महानता पर सुविचार अनमोल वचन | Greatness Quotes In Hindi

Greatness Quotes In Hindi (महानता सुविचार) : बड़े और महान व्यक्ति की मुख्य पहचान उसकी महानता होती हैं. विशाल ह्रदय के स्वामी जो हमेशा प्यार, स्नेह लुटाता रहे.

छोटी सोच की बजाय अपने विचारों का दायरा बड़ा कर दे, उदारता के साथ जीवन इनकी जीवनशैली का अंग हैं. हमने आज यहाँ महानता पर अनमोल वचन (Greatness Quotes) में दार्शनिकों के ऐसे थोट्स आपके लिए लाए है जिनसे महानता का अर्थ व जीवन में इसके महत्व को आसानी से समझा जा सकता हैं.

महानता पर सुविचार अनमोल वचन | Greatness Quotes In Hindi

महानता पर सुविचार अनमोल वचन Greatness Quotes In Hindi

1#. महानता से भयभीत मत हो. कुछ जन्म से ही महान होते हैं. कुछ जीवन में महानता प्राप्त करते हैं. और कुछ व्यक्तियों पर लाद दी या थोप दी जाती हैं.


2#. एक वास्तविक महान मनुष्य को तीन भागों में जाना जाता हैं योजना में उदारता, कार्य सम्पादन में मानवता तथा सफलता में संयम.


3#. समस्त महान व्यक्ति मध्यम वर्ग से आते हैं.


4#. महान और श्रेष्ठ बहुत कम वे ही व्यक्ति होते हैं.


5#. महान स्थान तक उठकर पहुचना चक्करदार जीने द्वारा होता  हैं.


6#. सरल होना महान होना हैं.


7#. यदि कोई आदमी महानता खोजता है तो उसको महानता को भूलकर सत्य की प्राप्ति करनी चाहिए और उसकों सत्य एवं महानता दोनों की प्राप्ति हो जायेगी.


8#. बलशाली होने में महानता नही हैं, बल्कि बल का उपयुक्त प्रयोग करने में ही महानता हैं.


9#. महान मस्तिष्कों को केवल अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार नही रहना चाहिए, बल्कि अवसरों को बनाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.


10#. महान व्यक्तियों के बिना दुनियां का काम नही चलता हैं, परन्तु महान व्यक्ति दुनियां के लिए बहुत दुखदायी होते हैं.


11#. महान आदमी सदैव ज्ञानवान नही होते हैं.


12#. महान इन्सान सच्चे मानव है जिन्होंने प्रकृति में सफलता पाई हैं, वे असामान्य नही वे प्रमाणिक अनुक्रम में हैं. यह मानव की दूसरी प्रजाति हैं ये वो नही है जो इन्हें होना चाहिए.


13#. अग्नि स्वर्ण की परख करती है वही दुर्भाग्य महान इंसानों की परख करता हैं.


14#. जिनके जीवन में सरलता का अभाव है वहां महानता नही हैं.


15#. महानता से आसान कुछ भी नही है आसान होने का मतलब है महान होना.


16#. उत्साह महान व्यक्ति की पहली जरूरत हैं.


17#. दुःख दर्द और तकलीफों का सामना करने के बाद भी एक व्यक्ति सज्जन बुद्धिमान और महान बन जाता हैं.


18#. उदय होते हुए सूर्य को सभी नमस्कार करते हैं।


19#. जो स्वयं को छोटा बताते है वे एक दिन महान बनते है तथा जो स्वयं को महान कहते है एक दिन छोटे बन जाते हैं,


20#. बड़े दोषों से जन्म लेना महान व्यक्तियों की निशानी हैं.


21#. कोई इन्सान छोटी या बड़ी चुकें किये बिना महान नही बना हैं.

महानता पर सुविचार

मनुष्य महान अपने कर्मों से बनता है जिसके व्यवहार, सोच, विचारों में महानता के गुण परिलक्षित होते हैं।


महानता मनुष्य को दुनिया में सम्मान दिलाती है और लोगों के समक्ष आदर्श रूप प्रस्तुत करती है।


अच्छाई महानता का द्योतक होती है। मनुष्य अच्छाई के द्वारा ही अपनी महानता प्रदर्शित कर सकता है।


मनुष्य में महानता के गुण अगर दर्शित होते हैं तो ऐसा मनुष्य इतिहास रच लेता है।


महान पुरुष अपनी महानता से ही दुनिया में कई कीर्तिमान हासिल कर लेते हैं।


मनुष्य की महानता जग में नाम कमाती है।


महान मनुष्य मर कर भी अमर हो जाते हैं।


मनुष्य एक दूसरे की नज़रों में महान हो ना हो लेकिन अपनी और ईश्वर की नज़रों में अपने सत्कर्मों द्वारा महान होना चाहिए।


मनुष्य की महानता उसके कार्य में दिखती है जो अपने साथ-साथ दूसरों का भी हित करती है।


प्राचीन काल के महान आदर्श स्वरूप मनुष्य आज की सदी में भी माने जाते हैं अपनी एक विशिष्ट जगह बनाए हुए हैं।


मनुष्य का जीवन बिना अच्छाई के कभी महान नहीं बन सकता है।


एक बच्चे के लिए जन्म देने वाले माता-पिता जिन्होंने अपने बच्चों में सही संस्कार दिये हों, अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित किया हो वो महान ही होते हैं।


मनुष्य स्वयं की खुशी व सफलता के लिए बहुत कुछ करता है लेकिन जो दूसरों को खुशी देता है, सफलता पाने में मदद करता है, जिसमें कोई स्वार्थ भावना नहीं होती है और ना ही कोई एहसान भावना होती है ऐसे लोग अपनी महानता का परिचय देकर महानता के गुणों से ओतप्रोत होते हैं और महान बन जाते हैं।


कोई मनुष्य सिर्फ शब्दों से महान नहीं होता है। स्वयं की प्रशंसा करने से महान नहीं होता है बल्कि व्यावहारिक रूप से मनुष्य में सच्चे रूप से अच्छाई होनी चाहिए एवं कार्यरत रूप से पालन की जानी चाहिए तभी मनुष्य की महानता वास्तविक रूप से दर्शित होती है।


प्राचीन काल से कितने योद्धा हुए जिन्होंने अपनी मातृभूमि की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया वो महानता की श्रेणी में आ गए।


सरहद पर अपनी हिम्मत और हौसलों से डटे वीर जवान देश की सुरक्षा के लिए रात दिन, हर मौसम, हर परिस्थिति में तैनात हैं यह उनकी महानता के गुण हैं।


मनुष्य का जीव जंतु के प्रति प्रेम और उनके रखरखाव का ख्याल करना भी महानता है। जो पशु पक्षियों का भी दिल से ख्याल रखते हैं।


जिन मनुष्य के मन में दूसरे मनुष्य के लिए सच्चे रूप में करुणा, प्रेम, नम्रता, अपनापन, सहायता करने की भावना, समझ स्वरूप विद्यमान होती है वह महान ही होते हैं। दिखावटी अच्छापन भले जग में भ्रमित करे लेकिन ईश्वर को खुश नहीं कर सकता है।


महानता स्वरुप मनुष्य अपना नाम अमर कर जाते हैं जो स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाते हैं।


महानता अच्छे गुणों की संग्रह पुस्तकालय है जिसमें आदर्शों की शिक्षा मिलती है।


महानता वो पाठशाला है जो सिर्फ अच्छाई, सच्चाई, अच्छी आदतों, आदर्श भरी बातों की शिक्षा देती हैं।


महान होना अपने आप में गर्व का अनुभव कराता है।


एक बच्चे की महानता अपने माता-पिता के सपनों को साकार रूप देने में प्रस्तुत होती है।


अभिभावकों की महानता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार स्वरूप दुनिया में काबिल और एक अच्छा मनुष्य स्थापित होने में है।


मनुष्य अगर दिखावे के लिए महान बनते हैं तो ज्यादा दिन ऐसी महानता टिकती नहीं बल्कि झूठ और दिखावटी मुखौटा समय पर बेनकाब हो जाता है।


महानता का ताल्लुक ना तो जाति से होता है, ना ही रंग रूप से होता है, न ही अमीर गरीब से होता है। महानता का गुण स्वयं मनुष्य द्वारा अर्जित किया जाता है। अपनी सकारात्मक सोच, अच्छे विचार, अच्छी आदतों और अच्छे कर्मों से जिसमें स्वार्थ, दिखावे व अहसान का कोई स्थान नहीं होता है।


मनुष्य नाम, शोहरत, धन-संपत्ति, रुतबे से महान नहीं बनते बल्कि महानता मनुष्य के चरित्र व अच्छाई से संबंधित है।


जो मनुष्य स्वयं को महान कहते हैं वास्तव में वह महान नहीं होते क्योंकि महानता किसी के कहने से नहीं होती बल्कि महानता का गुण मनुष्य के कर्मों के द्वारा पता चल जाती है।


जो मनुष्य बुराई को अच्छाई में बदल देता है वो भी महानता की सूची में गिना जाता है।


महानता स्वयं परिभाषित नहीं होती है बल्कि महान लोगों के द्वारा ही महानता समक्ष आती है।


महान व्यक्तित्व में प्रेम भावना अथाह होती है जो अपने व्यवहार से और कार्यों से महानता स्वरूप मानी जाती है।


मनुष्य को अपनी सोच को विकसित करना चाहिए एवम् महानता के गुणों को अपनी अच्छी सोच व विचारों में अपना कर व्यवहार में लाना चाहिए तभी एक महान व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं।


महान लोगों की दिनचर्या एवं जीवन जीने की प्रक्रिया ऐसी होती है जो प्रेरणा देती है जिससे महानता दर्शित होती है।


महानता मनुष्य को हमेशा ऊँचा उठा देती है कभी गिरने नहीं देती है। समाज में एक आदर्श रूप प्रस्तुत करती है।


जो मनुष्य पूरी तरह टूट कर भी उठ जाए, आशा से भर जाए और अपना मुकाम बना लें वो महान होता है।


मनुष्य द्वारा अन्य मनुष्य में प्रेम भावना का प्रसार करना, अच्छाई से, अपने अच्छे कार्यों से खुद को और दूसरों को खुशी देना महानता का गुण है।


कितने वीर देश के प्रति अपने समर्पण से महान आदर्श बन गए और समय के साथ भी महान ही रहते हैं।


महानता कभी मनुष्य को कुमार्ग पर नहीं ले जाती है।


महानता के संदर्भ में लोग वाकिफ हैं लेकिन महानता का गुण कम लोगों में ही मिलता है।


जो मनुष्य घमंड में चूर स्वयं को महान बताता है और अपनी महानता के राग अलापता है वास्तव में वह महान नहीं होता है।


महान लोगों को दिखावे की ज़रूरत नहीं पड़ती है उनके गुण ही उनकी महानता के दर्शन करा देते हैं।


महानता किसी के पैसों की मोहताज नहीं होती है। पैसों से किसी में महानता के गुण नहीं आते हैं।


किसी के नाम में महानता नहीं होती है बल्कि महानता महान लोगों के काम में दर्शित होती है और महान होने पर नाम भी मर कर अमर हो जाते हैं।


अनेक शिष्यों को अपने गुरुजनों की श्रेष्ठता महान स्वरूप याद रहती है, यह उनकी महानता ही है कि शिष्यों के दिल में बस जाते हैं और याद रहते हैं।


महान व्यक्ति को किसी पद्ववी की ज़रूरत नहीं पड़ती है बल्कि महानता गुरुजनों की शिक्षा दीक्षा पालन करने से भी प्राप्त होती है।


समय व अवसर खुद महान लोगों के दर्शन करा देता है।


एक नारी पुरुष के महान पुरुषत्व से प्रभावित होती है। पैसा, रूप रंग तो अस्थाई है जिसकी कोई गारंटी नहीं होती है।


मनुष्य को मान सम्मान, सुख -समृद्धि – शांति, संतुष्टि चाहिए तो महान बनना पड़ता है।


महानता की प्राप्ति महान कार्यों से लक्षित होती है।


मनुष्य के कर्म अच्छे होगें तो मनुष्य महान कहलाएगा और शान से अपना सर ऊँचा उठा सकेगा।


दूसरों को दुख देकर कोई महान नहीं बन सकता है।


मनुष्य अगर अपने धर्म, कर्म के कार्य पूरी निष्ठा से करेगा तो सत्कर्मों स्वरुप मनुष्य महानता की ओर बढ़ जाएगा।


बिना कार्य का मनुष्य अनजान समान है जिसकी समाज में कोई अहमियत नहीं होती है। संघर्ष से जो घबराता है और अच्छे कार्यों के प्रति कोई जिज्ञासा नहीं दिखाता है ऐसा पुरुष महानता से दूर हो जाता है।


मनुष्य की महानता उसके सामर्थ्य और शक्ति से दिखाई नहीं पड़ती है बल्कि दुनिया में अपने सामर्थ्य और शक्ति के उचित प्रयोग से दर्शित होती है।

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