राजस्थान का राजकीय पशु | State Animal of Rajasthan | Rajasthan Ka Rajya Pashu

क्या आप जानते हैं Rajasthan Ka Rajya Pashu क्या हैं. कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान के राजकीय (राज्य) पक्षी पशु वृक्ष फल खेल आदि से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं.

वैसे भी जनरल नॉलेज के लिए इन छोटी मोटी जानकारियों को याद रखना चाहिए. State Animal of Rajasthan (राजस्थान का राजकीय पशु) की श्रेणी में राज्य के दो पशुओं को शामिल किया गया हैं.

2014 से पूर्व चिंकारा राज्य पशु था. मगर ऊंट की प्रजाति को खतरे में देख सरकार द्वारा ऊंट को भी पालतू पशु के रूप में Rajya Pashu घोषित किया गया. इस लेख में हम रेगिस्तान के जहाज ऊंट के बारे में पढेगे.

Rajasthan Ka Rajya Pashu

राजस्थान का राजकीय पशु | State Animal of Rajasthan | Rajasthan Ka Rajya Pashu

आपकों बता दे 2014 के बाद राज्य पशु का दर्जा ऊंट व चिंकारा दोनों को दिया गया हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि परीक्षाओं में यदि Rajasthan Ka Rajya Pashu Ka Naam पूछा जाता है, तो इनमें से एक ही विकल्प दिया होता है.

इनकें आंतरिक विभाजन में जाए तो ऊंट को पालतू पशुओं में राज्य पशु व चिंकारा को जंगली पशुओं में से राजस्थान के राजकीय पशु का दर्जा दिया गया हैं. हम हम आपकों ऊंट की कहानी विस्तार से बता रहे हैं.

Rajasthan Ka Rajya Pashu Unt & Camel

ऊंट को रेगिस्तान का जहाज के नाम से कहा जाता हैं. यह मरुस्थल में गर्म स्थानों पर पाया जाता हैं. 30 जून 2014 को राजस्थान में राज्य सरकार ने ऊंट को राजकीय पशु घोषित किया.

इस तरह राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार चिंकारा के साथ साथ अब ऊंट को भी राजकीय पशु के रूप में मान्यता मिल गई हैं.

एक पशु के रूप ऊंट कई लोगों को जीविका प्रदान करता हैं. ऊंट एक बहुत ही अनोखा पशु हैं. यह रेतीले तपते मैदानों में इक्कीस इक्कीस दिनों तक बिना पानी पिए रह सकता हैं.

इसका उपयोग सवारी और सामान ढ़ोने के लिए किया जाता हैं. एक ऊंट की औसत आयु चालीस से पचास वर्ष होती हैं.

ऊँटों को जन्म से कूबड़ नही होता है बल्कि उनके बड़े होने पर स्वतः आ जाती हैं. ऊंट के कूबड़ में उसके पूरे शरीर की मोटी चर्बी जमा हो जाती हैं.

और कूबड़ के कारण ऊंट भयंकर गर्मी में में भी रेगिस्तान में आराम से रह पाता हैं. यह बहुत ही शांत स्वभाव का प्राणी हैं. एशियाई ऊँटों के दो कूबड़ होते है, जबकि अरब के ऊँटों की एक ही कूबड़ होती हैं.

प्रकृति ने ऊंट की संरचना वातावरण के अनुकूल ही की हैं. इसकी आँखों में पलकों की तीन परतें होती हैं, जिससे यह धूल और रेत को अपनी आँखों से बचा पाता हैं.

ऊंट रेतीली हवाओं में भी आसानी से देख पाता हैं. पलकों की तीन मोटी परतें होने के कारण धूल आँखों में नही जा पाती हैं.

Rajasthan Ka Rajya Pashu

ऊंट के कान छोटे और बालों से भरे होते हैं. ऊँटों के सुनने की शक्ति बहुत तेज होती हैं. ऊंट रोजाना पानी नही पीते है लेकिन एक बार में ही ये 100 से 200 लीटर पानी पी जाते हैं. ऊंट का मुंह बहुत मजबूत होता हैं. यह कांटेदार टहनियों को भी सहजता से खा लेता हैं.

जबकि दूसरे पशु कांटेदार टहनियों को नही खा सकते हैं. ऊंट के पंजों की बनावट ऐसी होती हैं कि रेत में चलते वक्त ये अंदर की ओर नही धसते. ऊँटों की किडनी पानी को लम्बे समय तक रोके रखने में सक्षम होती हैं. ऊंट की कोशिकाएं अंडाकार होती है. ऊंट को कभी पसीना नही आता हैं.

पेड़ो की हरी पत्तियां और टहनियां मुख्य भोजन हैं. इनकी मोटी चमड़ी सूरज की रौशनी को रिफ्लेक्ट करती हैं. ऊंट के लम्बे पैर उसे गर्मी से दूरी बनाए रखने में मदद करते हैं. ऊंट के दूध में गाय के दूध से फैट कम होता हैं. इस प्रकार ऊंट एक उपयोगी जानवर हैं.

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मित्रों आशा करता हूँ Rajasthan Ka Rajya Pashu ऊंट के बारे में यहाँ दी गई जानकारी आपकों अच्छी लगी होगी. राज्य पशु ऊंट चिंकारा व अन्य राज्य राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों की जानकारी के लिए नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं.

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