दिल पर सुविचार अनमोल वचन | Heart Quotes In Hindi

Heart Quotes In Hindi (दिल सुविचार) : दिल मानव का सबसे संवेदनशील अंग है समस्त भावनाएं एहसासों का जन्म यही से होता हैं. हर जिन्दा इन्सान के लिए एक दिल बना होता है मगर लोग कई बार उन पर अत्याचार कर करके पत्थर दिल भी बना डालते हैं.

एक मनुष्य होने के नाते हर व्यक्ति की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, कोशिश होनी चाहिए किसी के दिल को हमारी वजह से ठेस नही पहुचे क्योंकि सुना है एक बार दिल टूटने पर जुड़ता नही हैं.

साहब, इसलिए दो दिलों को जोड़िये मगर तोड़िए कभी मत क्योंकि आप भी एक दिलवाले है ऐसा सलूक आपके साथ भी कोई कर सकता हैं.

बहरहाल आज हम दिल पर सुविचार (Heart Quotes, heart touching love quotes) में जानेगे कि दार्शनिकों का दिल के बारे में क्या थोट्स हैं.

दिल पर सुविचार अनमोल वचन | Heart Quotes In Hindi

दिल पर सुविचार अनमोल वचन Heart Quotes In Hindi

1#. यदि एक सुंदर मुखमडल संस्तुति पत्र है, तो एक अच्छा ह्रदय विश्वसनीयता का पत्र हैं.


2#. मेरे विचार से ह्रदय की कठोरता की अपेक्षा यदि कोई निकृष्ट गुण है तो वह मस्तिष्क की कोमलता हैं.


3#. मूर्ख का ह्रदय उसके मुहं में होता है, परन्तु बुद्धिमान का मुख उसके ह्रदय में होता हैं.


4#. एक श्रेष्ठ ह्रदय विश्व के समस्त मस्तिष्कों की अपेक्षा श्रेष्ठतर होता हैं.


5#. ह्रदय की झुर्रिया भौंह की झुर्रियों की अपेक्षा अधिक अमिट होती हैं.


6#. आवश्यकता और सम्पति समान रूप से मनुष्य के ह्रदय को कठोर बना देती हैं, जिस प्रकार पाला और अग्नि दोनों मनुष्य के मांस के विरोधी हैं. दुर्भिक्ष और अत्यधिक भूख समान रूप से मनुष्य के ह्रदय से स्वाभाविकता को निकालकर भगा देते हैं.


7#. मनुष्य ह्रदय में जैसा विचार करता है, वैसा ही वह बन जाता हैं.


8#. ह्रदय भावपक्ष के अपने तर्क होते है, जिनकों तर्कशीलता नही जान सकती हैं.


9#. यदि भावना अनुचित हैं, तो समस्त उचित विचार व्यर्थ हैं.


10#. जो दिल कहे वही ठीक हैं.


11#. ह्रदय की शब्दमयी भाषा नही होती हैं, यह सीधा ह्रदय से बात कहता हैं.


12#. एक श्रेष्ठ ह्रदय स्वर्ण के समान मूल्यवान होता हैं.


13#. हाथ हाथ से कसकर निपटते हैं, आँखे आँखे पर टक्कर लगाती हैं, हमारे ह्रदय का अभिलेख इस प्रकार आरम्भ होता हैं.


14#. टुटा हुआ दिल उस टूटे हुए दर्पण के समान है अतः दोनों को जोड़ने में बड़ा कष्ट मिलता हैं.


15#. हार्ट में आगमन द्वार तो होता है मगर निकलने के लिए कोई द्वार नही होने के कारण लोग दिल तोडकर निकल जाते हैं.


16#. जो आपकों दिल से बातचीत करता है उन्हें कभी दिमाग से जवाब नही देना चाहिए.


17#. दिल की आवाज को इजहार कहते है तथा झुकी नजर को प्यार कहते हैं.


18#. जों इन्सान दिल का भला होता है दिमाग वाले लोगों की दुनियां उसका भरपूर फायदा उठाती हैं.

दिल पर सुविचार

मनुष्य का स्वास्थ्य उसके दिल के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ होता है।


मनुष्य रिश्तों में दिल से सोचे न कि दिमाग से एक दूसरे का इस्तेमाल करे क्योंकि मनुष्य नहीं वस्तुएँ इस्तेमाल की जाती हैं।


मनुष्य का दिल अगर अच्छा महसूस करता है तो जिंदगी खूबसूरत लगती है।


माँ का दिल सिर्फ अपने बच्चों की खैरियत चाहता है। माँ का दिल अपने बच्चों में बसता है।


दिल एक मंदिर है जिसकी अनुभूति दिल से ही की जा सकती है।


जिस मनुष्य का दिल साफ हो, सच्चा व पवित्र हो उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।


एक अच्छा दिल कभी किसी का बुरा नहीं चाहता है और ना ही किसी का बुरा करता है।


मनुष्य का स्वभाव व व्यवहार उसे दूसरों के दिल में बसाता भी है और दिल से दूर भी कर देता है।


मनुष्य को कभी किसी का दिल से बुरा नहीं चाहना चाहिए क्योंकि दिल की चाहत स्वयं के कर्मों पर असर करती है।


अपने देश अपनी मातृभूमि के लिए प्यार हमेशा दिल से होता है और ज़ज्बा जगाता है कि देश के लिए कर्म दिल से किए जाएँ।


मनुष्य के चेहरे की सुंदरता से कहीं अधिक श्रेष्ठ है दिल की सुंदरता।


चेहरे की सुंदरता बदलती रहती है लेकिन दिल की सुंदरता महसूस हो जाती है। चेहरे की सुंदरता आकर्षित कर सकती है लेकिन दिल की सुंदरता दिल में बस जाती है।


मनुष्य विश्वासप्रिय दिल की विश्वसनीयता से बनता है ना कि चेहरा मनुष्य को विश्वास का पात्र बनाता है।


मनुष्य की बुद्धिमत्ता उसके दिल के विचारों के व्यवहारिक स्वरूप पर निर्भर करती है। चेहरे की बुद्धिमता का विश्वास नहीं किया जा सकता है।


मनुष्य की श्रेष्ठता उसके दिल से आंकी जाए तो सर्वोपरि रूप प्रस्तुत करती है अन्यथा चेहरे में कोई श्रेष्ठता नहीं होती है क्योंकि श्रेष्ठता गुणों, स्वभाव, व्यवहार, सोच पर निर्भर करती है।


मनुष्य की उम्र सांसारिक रूप से भले संख्या के रूप में आंकी जाए लेकिन जवां दिल हमेशा जवां रहते हैं।


मनुष्य का दिल अगर सच्चा विश्वासप्रिय है तो वह अनेक मस्तिष्कों से श्रेष्ठ और ईश्वरीय प्रिय होता है।


मनुष्य महान अपने कर्मों से बनता है और उन कर्मों को अंजाम दिल की सच्ची अच्छी सोच प्रेरित करती है।


मनुष्य का लगाव दिल से होना चाहिए न कि मस्तिष्क से क्योंकि मस्तिष्क में मतलब की धारा बह जाती है लेकिन दिल का लगाव दिल से जुड़ता है।


किसी को पसंद करना है तो दिल से पसंद करो, मस्तिष्क का खेल कभी स्थाई नहीं रहता है।


मनुष्य के सच्चे दिल में ईश्वर का वास होता है जिसे कभी टूटने नहीं देना चाहिए, धोखा नहीं देना चाहिए, दर्द नहीं देना चाहिए।


मनुष्य भले मनुष्य को यातना शरीर में देता है लेकिन महसूस दिल करता है इस प्रकार दिल को आहत करना सबसे बड़ा पाप है।


मनुष्य दिल से अच्छा होना चाहिए मस्तिष्क की अच्छाई तो रूप बदलती रहती है।


मनुष्य का कार्यान्वित स्वरूप उसके दिल के विचारों से फलित होता है।


मनुष्य की भावनाएँ दिल से जुड़ी होती हैं जो जीवन में रिश्तों को अहम्‌ बनाती हैं वरना मस्तिष्क से जुड़े रिश्तों की नींव कमज़ोर होती है।


मनुष्य अपने जीवन में बदलाव अपनी सोच व विचार से ला सकता है जो दिल से फलीभूत होते हैं।


मनुष्य अच्छा सिर्फ दिखावे के लिए न बने, अच्छा बनना है तो दिल से अच्छा बने क्योंकि दिखावी अच्छापन किसी के दिल को नहीं छू सकता लेकिन दिल का अच्छापन जीवन को सुमार्ग पर ले जाता है व अन्य लोगों के दिल में अपनी जगह बना लेता है।


मनुष्य बुद्धिमान और सुंदर होकर जग में तो प्रसिद्ध हो सकता है लेकिन अगर दिल से मैला है तो कहीं टिक नहीं सकता है।


दिल के दर्द अक्सर दिल से ही अनुभव किए जा सकते हैं।


मनुष्य कितने भी अच्छे कार्य करे लेकिन अगर दिल की भावना में दोष है तो वह सारे कार्य निरर्थक हो जाते हैं।


मनुष्य के दिल की आवाज़ कभी झूठी नहीं होती, सच भरी सही सोच का आभास कराती है।


मनुष्य दिल का भागीदार बने और दिल से दिल जुड़े बजाये दूसरों का अनिष्ठकर उसके दिल में नफरत का भागी बन जाए।


दिल से कही बात महसूस की जाती है शब्दों की कुटिल व्याख्या नहीं देती है।


मनुष्य के दिल की अच्छाई अनमोल होती है क्योंकि सत्कर्म मनुष्य के दिल की ही उपज होती है।


मनुष्य का दिल एक दूसरे से जुड़ने के लिए होता है लेकिन दिल तोड़ कर निकलने वाले अक्सर दिल तोड़ने जैसा बुरा कार्य कर जाते हैं क्योंकि दिल तोड़ना अच्छाई नहीं है।


मनुष्य अपनी मस्तिष्क की चालाकी से दिल से भले मनुष्य का फायेदा उठाते हैं और यह भूल जाते हैं कि ईश्वर सच देखते हैं, दुनिया वाले कुछ भी देखे समझे जिसका फल मिलता ज़रूर है।


दिल से वार्तालाप करें तो अपने दिमाग को उत्तर देने से बचाना चाहिए क्योंकि दिल के प्रश्नों के उत्तर दिल से दिये जायें तो अच्छा होता है वरना अपनत्व भाव  दूर होता है।


मनुष्य एक दूसरे को दिल की चोट देकर कभी अपने सुख की कामना करे तो फलित नहीं हो पाता है।


मनुष्य का दिल पवित्र होता है। शरीर की पवित्रता उसके कर्म निर्धारित करते हैं।


मनुष्य किसी का दिल दुखा के कभी उसके दिल में अपनी जगह नहीं बना सकता है।


मनुष्य दिल जोड़ने का नेक कार्य करे तो भला होता है। दिल तोड़कर कब किसका भला होता है।


मनुष्य द्वारा धोखा दिल से हमेशा के लिए प्रेम भावना नष्ट कर देता है फिर विश्वास की नींव टूट जाती है।


मनुष्य एक दूसरे के दर्द की जानकारी तो रखता है, कभी उसका प्रचार करता है तो कभी मजाक बनाता है तो कभी सहानुभूति दिखाता है लेकिन समझा सही रूप में कम ही जाता है।


मनुष्य के शरीर की चोट तो अक्सर जल्दी ठीक हो जाती है लेकिन दिल पर लगी चोट मनुष्य को तोड़ देती है जो जल्दी ठीक नहीं होती है।


मनुष्य दूसरों का ख्याल रखते रखते यह भूल जाता है कि स्वयं के दिल के प्रति भी कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं जिसे खुश रखना उस ज़िम्मेदारी का हिस्सा होती है।


दिल से अच्छा मनुष्य दिल में अपनी जगह बना लेता है, किसी का प्रिय बन जाता है क्योंकि दिल का बुरा भले बाहरी संसार में दिखावी रूप बना लें लेकिन दिल में हमेशा के लिए जगह नहीं बना पाता है।


शब्दों की खामोशी भले फर्क लाए न लाए लेकिन खामोशी मनुष्य को खामोश कर देती है इसलिए दिल से मुस्कुरा देना चाहिए अपने लिए और अपने ईश्वर के लिए जिसने इतनी खूबसूरत जिंदगी मनुष्य को प्रदान की है।


मनुष्य को अगर अपना जीवन सफल बनाना है तो दिल के विचारों व सोच को सकारात्मकता से भरना होगा वरना दिल में नकारात्मक विचारों की उपस्थिति सफलता व खुशहाली में बाधा बनती है और अनेक परेशानियाँ उत्पन्न करती है।


मनुष्य को सबसे पहले दिल से सोचना चाहिए दिमाग से कार्य करना चाहिए क्योंकि दिल भावनाओं से जुड़ा होता है, जैसी भावना होगी मस्तिष्क भी उसी अनुसार कार्यरत होगा।


मनुष्य को रिश्ता दिल की खूबसूरती और अच्छाई देखकर जोड़ना चाहिए जो खुशी ही देता है क्योंकि दिल का अच्छा इंसान खूबसूरत भी होता है और विश्वास प्रिए भी होता है जो जीवन को सँवार देता है।


मनुष्य की नियत अन्य मनुष्य के लिए और किसी कार्य के प्रति साफ होनी चाहिए जो दिल से उत्पन्न होती है व दिल से महसूस की जाती है।


दिल का अच्छा मनुष्य अपने आप में बहुमूल्य होता है।

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