Essay on nation In Hindi: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम राष्ट्र पर निबंध लेकर आए हैं. राष्ट्र क्या है किसे कहते है देश और राष्ट्र, व्यक्ति और राष्ट्र आदि पर शोर्ट निबंध, भाषण, अनुच्छेद यहाँ दिया गया हैं.
हमारा भारत एक राष्ट्र है इस पर बच्चों के लिए छोटा एस्से दिया गया हैं.
राष्ट्र पर निबंध | Essay on nation In Hindi
एक विशाल जन समूह जिनकी एक पहचान हो उन्हें राष्ट्र की भावना एक करके रखती हैं. इसी आधार पर राष्ट्र का अर्थ उस जन समूह से है सामान्यतया जिनकी भाषा, संस्कृति, धर्म, आचार और उत्पत्ति एक ही हो.
‘राजृ’ धातु से कर्म में ‘ष्ट्रन्’ प्रत्यय लगने पर राष्ट्र शब्द बनता हैं. वही देश शब्द की उत्पत्ति दिश धातु जिसका आशय दिशा या देशांतर से होती हैं. देश को एक भूगोलिक सीमाओं से बंधा क्षेत्र कहा जा सकता हैं वही राष्ट्र में लोगों को आपस में जोड़ने वाली भावना राष्ट्र हैं.
देश को विविध आधारों पर खंडित या विभाजित किया जा सकता हैं जैसा कि 1947 में भारत देश के साथ हुआ. भारत के विभा जन के बाद तीनों देशों का जन्म हुआ.
जबकि राष्ट्र के रूप में आज भी भारत का अर्थ पाकिस्तान व बांग्लादेश समेत दक्षिण एशियाई क्षेत्र से हैं जहाँ के लोगों में सभी तरह की समानताएं विद्यमान हैं.
एक राष्ट्र जीवंत, सार्वभौमिक, युगांतकारी तथा सभी तरह की विविधताओं को साथ लेकर चलने वाला दर्शन कहा जा सकता हैं.
हमने अपने को राष्ट्रों में बाँट रखा है और प्रत्येक राष्ट्र अपने को स्वतंत्र संप्रभु राज के रूप में सव्यूह देखना चाहता हैं. दो मनुष्य एक ही विचार रखते है, एक ही संस्कृति के उपासक है,
एक को दूसरे से कोई द्वेष नहीं हैं, फिर भी विभिन्न राष्ट्रों के सदस्य होने के कारण उनके हित टकराते हैं, एक दूसरे से लड़ना पड़ता है, एक को दूसरे के बाल बच्चों को भूखा मारना पड़ता हैं.
व्यक्ति को दास बनाना बुरा समझा जाता हैं, परन्तु समूचे राष्ट्र को दास बनाना, समूचे राष्ट्र के जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार चलाना, समूचे राष्ट्र का शोषण करना बुरा नहीं हैं.
बलात दूसरे के घर का प्रबंध नहीं किया जा सकता है परन्तु बलात दूसरे राष्ट्र पर शासन किया जा सकता हैं. राष्ट्रों और राज्यों के परस्पर व्यवहार में सत्य, अहिंसा और सहिष्णुता का कोई स्थान नहीं हैं.
जो मनुष्य दूसरे व्यक्ति की एक पाई दबा लेना बुरा समझता है, वह राजपुरुष के पद से दूसरे राष्ट्र का गला घोंट देना निदय नहीं मानता.
यह बात श्रेयस्कर नहीं, कुटुंब में व्यक्ति होते है, समाज व राष्ट्र इसी प्रकार रहे. कुछ बातों में अपना अलग अलग जीवन भी बिताएं, परन्तु सारे मानव समाज की एकता सतत सामने रहनी चाहिए.
युद्ध और कलह समाप्त होना चाहिए. जो राष्ट्र दूसरो की ओर कुदृष्टि से देखे वह राष्ट्र समुदाय से बहिष्कृत और दंडित होना चाहिए. न्याय और सत्य सामूहिक आचरण के आधार पर बनाए जा सकते हैं.
मानव संस्कृति अविभाज्य है, योगी, कवि, कलाकार, वैज्ञानिक आदि चाहे किसी देश के निवासी हो मनुष्य मात्र कि विभूति हैं.
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