राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार | Rajasthan Fairs & Festival In Hindi

राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार Rajasthan Fairs & Festival In Hindi नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं,

आज हम राजस्थान महत्वपूर्ण मेलो और त्योहारों के बारे में इस आर्टिकल में जानेगे. उम्मीद करते है आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आएगी.

मेले और त्यौहार Rajasthan Fairs & Festival In Hindi

राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार | Rajasthan Fairs & Festival In Hindi

भारत के विभिन्न प्रदेशों में राजस्थान का विशिष्ट महत्व है. राजस्थान का नाम लेते ही उन रणबाकुरों वीरों एवं देशभक्तों की स्मृति आ जाती है. उस राजपूती शौर्य का स्मरण आ जाता है, जिसके लिए वह सहस्त्र वर्षो तक प्रसिद्ध रहा.

इसी प्रकार सांस्कृतिक द्रष्टि से भी राजस्थान के जन जीवन में अनेक परम्परागत विशेषताएं द्रष्टिगत होती है. भारत के अन्य भागों की तरह ही राजस्थान में भी रक्षाबंधन, दशहरा, होली, दीपावली आदि त्यौहार एवं पर्व मनाएं जाते है.

परन्तु इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे पर्व एवं मेले भी है. जो केवल राजस्थान में ही आयोजित किये जाते है. वस्तुतः इन राजस्थानी पर्वो के द्वारा ही यहाँ की सांस्कृतिक झाँकी, जन जीवन में व्याप्त धार्मिक आस्था एवं रीती रिवाजों का आसानी से परिचय मिल जाता है.

राजस्थान के प्रमुख पर्व त्यौहार (Important Festivals of Rajasthan)

गणगौर त्यौहार (Ganagaur festival)- गणगौर राजस्थान का प्रमुख त्यौहार है. गणगौर का अर्थ होता है. गण और गौर अर्थात शिव के गण व पार्वती, शिव और पार्वती. यह त्यौहार चैत्र सुदी चार दिनों तक चलता है.

कुवारीं कन्याएँ अच्छा वर पाने के लिए तथा विवाहित स्त्रियाँ अखंड सौभाग्य के लिए गणगौर की पूजा करते है. राजस्थान में बिना गण की गणगौर जैसलमेर की प्रसिद्ध है.

इन 18 दिनों तक कुवारी कन्याएँ कई दिनों तक उपवास करती है. उनके उपवास तब तक चलते रहते है. जब तक कि वे उजणी (व्रत समाप्ति की दावत) नही कर देती.

गणगौर का इतिहास (History of Gangaur)- गाँव मुहल्ले की कन्याएँ रंग बिरंगे वस्त्रो से सजकर एवं मनोरम श्रृंगार कर समूह बनाकर गीत गाती हुई बाग़ बगीचों में जाती है. और वहां गणगौर की पूजा करती है.

वे वहां कलशों को फूलों एवं दुर्वाओं से सजाकर उन्हें सिर पर रखकर गीत गाती हुई घर आती है. चैत्र शुक्ल पक्ष की तीज चौथ को जयपुर में कई स्थानों पर लवाजमे के साथ गणगौर की सवारी निकलती है. इस दिन गणगौर का मेला बूंदी में भरता है.

गणगौर की कहानी (Story of gangor)- गणगौर की तरह राजस्थान में श्रावणी तीज का पर्व भी बड़े उल्लास से मनाया जाता है. गर्मी की ऋतू के बाद श्रावण शुरू होते ही बाग़ बगीचों में, आँगन- पिछवाडों में झूले पड़ जाते है. जिन पर स्त्रियाँ एवं बच्चे मस्ती से झूलने लगते है.

गणगौर का मेला (Fair of gangor)- स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती है. तीज और चौथ के दिन सभी स्त्रियाँ पुरुष तथा बालक बालिकाएं गाँव के बाहर तालाब पर एवं बागों में एकत्र हो जाते है और फिर मधुर गीतों के साथ झूले झूलने लगते है.

बड़े कस्बों व्व्व्वेवं शहरों में तीज माता की सवारी लवाजमे के साथ सवारी निकाली जाती है. राजस्थान में श्रावणी तीज से त्यौहारों एवं पर्वो का सिलसिला शुरू हो जाता है. जो गणगौर तक चलता रहता है. इस कारण राजस्थान में श्रावणी तीज का अत्यंत महत्व है.

तीज का त्योहार (Festival of Teej)- राजस्थान में गणगौर और तीज के अलावा कई पर्व त्यौहार आते है. यहाँ शीतलाष्टमी का पर्व भी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इसे राजस्थानी में ” बास्योड़ा” भी कहा जाता है. राजस्थान में बैशाख शुक्ल तृतीया को आखातीज/अक्षय तृतीया का त्यौहार भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.

वस्तुतः यह प्रमुख रूप से कृषकों का त्यौहार है. इस दिन किसान नई फसल का स्वागत करते है. काश्तकारों के घरों में ज्यादातर विवाह भी इसी दिन होते है. इस त्यौहार का भी राजस्थान के सांस्कृतिक जीवन में अत्यंत महत्व है.

राजस्थान के प्रमुख उत्सव मेले (Major Festival Fairs of Rajasthan)

उपर्युक्त प्रमुख पर्वो एवं त्यौहारों के अतिरिक्त राजस्थान में विशेष धार्मिक पर्व मेले भी भरते है. प्राय ये मेले तीर्थ स्थानों पर भरते है. परन्तु कुछ पशु मेले ऐसे होते है.

जिनमे हजारों पशु गाय, बैल, ऊंट, भैस, भेड़, घोड़े एवं गधे आदि बिक्री के लिए इक्कठे होते है. इन मेलों में पुष्कर, तिलवाड़ा, परबतसर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, गोगामेड़ी आदि के मेले प्रसिद्ध है.

पुष्कर का मेला कार्तिक में, तिलवाड़ा का मेला चैत्र में, परबतसर का मेला भाद्रपद में, कोलायतजी का मेला कार्तिक में, चारभुजा का मेला भादों में, केसरियानाथ का मेला धुलेव उदयपुर में चैत्र माह में, रामदेवजी का मेला जोधपुर और जैसलमेर में भादो माह में, रानी सती का मेला झुंझुनू में भादों माह में, बाणेश्वर का माघ में,

बानगंगा वैशाख में, गोगामेड़ी का भादों में केलवाड़ा कोटा का मेला वैशाख में भरता है. इनके अलावा मंडोर में वीरपूरी का मेला भरता है. इस मेले में मारवाड़ के प्रसिद्ध वीरों एवं हिन्दू देवी देवताओं का स्मरण वन्दन किया जाता है.

प्रमुख पर्वोत्सव से लाभ

राजस्थान में मनाये जाने वाले विभिन्न पर्वो और मेलों से हमे अनेक लाभ है. इनमे सांस्कृतिक परम्परा निरंतर चलती रहती है और लोगों में अपनी धार्मिक आस्थाओं के प्रति विश्वास बढ़ता है.

समाज में परस्पर मेल-मिलाप, भाईचारा, सहयोग तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान की द्रष्टि से यहाँ के मेलें एवं त्यौहारो का अत्यंत महत्व है.

इनसे गौरवपूर्ण सांस्कृतिक परम्परा का परिचय मिलता ही है. साथ ही लोकमंगल की भावना का भी प्रसार होता है. ऐसें अवसरों पर कुटीर उद्योगों की बनी हुई वस्तुएं तथा गृह उद्योगों का भी व्यापार होता है जिनसे ग्रामीण जनता लाभान्वित होती है.

पर्वों त्यौहारों एवं मेलों की दृष्टि से राजस्थान का विशिष्ट स्थान है. भारत में हिन्दू समाज में जो प्रसिद्ध त्यौहार मनाए जाते है. उनकों यहाँ भी उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

परन्तु गणगौर,तीज, शीतलाष्टमी आदि कुछ ऐसें पर्व है, जिन्हें केवल राजस्थान के ही लोग मनाते है. इन पर्वो के द्वारा यहाँ के जातीय जीवन की झांकी देखने को मिलती है.

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