महिला पुलिस पर निबंध | Essay on women police in hindi

महिला पुलिस पर निबंध Essay on women police in hindi: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज के निबंध में हम भारत में महिला पुलिस की स्थिति, बदलाव, आवश्यकता, भूमिका आदि पर निबंध स्पीच बता रहे हैं.

भारतीय महिला पुलिस के विषय पर लिखा यह निबंध स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी हो सकता हैं.

महिला पुलिस पर निबंध | Essay on women police in hindi

महिला पुलिस पर निबंध | Essay on women police in hindi

देश के अधिकांश प्रदेशों में सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए निश्चित प्रतिशत आरक्षित है. इसके अनुरूप को सरकारी नौकरियां भी हासिल होती हैं. लेकिन पुलिस बेड़े की बात करे तो कमोबेश हर जगह पुलिस बेड़े में महिलाओं की संख्या अपर्याप्त हैं.

ऐसे वक्त पर पुलिस में महिलाओं की भूमिका लगातार अहम होती जा रही हैं. पॉस्को अधिनियिम एवं महिलाओं से जुड़े अपराधों में महिला पुलिस अधिकारी द्वारा जांच एवं रिपोर्ट लिखना जरुरी हो गया हैं.

किसी महिला की गिरफ्तारी व तलाशी भी महिला पुलिस ही कर सकती हैं. यह भी तथ्य है कि बच्चों से सम्बन्धित अपराधों की जांच में महिला पुलिस अधिकारी बेहतर तरीके से कर सकती हैं क्योंकि वे अपेक्षाकृत दयालु और संवेदनशील होती हैं.

हमारे देश में संघीय व्यवस्था में पुलिस और कानून व्यवस्था तो राज्य सूची में हैं. लेकिन अपराधिक कानून समवर्ती सूचि में हैं केंद्र सरकार को अपराधों से सम्बन्धित कानून बनाने व उनमें संशोधन का अधिकार प्राप्त हैं.

लेकिन यदि उनकी पालना के लिए पुलिस बल में महिलाओं की कमी है तो उसके लिए वह सीधे राज्य सरकारों को बाध्य नहीं कर सकती.

क्योंकि महिला पुलिस की संख्या व उनके पदस्थापी की संरचना करने का अधिकार राज्यों के पास हैं. अपराधिक प्रवृत्तियों में जब महिलाएं शामिल होती है तो महिला पुलिस की भूमिका ज्यादा जरुरी हैं.

माओवाद प्रभावित छतीसगढ़ में तो बड़ी संख्या में महिलाएं भी माओवादी हैं. इनसे निपटने के लिए पुलिस बेड़े में महिला सशस्त्र बल होना चाहिए जितना उपलब्ध नहीं हैं.

पुलिस सुधारों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने जो निर्देश दिए है उसके अनुरूप अधिकाश राज्यों ने नयें स्थानीय पुलिस अधिनियम बना लिए हैं. लेकिन ब्रिटिश काल से लागू पुलिस अधिनियम 1861 में संशोधन कर महिला पुलिस की भागीदारी सुनिश्चित करने का कोई काम नहीं हुआ हैं.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों एनसीआरबी के आंकड़े बताते है कि महिला पुलिस बल में वर्ष 2001 में दो प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2016 में सात प्रतिशत की वृद्धि अवश्य हुई है फिर भी यह संख्या महिला सम्बन्धी अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में महिला पुलिस की भागीदारी 15 से 20 प्रतिशत तक हैं. हमारे देश में अधिकांश महिलाओं के लिए नौकरियों में 30 से 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान हैं किन्तु इस लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं हैं.

भर्तियाँ आमतौर पर रिक्त पदों के विरुद्ध की जाती हैं. इनमें भी महिलाओं की संख्या न्यूनतम अनिवार्य अनुपात के आसपास ही रह पाती हैं. कई राज्यों में महिला पुलिस स्टेशन भी खुले हैं. लेकिन ये भी प्रभावी नहीं हो सका हैं.

दरअसल प्रत्येक थाणे में महिला पुलिस पर्याप्त संख्या में होना जरुरी हैं. ताकि महिलाएं बेझिझक रिपोर्ट दर्ज कराने आ सके. सीआरपीएफ ने छतीसगढ़ क्ले बस्तर में एक महिला बटालियन तैनात की है जो माओवादियों से लोहा ले रही हैं.

छतीसगढ़ पुलिस की सशस्त्र बटालियन में पहली बार महिलाएं भर्ती की है जो अपना काम कुशलता से अंजाम दे रही हैं. लेकिन इतना ही पर्याप्त नही. पुलिस सेवा को महिलाओं के लिए आकर्षक बनाना होगा.

देश में महिला पुलिस की संख्या और वुमेन स्टेशन बढ़ाए जाने की आवश्यकता हैं. जिससे अधिकाधिक प्रशिक्षित महिलाएं इस क्षेत्र में आगे आ सके. इसका बड़ा लाभ महिला अपराधों में कमी लाने में होगा.

एक महिला भली प्रकार से नारी उत्पीडन की घटनाओं को समझ सकती है तथा पूछताछ कर सकती हैं. यदि सरकारे इस दिशा में कदम बढ़ाती है तो हमारे समाज में एक और सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता हैं.

कई बच्चियां और महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की घटनाओं को ब्यान नहीं कर पाती हैं. ऐसे में यदि हर जिले में महिला स्टेशन होते है तो इस तरह के मामले अधिक संख्या में दर्ज होंगे और सामाजिक न्याय का दायरा भी बढ़ेगा.

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