Rangey Raghav Biography in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम रांगेय राघव का जीवन परिचय पढ़ेगे. बहुमुखी प्रतिभा के राघव ने हिंदी की सभी विधाओं में रचनाएं लिखी.
दक्षिण भारत से सम्बन्ध रखने वाले रांगेय जी ने अपना अधिकाँश जीवन राजस्थान में ही व्यतीत किया. इन्हें हिंदी साहित्य का शेक्सपियर भी कहा जाता हैं.
आंचलिक कथाकारों में इनकी गिनती की जाती है. आज के बायोग्राफी में हम रांगेय राघव जी का इतिहास उनका उपन्यास कृतियाँ व कहानीकला को जानेंगे.
रांगेय राघव का जीवन परिचय | Rangey Raghav Biography in Hindi
पूरा नाम | तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य (टी.एन.बी.आचार्य) |
जन्म | 17 जनवरी, 1923 |
जन्म स्थान | आगरा |
पहचान | उपन्यासकार, कहानीकार, कवि, आलोचक, नाटककार |
सम्मान | ‘हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार |
यादगार कृतियाँ | घरौंदा, विषाद मठ, मुरदों का टीला, सीधा साधा रास्ता |
रांगेय राघव का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफी
रांगेय राघव चौथे दशक के सशक्त कथाकार है. आपने आँचलिक कथाकार के रूप में ख्याति प्राप्त की है. राघव की माँ कन्नड़ और पिता तमिल थे. उनके पूर्वज तिरुपति बालाजी मन्दिर के पुजारियों में से एक थे. किन्तु राजगुरु होकर इनके पिता भरतपुर के बैर कस्बे में आ बसे थे.
उनकी शिक्षा आगरा में हुई तथा जीवन का अधिकाँश समय आगरा में ही व्यतीत हुआ. अंतिम वर्षों में रांगेय जी जयपुर आकर बस गये. आपका जन्म 1932 इ में तथा देहावसान 1962 ई में हुआ.
वे संस्कृत, ब्रज, हिंदी भाषा के प्रकांड पंडित थे. इन्होने समस्त साहित्य साधना राजस्थान में रहकर ही की. रांगेय राघव विचारधारा से साम्यवादी थे.
उन्होंने अपनी कहानियों में सामाजिक क्रांति का विचार रखा. अपनी कृतियों में इन्होने भारतीय समाज के अंतरविरोधों का चित्र खींचा. उनकी कहानियाँ आम व्यक्ति के हितों की पक्षधर हैं.
रांगेय राघव का कृतित्व
रांगेय राघव ने कहानी, उपन्यास, निबंध, कविता, नाटक, समीक्षा, जीवनी, इतिहास, संस्मरण आदि सभी विधाओं में साधिकार लिखा. उनकी प्रकाशित कृतियाँ लगभग 125 हैं. इनके रचना क्षेत्र की तुलना राहुल सांकृत्यायन से की जा सकती हैं.
राघव अत्यंत कुशल चित्रकार तथा सुमधुर गायक थे. शैली के ओज और भाषा के प्रवाह के कारण वे हिंदी जगत में सदैव चिरस्मरणीय रहेगे.
भारतीय संस्कृति और सम सामयिक स्थिति का मार्क्सवादी दृष्टि से विशलेषण उनकी जागरूकता एवं अध्ययनशील चेतना का परिचय देता हैं.
- उपन्यास: घरोंदे, सीधा सादा रास्ता, हुजुर काका, विषादमठ, कब तक पुकारू, प्रोफेसर, छोटी सी बात, बंदूक और बीन, दायरे, कल्पना, आखिरी आवाज, धरती मेरा घर तथा डोक्टर आदि.
- कहानियाँ – इन्सान पैदा हुआ, पांच गधे, साम्राज्य का वैभव, एय्याश मुर्दे, एक छोड़ एक, गदल आदि.
- निबंध– राघव ने ललित निबंध और यात्रा सम्बन्धी निबंध लिखे. कुछ समीक्षात्मक निबंध भी इनकी आलोचना दृष्टि को स्पष्ट करता हैं. विज्ञापन नामक निबंध में आधुनिक चकाचौंध व बढ़ती विज्ञापनबाजी का चित्रण कर दिया हैं. साहित्यकला, विविध वाद, जीवन की परिस्थतियाँ एवं समकालीन स्थितियों से जुड़े प्रश्नों पर राघवजी ने बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से विचार व्यक्त किये हैं.
रांगेय राघव की कहानी कला
राघव एक कुशल कथाकार हैं. इन्होने दर्जनों उपन्यासों और कहानियों में इनके समाज, राजनीति संस्कृति एवं विविध मानवीय पहलुओं पर विचार व्यक्त किये हैं. आपकी कहानियाँ मानवतावादी दृष्टिकोण को व्यक्त करती हैं.
उनके कहानी साहित्य में सामाजिक जागरूकता व नव चेतना के दर्शन होते हैं. रांगेय राघव ने 100 से अधिक कहानियाँ लिखी हैं. जिनमें राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक शोषण का चित्रण हुआ हैं.
कहानी के विषय में उनकी धारणा है, कहानी करुणा नहीं जगाती है, बल्कि करुना के माध्यम से विवेक जगाती हैं. वह विभत्सता जो सुन्दरता के साथ चलती है, उसका उद्देश्य अंत में जाकर पूरा हो जाता हैं.
उनकी कहानियाँ पाठक को इसी विभत्सता से अवगत कराने की क्षमता प्रदान करती हैं. उनकी भाषा शैली समर्थ हैं. कुत्ते की दुम और शैतान नये टेक्निक्स जैसी प्रयोगशील कहानी भी रांगेय राघव ने लिखी हैं.
नयें प्रतीकों का प्रयोग उनकी कहानियाँ की विशिष्टता हैं. गदल आँचलिक कहानियों में शीर्षस्थ कही जा सकती हैं. जिसके एक ग्रामीण स्त्री अपने परिवार व रिश्तों की खातिर पुरुष समाज से भीड़ जाती है और निर्भीकता का परिचय देती हैं.
उनकी सैंकड़ों कहानियों में इन्सान पैदा हुआ एक संवेदनशील रचना हैं. प्रस्तुत कहानी की कथानक, पात्र योजना, वातावरण चित्रण, भाषा शैली एवं उद्देश्यनिष्ठता में उत्कृष्ट हैं. इन्सान पैदा हुआ भारत के उस काल की झांकी प्रस्तुत करती है, जब भारत स्वतंत्र हुआ था.
पाकिस्तान का निर्माण भी उसी समय हुआ. सन 1947 के विभाजनकालीन खौफनाक मंजर का चित्रण इसका मूल कथ्य हैं. हिन्दू मुस्लिम द्वेष, साम्प्रदायिक घ्रणा और विभिन्न राजनैतिक दलों के स्वार्थपूर्ण कृत्यों का घिनौना रूप इसमें बड़ी नग्नता के साथ चित्रित हो गया हैं.
रांगेय राघव की कहानियों का भाषा सौष्ठव भी प्रभावोत्पादक हैं. इनकी भाषा में तत्सम प्रधान शब्दावली, देशज शब्द एवं उर्दू अंग्रेजी शब्दों का सटीक प्रयोग हुआ हैं.
धरती मेरा घर में गाढोतिया लुहारों की क्षेत्रीय भाषा प्रयुक्त हुई हैं. तो कब तक पुकारू में पूर्वी राजस्थान भरतपुर की ग्राम्यांचल भाषा प्रयुक्त हो गयी हैं. आँचलिक शब्दावली का प्रयोग इनकी कहानियों की विशेषता हैं.
सम्वाद शैली भी रोचक हैं. इनकी कहानियों में कहीं तो वर्णनात्मक शैली प्रयुक्त हुई है कहीं आत्म कथात्मक, प्रतीकात्मक एवं व्यंग्यात्मक शैली भी आ गयी हैं. भाषा में लाक्षणिकता एवं स्थानीय कहावतों का भी प्रयोग हो गया हैं.
कब तक पुकारू की विषय वस्तु भाषा शैली एवं भरतपुर रियासत की अतीत की घटनाओं व नटों की जिन्दगी का इतनी जीवंत भाषा में चित्रण हुआ है की इस पर टीवी सीरियल बन चूका है, जो अत्यंत लोकप्रिय हुआ था.
कुल मिलाकर रांगेय राघव के समग्र लेखन का कलात्मक पक्ष अत्यंत रोचक प्रभावोत्पादक एवं प्रसंगानुकूल ही नहीं तकनीक में नवीनता है. जो आगे चलकर नयें कथाकारों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुआ हैं.
पुरस्कार और सम्मान (Award & Honor)
- हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार (1951),
- डालमिया पुरस्कार (1954),
- उत्तर प्रदेश सरकार पुरस्कार (1957 व 1959),
- राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961)
- मरणोपरांत (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार
मृत्यु (Death)
हिंदी के शेक्सपियर कहे जाने वाले रांगेय राघव जी का बहुत छोटा जीवन में इतना योगदान दे पाए कि जिन्हें सदियों तक याद रखा जाएगा.
करीब 150 पुस्तकें लिखना जर्मन और फ़्रांसिसी भाषाओं के ग्रंथों के हिंदी अनुवाद भी किये. इन्होने शेक्सपियर के दस नाटकों का भी हिंदी रूपांतरण किया.
लम्बी बिमारी के बाद 12 सितम्बर 1962 को मुंबई में महज 39 साल की आयु में राघव का देहावसान हो गया. इतनी छोटी आयु में भी रांगेय जी ने साहित्य क्षेत्र में श्रेष्ठ और बहुत ऊंचे मापदंड स्थापित किये.
यह भी पढ़े
- सुदर्शन
- चंद्रधर शर्मा गुलेरी
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