वृक्षारोपण पर निबंध Essay on Tree Plantation in Hindi

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कक्षा 1, 2, 3 ,4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 तक के बच्चों को वृक्षारोपण का महत्व पर निबंध कहा जाता हैं तो आप सरल भाषा में लिखे गये इस  हिन्दी निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर लिख सकते हैं.

वृक्षारोपण पर निबंध Essay on Tree Plantation in Hindi

वृक्षारोपण पर निबंध Essay on Tree Plantation in Hindi

वृक्षारोपण के बारे में आपको बताएगे ,वृक्षारोपण कितना महत्वपूर्ण है ,हमे वृक्षारोपण क्यों करना चाहिए. वृक्षारोपण हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. पौधों का रोपण करना ही वृक्षा रोपण कहलाता हैं.

वृक्षारोपण पर निबंध

वृक्षों में जीवधारियों के प्राण बसते हैं. यदि वृक्षों से होने वाले लाभ के बारे में सोचा जाए तो यह कथन पूरी तरह सही लगता हैं. वृक्ष जीव समुदाय को फल फूल पत्ती लकड़ी और अनेक प्रकार के उपयोगी द्रव्य प्रदान करते हैं.

वे सुखद घनी छाया से पथिकों को आह्लादित करते हैं. पक्षी, वानर, गिलहरी आदि वृक्षों पर शरण लेते हैं. वृक्ष धरती की हरियाली और शोभा बढ़ाते हैं. ये प्राणवायु छोड़कर सारे संसार का भला करते हैं.

ये वर्षाकारक हैं. भूमि का क्षरण और बाढ़ रोकने में वृक्षों सा मददगार कोई नही. वृक्षों से रबर, गोंद, लाख, दातुन, जड़ी बूटी आदि उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं. वृक्ष समुदाय जंगली जीवों की शरणस्थली होते हैं.

जंगली जीव भी पेड़ पौधों की रक्षा में अपना योगदान देते हैं. वृक्षों का मूल्य आंका नही जा सकता. अतएवं वृक्षों का संरक्षण एवं संवर्धन बहुत आवश्यक हो जाता हैं. धरती पर जितने अधिक वृक्ष होंगे, उसकी सुन्दरता और गुणवत्ता में उतनी ही वृद्धि होगी.

वन के संरक्षण के लिए यह अत्यंत आवश्यक हैं कि लोग वनों की उपयोगिता को गंभीरता से समझे. जब हम वन का नाम लेते हैं तो हमारी आँखों के सामने तरह तरह के हरे वृक्ष के चित्र उभरने लगते हैं.

इनमें झाड़ियाँ घास, लताएं, वृक्ष आदि विशेष रूप से शामिल होते हैं. वे एक दुसरे के सहारे घूमते हैं और फैलते फूलते हैं.

मात्र यह सोचना कि वन केवल लकड़ी की खाने हैं, गलत हैं वन केवल की खाने नही हैं. हानिकारक गैस कार्बन डाई ऑक्साइड की बढ़ती हुई मात्रा को कम करने में वन बड़े सहायक हैं.

वन प्राणरक्षक वायु ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करते हैं, इसलिए वनों का संरक्षण जरुरी हैं. सच तो यह हैं कि कल तक जहाँ वन थे, आज वहां कुछ भी नही हैं.

वनों को जंगल की आग, जानवरों एवं लकड़ी के तस्करों से बचाना होगा. इससे वनों की कई किस्में अपने आप उग आएगी. वनों का विस्तार करने में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं.

पक्षियों को अपनी ओर खीचने वाले पेड़ों के आस-पास उनके द्वारा लाए गये बीजों के कारण कई प्रकार के पेड़ पौधे उग आते हैं.

यद्पि पेड़ों को पानी की जरूरत कम से कम होती हैं. तथापि नए लगाए गये पौधों के लिए कुछ समय तक जल की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक हैं.

यह व्यवस्था पोखर तालाबों और पहाड़ी ढालों पर कतार में गड्डे बनाकर हो सकती हैं. इसे वृक्षारोपण कार्यक्रम का एक जरुरी हिस्सा समझना चाहिए.

वनों की विविधता को बनाए रखने के लिए भांति भांति के पेड़ पौधे झाड़ियाँ और लताएं पुनः रोपी जानी चाहिए. जिस तरह से वनों की कटाई की जा रही हैं, वह चिंता का विषय हैं. वनों से पर्यावरण स्वच्छ बना रहता हैं.

भारत में वृक्षारोपण

भारत को सन 1947 में स्वतंत्रता मिली. उसके बाद वर्ष 1952 में सरकार ने वनों की रक्षा की एक नीति बनाई थी. उस नीति को राष्ट्रीय वन नीति का नाम दिया गया था.

इस नीति में व्यवस्थाएं तैयार की गई. देश के कुल भोगोलिक क्षेत्रफल के 33 प्रतिशत भाग पर वनों का होना आवश्यक माना गया.

इसके अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्रों में 60 प्रतिशत भूमि पर वनों को बचाएं रखने का निश्चय किया गया तथा मैदानी क्षेत्रों में 20 प्रतिशत भूमि पर.

आज स्थिति यह है कि 22.63 प्रतिशत भूभाग पर ही वन हैं कई राज्यों में तो वनों की स्थिति बहुत खराब हैं. हाँ, कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में भी वनों का अच्छा ख़ासा फैलाव हैं. जैसे हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा आदि.

वन विभाग के अनुसार वर्ष 1951 से 1982 के बीच 34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वन काट डाले गये. इससे पता चलता हैं कि प्रत्येक वर्ष 1.5 लाख हेक्टेयर वनों की कटाई हुई.

वनों की कटाई के कारण जाने अनजाने कई तरह के नुकसान होते हैं. वनों के सफाए से भारी मात्रा में मिट्टी का कटाव हो रहा हैं. भारत में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि कटाव के कारण नष्ट हो रही हैं.

बुरी तरह से मिट्टी के कटाव के कारण नदियों की तली, तालाब तथा बांधों के जलाशयों की हालत खराब हो रही हैं. यही कारण है कि हर साल बाढ़ से धन जन की भारी बर्बादी होती हैं.

पेड़ो की कटाई के कारण राजस्थान गुजरात तथा हरियाणा में रेगिस्तान का विस्तार हो रहा हैं. पश्चिमी राजस्थान का 9.35 प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानी बन चुका हैं. इन क्षेत्रों में वन कटाई के कारण भूमिगत जल का स्तर बहुत नीचे चला गया हैं.

इस कारण अब न सिर्फ सिंचाई बल्कि पीने के पानी का संकट पैदा हो गया हैं. वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन होता हैं और चट्टानों के खिसकने से उपजाऊ मृदा बहकर दूर चली जाती हैं.

कटते जंगल और वृक्षारोपण निबंध

वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओं
वन में हरियाली लाओ, अपने जीवन को स्वच्छ बनाओ
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ
आज संसार में मनुष्य लेता वृक्षों की जान
क्या मनुष्य नही जानता इससे है सबकी शान
हमारे जीवन को स्वच्छ बनाने के लिए इन्होने
दिए, बलिदान, फिर भी यह सब भूलकर ले रहे हैं इनकी जान
ईश्वर ने इन्हें बनाया, हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान
हटा प्रदूषण वातावरण से देते है यह जीवनदान
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ
जीवन में हरियाली लाओ
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ

धर्मशास्त्रों में वृक्षारोपण को पुण्यदायी कार्य बताया गया हैं. इसका कारण यह है कि वृक्ष धरती पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं.

भारतवर्ष में आदि काल से लोग तुलसी, पीपल, केला, बरगद आदि पेड़ पौधों को पूजते आए हैं. आज विज्ञान सिद्ध कर चूका हैं की पेड़ पौधें हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं.

वृक्ष पृथ्वी को हर भरा बनाकर रखते हैं पृथ्वी की हरीतिमा ही इसके आकर्षण का प्रमुख कारण हैं, जिन स्थानों में पेड़ पौधों पर्याप्त संख्या में होते हैं वहां निवास करना आनन्ददायी होता हैं पेड़ छाया देते हैं.

पशु पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं. पेड़ों पर बन्दर, लंगूर, गिलहरी, सर्प, पक्षी आदि कितने ही जन्तु बड़े आराम से रहते हैं ये यात्रियों को सुखद छाया उपलब्ध करवाते हैं. इनकी ठंडी छाया में मनुष्यं एवं पशु विश्राम कर आनन्दित होते हैं.

वृक्ष हमे क्या नही देते. फल फूल गोंद रबर पत्ते लकड़ी जड़ी बूटी झाड़ू पंखा चटाई आदि विभिन्न प्रकार की जीवन उपयोगी वस्तुएं पेड़ों की सौगात होती हैं. ऋषि मुनि वनों में रहकर अपने जीवन यापन की सभी आवश्यक वस्तुएं प्राप्त कर लेते थे.

जैसे जैसे सभ्यता बढ़ी लोग पेड़ो को काटकर उनकी लकड़ी से घर के फर्नीचर बनाने लगे, उद्योगों का विकास हुआ तो कागज दियासलाई, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए लोगों ने जंगलों को साफ कर दिया. जिससे जीवनउपयोगी वस्तुओं का अकाल पड़ने लगा. साथ ही साथ पृथ्वी की हरीतिमा घटने लगी.

वृक्षों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का वैज्ञानिकों ने बहुत अध्ययन किया हैं. उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि वायु के घटने से वायु प्रदूषण की मात्रा घटी हैं. वृक्ष वायु के शोधक होते हैं.

ये वायु से हानिकारक कार्बनडाई ऑक्साइड का शोषण कर लाभदायक ऑक्सीजन छोड़ते हैं. ऑक्सीजन ही जीवन हैं और जीवधारी उसे लेकर ही जीवित रहते हैं. अतः धरती पर वृक्षों की पर्याप्त संख्या होना बहुत आवश्यक हैं.

वृक्ष वर्षा कराते हैं ये जहाँ समूह में होते हैं वहां बादलों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं. वृक्ष मिट्टी को मजबूती से पकड़े रखते हैं. और इसका क्षरण रोकते हैं. ये बाढ़ और अकाल दोनों दोनों ही परिस्थतियों को रोकने में सहायक हैं.

ये मरुभूमि के विस्तार को कम करते हैं. ये वायुमंडल के ताप को अधिक बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं. जहाँ अधिक पेड़ पौधे होते हैं वहां गर्मियों में शीतल हवा बहती हैं. इसलिए समझदार लोग अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की बात कहते हैं.

वृक्षारोपण की आवश्यकता और महत्व

पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक आज हर कोई वनों को बचाने तथा पेड़ लगाने की बात कह रहे हैं. उनका मानना हैं कि पर्यावरण संतुलन मनुष्य की असल विकास के लिए पौधारोपण आवश्यक हैं. वृक्षारोपण का क्या महत्व हैं इसे जानने के लिए हमें पेड़ों से होने वालें लाभों को भी समझना होगा.

पेड़ हमारे लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं । जीवों द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ये प्राणदायिनी ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देते हैं । इनकी पत्तियों, छालों एवं जड़ो से हम तरह तरह की औषधियाँ बनाते हैं । इनसे हमे रसदार एवं स्वादिष्ट फल खाने को मिलते हैं.

पेड़ हमें ठंडी छाँव प्रदान करते है । इनकी छाया मे पशु-पक्षी ही नही, मानव भी चैन की श्वास लेते है । जहा वृक्ष पर्याप्त मात्रा मे होते है, वही वर्षा की मात्रा भी सही होती है ।

पेड़ों की कमी अकाल का कारण बनती है । पेड़ों से पर्यावरण की सुन्दरता में निखार आता है । पेड़ों से प्राप्त टिम्बर भवन-निर्माण एवं फर्नीचर निर्माण के प्रयोग में आती है ।

इस तरह, मानव जन्म लेने के बाद से इंतकाल तक दरख्तों एवं उनसे मिलने होने बाली विभिन्न प्रकार के उत्पादों पर निर्भर रहता है ।

महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वृक्षों के महत्व को समझते हुए कहा है-

”पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास है ये वृक्ष”

वृपेड़ो से होने वाले इन्हीं फायदों के कारण मानव ने तीव्रता से वनों की कटाई की है औद्योगिक प्रगति एवं वनों का उन्मूलन  दोनों के कारण हमारा वातावरण अत्यन्त दूषित हो गया है । पेड़ पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में कारगर सिद्ध होते हैं ।

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