स्वास्थ्य और व्यायाम पर निबंध | Health And Exercise Essay In Hindi

Health And Exercise Essay In Hindi नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं आज हम स्वास्थ्य और व्यायाम पर निबंध लेकर आए हैं. अच्छे स्वास्थ्य के लिए नित्य व्यायाम एवं खेलकूद अनिवार्य शर्त मानी जाती हैं.

व्यायाम हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखता हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद, पैराग्राफ में हम स्वास्थ्य और व्यायाम के संबंध और महत्व के बारें में जानेगे.

स्वास्थ्य व व्यायाम पर निबंध Health And Exercise Essay In Hindi

स्वास्थ्य और व्यायाम पर निबंध Health And Exercise Essay In Hindi

प्रस्तावना : सुखी जीवन के लिए अच्छे स्वास्थ्य को आवश्यक माना जाता हैं. मनुष्य यदि शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ है तो वह सबसे अधिक धनवान तथा भाग्यशाली हैं.

स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकता हैं. तथा औरों के जीवन में भी रौशनी लाने का कार्य कर सकता हैं. व्यक्ति के जीवन के चार मूल ध्येय धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन की प्राप्ति के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना चाहिए.

अंग्रेजी की प्रसिद्ध कहावत हेल्थ इज वेल्थ स्वास्थ्य के सार्वभौमिक महत्व को दिखाती हैं. अच्छे स्वास्थ्य के कई मार्ग हो सकते है मगर एक संतुलित जीवन में व्यायाम वह माध्यम हैं जिसे बालक से लेकर वृद्ध तक कोई भी सरलता से अपना सकता हैं.

व्यायाम का अर्थ : यह शब्द वि और आयाम से मिलकर बना हैं, जिसका आशय है व्यायाम किसी एक क्रिया का नाम न होकर इसमें कई सारी क्रियाएं समाहित होती है जिनका उद्देश्य व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ और स्फूर्तिवान बनाना.

योगासन, खेल कूद, शाम सवेरे का भ्रमण, प्रणायाम, अंग प्रत्यंग क्रियाएं यथा उठक बैठक टहलना, आसन, ध्यान, तैरना, मुगदर आदि को समाहित कर जो नाम दिया जाता हैं वह व्यायाम हैं.

अर्थात विभिन्न वे आयाम जो व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ और तन्दुरस्त रखने के लिए करता हैं उसे व्यायाम की संज्ञा दी जाती हैं.

व्यायाम की आवश्यकता: आज भारत ही नहीं पूरा विश्व व्यायाम को अपने जीवन शैली का हिस्सा बना हैं. योग को वैश्विक स्वीकार्यता इसका बड़ा प्रमाण हैं.

संसार में आज हरेक व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रोगों से स्वयं को घिरा हुआ पाता हैं. आज की हमारी व्यवस्था में बीमार पड़ने पर चिकित्सक के पास जाकर दवाई ले आने की व्यवस्था हैं.

यह चक्र निरंतर चलता रहता है मगर यदि कोई बीमारी और ईलाज के चक्र को विध्वंस कर व्यक्ति को सदैव स्वस्थ रखने की गारंटी दे सकता हैं तो वह योग व व्यायाम ही हैं.

प्रत्येक व्यक्ति में रोगजनक कीटाणु एक मात्रा में होते हैं मगर हमारा शरीर पर्याप्त शक्तिशाली होने के कारण वे अपना प्रभाव दिखा नहीं पाते हैं.

मगर जैसे ही शरीर में दुर्बलता आती है हम बीमार पड़ जाते हैं. मगर जो व्यक्ति नित्य व्यायाम करता है वह कभी भी बीमार नहीं पड़ता हैं.

एक महान डोक्टर की पंक्तियाँ सारगर्भित हैं. वे कहते है सच्चा चिकित्सक वही है जो दवाई पर यकीन किये बिना अपने मरीज के स्वास्थ्य को ठीक कर दे वही उत्तम चिकित्सक हैं.

आए दिन प्रकाशित होने वाले शोध इस बात की पुष्टि करते है कि दवाई एक बीमारी को मिटाने के लिए दी जाती हैं मगर वह दस नई बीमारियों की सम्भावना को तैयार कर देती हैं.

अतः हमें दवाई पर निर्भर न होकर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता हैं. व्यायाम और योग क्रियाएं हमारे शरीर को पर्याप्त शक्तिशाली बना देगी जिस पर रोगों के परजीवियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं.

व्यायाम के रूप : व्यायाम शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं से जुड़ा विषय हैं. स्वस्थ चिन्तन, मनन कल्पना भी इसका अंग हैं वही शरीर की क्रियाओं यथा खेलकूद और योग आदि शारीरिक व्यायाम के प्रकार हैं.

मूल रूप से स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए व्यायाम किया जाता हैं. इन्हें मोटे दो भागों में विभक्त कर सकते है खेलकूद एवं नियमित व्यायाम.

शारीरिक गतिविधियों से जुड़े खेल यथा हॉकी, कबड्डी, तैराकी, कुश्ती, क्रिकेट, दौड़ आदि से शरीर के सभी अंगों व कोशिकाओं में रक्त संचार व ऑक्सीकरण की क्रिया मजबूत होती हैं.

शरीर की वृद्धि तथा मांसपेशियों व हड्डियों को मजबूती मिलती हैं तथा मस्तिष्क में बुद्धि का संचार होता हैं. खासकर स्कूल के विद्यार्थियों के लिए खेलकूद और व्यायाम को पाठ्यक्रम की तरह ही उपयोगी मानकर हमारे देश में इन्हें पाठ्यचर्या का अंग बनाया गया हैं.

वे व्यक्ति जो खेल आदि क्रियाओं में भाग नहीं ले सकते है उन्हें सुबह और शाम के समय भ्रमण, योगासन, नृत्य आदि क्रियाओं को स्वास्थ्य को अच्छा बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

व्यायाम की मात्रा : प्रत्येक व्यक्ति को कितनी मात्रा में व्यायाम करना चाहिए यह उनकी आयु, शारीरिक क्षमता आदि पर निर्भर करता हैं

बच्चों महिलाओं तथा वृद्धों की तुलना में वयस्क पुरुषों को दिन में अधिक व्यायाम करना चाहिए. वृद्ध तथा बच्चों को विशेष रूप से सवेरे नित्य भ्रमण तथा कसरत को अपनी नित्य दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए.

व्यायाम के लिए आवश्यक बातें : सभी के लिए व्यायाम का बेहतरीन समय सवेरे का माना जाता हैं. हाथ मुहं ढोने के बाद निवृत होकर व्यायाम करने चाहिए.

सुबह व्यायाम करने का एक अन्य लाभ यह है कि स्वच्छ वातावरण होता है वायु स्वच्छ होता है आरम्भ में थोड़े थोड़े समय से व्यायाम की आदत डालने के बाद धीरे धीरे इसे बढाना चाहिए.

हरेक व्यक्ति को अपनी शारीरिक क्षमता के मुताबिक़ व्यायाम का चयन करना चाहिए, नाक से श्वास ले तथा व्यायाम करने के बाद दूध और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए.

व्यायाम से लाभ :  मानव का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य को माना गया हैं जो शरीर को शिथिल व मंदबुद्धि बना देता हैं, समय पर कोई कार्य नहीं होता है रक्त संचार और पाचन क्रियाएं सुस्त पड़ जाती हैं. तथा बीमार पड़ने लगता हैं.

व्यायाम आलस्य को दूर कर शरीर में स्फूर्ति का संचार करता हैं रक्त का परिसंचरण सही ढंग से होने लगता है तथा भोजन भी ठीक तरह से पचता हैं इस तरह वह रोगों से दूरी बना लेता हैं.

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि व्यायाम और स्वास्थ्य का गहरा अंतरसम्बन्ध है नित्य व्यायाम करके व्यक्ति रोगों से छुटकारा पा सकता हैं तथा अपने जीवन को इच्छित ढंग से जी सकता हैं.

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