर के स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा नही करता हैं. जिसके कारण मनुष्य हर समय थकान महसूस करता हैं.

और दैनिक कार्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं रहता हैं. हमारे देश में फास्ट फूड से बेहतर पौष्टिक देशी आहार रोजमर्रा के जीवन में मौजूद हैं. जैसे पोहा, पकोड़े, इडली, डोसा, अंकुरित अनाज, फल, अंडे, उपमा, गजक, तिलपट्टी, गुड़, सांगरी, मठरी आदि जिनकें उपयोग से हमारे शरीर में कोई नुकसान नहीं पहुचता हैं.

जंक फूड यानि फास्ट फूड के नियमित उपयोग से मोटापा, कई गंभीर बीमारियाँ, हाइपरटेंशन आदि हानिकारक दुष्प्रभावों को झेलना पड़ता हैं. स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग एवं स्वस्थ मानसिकता निवास करती हैं. परन्तु फास्ट फूड/जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, नुडल्स आदि हमें स्वस्थ शरीर नहीं देते हैं.

क्योंकि फास्ट फूड/जंक फूड में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा शामिल नहीं हैं. और वसा की बड़ी मात्रा होती हैं जो शरीर में जमकर वजन को बढ़ाती हैं. यही बढ़ा हुआ वजन दिल के दौरे, रक्तचाप, गुर्दे, गाठिया, मधुमेह आदि रोग को निमंत्रण देता हैं.

इस कारण ना स्वस्थ शरीर और न ही फास्ट फूड/जंक फूड से स्वस्थ मानसिकता मिलती हैं. ग्रसित मानसिकता कई अपराधों के लिए जिम्मेदार होती हैं.

मानव में आमतौर पर स्वस्थ रहने के लिए किशोरावस्था में लगभग 1800 से 2600 कैलोरी, वयस्क महिलाओं को 2200 तथा वयस्क पुरुष को 2000 सें 3200 कैलोरी की आवश्यकता होती हैं.

किसी भी आहार से प्राप्त कैलोरी में कम मात्रा में संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, कोलेस्ट्रोल नमक, शक्कर आदि होने चाहिए. परन्तु फास्ट फूड/जंक फूड में इन सभी की मात्रा अत्यधिक होती हैं. जो हमारे शरीर को नुकसान करता हैं. एवं धीरे धीरे बीमारियाँ उत्पन्न करता हैं.

यही कारण हैं आज स्कूल के बच्चों में मोटापा, विकृत एवं कमजोर मानसिकता होती जा रही हैं और वें कई सारे अपराधों को भी अंजाम देते हैं.

साथ ही शारीरिक रूप से भी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. फास्ट फूड/जंक फूड में अक्सर बहुत अधिक कैलोरी एवं बहुत कम पोषण होता हैं.

अलग अलग स्वाद व आसानी से मिल जाने के कारण आज हर प्रकार की आयु वर्ग फास्ट फूड/जंक फूड की ओर खीचा जा रहा हैं.

जिसनें सेहत सम्बन्धी कई परेशानियों के विरुद्ध हमें संघर्ष करना पड़ता हैं. जिसके हम नियमित तौर पर कई घातक परिणाम देख रहे हैं.

जंक फूड खाने के परिणाम Effects Of Eating Junk Food In Hindi

नियमित और निरंतर रूप से जंक फूड के सेवन से कई प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं देखी जा सकती हैं. मुख्य रूप से इसका अधिक सेवन करने वाले लोगों को इन मुश्किलों से गुजरना पड़ता हैं.

मोटापा

अच्छे और पौष्टिक भोजन में सभी प्रकार के आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा आदि होते हैं. घर में बनने वाले भोजन में सभी का एक संतुलन होता हैं. मगर बाहर मिलने वाले जंक फूड अथवा फास्ट फूड अधिकाँश तरल पदार्थों के बने होते हैं.

अधिक वसा युक्त घी और तेल के बने इन पकवानों को खाने से शरीर में चर्बी का जमाव बनता रहता हैं. पसीना न निकलने और हार्ड वर्किंग की कमी से यह मोटापे में बदलना शुरू हो जाता हैं. वजन का बढ़ना आज हर उम्र के लोगों से जुड़ी समस्या हैं.

हाइपरटेंशन

आनन फानन में बाहर बनने वाले भोजन में सही मात्रा में चीजों का चयन करने का ध्यान नहीं रखा जाता हैं. अधिकतर फास्ट फूड के भोजन अधिक मसालेयुक्त, तीखे, घी या तेल में तले होते हैं, इनमें आवश्यकता से अधिक नमक भी मिला दिया जाता हैं.

अधिक मात्रा में नमक का सेवन स्वस्थ व्यक्ति को हाइपरटेंशन की ओर ले जाता हैं. नियमित रूप से बाहर खाने से यह समस्या और तेजी से बढ़ने लगती है तथा कई अन्य स्वास्थ्य से जुड़े दोष परिलक्षित होने लगते हैं.

टाइफाइड

आजकल टायफाइड बहुत सिमित रोग हो गया हैं, खासकर बरसात आदि के दिनों में इसका संक्रमण अधिक देखा जाता हैं. घर में हमेशा खाना बनाते समय बर्तनों, सब्जी, अनाज को अच्छी तरह साफ़ कर धोकर भोजन तैयार किया जाता हैं.

मगर बाजार की चौखट पर पकने वाले भोजन में इन सभी साफ़ सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा जाता हैं. गली सड़ी सब्जियों बांसी भोजन और यहाँ तक कि गंदे बर्तनों और हाथों से लोगों को भोजन परोसा जाता है, अस्वस्थता की ये आदते व्यक्ति में टायफाइड और डायरिया जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती हैं.

ह्रदय रोग

आज यदि हर उम्र के लोगों में व्याप्त भयावह स्वास्थ्य कोई समस्या हैं तो वह ह्रदय रोग हैं. बीपी से लेकर हार्ट अटैक तक की सभी समस्याओं का कारण शरीर में बढ़ी कोलेस्ट्रोल की मात्रा होती हैं.

अधिक वसायुक्त भोजन इस समस्या का कारण बनता हैं. घरों में बनने वाले भोजन में गृहणी एक नियत मात्रा में तेल आदि को भोजन बनाते समय काम लेती हैं.

मगर बाजार में बनने वाले चटपटे मसालेदार तीखे भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए मिलावट युक्त घटिया तेल के साथ पकाया जाता हैं. कई बार पकवान ठंडे हो जाने पर बार बार उसे तला जाता हैं. जंक फूड/ फास्ट फ़ूड इस तरह ह्रदय रोगियों के लिए जानलेवा बन जाता हैं.

कुपोषण

खाना खाकर भी पेट की भूख को तृप्ति न मिले तो यकीनन हमने खाने के स्थान पर अपौष्टिक और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाली चीजों को खाया हैं. पेट भरने भर के लिए बाजारों में मिलने वाले फास्ट फ़ूड पर बहुत से लोगों का भोजन निर्भर करता हैं.

ऑफिस स्कूल या फैक्ट्री में काम करने वाले बहुत से लोग इस तरह के भोजन को अपने एक वक्त के भोजन के रूप में काम में लेते हैं. लम्बे समय तक इनका सेवन करने से कुपोषण का शिकार हो सकते हैं.

उपसंहार

कोल्ड ड्रिंक, वेफर्स, चिप्स, नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राईस, चाइनीज खाना ऐसे सैकड़ों फास्ट फूड बेहद लोकप्रिय है इनके उपभोग का स्तर निरंतर बढ़ रहा हैं. यह हमारे भविष्य के लिए बिलकुल भी अच्छा संकेत नहीं हैं.

सभी उम्र के लोग जंक फूड के प्रति दिलचस्पी दिखाते हैं. विभिन्न छोटी बड़ी पार्टियों में भोजन का ऑर्डर ऐसे ही किसी रेस्तरा या होटल वाले को मिलता हैं.

अभिभावकों को अपने बच्चों को इस बुरी लत से बचाने के लिए पहले स्वयं इनके प्रयोग से बचना चाहिए, तत्पश्चात बच्चों को इनके गलत परिणामों से अवगत कराना चाहिए. क्योंकि बच्चें अमूमन सही गलत का निर्णय नहीं कर पाते है उन्हें जो चीज पसंद होती है वे ही खानी पसंद करते हैं.

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों फास्ट फूड / जंक फूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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