वीर भारतीय सैनिक पर कविता | Poem On Soldiers In Hindi

Poem On Soldiers In Hindi: नमस्कार दोस्तों हम वीर भारतीय सैनिक पर कविता बता रहे हैं.वह लद्दाख, सियाचिन की बर्फीली घाटियों में बिन पलक झपकाएं हमारी हिफाजत में इस हद मशगूल है कि कब बर्फ के ढेर ने पैर जकड़ दिए.

उनके, जैसलमेर की तपती बालू में खुले आसमान तले, समुद्री के लहरों के बीच तो कभी नभ को चीरकर हमारी हिफाजत करता वीर  भारतीय सिपाही प्रत्येक भारतीय के दिल के बेहद करीब होता हैं.

लोगों ने सैनिक के जीवन, उनके त्याग, बलिदान देशभक्ति पर खूब कविताएँ रची हैं. लोगों की कलम की स्याही न खत्म हुई न वीरों की वीरता का बखान, प्रस्तुत है यहाँ कुछ इंडियन सोल्जर पर हिंदी पोएम्स उम्मीद करते है आपकों ये बहुत पसंद भी आएगी.

भारतीय सैनिक पर कविता | Poem On Soldiers In Hindi

वीर भारतीय सैनिक पर कविता | Poem On Soldiers In Hindi

hindi poem on soldiers: यहाँ प्रस्तुत कविता मान्यवर श्री Aalay Imran जी द्वारा रचित है, जिसका शीर्षक है तैनात रहता हैं.

सीमा पर खड़ा सिपाही किन हालातों में रहता है उसके दिल में वतन के प्रति क्या जज्बात होते हैं, यदि हम उनको सम्मान दे तो एक नागरिक के तौर पर यही हमारी देशभक्ति हैं. सैनिक कविता को पढ़िये.

heart touching poem on Indian army soldiers in hindi

तैनात रहते है सीमा पर,
अपना सीना ताने
झुक नहीं सकते,
ये है देश के दीवाने

गद्दारी हो नहीं सकती है
देश के विपक्ष में
हैं कुर्बान जान भी
धरती माँ के समक्ष में

क्योंकि इस देश को
माँ का दर्जा मिलता हैं
हर फूल इस वतन में
उनके चरणों में खिलता है.

कईयों ने दी है कुर्बानी
धरती माँ के वास्ते
मिटा दिया था जो भी आया
इस देश के रास्ते

क्योंकि यह धरती उनको
जान से ज्यादा प्यारी थी
उन्होंने अपनी जान देकर
इसकी नजर उतारी थी.

हर दिन सरहदों पर जो
जान गवाया करते है
खुद जाग कर वो
हमकों सुलाया करते है.

शहीद होकर भी वो
अमर हो जाया करते है
ऐसे वीर शहीदों को
हम सलाम करते है.

आसान नहीं वो जिन्दगी
और प्राण को त्यागना
धरती माँ के चरणों में
अपने मस्तक को दे देना

शरीर में पानी नहीं
रगों में रवानी होना चाहिए
इन शहीदों की तरह जो जान दे सके
ऐसा हिंदुस्तानी होना चाहिए

सैनिक की आवाज़

मरने के बाद भी जिसके नाम में जान है,
ऐसे जबाज़ सैनिक हमारे भारत की शान है,
अपने मरने का भी कभी गम नहीं करते हैं,
सैनिक अपने सीने पर गोली भी झेल लेते हैं,

सीमा पर सैनिक कुछ ऐसे ईद मनाते है,
दुश्मन की गोली को अपने सीने से लगाते है,
इनके सीमा पर रहने से हम अच्छे से सो पाते हैं,
इन्हीं की वजह से हम शांति से अपने घर रह पाते हैं,

सैनिक हैं भारत मां के वीर सपूत,
इनके लिए तो ना कोई छांव न धूप,
हर पथ्रीले रास्ते पर वो बढ़ते जाते हैं,
अपनी वीरता का झंडा देश में फहराते हैं,

सच्चा इश्क करना सैनिको से सिखो,
इश्क में भारत मां पर मर मिटाना सिखो,
एक सैनिक ही हमें दसरों के लिए जीना सिखते हैं,
अपने हर काम पूरा करने के लिए अपनी जान लूटते हैं,

किसी के गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया सैनिक,
अपनी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया सैनिक,
भारत मां से कहता है सैनिक अपनी छत से लगा ले मुझे,
अपनी मां की बांहों को तरस्ता छोड़ आया सैनिक,

—-—-Aruna Gupta

सैनिक जीवन

कश्मीर में सर्दी नहीं होती,
मुंबई में गरमी नहीं होती,
हम भी घर जाकर हर त्योहार मनाते,
अगर हमारे जिस्म पे वर्दी नहीं होती,

अपने परिवार को अकेला छोड़ देते हैं,
चिट्ठी पत्रों से उनका हाल पूछ लेते हैं,
अकेले ही अपने सरहद की सर्दी झेलते हैं,
अतंकवादियों की गोलियों को अपने देखे पर ले लेते हैं,

कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना,
कभी तपती धूप में जल कर देख लेना,
कैसे होती है हिफ़ाज़त मुल्क की,
कभी सरहद पर चल कर देख लेना,

हम तो हर खुशी अपनी सरहद पर मनाते हैं,
कभी रोने का भी मन हो तो उसे भूल जाते हैं,
राखी का इंतजार हमको भी हरदम रहता है,
बस कोई हमारी कलाई राखी से भर दे दिल ये कहता है,

वतन की मोहब्बत में खुद को तपाए बैठे हैं,
मरेंगे वतन के लिए शरत्त मौत से लगाए बैठे हैं,
न झुंकने दिया तीरंगे को न युद्ध कभी ये हारे हैं,
भारत माता तेरे वीरों ने दुश्मन चुन-चुन कर मारे हैं,

Aruna Gupta

भारतीय जवान की कविता (short poem on soldiers in hindi)

ऋणी है हम उन जवानों के
जो सरहदों पर अपना जीवन बिताते है
फर्ज के नाम पर देखो कैसे यह वीर
मुस्कराकर मौत को गले लगाते हैं

हम मनाते दिवाली पटाखों के संग
और होली पर रंग उड़ाते है
कलेजा है हमारे वीरों का
जो हर त्यौहार गोले बारूद के बीच मानते है.

मंदिर मस्जिद के नाम पर
गये हम धर्मों में बांटे है
न दोहराना यह गलती हमारे सैनिकों के संग
क्योंकि यह सिर्फ तिरंगे के आगे शीश झुकाते है
कलम से पंकज जैन

सैनिक पर हिंदी की कविता शायरी

है दिल कचोट से भरा हुआ
जो जख्म है फिर से हरा हुआ
कब तक यूँ लड़ेगे खुद में ही
क्यों घर में दुश्मन खड़ा हुआ

वीरों को हम यूँ क्यों खोएं
कुछ रियासती फर्जी रोएँ
अब हल निकले कोहराम मचे
जड़ से हो खतम जो जहर बोए

मेरा सीना दर्द से तब जकड़े
कोई सैनिक का कॉलर पकड़े
ईमान धर्म कुछ बाकी नहीं
क्यों नहीं आपदा में अकड़े

सरकार से अब है गुजारिश ये
हो रही खूनों की जो बारिश ये
अब हल निकले कोहराम मचे
जड़ से खत्म अब शोरिश ये

उम्मीद के दामन धोता हूँ
जब मई मायूसी में खोता हूँ
मैं अर्चित नमन करू उनको
जिनकी निगरानी में सोता हूँ.

वीर सैनिक पर कविता Poem On Veer Sainik in Hindi

देश की हर चुनौती से वह चट्टान बनकर टकराता है तभी तो हम घरों में चैन की नींद सो पाते हैं. वीर सैनिक भी इंसान है उनकी भी भावनाएं तथा कुछ सपने होते है.

मगर क्या वो एक आम आदमी की तरह सपने देखता है या फिर सपने भी ऐसे सजोए जो सिद्धी पाए तो अमर कहलाएं. चलिए वीर सैनिक के भावों को प्रकट करने वाली कविता पढ़ते हैं.

Veer Sainik Poem

मेरे रहते नहीं बेबस होगा कोई भी दंगे से
ख़ुशी होगी अगर ये शरीर आए लिपटे तिरंगे से
हर अड़चन के हटा जाऊ, हर दुश्मन को मिटा जाऊ
गाँधी के इस चमन में मैं अमन इ खुशबु लुटा जाऊ.

जो मेरे पास मैं दे दू जो सबसे ख़ास मैं दे दू
लहू की मेरी हर एक बूंद वो अंतिम सांस मैं दे दू
बस मेरा भारत महक जाए, फूलों रंग बिरंगे से
ख़ुशी होगी अगर ये शरीर, आए लिपटे तिरंगे से

अमिट हो जाए मेरी छाप दुश्मन देखे जाए काँप
वन्दे मातरम वो मन्त्र करू सदा मैं जिसका जाप
खत्म आतंक करने की ली है कसम मैंने,

करके लक्ष्य को आगे बढ़ा ली कदम है मैंने
आक्रोश ही आक्रोश से सीना भरा मेरा,

कि निर्दोष के खूनों से आँखे नम है

नहीं विचलित ना घबराऊ आंतकी नाच नंगे से
ख़ुशी होगी अगर ये शरीर आए लिपटे तिरंगे से
सौजन्य से- शायरी से यारी

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