मेरे भारत देश पर कविता | Poem On India In Hindi : मेरा प्यारा देश भारत हर भारतीय को इस वाक्यांश से अतीव लगाव होना स्वाभाविक हैं.
हम कहते हैं मेरा भारत महान, असल में मेरे देश की महानता यहाँ के लोगों के दिलों में उनकी संस्कृति रंग ढंग विश्वास और रीति रिवाजों में बसी हैं.
Hindi Poems On India A Short Poem में मेरे प्यारे भारत देश पर लिखी कुछ कविताएँ आपकों समर्पित करता हूँ.
मेरे भारत देश पर कविता | Poem On India In Hindi
Hindi Poems On India A Short Poem – 1
लहराती हरियाली हो, महकाता मधुरेश हो
नई जिन्दगी झूमे जिसमें, ऐसा मेरा देश हो
हर घर में हो नया तराना, हर घर में हो गीत नया
मेहनत की ममता में डूबा, जागे फिर संगीत नया
नयें रंग हो, नव उमंग हो, नई बात हो, नयें ढंग हो
नव विकास की नई किरण में, तम का कहीं न लेश हो
ऐसा मेरा देश हो.
पर्वतों को भी तोड़ चले जो टकराएं तूफ़ान से
कोटि चरण प्रस्थान करें, नव पौरुष से अभिमान से
गगन गहरता गूंजे गान, जागे सारा हिंदुस्तान
डगर डगर से नगर नगर से, निविड़ मितिश्रा शेष हो
ऐसा मेरा देश हो.
मिट्टी का मोती मुस्काएं, खेतों में खलिहानों में
अपनेपन का दीप नया फिर जागे किसानों में
अपनी धरती हो निर्धन की, पूरी हो आशा जन जन की
कोई रहे न भूखा नंगा, ना कोई दरवेश हो
ऐसा मेरा देश हो
ऐसा मेरा देश हो श्री जयशिव व्यास श्रीमाली जी द्वारा भारत प्रेम पर लिखी गयी कविता हैं. यह बच्चों तथा विद्यार्थियों के लिए अधिक सार्थक हैं कविता का अर्थ/भाव मेरे सपनों के भारत अर्थात भविष्य में मेरा भारत कैसा हो इस पर आधारित हैं आगे चलिए और जानते हैं भारत पर देशभक्ति कविताएँ.
Hindi Poems On India A Short Poem – 2
मेरा भारत महान
जिसके साये में बहती है नदियाँ अगन
चांदनी में नहाए हुए हिम शिखर
स्वर्ग उतरा हो स्वागत में जिसके यहाँ
भोर हौते ही रवि जाते विखर
ऐसा प्यारा वतन मेरा भारत महान
जिसकी गोदी में लालों की संख्य अगन
वक्त आने पर हड्डी भी दे डालते
डोम बनकर के मरघट पैर धुनी रचे
खून से अपनें जलने का कर मानते
ऐसा प्यारा चमन
मेरा भारत महान
जौहरों में यहाँ ललनाएँ कुछ कम नहीं
वक्त आने पर लक्ष्मी बन जाती हैं
इससे पहले कि दामन पकड़ ले कोई
पद्मिनी आन पर अपने मिट जाती हैं
ऐसा प्यारा वतन
मेरा भारत महान
दूर पूरब से उठकर पवन हो मग्न
लोरिया गाके वृक्षों को छू जाता हैं
फिर भी भुक्ते नहीं वो गर्दिशो में कभी
घास की रोटियाँ खा के मिट जाता हैं
ऐसा प्यारा चमन
मेरा भारत महान
एक ही राष्ट्र ऐसा है जग में यहाँ
भिन्नता में जहाँ एकता दिव्य हैं
हिन्द की भाषा हिंदी की शब्दावली
जहाँ खोजिये वहां मिल जाती हैं
ऐसा प्यारा वतन
मेरा भारत महान
Hindi Poems On India A Short Poem – 3
वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां”
जहाँ हर चीज है प्यारी, सभी हैंचाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी हर सुबह, वही है मेरा हिन्दुस्ता
जहा ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशा वही है मेरा हिन्दुस्ता
जहाँ फूलो का बिस्तर है, जहा अम्बर की चादर है
सुहाना हर इक मजर है, वही है मेरा हिन्दुस्ता
वो झरने और हवाए, सभी मिल जुल कर गाये
प्यार का गीत जहा, वही है मेरा हिन्दुस्ता
जहां कभी होली तो दिवाली है, वो बिदिया चुनरी पायल
वो साडी मेहदी काजल, वही है मेरा हिन्दुस्ता
कही पे नदिया बलखाए, कही पे पछी इतराये
बसती झूले लहराए, जहां अन्गिन्त है भाषाए
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मदिर मे घटी
और मस्जिद मे अजां, वही है मेरा हिन्दुस्ता
लो फिर स्वतत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया
लेकर फिरे यहा-वहां, वही है मेरा हिन्दुस्ता
Hindi Poems On India A Short Poem – 3 – मेरे देश की आंखें: अज्ञेय
नही, ये मेरे देश की आखे नही है
पुते गालो के ऊपर
नकली भवो के नीचे
छाया प्यार के छलावे बिछाती
मुकुर से उठाई हुई
मुस्कान मुस्कुराती
ये आखे
नही, ये मेरे देश की नही है…
तनाव से झुर्रियां पड़ी कोरो की दरार से
शरारे छोड़ती घृणा से सिकुड़ी पुतलिया
नही, ये मेरे देश की आखें नही है…
वन डालियों के बीच से
चौकी अनपहचानी
कभी झाकती है
वे आखें,
मेरे देश की आखें,
खेतो के पार
मेड़ की लीक धारे
क्षिति-रेखा को खोजती
सूनी कभी ताकती हैं
वे आखें…
उसने
झुकी कमर सीधी की
माथे से पसीना पोछा
डलिया हाथ से छोड़ी
और उड़ी धूल के बादल के
बीच मे से झलमलाते
जाड़ो की अमावस मे से
मैले चाद-चेहरे सुकचाते
मे टकी थकी पलके
उठाई
और कितने काल-सागरो के पार तैर आई
मेरे देश की आंखे…
मेरा देश भारत पर कविता – Poem on India (Bharat) in Hindi
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
सुख़ स्वर्ग सा ज़हा हैं, वह देश कौंन सा हैं !!
ज़िसका चरण निरन्तर, रत्नेंश धो रहा हैं।
ज़िसका मुक़ूट हिमालय, वह देश कौंन सा हैं !!
नदियां जहां सुधा क़ी, धारा ब़हा रही हैं।
सीचा हुआं सलोना, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके बडे रसीलें, फ़ल कुद नाज़ मेवे।
सब अंग मे सजें है, वह देश कौनसा हैं !!
ज़िसमे सुगन्ध वालें, सुन्दर प्रसून प्यारें।
दिन रात हंस रहे है, वह देश कौंनसा हैं !!
मैंदान गिरि वनो मे, हरियालिया लहक़ती।
आन्नदमय जहां हैं, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके अनंन्त धन सें, धरती भरी पडी हैं।
संसार का शिरोंमणि, वह देश कौंनसा हैं !!
Poem/कविता – “जय जय भारत भारती”
ज़य ज़य भारत भारतीं !
क़ोटि क़ोटि कठो से बोलें,
ज़य भारत ज़य भारती !
ज़य ज़य भारत भारतीं !
उत्तर मे हिमालय सुशौभित
दक्षिण मे साग़र आलोकित
ज़िसका हैं हर कण आलोक़ित
बारी – बारीं आक़र ऋतुए
जिसक़ो सदा सवारती,
ज़य ज़य भारत भारती !
ज़िसका आगन बडा सलोना
हरा भरा ज़िसका हर कोंना
ज़िसकी धरती उगलें सोना
ज़िसके चप्पें-चप्पें पर
श्री वैंभव हैं को वारतीं,
ज़य ज़य भारत भारतीं !
हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख़, ईसाई
जैंन, बौंद्ध हैं भाई -भाई
सबनें हैं आवाज़ लगाई,
आओं मिलक़र आज़ उतारे
भारत माँ क़ी आरती,
ज़य ज़य भारत भारती !
कौटि कौटि कंठो से बोलें,
ज़य भारत ज़य भारती,
ज़य ज़य भारत भारती !
– इन्दरराज बैद
Poem on India देश मेरा प्यारा
देश मेरा प्यारा, दुनियां से न्यारा
धरती पें ज़ैसे स्वर्गं उतारा।
ऊचें पहाड़ो मे फ़ूलो की घाटी।
प्यारें पठारो मे खनिजो की बाटी।
हरें-भरें खेतो मे सरग़म बजाये।
नदियो के पानी मे चाहू मै तरना।
मन यें गग़न मे उडे रे।
ऐसे यें जी से जुडे रे।
दूर मेरा देश ये गांवो मे ब़सता।
मुझ़को पुकारें हैं एक-एक़ रस्ता।
पैंठा पवन मेरें पांव मे।
आना ज़ी तू भी गांव मे।
देश मेरा प्यारा, दुनियां से न्यारा।
धरती पर जैंसे स्वर्गं हैं।
जां भी इसें उत्सर्गं
–अभिरंजन कुमार
भारत
भारत कहो या इसको हिंदुस्तान,
इसमे बसती है हम सब जान,
हमारे भारत में सब रहते हैं मिलजुलकर,
इसमे बहता है नदियों का स्वर,
अनेकता में एकता ही हमारे भारत की शान है,
इसी कारण ये हमारे भारत वासियों की जान है,
कई प्रकार के धर्मो से ये विद्यमान हैं,
संस्कार और संस्कृति ही भारत की पहचान हैं,
नफ़रत की भावना को भी बड़े प्यार से सहते हैं,
ये वो देश है जिसे हिंदुस्तान कहते हैं,
भगवान को यहां वृक्ष और
नदियों में पूजा जाता,
यही कारण है की हमारा
भारत देश महान कहलाता है,
गंगा, यमुना, नर्मदा, नदियां इसका श्रृंगार है,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाईयों का प्रेम यहां बेशुमार है,
इतिहास, काला, संस्कृति से भारत भरपूर है,
धर्म स्थलो और भवनो के लिए ये मशहूर है,
भारत जैसा देश नहीं इस जहान में,
सुदृढ़ प्रेम है यहां के देशवासियों में,
यहाँ सब को गले लगाया जाता है,
तभी तो भारत देश महान कहलाता है,
Aruna Gupta
भारत
मेरा भारत सारे जहान में प्यारा है,
किसान, व्यापारियों का यहां बसेरा है,
यहाँ की संस्कृति आदर करना सिखलाती है,
अमीर गरीब की बराबरी का पाठ पढ़ाती है,
गंगा, यमुना का मीठा जल यहां बहता है,
धर्मों के नाम का वेद भाव न यहां रहता है,
यहाँ की संस्कृति साथ रहना सिखाती है,
हर प्रांत को साथ रहने का पाठ पढ़ाती है,
भारत देश में देवताओं का वास है,
हिंदू, मुस्लिमों का समूह यहां आस पास है,
पत्थर में भी यहां भगवान को पूजा जाती है,
इसिलिए भारत देश देव भूमि कहलाता है,
धर्म स्थलों से भारत है भरपुर,
इसिलिए विदेशी भी यहां आने को है मजबूर,
जंगल और नादियां हैं भारत का श्रृंगार,
समुंदरी टैटू पर होता यहां बड़ा व्यापार,
भारत ऐसे ही नहीं महान कहलाता है,
हर संस्कृति को यहां अपना जाना है,
मंदिर मस्जिद की गूंज यहां रहती है,
मेरे मन में भारत के प्रति आधार की भावना बहती है,
Aruna Gupta
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Bahut sunder kavitaaein Bharat ke bhavishya par