शहीद दिवस पर कविता | Shaheed Diwas Poems in Hindi 2024

शहीद दिवस पर कविता | Shaheed Diwas Poems in Hindi 2024 : भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव इन तीन भारत माँ के सपूतों को 23 मार्च के दिन के फांसी दी गई थी.

देश उनके सम्मान में प्रतिवर्ष इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाता हैं. अपने बलिदानों वीरों के त्याग को याद करने का यह दिन हैं.

यहाँ हम हमारे शहीद वीरों के सम्मान में कुछ हिंदी कविताएँ प्रस्तुत कर रहे है उम्मीद है आपको ये पसंद आएगी.

शहीद दिवस पर कविता | Shaheed Diwas Poems in Hindi 2024

शहीद दिवस पर कविता | Shaheed Diwas Poems in Hindi 2024

आसमान भी रोया था
धरती भी थर्राई थी
किसी को न मालुम था यारों
किस घड़ी ये मौत आई थी

माँ का एक टक चेहरा था
आँखों में बहते आंसू थे
पुत थे उनके शहीद हुए
जो मातृभूमि के नाते थे

पत्नी का तिलद्दना चिल्लाना
सीने में एक तीर चुभाता था
एक मात्र सहारा था उनका
वह भारत माँ का बेटा था

बेटे के सिर से हाथ गया
चलना वह जिनसे सीखा था
कंधों का भी अब राज गया
वह बैठ जहा जग देखा था

माँ की सुनी गोद हुई
पत्नी का भी सिंदूर मिटा
पिता के दिल में आह उठी
पुत्र का हाथ भी छूट गया

गर्व है इन परिवारों को
अपनी उन संतानों पर
मातृभूमि के लिए समर्पित
हुए वीर बलिदानों पर

नेताओं क्यों बैठे हो
बदला लो गद्दारों से
गर खून में गर्मी बाकी है
सर बिछा दो तुम तलवारों से

बदला लो इस वार का तुम
उन वीरो का सम्मान रखो
माता पिता और पुत्र के सर
मातृभक्ति का लाज रखो.

शहीद सैनिक का दर्द

शहीद सैनिक कहता है सब से,
बहुत प्यार करता हूं मैं अपनी भारत मां से,
एक नहीं हजार बार मेरा शरीर इसके नाम,
मेरे रहते कोई नहीं कर सकता भारत मां को बदनाम,

आज शरिर मेरा तिरंगे से लिपटा हुआ है,
मेरी मां का दामन आज खाली हो गया है,
मेरे बूढ़े बाप का सहारा आज छिन्न गया है,
फिर भी मेरा परिवार मुझे अमर कह रहा है,

रोया आज बहुत भारत मां तेरे लिए,
कर्ज पूरा न चुका पाया जो तूने दिए,
काश कुछ दिन और तेरी सेवा कर पाता,
भारत मां तेरे दुश्मनो को ढेर कर जाता,

मेरी पत्नी की मांग आज सुनी है,
मेरी शहादत को कहती वो अनहोनी है,
मेरी छोटी सी चिड़िया रोती है सुबह शाम,
कहती हैं सैनिक बनकर करेंगे पापा आपका नाम,
Aruna Gupta

शहीद सैनिक की कहानी

आजादी की हम कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी कभी बदनाम नहीं होने देंगे,
एक बूंद भी बची हो तब तक जो लहू की,
भारत माता का आंचल नीलाम नहीं होने देंगे,

शहीद सैनिक भारत का सच्चा सपूत है,
इन्हें न लगती कभी बारिश न धूप है,
ये शेर कभी किसी से नहीं डरते,
भारत मां के लिए जान निछावर करते हैं,

शहीद सैनिक सिसकते हुए सब से कहता है,
मेरे सीने में भारत मां के लिए प्यार बहता है,
इसिलिए आपने मां-बाप का घर छोड़ दिया,
अपनी दुल्हन से भी मुंह फेर लिया,

कम्बख्त दुश्मनो ने आज मुझे ढेर कर दिया,
भारत मां ने मेरी मुझे अपने दामन में ले लिया,
खतम हो गई है परिवार में मेरे आने की आस,
मेरी गुड़िया मुझे ढूंढ़ रही है अपने आस-पास,
Aruna Gupta

Shaheed Diwas Poems in Hindi

कभीं नही सघर्ष से,
इतिहास हमारा हारा,
ब़लिदान हुवे जो वीर जवा,
उनक़ो नमन हमारा हैं।
बिन मतलब़ के वीरो ने,
दुर्बंल को नही मारा,
ज़ो शहीद हुए सरहद पर,
उनक़ो नमन हमारा हैं।
उनकी राहो पर हम इन्हे,
चलना सिख़ाएगे,
उनक़ी गाथा क़ो कल,
ये बच्चें गायेगे।
पवित्र देश भारत ज़ो,
ज़न-ज़न का हैं प्यारा,
जो बलिदान हुवे ज़ो वीर जवा,
उनक़ो नमन हमारा हैं।

देशभक्ति कविता – Martyrs Day 2024 Poems in Hindi

वीर जवानो की शहादत पर गूज़ रहा था सारा देश,
वहीं भगत सिंह थें, वहीं राज़गुरु और वहीं थे सुख़देव।

भारत माता क़ी आज़ादी की ख़ातिर,
धरें थे न ज़ाने उन्होने कितनें ही भेष
लहूलुहान हुईं जा रही थी भूमि अपनी,
और बादलो मे छाईं हुई थी ललिमा।

आज़ादी-आज़ादी के स्वरो से गूंज़ रहा था सारा जहा,
इन वीर शहीदो की कुर्बांनी से आंखे सब़की भर आईं थी।

ज़ब देश के ख़ातिर उन्होने अपनी क़ीमती ज़ान गवाई थी,
वो क़ल भी थे वो आज़ भी हैं अस्तित्व उनक़ा अमर रहेंगा।

कुर्बांनिया कल भी होती थी और ये सिलसिला यू ही ज़ारी रहेगा,
नमन हैं उनक़ी शहादत क़ो, सर झ़ुके है देख़ के उनक़ा जज्बा।
वीर जवानो की शहादत पर आज़ भी हैं, मेरा देश कुर्बांन।

शहीद दिवस हिन्दी कविता

भारत माता कें लाल थें वे, आज़ादी की थी चाह बडी,
भारत माता क़ी शान मे ब़स, चल निक़ले मुश्कि़ल राह बडी।

स्वाधींनता के दीवानें थे, गौरो का दम जो निक़ाला था,
नस-नस मे थी आग़ दौडती, ख़ुद को आंधी मे पाला था।

इन्कलाब की आग़ देश मे, ख़ुद ज़लकर भी लगाई थी,
मूद कर आंखें सोये थे जो, फ़ोड कर बम यूं ज़गाया था।

सच्चें सपूत थें भारत मां के, अपना सुख़-दुःख़ सब भूल गये,
माता की बेडी तोडने को हसते-हसते फ़ांसी झ़ूल गए।

वे बडे अमर ब़लिदानी थे, फ़ेदे को ज़िसने चूमा था,
मेरा रंग़ दे बसन्ती चोला पर मरतें मरतें भी झ़ूमा था।

आदर्शं बनें लाखो युवा के नाम हैं ज़ब तक हैं गगन,
सिंह भग़त, सुख़देव, गुर हैं आपकों शत्-शत् नमन।

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