भूमि प्रदूषण पर निबंध | Essay On Land Pollution In Hindi

भूमि प्रदूषण पर निबंध | Essay On Land Pollution In Hindi: नमस्कार साथियों आज हम फिर से एक नयें निबंध के साथ हाजिर हैं.

भूमि / मृदा प्रदूषण (about Land Pollution) पर यह शोर्ट निबंध, भाषण (स्पीच), अनुच्छेद (पैराग्राफ) यहाँ स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं.

यह पढ़ने के बाद आप भूमि प्रदूषण क्या है अर्थ मीनिंग, कारण और उपाय और प्रभाव को समझ सकेगे.

भूमि प्रदूषण पर निबंध Essay On Land Pollution In Hindi

भूमि प्रदूषण पर निबंध | Essay On Land Pollution In Hindi

भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य व अन्य जीवों पर पड़े या भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता या उपयोगिता नष्ट हो तो वह मृदा/ भूमि प्रदूषण कहलाता हैं. प्रदूषित वायु तथा जल के भूमि में मिलने से भूमि प्रदूषित हो जाती हैं.

मानव निर्मित कृत्रिम कचरा जैसे प्लास्टिक के उत्पाद, रासायनिक रंग, अस्पताल से निकले रासायनिक अपशिष्ट, कूड़ा कचरा आदि से भूमि प्रदूषित हो जाती हैं. रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अनवरत प्रयोग से भूमि बंजर हो जाती हैं.

मृदा के प्रदूषित होने से वृक्ष सही ढंग से नहीं पनपते हैं. फसल उत्पादन में भी कमी आ सकती हैं. मृदा प्रदूषण के कारण मृदा अपरदन मरुस्थलीकरण तथा बंजर व अनुपजाऊ भूमि के क्षेत्रफल में भी वृद्धि होती हैं. जिससे खाद्य सुरक्षा व कुपोषण की समस्या में वृद्धि हो जाती हैं.

भूमि को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हमें जैविक उर्वरक काम में लेने चाहिए. यथासम्भव रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के छिड़काव से बचना चाहिए.

इनका उपयोग न्यूनतम करना चाहिए. समन्वित कीट प्रबंधक व समन्वित पादप पोषण प्रबन्धन का उपयोग करना चाहिए. उद्योगों, अस्पताल आदि के कचरों को गहरे गड्डों में तथा बस्ती से दूर निष्काषित करना चाहिए.

भूमि प्रदूषण पर निबंध, very short essay on soil pollution in hindi (200 शब्द)

जिस तेज गति से भूमि प्रदूषण बढ़ रहा है यह पर्यावरण के लिए भयंकर खतरे की स्थिति पैदा करने वाला हैं. इसके मूल में तेजी से बढ़ती आबादी अहम कारण हैं जिसके चलते उद्योगों तथा शहरों के विकास के लिए वनों का विनाश कर मानव बस्तियां बसा ई जा रही हैं.

घने जंगल आज मानव बस्तियों का रूप ले चुके हैं. वनों की अंधाधुध कटाई और भूमि का अत्यधिक दोहन प्रदूषित जल भूमि प्रदूषण के मूल कारण हैं.

यह वह स्थिति है जब मृदा के स्वाभाविक गुणधर्मों में विकृति आ जाती है तथा इसकी गुण वत्ता में कमी हो जाती हैं. नष्ट न किये जाने योग्य घरेलू कचरा भी भूमि प्रदूषण की बढ़ोतरी में सहायक सिद्ध हुआ हैं.

तीव्र गति से बढ़ रही उद्योगों की संख्या तथा उससे निष्काषित कचरे, अपशिष्ट व विषैले जल के निपटान के कोई प्रबंध नहीं हैं और यह भूमि के प्रदूषण का बड़ा कारण बनता हैं.

बड़े बड़े औद्योगिक शहरों की निकटवर्ती आज या तो शहरी गंदगी के मलबे से अटी पड़ी है अथवा मृदा अपना वास्तविक स्वरूप खो चुकी हैं. व्यापक स्तर पर हो रहे माइनिंग कार्य से भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता हैं.

घरेलू कचरा, अपशिष्ट सामग्री तथा मृत जानवर जो लम्बे समय तक गलते नहीं है वातावरण में दुर्गन्ध तो फैलाते ही है साथ ही भूमि प्रदूषण के कारण भी बनते है तथा कई बीमारियों को जन्म भी देते हैं.

आज मृदा प्रदूषण न केवल भारत का स्थानीय मुद्दा हैं बल्कि यह भयानक वैश्विक समस्या बनकर उभर रहा हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ, पर्यावरण रक्षक संगठनों एवं सरकारों तथा आमजन को इस तरफ गम्भीरता से ध्यान देना होगा. हमें प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता हैं.

भूमि प्रदूषण निबंध, essay on land pollution in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना: सभी प्रकार के प्रदूषण मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं मगर भूमि प्रदूषण सबसे अधिक प्रकार का प्रदूषण है जो अन्य प्रकार के प्रदूषणों को भी जन्म देता हैं इससे पर्यावरण को नुकसान पहुचने के साथ ही मानव स्वास्थ्य के पर भी हानिकारक प्रभाव डालता हैं.

भूमि प्रदूषण के कारण (causes of land pollution in hindi)

इस प्रकार के प्रदूषण के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार न होकर कई सारे कारकों के कारण भूमि प्रदूषण होता हैं जिन्हें हम यहा समझने का प्रयास करेंगे.

  • ठोस अवशेष; वैसे अधिकतर अपशिष्ट मृदा की गुणवत्ता को कम करने में सम्मिलित होते हैं मगर खासकर ठोस अवशिष्ट जो समय के साथ सड़ते गलते नहीं है अथवा उनका परिमार्जन नहीं होता है, इस तरह के अवशिष्ट मृदा को गम्भीर रूप से दूषित करते हैं. प्लास्टिक की थैलियाँ निर्मित उपकरण और खासकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिनका निपटान नहीं हो पाता हैं ये आगे चलकर भूमि प्रदूषण के कारण बनते हैं.
  • जंगलों की कटाई: बढ़ती जनसंख्या की मांगों की पूर्ति के लिए वनों की तीव्र गति से कटाई की जा रही हैं. मिट्टी के संतुलन के लिए पेड़ पौधे एवं हरियाली महत्वपूर्ण होते हैं जो ऊपरी सतह को ढकने के साथ ही विभिन्न पोषक तत्वों को आश्रय प्रदान करती हैं. खनन, औद्योगीकरण तथा मानव की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों को निरंतर काटा जा रहा हैं जो मृदा प्रदूषण का एक अन्य कारण हैं.
  • केमिकल निपटान प्रबन्धन कमी: हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में रसायनों का प्रयोग बढ़ा हैं. चाहे वे कृषि में रासायनिक उर्व रक या कीटनाशक के रूप में हो अथवा कपड़े धोने के लिए वाशिंग पाउडर अथवा उद्योगों में प्रयुक्त नाना प्रकार के केमिकल के निपटान के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इन्हें खुला ही फेक दिया जाता हैं जो भूमि प्रदूषण का कारण बनता हैं.
  • आधुनिक कृषि: प्राचीन समय में कम आबादी होने के कारण कृषि पर निर्भरता कम थी, इस कारण हमारे किसान जैविक खेती करते थे. मगर आज बढ़ती खाद्यान्न मांग के कारण कृषि क्षेत्र आधुनिक तकनीकों तथा आर्टिफिशियल खाद पर निर्भर हो गया हैं. बड़ी मात्रा में रसायनों के छिडकाव का व्यापक असर जमीन पर पड़ता हैं. इस तरह के पदार्थों से उत्पन्न कृषि उत्पाद भी मानव स्वास्थ्य के लिहाज से भी हानिकारक होते हैं.

निष्कर्ष:

अंत में यही कहा जा सकता हैं मानव अपने अधिकाधिक लाभ के लिए मृदा व पर्यावरण के साथ जो खिलवाड़ कर रहा हैं वह उसके अंधकारमय भविष्य की नींव हैं.

वह नयीं बीमारियों को आमंत्रित करने जैसा ही हैं. गिरता स्वास्थ्य स्तर तथा आयु प्रत्याशा में कमी का कारण मृदा प्रदूषण ही हैं. हम सभी को व्यक्तिगत पहल कर इसे नियंत्रित करने के प्रयास करने चाहिए.

जमीन प्रदूषण पर निबंध, about land pollution essay in hindi (400 शब्द)

प्रस्तावना: भूमि प्रदूषण का बड़ा कारण ठोस अपशिष्ट हैं इनके निपटान तथा पुनः उपयोग के विकल्प की कमी के चलते ठोस कचरे के ठेर आए दिन बढ़ रहे हैं.

वही औद्योगिक प्रतिष्ठानों एवं घर में प्रयुक्त खराब वस्तुओं का खुले में त्याग कर देने से भी भूमि प्रदूषण होता हैं.

जमीन प्रदूषण के परिणाम (effect of land pollution in hindi)

किसी भी रूप में पर्यावरण प्रदूषण अच्छा नहीं है उसके हानिकारक परिणाम अन्तोगत्वा पर्यावरण और मानव समेत सभी जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य पर पड़ते हैं. जो इस प्रकार हैं.

सभी बड़े शहरों के बाहर की स्थिति में लगभग समानता देखी जाती हैं. छोटा कस्बा हो या मेट्रो सिटी सीवेज वाहित गंदा मल जल और नालियों के कचरे के लिए कही कोई ठोस प्रबंध दिखाई नहीं देता हैं.

जगह जगह गंदे पानी के भराव बरसात के समय मच्छरों का पनाहगार बनने के साथ ही बुरी बदबू भी देता हैं. इससे आस पास बसने वाले लोगों के लिए बीमार होने का खतरा भी बढ़ जाता हैं.

यह कचरा और गंदा जल लम्बे समय तक भूमि एवं वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं तथा आमजन के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

शहरों के किनारे इतने बड़े भूभाग में कचरे के मलबे, पशुओं के मृत शरीर और नालियों का पानी प्रवाहित होने के कारण बड़े स्तर पर भूमि अनुपजाऊ होने के साथ ही लोगों के निवास उपयुक्त नहीं रह जाती हैं.

हमारे देश में कचरा निपटान की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण नगरपालिका या अन्य नगरीय निकाय शहर के कूड़े करकट को पास ही एक स्थान पर डालने लगते हैं ऐसा करने से एक बड़ा भूभाग अनुपयोगी हो जाता हैं.

यदि इस बड़े स्थान को लोगों के रहने के उपयुक्त बनाएं जाए तो न केवल मृदा प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि शहरों में आवासीय समस्या को भी कम किया जा सकता हैं.

कई स्थानों पर घरेलू कचरे के निपटान के लिए उसे खुले में ही जला दिया जाता हैं. ये कचरे के ढेर कई दिनों महीनों तक यूँ ही धधक कर जलते हैं इससे निकलने वाली कार्बन मोनोक्साइड मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक गैस हैं

इससे बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण होता हैं साथ ही अस्थमा, श्वास सम्बन्धी तथा एलर्जी जैसे चर्म रोग उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों में संचरित हो जाते हैं.

बड़े स्तर पर भूमि प्रदूषण का कारण फ्लोराइड व रसायन युक्त जल हैं जो उद्योगों द्वारा किसी जल स्रोत या खुले में ही बहा दिया जाता हैं. इस विषाक्त जल से भूमि की उर्वरा क्षमता क्षीण होकर यह बंजर बन जाती हैं.

साथ ही विषैले जीवाणुओं तथा मच्छरों का प्रादुर्भाव भी होता रहता हैं इससे बुखार तथा कैंसर, पीलिया आदि रोगों को बढ़ावा मिलता हैं.

भूमि प्रदूषण को समाप्त करने में किसान बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कृषक कीटनाशकों एवं रसायन युक्त कृषि को छोड़कर यदि जैविक खेती को अपनाएं तो हम दूषित फल सब्जियों के प्रभाव से मुक्त हो सकते है तथा कई नई बीमारियों के पैदा होने से बचाव कर सकते हैं.

निष्कर्ष:

प्रदूषण के मूल कारण को हम खोजे तो यह मानव के स्वार्थी स्वभाव से मिला हैं हम अपने जीवन को अधिकाधिक सुखी बनाने के लिए पर्यावरण के हित को भूल चुके हैं. जीवन में अच्छे स्वास्थ्य तथा खुशहाली के लिए हमें पर्यावरण की रक्षा करनी होगी.

भूमि प्रदूषण पर निबंध, essay on land pollution in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:

भूमि प्रदूषण का अर्थ किन्ही बाहरी कारणों से मृदा के स्वाभाविक गुणों में परिवर्तन हो जाना हैं. यह ऋणात्मक परिवर्तन होते है जिससे मिट्टी के स्वभाविक गुणों में विकृति आ जाती हैं.

इस प्रकार के प्रदूषण के लिए मानवीय तथा प्राकृतिक दोनों प्रकार की गतिविधियाँ जिम्मेदार हैं. मृदा का प्रदूषण मुख्य रूप से रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग, औद्योगों और घरेलू कचरे से तथा वनों की कटाई, नगरीकरण, अम्लीय वर्षा एवं खनन कार्य से होता हैं.

ये मृदा की गुणवत्ता में कमी लाते हैं तथा जमीन के उपजा ऊपन को खत्म कर देते हैं. इससे प्राणियों के स्वास्थ्य पर भयानक दुष्परिणाम पड़ते हैं.

भूमि प्रदूषण को रोकने के तरीके (land pollution prevention in hindi)

आजकल भूमि प्रदूषण के कारक इतने बढ़ गये है कि ये छोटे मोटे प्रयासों से कम होने की बजाय अबाध गति से बढ़ ही रहा है कई संस्थाए एवं निकाय पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार के साथ मिलकर अथवा जनजागरण के जरिये इसे नियं त्रित करने का प्रयास कर रही हैं.

मगर ये प्रयास नाकाफी प्रतीत होते हैं. जब तक प्रत्येक व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ मूलभूत बदलाव नहीं लाएगा तब तक भूमि प्रदूषण को कम किया जाना सम्भव नहीं हैं, यहाँ कुछ तरीके बताएं गये है जिन्हें अमल में लाकर इसे रोका जा सकता हैं.

हम अधिकतम ऐसी वस्तुओं एवं उत्पादों के उपयोग की आदत डाले जो जैव निम्नीकरणीय हो अर्थात वे अनुपयोगी होने पर उनके अपशिष्टों का आसानी से निपटान किया जा सके.

एक किसान के रूप में हम जैविक खेती की ओर लौटे तथा खेतों में रासायनिक पदार्थों का उपयोग कम से कम अथवा बिलकुल नहीं करे.

जो किसान अपनी भूमि को माँ समतुल्य मानता हैं उस पर ऐसे हानिकारक रसायनों के छिड़काव से न केवल उसकी सतह को दूषित करता हैं बल्कि उससे उपजा अन्न भी कई रोगों का कारण बनता हैं.

विक्रेताओं तथा व्यावसायियों को पैकिंग के लिए प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना चाहिए. साथ ही लोगों को कपड़े की थैली के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

प्लास्टिक थैलियाँ गलन योग्य नहीं होती है ये भूमि को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाती हैं. कई राज्य सरकारों ने अपने यहाँ केरी बैग पर प्रतिबंध लगाया हैं मगर फिर भी उसका उपयोग धडल्ले से किया जा रहा हैं.

सरकार तथा समाज को इस पर नयें सिरे से सोचकर उपयुक्त कार्ययोजना बनानी चाहिए. भारत सरकार ने स्वच्छता अभियान के साथ घरेलू कचरे निपटान के लिए हरे तथा नीले कचरापात्र का प्रारूप आमजन के समक्ष रखा हैं.

इससे गलने योग्य तथा ठोस कचरे को अलग अलग एकत्रित कर आसानी से निपटान किया जा सकेगा. भारत के लगभ ग सभी शहरों में नगरीय निकाय इसे लागू कर रही हैं.अत हमें भी अपने घर में कचरे को अलग अलग कूड़ादान में रखना चाहिए.

देश में बड़ी संख्या में कागज बरबादी भी पेड़ों की कटाई के लिए जिम्मेदार हैं जिससे भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता हैं. डिजिटल के इस दौर में कागज की आवश्यकताएं सिमित हो चुकी हैं अतः हमें यथासम्भव कागज के उपयोग को कम से कम करना चाहिए.

निष्कर्ष:

अन्य प्रदूषकों की भांति भूमि प्रदूषण भी हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ी मुशिब्ते खड़ी करने वाला हैं. हमें जीवन की गुणवत्ता को यथास्थिति बनाए रखने के लिए मिलकर प्रदूषण के इस स्वरूप को खत्म करना होगा, इसकी शुरुआत हम अपने घर से आज ही करे.

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