गौरैया पर निबंध – Essay on Sparrow in Hindi

नमस्कार आज के निबंध में आपका स्वागत हैं. गौरैया पर निबंध Essay on Sparrow in Hindi में हम गौरैया पक्षी के बारे में सरल और आसान भाषा में जानकारी इस निबंध में दे रहे हैं.

स्पेरो कैसी होती है इसकी शारीरिक बनावट दिनचर्या और इसके जीवन के बारे में आज का निबंध दिया गया हैं.

गौरैया पर निबंध Essay on Sparrow in Hindi

गौरैया पर निबंध Essay on Sparrow in Hindi

गौरेया पक्षी जिन्हें विज्ञान की भाषा में डोमेस्टिक कहा जाता हैं. इस छोटी सी चिड़ियाँ से हम सब परिचित हैं. सूर्योदय होते ही हमारे उठने से पूर्व ही घर के आंगन में चहचहाने वाली गौरया ही है.

जो अक्सर घर के आंगन घर के पेड़ों की डाल को अपना आशियाना बनाती थी. मानव और गौरेया का अटूट सम्बन्ध रहा है जहाँ जहां मानव बसा यह चिड़ियाँ उनके साथी की तरह अपने साथ ही रही.

अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, न्यूजीलैंड हर महाद्वीप में गौरेया शहरों और गाँवों के घरों और पेड़ पौधों की रौनक बढाती थी. आज गौरेया को देखने के लिए आँखे तरस जाती हैं.

हमारी नई जीवन शैली ने उनके आवास को छीन लिया हैं. बंद घरों में इन चिड़ियाओं के प्रवेश को एक तरह के बंद कर दिया है. यही वजह हैं कि हम निरंतर उससे कट से गये हैं.

हमारा बचपन इन गौरेया को देखते देखते बीता है. आज इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हैं. इनकी संख्या में निरंतर गिरावट आ रही हैं. पिछले कुछ वर्षों से गौरेया की संख्या में 70 फीसदी की कमी आ गई हैं.

रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस ने स्पैरो को रेड लिस्ट में शामिल किया है. यदि समय रहते हमने इसके संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो निश्चय ही यह एक इतिहास का पक्षी बनकर रह जाएगा, तथा हम तथा आने वाली हमारी पुश्ते इन्हें नहीं देख पाएगी.

भूरे रंग की सफ़ेद रंग की इस चिड़िया के शरीर पर छोटे छोटे पंख, पीली चोंच की होती हैं. नर और मादा गौरैया के गर्दन पर काले धब्बा हैं. यह चिड़ियाँ अक्सर हमारे ही घरों में ही रहते हैं.

नर मादा को आम भाषा में चिड़ा चिड़ियाँ कहा गया. ये हमेशा हमारे द्वारा बनाए छप्परों में ही रहा करते हैं. आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा तेजी से लगते मोबाइल टावर के कारण गौरेया निरंतर कम होती जा रही हैं.

12 से 15 इंच लम्बी यह चिड़ियाँ के गान की आवाज बेहद मधुर होती हैं. घर के दाने पर ही इसका भोजन निर्भर करता हैं. घर के रोशनदानों में घास फूस का घौसला बनाकर गौरेया हमारे साथ ही रहा करती थी. हर साल 20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस मनाया जाता है.

इस प्रयास के जरिये आमलोगों में इसके प्रति जागरूकता पैदा की जाती हैं. जिससे इसके संरक्षण के लिए कदम उठाए जा सके. बिल्ली बाज, उल्लू आदि जीव आसानी से इसे शिकार बना लेते हैं.

छोटी पूछ की इस चिड़ियाँ 30-40 ग्राम वजन की इस नन्ही गौरेया जब धुल में नहाती है तो इसे वर्षा आने का शुभ संकेत माना जाता हैं. गौरेया पानी में तैरने में भी सक्षम है साथ ही ४५ किमी की गति हवा में आसानी से उड़ सकती हैं.

विश्व गौरैया दिवस  World Sparrow Day In Hindi

गौरैया संरक्षण को लेकर भारत सरकार एवं विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा विभिन्न कदम उठाए गये है. इसके बावजूद इसकी संख्या में निरंतर कमी दर्ज की जा रही है.

पिछले कुछ वर्षों में गौरैया की संख्या में 50 फीसदी तक कमी देखने की मिली है. आज हालत यह है कि गौरैया पक्षी विलुप्ति की कगार पर आ चूका है.

विश्व गौरैया दिवस के जरिये इस पक्षी के संरक्षण एवं लोगों के बिच जागरूकता पैदा करने के प्रयास चल रहे है. गौरैया का वैज्ञानिक नाम Passer domesticus है,

यह घर के आंगन एवं खेत खलिहानों में अक्सर चहचहाहट करती नजर आया करती थी. घर के आगंन में बिखेरे अनाज के दानों को अपनी चोंच में दबाकर अपने घोसले की तरफ उड़ान भरने के ये दृश्य अधिक पुराने नही है.

इंसान के अपने स्वार्थ की वजहों से आज गौरैया प्रजाति पूर्ण खतरे में पड़ चुकी है, अक्सर घर के बच्चों की तरह आगन में उछल कूद मचाने वाली गौरैया मनुष्य की सहजीवी पक्षी जाति रही है. हमारे शहरीकरण एवं प्रकृति के साथ स्वार्थ के खेल ने इसे अपने घर से बेघर कर दिया है.

पेस्टीसाइड गौरैया के बारे में जानकारी (Information about pesticide sparrows)

“world sparrow day”- गोरैया को जन्तुओं के गोबर में पड़े अनाज के दानो को खाकर ही अपनी आजीविका चलाती है. यही वजह है कि ये पशुओं के बाड़े के आस-पास मडराती हुई नजर आया करती है.

Maharashtra, Karnataka, Tamil Nadu, Uttarakhand, Gujarat एवं बिहार में इनकी अधिकतर संख्या पाई जाती है. 2013 में गौरेया संरक्षण के लिए इसे बिहार का राजकीय पक्षी घोषित किया गया था.

साथ ही 20 मार्च के दिन विश्व गौरैया दिवस पर इसके बचाव के लिए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है. गोरैया के लिए पसंदीदा भोजन सुखाए हुए अनाज हुआ करते थे,

जो अकसर ग्रामीण अंचलों में मिल जाया करते थे. गेहू, चावल, दाल को धोकर सुखाने के बाद गोरैया आराम से अपना भोजन बना लेती थी, मगर आज पैकिंग भोज्य सामग्री के आने के कारण इन्हें खाने के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

पेस्टीसाइड गौरैया की विलुप्ति का बड़ा कारण (The major cause of extinction of pesticide sparrows)

यदि किसी जाति का विनाश करना हो तो इसके आवास एवं भोजन के रास्ते बंद कर दो, स्वतः ही वह समाप्त हो जाएगी. गौरैया के विलुप्त होने का भी यही कारण है

गाँवों से शहरों को पलायन, खेतों में रासायनिक दवाइयों एवं कीटनाशक का उपयोग, पेड़ो की कटाई इसकी विलुप्ति के मुख्य कारण रहे है. इतनी विषम परिस्थतियों के बाद भी गौरैया की आज भी जिजीविषा बनी हुई है तभी तो हम अपने आस-पास इसके दर्शन कर पाते है.

अक्सर खुले आंगन में फुदकने वाले, बच्चों के आगे पीछे अठखेलियाँ करती कई पक्षियों की जातियां आज गायब हो रही है. आज हमने अपनी सुरक्षा और नयी जीवन शैली के अनुसार घर इस प्रकार तैयार किये है, जिसमे परिंदा भी पर नही मार सकता.

आज यह कहावत हमारे घरों को देखकर यथार्थ नजर आ रही है. वाकई में जालियों से बंद घर के दरवाजे एवं खिडकियों वाले निवास में घौसला बनाना तो दूर की बात है, अन्दर प्रवेश करना भी असंभव कर दिया है.

यदि हम इसी प्रकार अनेकों जीवो को अपने से दूर करते गये तो यक़ीनन वो दिन दूर नही जब हमे इनके दर्शन भी ना मिले.

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों गौरैया पर निबंध – Essay on Sparrow in Hindi में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी, यदि आपको गौरेया के बारे में दी जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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