ऐतिहासिक स्थल की सैर पर निबंध | Essay on Visiting a Historical Place in Hindi

प्रिय मित्रों आपका स्वागत हैं. Essay on Visiting a Historical Place in Hindi के इस लेख में ऐतिहासिक स्थल की सैर पर निबंध हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया गया हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए ऐतिहासिक स्थल की यात्रा पर सुंदर हिन्दी निबंध दिया गया हैं. बच्चे इस निबंध का उपयोग परीक्षा के लिए भी कर सकते हैं.

Essay on Visiting a Historical Place in Hindi

ऐतिहासिक स्थल की सैर पर निबंध | Essay on Visiting a Historical Place in Hindi

ऐतिहासिक स्थल की सैर पर निबंध Essay on Visiting a Historical Place in Hindi

जीवन में व्यक्ति हर वक्त कुछ न कुछ जानने देखने के जुगाड़ में रहता हैं. ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कई मायनों में लाभ दायक सिद्ध होता हैं. प्राचीन भवनों स्मारकों को देखने से इतिहास की घटनाएं साक्षात अनुभूति देने लगती हैं.

उदहारण के लिए दिल्ली के लाल किले या इंडिया गेट अथवा आगरा के ताजमहल के बारें में जानकारी हम पुस्तकों एवं इंटरनेट से जुटा सकते हैं. मगर उन्हें देखकर जो अनुभूति की जा सकती हैं वह अप्रत्यक्ष ज्ञान से सम्भव नहीं हैं.

मुझे  प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करने का शौक हैं. हर साल मेरी स्कूल की गर्मी की छुट्टियों के समय का सदुपयोग मैं अपने भ्रमण के लिए करता हूँ.

मैंने शाहजहाँ के आगरा स्थित ताजमहल के बारें में बहुत सी कहानियाँ किस्से सुने विडियो देखे मगर कभी देखने का सौभाग्य नहीं मिला था. आखिर ताजमहल देखने का मेरा सपना इस साल गर्मियों की छुट्टियों में पूरा हो ही गया.

ताज की सैर के लिए मुझे आगरा जाना था. भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन शहरों में आगरा की गिनती की जाती हैं. यमुना के तट पर स्थित इस शहर को एक जमाने में अग्रवन या आर्यग्रह कहा जाता था.

इतिहास में जानने को मिलता हैं कि आगरा शहर की स्थापना मध्यकाल में सिकन्दर लोदी के द्वारा की गई, निश्चय ही इसमें कोई दोराय नहीं हैं कि भारत की कला, स्थापत्य, मूर्ति आदि में मुगलों का अहम योगदान था, जो इस शहर में भी देखने को मिलता हैं.

भारत आने वाला लगभग प्रत्येक पर्यटक ताज अवश्य जाता हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक़ हर साल 5 मिलियन सैलानी आगरा आते हैं. आए भी क्यों न दुनियां के सातवें अजूबे की ख्याति कुछ ऐसी ही हैं.

ताज के निर्माण के सम्बन्ध में एक अनूठी प्रेम कहानी जुडी हुई हैं. कहते हैं एक समय जब शाहजहाँ की पत्नी मुमताज महल बहुत बीमार थी तो उसने शाहजहाँ से कहा था कि मेरी मृत्यु के बाद ऐसा मकबरा बनाने का वायदा करो, जिन्हें दुनियां देखती रह जाए ऐसा विरला हो.

उनकी उसी बात को ध्यान में रखते हुए शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण कराया था. इतिहासकार बताते हैं कि इसकों बनाने में लगभग 20 वर्ष का समय लगा. 1648 में ताजमहल बनकर पूरी तरह तैयार हुआ था. सफेद संगमरमर से बने इस मकबरे के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे.

आयताकार चबूतरें पर पर बने ताज का सबसे बड़ा भाग इसका गुम्बंद हैं. इनके चारों मुख्य आधार पर चार बड़ी मीनारे हैं. प्रत्येक मीनार की उंचाई चालीस मित्र हैं.

मूल ईमारत के ऊपरी भाग पर सुंदर छज्जा बना हुआ हैं. इसके पीछे यमुना नदी बहती हैं इसके अन्य तींनों भागों की दीवारें लाल बलुआ पत्थर से निर्मित हैं.

ताजमहल से दूरी का द्रश्य बेहद मनभावन होता हैं. जैसे जैसे हम इसके नजदीक जाते हैं यह हमसे दूर जाता प्रतीत होता हैं वही इसके दूर जाते यह बेहद नजदीक लगने लगता हैं. ताज के आंतरिक दीवारों के सुंदर अलंकरण में कई बहुमुल्यों रत्नों एवं धातुओं का प्रयोग किया गया हैं.

ताज के मध्य में शाहजहाँ एवं मुमताज दोनों की कब्रे बनी हुई हैं. ईमारत के चारो तरफ एक भव्य उद्यान विकसित किया गया हैं जिन्हें चारबाग के नाम से जाना जाता हैं. बगीचे के बीच में एक छोटा जलाशय हैं जिसमें ताज की सुंदर आभा प्रतिबिम्बित होती हैं.

बताया जाता हैं कि ताज की मात्र आधारशिला को बनाने के लिए बारह साल लग गये थे तथा शेष ऊपरी भाग को खड़ा करने के लिए दस वर्ष का समय लगा. इतना अधिक समय लगने का एक कारण यह भी था कि जिस स्थान पर इसे बनाया गया यह बेहद निचली भूमि थी.

यहाँ खुदाई कर उसे कूड़े से भरा गया ताकि स्थान को भूस्तर से ऊँचा उठाया जा सके. तकरीबन 50 कुँए बनाए गये. संगमरमर के पत्थर राजस्थान के मकराना से मंगाए गये. बेलों और हाथियों पर लादकर पत्थर लाए गये तथा इन्हें इच्छित स्थान पर पहुचाने के लिए बल्ली की चरखी का उपयोग किया गया.

ताज के देखने का सबसे अच्छा समय रात का माना गया हैं जब चाँदनी रात में यमुना में इसका प्रतिबिम्ब बने यह नजारा बेहद आकर्षक होता हैं. वास्तव में यह धरती पर स्वर्ग की अनुभूति दिलाने वाली भारत की ऐतिहासिक विरासत हैं.

600 शब्दों में ऐतिहासिक स्थल की यात्रा के वर्णन पर निबंध

घूमना फिरना हर व्यक्ति को पसंद होता है, खासतौर पर जब किसी ऐतिहासिक स्थल को देखने जाने की बात हो तो हर व्यक्ति खुश हो जाता है। मैंने भी अपनी जिंदगी में विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक स्थलों की सैर की है जिनके अपने अपने इतिहास रहे हुए हैं। 

मैं विश्व प्रसिद्ध आगरा के ताजमहल को भी घूमने गया हूं। यह बात है साल 2018 के दिसंबर के महीने की तब काफी तेज ठंडी पड़ रही थी और सही मायने में पूछा जाए तो ताजमहल को घूमने का मजा ठंडी के महीने में ही जाता है क्योंकि वातावरण ठंडा होने के कारण और वातावरण में कोहरा होने के कारण ताज महल का नजारा देखते ही बनता है।

ताज महल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है जिसके बगल से यमुना नदी बहती है और पास में ही आगरा कैंट रेलवे स्टेशन भी है, जहां पर दूर-दूर से सैलानी ताजमहल देखने के लिए आते हैं।

आगरा रेलवे स्टेशन से ताजमहल की दूरी सिर्फ 5 किलोमीटर की ही है और रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद आपको तमाम प्रकार के वाहन ताजमहल तक आने के लिए मिल जाएंगे।

हर साल सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों से ताजमहल देखने के लिए सैलानी आते हैं। एक अंदाज के मुताबिक हर साल ताजमहल को देखने वाले लोगों की संख्या 800000 से भी ज्यादा है। 

ताजमहल को बनवाने के पीछे ऐसी कहानी है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के मरने के बाद उसकी याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था और दोबारा कोई व्यक्ति ताजमहल ना बना सके, इसलिए ताजमहल के निर्माण में जो कारीगर लगे थे, उनके हाथ काट दिए गए थे। ताजमहल को प्यार का प्रतीक कहा जाता है। ताजमहल दिखाई देने में सफेद रंग का है क्योंकि यह संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है।

आगरा घूमने जो भी लोग जाते हैं उनका पहला उद्देश्य यही होता है कि वह ताजमहल का दीदार अवश्य कर लें, क्योंकि इसकी गिनती दुनिया के आठ अजूबे में होती है। 

ताज महल के अंदर मकबरे पर संगमरमर की एक गुंबद भी बनी हुई है जिसका आकार प्याज की तरह दिखाई देता है। इसके अलावा इसके चारों तरफ ऊंची ऊंची चार मीनारे भी बनी हुई है जिन की खासियत यह है कि सभी मीनारें थोड़ी सी झुकी हुई है परंतु देखने पर ऐसा लगता ही नहीं है कि वह मीनारें झुकी हुई है।

ताजमहल आगरा जिले में स्थित है जो भी व्यक्ति ताजमहल देखने आना चाहते हैं वह आसानी से यहां पर पहुंच सकते हैं क्योंकि आगरा शहर भारत के अधिकतर राज्यों के साथ रेलवे, हवाई जहाज और बस सेवा के जरिए अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 

आगरा पहुंचने के लिए आपको गुजरात, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता इत्यादि सभी जगह से आसानी से ट्रेन मिल जाएंगी। इसके अलावा आपको बस भी मिल जाएगी। आप चाहे तो हवाई जहाज के माध्यम से डायरेक्ट आगरा एयरपोर्ट पर भी उतर सकते हैं और वहां से लोकल टैक्सी करके या फिर रिक्शा कर के आप ताजमहल तक पहुंच सकते हैं।

ताजमहल देखने का सबसे अच्छा समय ठंडी का महीना माना जाता है, क्योंकि ठंड के महीने में यहां पर विदेशी सैलानियों का काफी आवागमन होता है।

हमने भी ताजमहल का दिन भर जमकर दीदार किया और उसके बाद हम पास के ही एक होटल में ठहरे, क्योंकि हमारी ट्रेन रात के 2 बजे थी। ट्रेन आने पर ट्रेन में बैठ कर के हम अपने घर आ गए।

हमने ताजमहल घूमने के दरमियान बहुत सारी फोटो भी खींची थी जो आज भी मेरे फोन में मौजूद है। हमारा प्लान अगली बार अपने दोस्तों के साथ ताजमहल घूमने का है।

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