दयालुता पर निबंध | Essay on Kindness in Hindi

Essay on Kindness in Hindi: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम दयालुता पर निबंध बता रहे हैं. दया को ईश्वरीय गुण माना गया हैं, वर्तमान जीवन में इसके दर्शन करना बेहद कठिन लगता हैं.

लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने की होड़ में जीवन की दौड़ में लगे हैं. दयालुता के निबंध, भाषण, स्पीच, अनुच्छेद, लेख आर्टिकल में हम जानेगे कि दयालुता क्या है जीवन में इसका क्या महत्व हैं.

Essay on Kindness in Hindi

दयालुता पर निबंध (300 शब्द)

दयालुता का गुण बहुत ही कम व्यक्ति के पास होता है। सामान्य तौर पर दयालु लोगों को इस प्रकार से वर्णित किया जाता है कि वह अपने से बड़े और छोटे सभी लोगों का सम्मान करते हैं और सभी को सम्मान की निगाहों से देखते हैं। दयालु लोगों की भाषा बहुत ही मीठी होती है और यह स्वभाव से बहुत ही सरल होते हैं।

इन्हें ज्यादा तामझाम करना पसंद नहीं होता है। दयालु व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति की बड़ी सी बड़ी गलतियों को भी बहुत ही सरलता के साथ माफ कर देते हैं और यह अपने मन में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई भी भेदभाव नहीं रखते हैं ना ही किसी भी व्यक्ति की चुगली करते हैं ना ही व्यक्ति के खिलाफ साजिश करते हैं।

जिन लोगों के स्वभाव में दयालुता होती है वह दुनिया के सबसे अच्छे लोगों में गिने जाते हैं। दयालु लोग हर व्यक्ति के प्रति दया का भाव रखते हैं और यह बदले में कुछ उम्मीद भी नहीं रखते हैं। 

दयालु लोग दुख भागने वाले लोगों की यथाशक्ति हर संभव सहायता भी करते हैं और उनके सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर के शामिल होते हैं।

जो व्यक्ति स्वभाव से दयालु होता है अक्सर ऐसे लोगों के चाहने वाले काफी अधिक होते हैं क्योंकि दयालु व्यक्ति मीठी भाषा का मालिक होता है और वह अपनी मीठी बोली से पराए लोगों को भी अपना बना लेता है।

दयालु व्यक्ति अपने पसंदीदा लोगों की हर गलती को माफ कर देता है। हालांकि कई बार अपने सरल स्वभाव की वजह से दयालु व्यक्ति को धोखे का शिकार भी होना पड़ता है.

परंतु फिर भी यह अपने आप को धोखा देने वाले व्यक्ति के लिए कुछ भी बुरा नहीं सोचते हैं और उसे माफ कर देते हैं। इसलिए अगर हमें कोई दयालु इंसान मिल जाए तो हमें उसका सम्मान करना चाहिए और उसके साथ प्रेम से व्यवहार करना चाहिए।

Essay on Kindness in Hindi In 500 words

जिस इन्सान के चरित्र में दयालुता का गुण होता है उसे सम्पूर्ण सह्रदय मानव कहा जाता हैं. प्रत्येक व्यक्ति में आंशिक रूप से दया के भाव विद्यमान होते हैं यदि वह उन्हें सिंचित करता है तो यह प्रफुल्लित होकर उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता हैं.

अन्यथा यह गुण लुप्त होने लगता हैं. अक्सर दयालुता या दया के भाव दीन, हीन, अक्षम, गरीब, मरीज या पीड़ित व्यक्ति के प्रति सहानुभूति के भावों को कहा जाता है, जिसमें वह पीड़ित व्यक्ति के दुःख को अपना बनाकर कम करना चाहता हैं.

महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों के प्रति भी दयालुता के भाव शीघ्र उत्पन्न हो जाते हैं. जिस व्यक्ति में दूसरे के दुःख पीड़ा का एहसास नहीं हो उसे मनुष्य कहना गलत हैं. वह व्यक्ति पशुओं से अधिक कुछ नहीं हैं जिसमें दूसरों के प्रति सहानुभूति के भाव न हो.

हमें जंगली जीवों एवं जानवरों के प्रति भी दयालुता के भाव रखकर उनकी सेवा करनी चाहिए, क्योंकि हमारा जीवन परोपकार आधारित हैं हम जिस तरह पेड़ पौधों एवं प्रकृति पर निर्भर है उसी भांति कई जीव हम पर निर्भर हैं.

सभी प्रमुख धर्मों में अहिंसा, प्रेम, त्याग, सहानुभूति और दयालुता की शिक्षा दी जाती हैं. धर्म व्यक्ति को वांछित गुणों से युक्त बनाने की जीवन पद्धति है जिसे अपनाकर वह अपने व्यक्तित्व का परिष्कार कर सके. हिन्दू धर्म ग्रंथों में महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, पीड़ित, बीमार एवं शोषित लोगों के प्रति दया के भाव रखने की बात कही जाती हैं.

दयालुता के लिए जीवन में साधन सम्पन्न होने की आवश्यकता नहीं है अपने ह्रदय को उदार बनाकर इसे जीवन में अपनाया जा सकता हैं. यह कार्य उतना भी सरल नहीं हैं.

जीवन में व्यक्ति वही कार्य करता है जिसमें पारितोषिक रूप में उन्हें मान, सम्मान अथवा धन की प्राप्ति होती हैं जबकि दयालुता के बदले केवल दूसरों को सुख की अनुभूति कराने की संतुष्टि और पुण्य प्राप्त हो सकता है जिन्हें पाने की चाह बहुत कम लोग रखते हैं.

एक संस्कारी व्यक्ति हमेशा परपीड़ा में सहानुभूति का प्रदर्शन करता हैं. जब किसी की आवश्यकता हो तो उसकी मदद करता है वह अपनी मदद के जरिये हमेशा लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयत्न करता हैं. अपने समय में से कुछ मिनट निकालकर पक्षियों को दाना डालकर भी अपनी सोई हुई दयालुता को जागृत किया जा सकता हैं.

जीवन में हम जो कुछ लोगों को देते है बदलें में हमें भी वही प्राप्त होता हैं. कई सारे लोग जीवन में जब कठिनाइयों से घिरते है तो अपनी बेचारी का राग अलापते है, जबकि कुछ लोग थोड़ी सी मुश्किल में आते है तो उनकी मदद करने वाले हाजिर हो जाते हैं.

जीवन में स्थितियां बस वैसी ही है चरित्र का फर्क है पहला इन्सान निर्दयी है जो किसी की मदद नहीं करता जबकि दूसरा सह्रदय व्यक्ति है सदैव औरों को अपने साथ लेकर चलता है.

आखिर में हम आपसे विनती करना चाहेगे जीवन में हमेशा एक दूसरे के साथ दयालुता के भाव रखिये जिससे सदैव एकजुटता का भाव जन्म लेगा.

अन्य लोगों के जीवन को भी समझने का प्रयास करे, किसी की मदद करते समय सदैव याद रखे कि एक दिन आपकों इस कार्य का फल कई गुणा लौटकर आएगा.

दयालुता पर निबंध (700 शब्द)

भारतीय समाज में व्यक्ति के विभिन्न प्रकार के गुणों का वर्णन किया गया है जिनमें से एक गुण दया का भी है और दया को सर्वोच्च धर्म के तहत बताया गया है।

अगर किसी व्यक्ति के स्वभाव में दया का भाव नहीं है तो वह व्यक्ति इंसान नहीं बल्कि जानवर के समान ही होता है। दूसरे लोगों के प्रति अच्छी भावना रखना ही दयालुता कहा जाता है।

दयालुता का यह अर्थ नहीं है कि एक इंसान दूसरे इंसान के प्रति ही सिर्फ दया का भाव रखे बल्कि दयालुता का अर्थ यह होता है कि व्यक्ति इंसानों के साथ ही साथ जानवरों के प्रति दया का भाव रखें क्योंकि जानवर भी एक जीवित प्राणी है और उन्हें भी कष्ट और तकलीफ होती है।

दयालु व्यक्ति हमेशा जरूरतमंद लोगों की सहायता करता है और वह दूसरे व्यक्ति और जानवरों के प्रति भी बहुत ही संवेदनशील होता है।

वर्तमान के स्वार्थ भरे जमाने में लोग अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार होते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकाल कर के किसी व्यक्ति की सहायता करता है.

या फिर किसी व्यक्ति के चेहरे पर खुशी लाने का प्रयास करता है तो इससे बड़ा पुण्य और कोई हो ही नहीं सकता क्योंकि आज हमारे आसपास के लोग अपने काम में इतना लिप्त हो चुके हैं कि उन्हें दूसरे के बारे में सोचने के लिए फुर्सत ही नहीं है।

परंतु जो व्यक्ति दयालु होता है वह अपने काम को करने के साथ ही साथ दूसरे लोगों के भी काम आता है। हालांकि एक विडंबना यह भी है कि आज के समय में दयालुपन लोगों के स्वभाव में काफी कम ही रह गया है बल्कि हर व्यक्ति सिर्फ अपने फायदे के लिए जी रहा है। उसके अंदर प्रेम और करुणा मात्र दिखाने के लिए ही होती है।

इंसानों के द्वारा लगातार अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रकृति का विनाश किया जा रहा है और बेगुनाह तथा मासूम बच्ची पक्षियों को भोजन के लिए मारा जा रहा है जो कि इंसानों की क्रूरता की सबसे बड़ी पराकाष्ठा है।

यही वजह है कि कहीं ना कहीं प्रकृति भी इंसानों का दोहन कर रही है। हालांकि कुछ दयालु लोगों की वजह से इन सभी चीजों पर लगाम तो लगी है परंतु अभी भी इन सभी चीजों पर रोक लगाने के लिए काफी प्रयास करना बाकी है।

दयालु पन तभी तक व्यक्ति के लिए अच्छा होता है जब तक उसके अस्तित्व पर बात ना आए क्योंकि मोहम्मद गौरी को भी पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार युद्ध में हराया था.

हर बार मोहम्मद गोरी के माफी मांगने पर पृथ्वीराज चौहान के द्वारा उसे दया दिखाते हुए माफ कर दिया गया था परंतु पृथ्वीराज चौहान ने यह नहीं सोचा कि जिसे वह बार-बार माफ कर रहे हैं वह बार-बार आकर उनसे युद्ध करने के लिए क्यों आ रहा है।

इस प्रकार से आखरी युद्ध में मोहम्मद गोरी के द्वारा पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया गया और उनकी दोनों आंखें फोड़ दी गई। इसलिए व्यक्ति को उसी सीमा तक दयालु रहना चाहिए जहां तक वह खुद सुरक्षित रह सके।

कहने का मतलब है कि व्यक्ति को बैलेंस बना कर चलना चाहिए और उसे जरूरतमंद लोगों के प्रति दया का भाव रखना चाहिए और नीच कपटी लोगों के प्रति उसे सख्त होना भी आना चाहिए।

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