बाल अपराधी बालक Juvenile Delinquency Child In Hindi

बाल अपराधी बालक Juvenile Delinquency Child In Hindi: प्रत्येक समाज में बाल अपराध तेजी से पनपती समस्या हैं. जिस तरह अपराध किसी भी स्थान एवं समय पर घटित होते हैं.

वैसे ही 8 से 16 वर्ष की आयु के बालकों द्वारा विधि/ समाज के विरुद्ध किये गये कार्यों को बाल अपराध तथा उस बालक को बाल अपराधी बालक कहा जाता हैं. आज का यह लेख इसी विषय पर दिया गया हैं.

बाल अपराधी बालक Juvenile Delinquency Child In Hindi

बाल अपराधी बालक Juvenile Delinquency Child In Hindi

विश्व भर में बाल अपराधी की आयु क्या होगी इसमें समानता नहीं है अलग अलग देशों में आयु सीमा भिन्न भिन्न हैं. मिश्र में यह आयु क्रमश: 7 वर्ष से 15 वर्ष, ब्रिटेन में 11 से 16 वर्ष तथा ईरान में 11 से 18 वर्ष मानी गई है,

जबकि हमारे देश में इसे 8 से 16 वर्ष रखा गया हैं. आज के आर्टिकल में हम जानेगे कि बाल अपराधी बालक कौन है परिभाषा, अर्थ, विशेषताएं और भारत में आंकड़ों का अध्ययन करेगे.

बाल अपराध का अर्थ Meaning of juvenile delinquency in hindi

सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ कानून होते है. इन कानूनों का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होता है, चाहे वह बालक हो या वयस्क. यदि वयस्क उन कानूनों की अवहेलना करके समाज विरोधी कार्य करता है तो वह अपराधी कहलाता है.

यदि बालक या किशोर इस अपराध का कार्य करता है तो उसका कार्य बाल अपराध कहलाता हैं. और ऐसा बालक बाल अपराधी कहलाता हैं. बाल अपराधी बालक को बाल अपचारी बालक भी कहा जाता हैं.

जो बालक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति समाज द्वारा अमान्य व्यवहार के द्वारा करते है बाल अपराधी कहलाते है. अर्थात सामाजिक नियमों का उल्लंघन कर समाज विरोधी तरीके से किया गया काम बाल अपराध कहलाता हैं.

बाल अपराध 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला अपराध है. बाल अपराध पूर्ण अपराध न होकर अपराध की एक सीडी है.

यदि किसी अपराध में बालक को सजा दी जाए तो उन्हें बाल बंदीगृह या बाल सुधार गृह में रखना चाहिए, जहाँ इनकी शिक्षा की उचित व्यवस्था भी होनी चाहिए.

बाल अपराध का जनक सीजर लाम्ब्रोसो को माना जाता है. लाम्ब्रोसो व गोडार्ड ने निम्न बुद्धि स्तर को बाल अपराध का कारण माना है. ग्लूक के अनुसार 95 प्रतिशत बाल अपराधी कुसंगति के कारण बनते हैं.

बाल अपराध की परिभाषाएं (Definitions of juvenile delinquency)

  1. सीजर लाम्ब्रोसो के अनुसार बाल अपराध का कारण कुछ अनुवांशिक दोष होता हैं.
  2. वेलेंटाइन के अनुसार मौटे तौर पर बाल अपराध शब्द किसी कानून के उल्लंघन किये जाने का उल्लेख करता हैं.
  3. स्किनर के अनुसार बाल अपराध की परिभाषा किसी कानून के उस उल्लंघन के रूप में की जाती है, जो किसी वयस्क के द्वारा किये जाने पर अपराध होता हैं.
  4. हिली के अनुसार वह बालक जो समाज द्वारा स्वीकृत आचरण का पालन नहीं करता है अपराधी कहा जाता है.
  5. मार्टिन न्यूमेयर के अनुसार जो समाज विरोधी व्यवहार व्यक्तिगत तथा सामाजिक विघटन उत्पन्न करता है बाल अपराध कहा जा सकता हैं.
  6. मेडिनस व जोंसन का मत है कि सामाजिक समस्या के रूप में बाल अपराध में वृद्धि होती हुई जान पडती है. यह वृद्धि कुछ तो जनसंख्या की सामान्य वृद्धि के परिणाम स्वरूप और शहरी वातावरण में रहने के परिणामस्वरूप हो रही हैं.

बाल अपराध की विशेषताएं (Features of Juvenile Delinquency)

  1. बाल अपराधी बालक पुष्ट मांसपेशियों से युक्त या आयताकृति आकार के होते हैं.
  2. बाल अपराधी बालक स्वभाव से अशांत तथा आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं.
  3. ऐसे बाल संदेही, द्वेषपूर्ण तथा दुश्मनी का भाव रखने वाले होते हैं.
  4. इससे बालकों में स्नेह तथा नैतिकता का अभाव होता हैं.
  5. ऐसे बालक समस्याओं को सही तरीके से हल करने में कम रूचि लेते है.

बाल अपराध के कारण (Reasons for child crime)

  • शारीरिक कारण
  • सामाजिक कारण
  • विद्यालय सम्बन्धी कारण
  • सांस्कृतिक कारण
  • संवाद वाहन के साधन
  • पारिवारिक कारण
  • आनुवांशिक कारण
  • मनोवैज्ञानिक कारण

अपराधी बालकों के लिए शिक्षा (Education for delinquent children)

  1. बालक को व्यावसायिक निर्देशन देना अति आवश्यक हैं.
  2. यौन अपराधों में सुधार एवं निवारण के लिए बालकों को यौन शिक्षा दी जानी चाहिए.
  3. बालकों को उनके अधिकार एवं कर्तव्यों से अवगत कराया जाना चाहिए.
  4. विद्यालय में दी जाने वाली बालकों की रूचि, योग्यता, आवश्यकता और क्षमता के अनुरूप होनी चाहिए.
  5. सहानुभूति पूर्ण व्यवहार होना चाहिए.
  6. विद्यालय का सम्पूर्ण वातावरण अच्छा होना चाहिए.

कई बार हम पेपर या टीवी में आये दिन देखते है कि आजकल बाल अपराध बहुत बढ़ रहा है. कक्षा 4 के एक छात्र ने अपनी सीट के पास बैठने वाले मित्र को गोली मार दी, कारण मात्र उसकी पेन्सिल बिना बताए लेने पर.

जब उस छात्र के बारे में व्यक्ति इतिहास विधि के माध्यम से जानकारी ली गई. तो पता चला कि वह जहाँ रहता है, उस घर का तथा उसके आस पास का वाता वरण लड़ाई झगड़े वाला तथा मारपीट करने वाला हैं.

बाल अपराध उपचार बोस्ट्रल संस्थाएं बाल अपराधियों को सुधारती हैं. कार्ल रोजर्स ने बाल उपचार के लिए अंतर्निदेशित पद्धति का विकास किया गया.  बाल अपराध का उपचार करने के लिए दो प्रकार की विधियों का प्रयोग किया गया.

  1. मनोवैज्ञानिक
  2. वैधानिक

मानसिक रूप से पिछड़े बालक

ऐसा कोई भी बालक जो मानसिक रूप से मंद होता है, उसे मानसिक पिछड़ेपन की संज्ञा दी जाती हैं, मानसिक रूप से पिछड़ेपन के चार स्तर पाए जाते हैं.

  • जड़ बुद्धि– ऐसे बालकों का मानसिक विकास एक दो वर्ष तक के बालक के समान होता है एवं ऐसे बालक अपने दैनिक कार्य को उचित तरीके से नहीं कर पाते हैं.
  • मूढ़ बुद्धि– 5 वर्ष के बालक के समान मानसिक स्थिति होती हैं एवं लेखन कार्य कर सकते हैं किन्तु समझने की क्षमता नहीं होती हैं.
  • मूर्ख बुद्धि– ऐसे बालकों का मानसिक विकास 7 वर्ष के बालक के समान होता है एवं दूसरे व्यक्तियों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर पाते हैं.

भारत में बाल अपराध के आंकड़े (Juvenile delinquency statistics in India)

देश में बाल अपराध के आकड़ों में सालो साल वृद्धि हो रही हैं. वर्ष 2017 में देशभर में बच्चों के साथ अपराध के करीब चार सौ मामले रोजाना दर्ज किये गये थे.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हर साल देश में बालकों के खिलाफ हो रहे अपराध को सार्वजनिक करते है उनकी सांख्यिकी जारी करता हैं. संस्था के रिपोर्ट के अनुसार विगत वर्षों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में इनके केस सर्वाधिक थे.

बाल अपराधियों के उपचार की विधियाँ

किशोर अपराधी को सुधार गृह भेजकर उनके व्यवहार तथा विचारों को नई दिशा देने का प्रयास किया जाता हैं. बाल सुधार गृह में कई अलग अलग उपचार विधियों को अपनाकर अपराध प्रवृति के उन्मूलन हेतु प्रयास किए जाते हैं.

मुख्य रूप से मनोचिकित्सा, यथार्थ चिकित्सा, व्यवहार चिकित्सा, क्रिया चिकित्सा तथा परिवेश चिकित्सा विधि के माध्यम से किशोर का संतोषजनक समायोजन करके व्यक्तित्व सम्बन्धी समस्याओं का निदान किया जाता हैं.

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