नशा मुक्ति पर निबंध | Essay on Nasha Mukti In Hindi नशाखोरी भारतीय समाज में बड़ी समस्या बन चुकी हैं. अक्सर लोग जीवन के तनाव तथा विफलताओं से पीछा छुड़ाने के लिए नशे की लत का सहारा लेते हैं, जिसका परिणाम एक दिन उन्हें नशे का गुलाम बना देता हैं, ह्रदय की पवित्रता तथा विचारों की शुद्धता के लिए नशा मुक्ति बेहद जरुरी हैं. यह एक तरह का संघर्ष है जो आपकों उस लत के विरुद्ध करता हैं.
नशा मुक्ति पर निबंध | Essay on Nasha Mukti In Hindi
नशाखोरी समस्या एवं समाधान पर निबंध, नशा मुक्ति अभियान एवं जनकल्याण योजना: स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना गया हैं. नशीले पदार्थों का सेवन करने हम स्वयं के दुशम न बन रहे हैं. यदि इंसान के पास पर्याप्त धन हो तो उसे नशीले पदार्थों के सेवन में व्यर्थ करने की बजाय अपने बच्चों की शिक्षा तथा आर्थिक विकास पर लगाना चाहिए.
मगर दुर्भाग्यवश ऐसा नही होता हैं. मुख्य रूप से निम्न वर्ग के लोगों में नशाखोरी की समस्या आम है वे अपनी कमाई का अधिकतर भाग नशे में ही खर्च कर देते हैं. यदि दूसरे शब्दों में कही तो ऐसे हालातों में परिवार के अन्य लोगों के लहू पीने जैसा हैं.
कैंसर जैसी बीमारियाँ इन्ही बुरी आदतों की वजह से आती हैं. 70 फीसदी से अधिक अपराध लोग नशे की हालत में करते हैं. अथवा उस अपराध को अंजाम तक पहुचाने के लिए ही नशा करते हैं.
यह भी सत्य है कि आप किसी नशेड़ी व्यक्ति को तर्क के आधार पर पराजित नहीं कर सकते हैं. उनके पास ऐसे कुतर्क होंगे जिनके जवाब आपके पास नहीं होंगे. मैं गम भुलाने के लिए पीता हूँ, नशा करने से दिमाग हल्का हो जाता है टेंशन दूर हो जाती हैं. ऐसी परिस्थतियों में इन्होने मजबूरी में नशे को चुना अथवा नशा नहीं ये तो दवाई है इस तरह के सैकड़ों अकाट्य तर्क आपकों नशे करने वाले व्यक्ति से मिल सकते हैं.
यदि यही हकीकत होती तो विश्व के बड़े बड़े वैज्ञानिक और गणितज्ञ शराब की बोतल हमेशा अपने पास ही रखते तथा हर इन्सान जेब में शराब लेकर घूमता ताकि टेंशन होने पर दवा के रूप में घूट ले सके. जबकि असल में ऐसा नहीं हैं. नशे की लत में व्यक्ति का शरीर सम्बन्धित वस्तु का आदि हो जाता हैं तथा उसे वह चीज मिलने पर ही राहत मिलती है तथा मस्तिष्क में सक्रियता आती हैं.
हमारे वेदों में दो प्रकार की मानवीय प्रवृतियों का उल्लेख मिलता है पहली तामसिक तथा दूसरी सात्विक. सात्विक प्रवृतियों को अच्छा माना गया हैं. इसमें मनुष्य की अच्छी आदतों को गिना जाता हैं. सत्य बोलना, दूसरों की मदद करना आदि. जब दूसरे प्रकार में बुरे व्यसनों तथा आदतों को गिना जाता है तथा ये व्यक्ति के चरित्र को पतन की तरफ ले जाती हैं.
एक नशेड़ी किसी भी समाज के लिए कलंक होता हैं. इन बुरी प्रवृतियों का आना संगत का बड़ा कारण हैं. यदि बचपन से बालक का ध्यान रखा जाए तो उसे इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से बचाया जा सकता हैं. सामाजिक तथा धार्मिक नेताओं को भी चाहिए वे अपने समाज में लोगों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करे. उन समस्त प्रेरणाओं की पहचान कर उसका खात्मा करे जो व्यक्ति को नशे की प्रवृति में धकेल देते हैं.
शराब को सब बुराइयों की जड माना जाता हैं. वैसे किसी भी नशे को आप अधिक बुरा या कम बुरे के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकते हैं. मगर शराब में व्यक्ति अपना शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह के संतुलन को गवा देता हैं. किसी भी समाज में शराबी को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता हैं.
कोई भी नशा अपनी आरम्भिक अवस्था में शौक ही होता हैं. अपने दोस्त के साथ मौज मस्ती में कुछ दिन मन बहलाने के लिए मादक पदार्थों का सेवन किया जाता हैं, मगर ये ही शौक आगे जाकर नशाखोरी में अथवा मजबूरी में बदल जाते हैं. जहाँ व्यक्ति के लिए उनका सेवन अनिवार्य बन जाता हैं. फिर स्वयं के विवेक से उसका त्याग कर देना अथवा स्वास्थ्य के लिहाज से वह चीज अच्छी नहीं है इस हिसाब से त्याग कर देने से काफी दूरी बन जाती हैं.
नशे में धूत व्यक्ति को इस बात का संज्ञान नहीं रहता है कि वह कहाँ है किसके सामने हैं तथा क्या बात कर रहा हैं. वह किसी वैचारिक दुनियां में अपने दिमाग को ले जाता हैं. उसके लिए समाज, मर्यादा, बहु बेटी, छोटे बड़े का फर्क शून्य हो जाता हैं. आमोद प्रमोद के लिए वह किसी हद तक भी जा सकता हैं.
एक आधुनिक समाज में नशा सबसे घातक बुराई हैं, जो न सिर्फ व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक रूप से ही बदहाल नहीं करते बल्कि परिवार के परिवार बर्बाद कर देती हैं. आपने भी कई ऐसे व्यसनी लोगों को अपने जीवन में देखा होगा, जिनकी एक बुरी आदत या यूँ कहे एक गलती ने उनके जीवन को तबाह कर दिया हैं.
उस परिवार की कल्पना करिए जिसमें पांच छः सदस्य हो तथा घर का एकमात्र मुखिया जो कमाता हैं. उसे नशे की लत हैं. परिवार के सभी सदस्य उनके घर आने का इन्तजार कर रहे है जिससे चूल्हा जलाया जाए, मगर यदि वही हाथ में शराब की बोतल लिए अश्लील बाते कहते हुए घर में आकर मारपीट शुरू कर दे, परिवार के सदस्यों का जीवन कैसा होगा. उन्हें शारीरिक चोट से ज्यादा मान सम्मान का नुक्सान होता हैं. पड़ोसी उन पर हंसने लगते हैं. शराबी की बीबी बेटा जैसे शब्दों से सम्बोधित किया जाता हैं.
हमें संकल्प करना चाहिए कि हम एक नयें विचारों का समाज बनाए. जिसमें इन सामाजिक बुराइयों का कोई स्थान न हो. जो व्यक्ति नशेड़ी हैं. कोशिश करे उन्हें यह लत छुडाएं तथा एक अच्छे समाज का सदस्य होने के नाते उनके कठिनाई भरे जीवन पर बुरे कमेन्ट करने की बजाय उनका इस बुराई से पीछा छुड़ाने में मदद करे. अपने समाज के लोगों को भी जागरूक बनाए तथा भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस गलत राह को न चूने इसके लिए विशेष रूप से जागरूक रहे.
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Gajb