धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार क्या है | Right To Freedom Of Religion Articles 25 to 28 in Hindi

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार क्या है | Right To Freedom Of Religion Articles 25 to 28 in Hindi: आज हम धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार के बारे में जानेगे.

भारत का संविधान अपने नागरिकों को 6 प्रकार के अधिकार देता है जिनमें से एक है धर्म की स्वतंत्रता. इस राईट के तहत किसी भी भारतीय को अपनी इच्छा के अनुसार धर्म, पन्थ चुनने का पूरा अधिकार है.

यहाँ हम जानेगे कि फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन का अर्थ क्या है इसकी सीमाएं और भारतीय संविधान इस तरह की आजादी के विषय में क्या कहता हैं.

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार क्या है | Right To Freedom Of Religion Articles 25 to 28 in Hindi

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार क्या है Right To Freedom Of Religion Articles 25 to 28 in Hindi

1947 में भारत का विभाजन इस आधार पर किया गया कि दो कौमे हिन्दू और मुस्लिम कभी भी साथ नहीं रह सकते अतः मुस्लिमों के लिए अलग देश पाकिस्तान तथा हिन्दुओं के लिए भारत हो. हालांकि पाकिस्तान अपने जन्म से ही एक इस्लामिक राष्ट्र के रूप अस्तित्व में आया.

भारत ने एक हिन्दू राष्ट्र बनने की बजाय धर्मनिरपेक्ष यानी सेक्युलरिज्म का रास्ता चुना. अपने संविधान में भारत भूमि पर रहने वाले समस्त नागरिकों के साथ जाति, धर्म, रंग, नस्ल, भाषा आदि के आधार पर कोई भेद नहीं किया जाएगा.

प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छा के मुताबिक धर्म, मत, परम्परा के पालन का अधिकार होगा. यही वजह है कि भले ही भारत को धर्म के आधार पर बांटकर टुकड़े किये गये मगर आज के भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी, पारसी, बौद्ध, जैन समस्त धर्मावलम्बी रहते हैं.

अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक सभी को अपने विश्वास और आस्था के अनुसार धर्म चुनने उसकी पालना करने, उपासना तथा प्रचार का अधिकार भी हैं. साथ ही भारतीय संविधान द्वारा राज्य को धर्म के मामलों में दखल से दूर रखा गया है तथा राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा.

भारत एक बहुधार्मिक देश है. हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं. संविधान के अनुच्छेद 25-28 में प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया हैं.

अंतकरण की स्वतंत्रता (article 25 of indian constitution explanation):

इस अनुच्छेद के अनुसार अतः करण की स्वतंत्रता तथा कोई भी धर्म अंगीकार करने, उसका अनुसरण व प्रचार करने का अधिकार प्राप्त हैं. धार्मिक संस्थाओं में बिना किसी भेद के प्रवेश व पूजा अर्चना का अधिकार दिया गया हैं.

धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के साथ ही समय समय पर इसे सिमित और नियमित करने के लिए संविधान संशोधन किये हैं. इस अधिकार के साथ ही कुछ सीमाओं का निर्धारण भी किया गया हैं, जो इस प्रकार हैं.

  • किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता हैं.
  • अमानवीय, अवैध एवं अंधविश्वासी प्रथाओं को गैर कानूनी बनाया गया हैं जैसे दहेज़, तीन तलाक आदि.
  • अलौकिक शक्तियों को प्रसन्न आदि करने के लिए दी जाने वाली नर या पशु बलि पर पूर्णतया रोक.
  • सती प्रथा का उन्मूलन
  • राज्य को धर्म से संबंधित किसी भी आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों को नियमित करने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं.
  • राज्य सामाजिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य को आधार मानते हुए प्रतिबन्ध आरोपित कर सकता हैं.

धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता अनुच्छेद 26 (indian secularism and religious freedom):

इस अनुच्छेद में प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को धार्मिक संस्थाओं के निजी मामलों का प्रावधान, धार्मिक कार्यों के लिए दान देना व लेना कर मुक्त होगा,

चल अचल सम्पति के अर्जन व स्वामित्व का अधिकार व उस सम्पति का विधि के अनुसार संचालन करने का अधिकार, विभिन्न धर्म व सम्प्रदायों को अपनी शिक्षण संस्थाएं चलाने का अधिकार हैं. लेकिन किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा हेतु बाध्य नहीं किया जा सकता हैं.

राजकीय संस्थाओं में धार्मिक शिक्षण पर रोक अनुच्छेद 28 (explain right to freedom of religion):

इस अनुच्छेद के अनुसार राज्य की निधि से किसी भी शिक्षण संस्था में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्था में किसी व्यक्ति को धर्म विशेष की शिक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा.

धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ व अधिकार (essay on what is freedom of religion)

भारतीय संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ने के साथ ही भारत संघ एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बना. शासन का न कोई धर्म होगा ना ही किसी धर्म विशेष को सरकार द्वारा प्रोत्साहन या दखलदाजी की जाएगी.

संविधान का अनुच्छेद 25 (1) के अनुसार सभी नागरिकों को कोई भी धर्म अपनाने तथा उसका आचरण करने का अधिकार होगा. मगर लोक व्यवस्था, सदाचार तथा स्वास्थ्य हित में सरकार प्रतिबन्ध भी लगा सकती हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद २६ धार्मिक संस्थाओं की स्थापना और प्रबंध की स्वतंत्रता का अधिकार देता है अनुच्छेद 28 के अनुसार शासकीय निधि से पूर्णतः पोषित शिक्षण संस्थानों में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी.

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2022

अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को 2021 के बाद साल 2022 में भी कंट्रीज़ ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न श्रेणी में रखा हैं.

अमेरिकी सरकारी आयोग की स्थापना 1998 में हुई थी, हालांकि भारत सदा से USCIRF के नजरिये को मान्यता नहीं देता है क्योंकि आयोग ने सदैव भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दवाब बनाने के लिए प्रेशर पॉइंट्स की इस तरह इन कमिशन से रिपोर्ट्स तैयार करवाई जाती हैं.

FAQ

Q. अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में हैं?

Ans: अनुच्छेद 29 व 30

Q. धर्म के बारे में भारत में राज्य की स्थिति क्या हैं?

Ans: धर्मनिरपेक्ष

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