महाकाली की कहानी व इतिहास | Mahakali Story History In Hindi

who is kali महाकाली की कहानी व इतिहास Mahakali Story History In Hindi: 10 महाविधाओं में से एक माँ दुर्गा का अवतार महाकाली को माना जाता हैं. अपने प्रचंड क्रोध के कारण प्रसिद्ध काली माँ को असम एवं बंगाल में विशेष रूप से पूजा जाता हैं. 

kali maa and shiva story के अनुसार देवी एक बार क्रोध पी लेने के कारण बेहोश हो गई थी, जिन्हें होश में लाने के लिए शिवजी ने तांडव नृत्य किया था.

जब महाकाली की आँख खुली तो शिवजी नृत्य कर रहे थे उन्हें देखकर काली माँ भी तांडव नृत्य करने लगी, इसी कारण इन्हें योगिनी भी कहा जाता हैं.

महाकाल का अर्थ हैं समय अथवा मृत्यु जो समय तथा मौत दोनों को निगलने वाली दुष्टों पापियों की संहार करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं.

महाकाली की कहानी Mahakali Story In Hindi

महाकाली की कहानी व इतिहास | Mahakali Story History In Hindi

कई देवों की संयुक्त शक्ति से देवी का पृथ्वी पर राक्षसों का नाश कर, धर्म की रक्षा के लिए अवतरण हुआ था. महाकाली के मंदिर से जुडी कई मान्यताएं हैं.

ऐसा माना जाता हैं कि जो कोई माँ काली के दरबार में हाजरी लगाता हैं उनका नाम पता दर्ज हो जाता हैं. काली उनके नाम दंड एवं आशीर्वाद दोनों लिख देती हैं.

जों इंसान अपने वचन का पक्का हैं और अपनी मन्नत लेकर महाकाली के मंदिर में जाता हैं. माँ उनकी मनोकामना पूर्ण कर देती हैं, तथा जो इंसान अपने वचन से मुकर जाता हैं, महाकाली उससे रुष्ट होकर उन्हें श्राप दे देती हैं.

धार्मिक ग्रंथों में महामाया से जुडी कई कथाएँ प्रचलित हैं. Mahakali History Story में आपकों कुछ बहुप्रसिद्ध कथाओं के बारे में बता रहे हैं.

History & Story of Mahakali In Hindi (महाकाली की कहानी और इतिहास)

महाकाली की कथा- एक बार जब पूरा संसार प्रलय से ग्रहस्त हो गया था. चारो ओर पानी ही पानी दिखाई देता था. उस समय भगवान विष्णु की नाभि में एक कमल उत्पन्न हुआ.

उस कमल से ब्रह्मा जी निकले. इसके अलावा भगवान नारायण के कानों में से कुछ मेल भी निकला, उस मेल से कैटभ और मधु नाम के दो दैत्य निकले.

जब उन दैत्यों ने चारों ओर देखा तो ब्रह्मा जी के अलावा कुछ भी दिखाई नही दिया. ब्रह्माजी को देखकर वे दैत्य उनकों मारने दोड़े. तब भयभीत हुए ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु की स्तुति की.

स्तुति से भगवान विष्णु की आँखों में महामाया ब्रह्मा की योग निद्रा के रूप में निवास करती थी वह लोप हो गई और विष्णु भगवान की नीद खुल गई.

उसके जागते ही वे दोनों दैत्य भगवान विष्णु से लड़ने लगे. इस प्रकार पांच हजार वर्ष तक यह युद्ध चलता रहा. अंत में भगवान की रक्षा के लिए महामाया ने असुरों की बुद्धि को बदल दिया. तब वे असुर भगवान विष्णु से बोले- हम आपके युद्ध से प्रसन्न हैं जो चाहों वर मांग लो.

भगवान ने मौका पाया और कहने लगे- यदि हमे वर देना हैं तो वर दो कि दैत्यों का नाश हो जाए. दैत्यों ने कहा ऐसा ही होगा. ऐसा कहते ही महाबली दैत्यों का नाश हो गया. जिसने असुरों की बदला था वह थी महाकाली.

माँ काली की कहानी Story of Maa Kali

हिन्दू देवियों में माँ काली को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हैं काली का आशय काल अर्थात समय से हैं. ऐसा माना जाता है इनकी उत्पत्ति उस समय से हुई जब उन्होंने पापियों के नाश से हुई. कोई भी समय और काल से नहीं बच पाता है यह सभी को अपना ग्राह्य बना लेता हैं.

दूसरी कहानी के अनुसार एक समय एक दारूक नामक असुर ने ब्रह्मदेव की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और दैवीय शक्तियाँ प्राप्त कर वह बेहद बलशाली हो गया. अपनी शक्ति के नशे में चूर होकर वह देवताओं और ब्राह्मणों को प्रताड़ित करने लग गया.

दारुक ने देवलोक पर आक्रमण करके अपने अधिकार में कर लिया और यज्ञ हवन आदि समस्त धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक लगा दी. इससे देवता पूरी तरह विचलित हो गये और मदद के लिए भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी की चरण में गये.

दानव की मायावी शक्तियों से सभी देवता परास्त हो चुके थे, ब्रह्माजी ने इसके संहार के लिए किसी स्त्री को दैवीय शक्ति सम्पन्न बनाकर पृथ्वी लोक पर भेजने का उपाय बताया, आखिर निर्णय यह हुआ कि पार्वती को नये रूप में अवतार लेकर दारुक के वध के लिए अवतरित होना होगा.

शिवजी ने अपने तीसरे नेत्र को खोलकर माँ काली को जन्म दिया. माँ काली के शरीर का रंग काला था माते पर शिवजी की तीसरी आँख और चन्द्र रेखा का निशान था. इनके हाथ में त्रिशूल समेत हथियार शोभायमान थे.

महाकाली के प्रचंड रूप को देखकर सभी देवता भयभीत हो गये और प्रस्थान करने लगे. धरती लोक पर आकर माँ काली ने दारुक से युद्ध किया और उसे परास्त कर वध किया. क्रोधित महाकाली के शरीर के चारो ओर अग्नि की लपटे फ़ैल गई.

काली के क्रोध को केवल भगवान शिव ही शांत कर सकते थे. अतः उन्होंने एक बालक का अवतार लिया और श्मशान में जाकर वह बालक बनकर रोने लगे. छोटे बालक के कंद्रन को देखकर माँ काली में ममता जाग उठी और उनका क्रोध शांत हो गया.

वह श्मशान पहुंचकर बालक को उठाकर अपने स्तनों का दूध पिलाने लगी. मौका पाकर शिवजी ने उनके क्रोध को भी पी लिया. इस तरह काली अपने प्रचंड रूप के शांत होने पर मूर्छित हो गई. जब उनकी आँखे खुली तो भोलेनाथ उनके समक्ष शिव तांडव कर रहे थे. होश में आते ही वह पुनः पार्वती के रूप में परिवर्तित हो गई.

माता काली के प्रसिद्ध मंदिर Maa Kali Famous Temples

  • कोलकाता काली मंदिर:- कोलकाता का काली माता मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. ये मंदिर विवेकानंद पुल के समीप स्थित है. ये मंदिर माता के 52 शक्ति पीठो में प्रमुख है. ये मंदिर काली माता का होने के कारण यहाँ की घाटी को काली घाटी कहते है.
  • माँ गढ़ कलिका मंदिर:- यह मंदिर कालीमाता की आस्था का सबसे बड़ा स्थान है. यहाँ पर सभी भक्तो की मनोकामना को पूरा किया जाता है. ये मंदिर उज्जैन में स्थित कालीमाता का सबसे विशाल और भव्य मंदिर है.
  • पावागढ़ शक्तिपीठ मंदिर:- गुजरात की प्राचीन राजधानी चम्पारणय के पास ऊँची पहाड़ी पर पावागढ़ का मन्दिर हैं. इस मंदिर को काली की सबसे जागृत शक्तिपीठ मानी जाती हैं. इस मन्दिर के बारे में मान्यता हैं कि माँ पार्वती के दाहिने पैर की अंगुलियां इस पर्वत पर गिरी थी.
  • कालिका मंदिर बागेश्वर (उत्तराखंड): आदि शंकराचार्य ने दसवीं सदी में इस मन्दिर की स्थापना पेड़ की जड पर की थी. वर्ष 1947 में यहाँ माँ काली का एक मन्दिर बनाया गया था. मान्यता है कि यहाँ एक अद्रश्य शक्ति का वास था जो हर साल एक मानव बलि लेती थी. वह अपने मुहं से जिस इन्सान का नाम पुकारती उसकी मृत्यु हो जाया करती थी. शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर की स्थापना के साथ ही काल के भय की समाप्ति हो गई.
  • भीमाकाली मंदिर, शिमला:-महाकाली के प्रसिद्ध चमत्कारी मन्दिरों में से एक भीमाकाली का मंदिर भी हैं जो शिमला से दो सौ किमी की दूरी पर व्यास नदी पर निर्मित हैं. माना जाता है कि यहाँ देवी सती का नाक गिरा था. देवी ने यही भीम रूप धारण कर असुरो का वध किया था, अतः इसे देवी भीमा भी कहते हैं.

महाकाली के 108 नाम और उनके मंत्र, वाहन के बारे में जानकारी (108 names of maa kali in hindi)

  1. काली
  2. कापालिनी
  3. कान्ता
  4. कामिनी
  5. कामधेनु
  6. करालिका
  7. कामकान्ता
  8. कर्त्री
  9. कार्तिकी
  10. कुलकर्त्री
  11. ककारवर्णनीलया
  12. कुलजा
  13. कुलपूजिता
  14. कामेश्वरी
  15. कामसुंदरी
  16. काम्या
  17. कामदात्री
  18. कीर्ति
  19. कौलिनी
  20. कठिना
  21. क्रींरूपा
  22. कृष्णा
  23. कमला
  24. कृष्णमाला
  25. कदम्बकुसुमोत्सुका
  26. कामजीविनी
  27. कौशिकी
  28. कृष्णानंदप्रदायिनी
  29. कोटरी
  30. कार्तिकी
  31. कामदा
  32. कामस्वरूपिणी
  33. कृशांगी
  34. कुमारीरंश्चरता
  35. कंकिनी
  36. कालिन्दी
  37. कस्तूरीरसनीला
  38. कुब्जेश्वरगामिनी
  39. कलकण्ठी
  40. कपालखड्वांगधरा
  41. कमनीया
  42. कामाख्या
  43. कुलीना
  44. कुलपालिनी
  45. कुलगम्या
  46. कात्यायिनी
  47. काव्यशास्त्रप्रमोदिनी
  48. कालभैरवरूपिणि
  49. कलहा
  50. कलावती
  51. कुलिशांगी
  52. कामांगबद्धिनी
  53. कुमारीव्रतधारिणी
  54. कुमारिपूजनरता
  55. क्रिडा
  56. कृष्णवल्लभा
  57. कमनीयस्वभाविनी
  58. कृशोदरी
  59. कृष्णपूजिता
  60. काम्बुकण्ठी
  61. कालभैरवपूजिता
  62. कामदेवकला
  63. कुम्भस्तिनी
  64. कामपीठनिवासिनी
  65. कामामर्षणरूपा
  66. कालरात्री
  67. कन्नरी
  68. काव्या
  69. कालिका
  70. कुलपालिका
  71. कामशास्त्रविशारदा
  72. कान्तारवासिनी
  73. कुलपूजिता
  74. कुरुकुल्ला
  75. कुलवर्त्मप्रकाशिनी
  76. कुलकान्ता
  77. करालास्या
  78. कामार्त्ता
  79. कौमारी
  80. कुलकन्या
  81. कामहर्त्री
  82. कुमारीगणशोभिता
  83. कलहप्रिया
  84. कुण्डगोलोद्-भवाप्राणा
  85. काशी
  86. कैलाशवासिनी
  87. कादम्बिनी
  88. कोटराक्षी
  89. कीर्तीवर्धिनी
  90. कुमुदा
  91. कुलस्त्री
  92. कुमुदा
  93. काश्यपि
  94. कार्यकरी
  95. कुन्ती
  96. कंकाली
  97. कोकनदप्रिया
  98. कटाक्षा
  99. कपर्दिनी
  100. कृष्णदेहा
  101. कला
  102. कृत्या
  103. कमलिनी
  104. कल्पलता
  105. कुमुदप्रिया
  106. काकिनी
  107. कुत्सिता
  108. कान्ति.

महाकाली मंत्र जाप एवं मंदिर की जानकारी (kali maa mantra in hindi)

  • काली का वार : शुक्रवार
  • महाकाली का दिन : अमावस्या
  • ग्रंथ : कालिका पुराण
  • महाकाली का मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा”
  • काली माँ रूप : माता कालिका 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं.
  • मां काली के 4 अन्य रूप – मातृ काली, महाकाली, दक्षिणा काली, शमशान काली.
  • काली द्वारा इन राक्षस का वध किया गया : महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ

इनकों माता कालिका के नाम से पुकारा जाता हैं, त्रिशूल और तलवार महाकाली का शस्त्र हैं, जो उनकी हर तस्वीर प्रतिमा में दर्शाया जाता हैं.

जों इंसान भय, कलह एवं मृत्यु से भयभीत रहता हैं उन्हें महाकाली जों स्वयं काल का वरण करती हैं उनका व्रत कर पूजा विधि के अनुसार पूजन करना चाहिए.

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