राजस्थान की प्रमुख नदियाँ व झीलें | Lakes And Rivers Of Rajasthan In Hindi

राजस्थान की प्रमुख नदियाँ व झीलें | Lakes And Rivers Of Rajasthan In Hindi : प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं, आज हम Rajasthan Ki Nadiya पढ़ेगे.

राज्य में बहने वाली नदियों के में सामान्य ज्ञान होना जरुरी हैं. Rajasthan Rivers में मुख्य नदियों के साथ ही उनके अपवाह तन्त्र को भी समझने का प्रयास करेगे.

राजस्थान की प्रमुख नदियाँ व झीलें | Lakes And Rivers Of Rajasthan In Hindi

प्रिय दोस्तों आपका स्वागत हैं आज हम rajasthan rivers list in hindi राजस्थान की प्रमुख नदियाँ Rivers के बारें में जानेगे.

राजस्थान सामान्य ज्ञान के नदी व झील के इस अध्याय में परीक्षा के लिए उपयोगी प्रश्न उत्तर समरी व gk नोट्स आप पढेगे. चलिए अब हम Rajasthan Ki Nadiya के बारें में जानते हैं.

राजस्थान की अधिकांश नदियाँ बरसाती हैं. माही व चंबल प्रमुख बारहमासी नदी तथा लूणी व बनास बरसाती नदियाँ हैं. अरावली पर्वत श्रखला राजस्थान की नदियों को दो भागों में विभाजित करती हैं.

  • बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियाँ– चंबल, बनास, काली सिंध, पार्वती, बाणगंगा, खारी, बेडच, ग्भीरी अरावली के पूर्वी भाग में प्रवाहित होती हैं.
  • अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियाँ– माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, लूणी आदि. पश्चिमी बनास व लूनी गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती हैं.
  • आंतरिक प्रवाह की नदियाँ– वे नदियाँ जो राजस्थान में अपने प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती हैं तथा जिनका जल समुद्र तक नहीं जा पाता हैं. वे नदियाँ है काकनी, कांतली, साबी, घग्घर, मेंथा, बांडी रूपनगढ़ आदि.

Rajasthan Ki Nadiya Gk Notes

राजस्थान में चुरू व बीकानेर ऐसे जिले हैं जहाँ कोई नदी नहीं हैं. गंगानगर में यदपि कोई पृथक नदी नहीं हैं लेकिन वर्षा होने पर घग्घर की बाढ़ का पानी सूरतगढ़ और अनूपगढ़ तक चला जाता हैं. राज्य में पूर्णतः बहने वाली सबसे लम्बी नदी तथा सर्वाधिक जल ग्रहण वाली नदी बनास हैं.

राजस्थान की सबसे लम्बी नदी व सर्वाधिक सतही जल वाली नदी चंबल हैं. राज्य में कोटा संभाग में सर्वाधिक नदियाँ हैं. सर्वाधिक बाँध चंबल नदी पर बने हुए हैं.

चम्बल नदी पर भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) के निकट चूलिया प्रपात तथा मांगली नदी पर बूंदी में प्रसिद्ध भीमतल प्रपात हैं.

राज्य के लगभग ६० प्रतिशत क्षेत्र में आंतरिक जल प्रवाह प्रणाली विद्यमान हैं. सर्वाधिक जिलों में बहने वाली नदियाँ चंबल बनास व लूनी प्रत्येक नदी 6 जिलों में बहती हैं. अन्तर्राज्यीय सीमा (राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा) बनाने वाली राजस्थान की एकमात्र नदी चंबल हैं.

माही, सोम, जाखम नदियों के संगम पर स्थित बेणेश्वर धाम वनवासियों का महातीर्थ हैं. सोम नदी के किनारे डूंगरपुर में सोम नाथ का मन्दिर स्थित हैं.

राजस्थान में नदियों के किनारे संगम पर बनें दुर्ग

  • गागरोन का किला- आहू व कालीसिंध नदियों के संगम पर
  • भैंसरोड़गढ़ दुर्ग – चंबल व बामनी नदियों के संगम पर
  • शेरगढ़ दुर्ग- परवन नदी के किनारे
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग- गम्भीरी बेडच नदियों के किनारे
  • मनोहर थाना दुर्ग- परवन व कालीखाड नदियों के संगम पर
  • गढ़ पैलेस , कोटा दुर्ग- चंबल नदी के किनारें

राजस्थान में नदियों के निकट स्थित अभ्यारण्य

  • राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य- चंबल नदी
  • जवाहर सागर अभ्यारण्य- चंबल नदी
  • शेरगढ़ अभ्यारण्य – परवन
  • बस्सी अभ्यारण्य- ओरई व बामनी का संगम
  • भैंसरोड़ गढ़- चंबल व बामनी का संगम

नदियों पर बसे प्रमुख नगर

  • चंबल- कोटा
  • जवाई- सुमेरपुर पाली
  • बेडच- चित्तोडगढ
  • खारी- आसींद भीलवाड़ा
  • कालीसिंध- झालावाड़
  • पं बनास- डीसा
  • लूनी- बालोतरा
  • साबरमती- गांधीनगर

नदियों के त्रिवेणी संगम स्थल

  • बनास-मेनाल-बेडच – बागोद भीलवाड़ा
  • माही-जाखम-सोम- बेणेश्वर, डूंगरपुर
  • बनास, चंबल, सीप- रामेश्वर घाट सवाईमाधोपुर
  • बनास, डाई व खारी- राजमहल टोंक

राजस्थान की मुख्य नदियाँ

लूनी
  • उद्गम- अजमेर की नाग पहाड़ियाँ
  • बहाव क्षेत्र- अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, गुजरात, कच्छ के रन में विलुप्त हो जाती हैं.
  • 495 किमी लम्बी यह नदी पूर्णतया बरसाती हैं इसका जल बालोतरा बाड़मेर तक मीठा तथा बाद में खारा हैं.
  • सहायक नदियाँ- सूकड़ी, मीठडी, बांडी खारी, जवाई, लीलड़ी, गुहिया एवं सागी जोजड़ी हैं.
जवाई
  • उद्गम- बाली पाली के पास गोरियाँ गाँव की पहाड़ियाँ
  • बहाव क्षेत्र- पाली, जालौर बाड़मेर में यह लूनी में मिल जाती हैं.
  • सुमेरपुर पाली के निकट इस पर जवाई बाँध बना हुआ हैं.
घग्घर (मृत नदी)
  • उद्गम- हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास शिवालिका की पहाड़ियाँ
  • राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गाँव के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती हैं लेकिन वर्षा ऋतू में यह गंगानगर में सूरतगढ़ व अनूपगढ़ के कुछ गाँवों तक पहुच जाती हैं. इस नदी में अक्सर बाढ़ आती रहती हैं.
  • यह वैदिकसंस्कृति की सरस्वती नदी कहलाती हैं.
पश्चिमी बनास
  • उद्गम-सिरोही के दक्षिण में नया सानवारा गाँव के निकट अरावली की पहाड़ियाँ
  • प्रवाह क्षेत्र- सिरोही, गुजरात, कच्छ के रण गुजरात में विलुप्त हो जाती हैं. सहायक नदी- सूकली
  • इस नदी के तट पर डीसा नगर बसा हुआ हैं.
माही 
  • उद्गम- मध्यप्रदेश में धार जिले के सरदारपुरा के निकट विध्यांचल की पहाडियों में मेह्द झील
  • बहाव क्षेत्र- यह राजस्थान में बाँसवाड़ा के खांदू के पास प्रवेश करती हैं तथा बाँसवाड़ा डूंगरपुर में सीमा बनाती हुई गुजरात के महीसागर जिले में प्रवेश करती हैं. इस नदी पर कडाना बाँध यही बना हुआ हैं. फिर खम्भात की खाड़ी में गिरती हैं. इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहते हैं. यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान व गुजरात में बहती हैं.
  • लम्बाई- 576 किमी इसे वागड़ व कांठल की गंगा तथा दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहते हैं.
  • यह नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती हैं.
  • इसकी सहायक नदियाँ इरू, सोम, जाखम, अनास, हरण, चाप, मोरेन व भादर हैं.
  • बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा ग्राम के पास इस पर माही बजाज सागर बाँध बना हुआ हैं.
सोम 
  • इसका उद्गम तहसील खेरवाड़ा में ऋषभदेव उदयपुर के निकट बिछामेडा की पहाड़िया हैं. बेणेश्वर स्थान पर माही में विलय, जाखम टी डी, गोमती व सारनी इसकी सहायक नदियाँ हैं.
जाखम
  • उद्गम स्थल छोटी छादडी, प्रतापगढ़, विलय बेणेश्वर के पास सोम नदी में
चंबल/चमर्णवती/कामधेनु
  • उद्गम- मध्यप्रदेश में इंदौर जिले के महू के निकट विध्यांचल पर्वत की जानापाव पहाड़ियाँ
  • बहाव क्षेत्र- उद्गम स्थल से 320 किमी उत्तर में बहने के बाद यह मध्यप्रदेश के मदसौर जिले से राजस्थान के चौरासीगढ़ के निकट प्रवेश करती हैं. तथा दक्षिणी पूर्वी राजस्थान चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली व धौलपुर में बहती हुई उत्तर प्रदेश मे इटावा के निकट यमुना में मिल जाती हैं. यह सवाईमाधोपुर से धौलपुर जिले तक राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाती हैं. चंबल यमुना की सहायक नदी हैं. चंबल तीन राज्यों मध्यप्रदेश राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश में बहती हैं.
  • यह बारहमासी नदी हैं इसकी कुल लम्बाई 1051 किमी, राजस्थान में केवल 322 किमी बहती हैं.
  • सहायक नदियाँ- मध्यप्रदेश में मिलने वाली सीवान, रेतम, शिप्रा, राजस्थान में मिलने वाली आलनिया, परवन, बनास, काली सिंध, पार्वती, बामनी, कुराल, मेज, छोटी काली सिंध आदि.
  • इस पर भैंसरोड़गढ़ के निकट चूलिया प्रपात हैं सर्वाधिक बीहड़ इसी नदी क्षेत्र में हैं.
  • इस नदी पर गांधी सागर, राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर बाँध व कोटा बैराज बने हुए हैं.
  • इस नदी का बहाव क्षेत्र उत्खात स्थलाकृति का हैं.
पार्वती
  • उद्गम- सेहोर में विध्यांचल श्रेणी, सवाई माधोपुर व कोटा की सीमा में चंबल में विलय
काली सिंध
  • उद्गम- देवास मध्यप्रदेश के पास बांगली गाँव की पहाड़ियाँ
  • यह नदी झालावाड में रायपुर के निकट राजस्थान में प्रवेश करती हैं राज्य में यह झालावाड़ तथा फिर कोटा बारां की सीमा पर बहती हुई कोटा में चंबल में मिल जाती हैं.
  • आहू, परवन, आमझार, चौली, उजाड़ इसकी सहायक नदियाँ हैं.
आहू
  • यह सुसनेर के निकट से निकलकर झालावाड़ में नंदपुर के समीप प्रवेश करती हैं तथा कोटा व झालावाड़ की सीमा में बहती हुई गागरोन झालावाड़ में काली सिंध में मिल जाती हैं.
बनास/वन की आशा
  • उद्गम- राजसमन्द में कुम्भलगढ़ के निकट खमनौर की पहाड़ियाँ
  • यह राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक में बहकर सवाईमाधोपुर में रामेश्वर के निकट चंबल में मिल जाती हैं.
  • पूर्णतः राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लम्बी नदी हैं. यह बरसाती नदी हैं राज्य में इसका जलग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक हैं.
  • सहायक नदियाँ- दाई तरफ से मिलने वाली नदियाँ- बेडच व मेनाल
  • बायीं तरफ से मिलने वाली नदियाँ- कोठारी, खारी, डाई, ढील, सोहादरा, मोरेल व कालीसिल
  • टोंक जिले में बीसलपुर बाँध इसी नदी पर निर्मित हैं.
बेडच
  • यह उदयपुर के उत्तर में गोगुन्दा की पहाड़ियों से निकलती हैं. तथा उद्य्पुर्म चित्तौड़गढ़ में बहती हुई भीलवाड़ा में मांडलगढ़ तहसील में बीगोद के निकट बनास नदी में मिल जाती हैं. वहीँ मेनाल नदी भी इसमें मिलती हैं इनके संगम स्थल को त्रिवेणी कहते हैं.
  • प्रारम्भ में इसे आयड़ नदी के नाम से तथा उदयसागर झील के उपरान्त इसे बेडच नदी कहते हैं.
  • चित्तौड़गढ़ की गम्भीरी, गुजरी, ओराई व वामन नदियाँ इसकी सहायक नदियाँ हैं.
  • चित्तौड़गढ़ के अप्पवास गाँव के निकट इस नदी पर घोसुंडा बाँध बना हुआ हैं.
गंभीर
  • उद्गम- करौली तहसील
  • प्रवाह- करौली, भरतपुर, उत्तरप्रदेश, धौलपुर, उत्तरप्रदेश के मैंनपूरी जिले में यमुना में मिल जाती हैं. पांचना व पार्वती इसकी सहायक नदियाँ हैं.
पार्वती
  • यह करौली जिले की सपोटरा तहसील की पहाड़िया से निकलकर धौलपुर में गंभीर नदी में मिल जाती हैं, इस नदी पर धौलपुर में पार्वती बाँध बनाया गया हैं.

मुख्य राजस्थान की प्रमुख नदियों के नाम

राजस्थान में वर्ष भर बहने वाली नदी केवल चम्बल है. राज्य में अरावली श्रेणी जल विभाजक का कार्य करती है.राज्य में बहने वाली नदियों की कुल संख्या 16 हैं. ये बड़ी नदियाँ है जो राज्य के अधिकतर भागों में बहती हैं.

चम्बल तथा बनास राज्य में सर्वाधिक बहने वाली लम्बी नदियाँ हैं. राजस्थान की मुख्य नदियों के नाम चम्बल नदी, काली सिंध, बनास नदी, बाण गंगा, पार्वती नदी, गंभीरी नदी, लूनी नदी, माही, घग्घर, काकनी, सोम, जाखम, साबरमती, साबी, काटली, मन्था आदि.

राजस्थान की नदियाँ अपवाह तन्त्र के आधार पर

राजस्थान की प्रमुख नदियों के अपवाह क्रम को तीन भागों में बाँट सकते है.

  1. अरब सागरीय अपवाह क्रम
  2. बंगाल की खाड़ी का अपवाह क्रम
  3. आंतरिक अपवाह क्रम

नदियों के उद्गम स्थान, प्रवाह एवं समाप्ति तक के विभाजन को तीन भागों में बांटा गया है. यहाँ हम तीनों के बारे में सक्षिप्त में जानकारी प्राप्त करेगे.

अरब सागरीय अपवाह क्रम (arabian sea rivers)

इसमें लूनी, माही व साबरमती नदियाँ सम्बन्धित है. लूनी व माही प्रमुख नदियाँ है. लूनी नदी अजमेर के नाग पहाड़ से निकलती है.

यह कच्छ की खाड़ी में गिरती है. माही नदी मध्यप्रदेश में अमझोर जिले से निकलती है. यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है.

डूंगरपुर व बाँसवाड़ा जिले के मध्य यह नदी सीमा बनाती है. तथा सोम व जाखम नदियों के संगम पर बेणेश्वर मेला भरता है.

इस नदी पर बाँसवाड़ा के पास माही बजाज सागर बांध बनाया गया है. इसकी सहायक नदियों में सोम, अम्बा, जाखम आदि है.

बंगाल की खाड़ी का अपवाह क्रम (bay of bengal rivers)

इस क्रम की समस्त नदियाँ यमुना में मिलती है. इसमें प्रमुखतः चम्बल, बनास एवं बाणगंगा नदियाँ सम्मिलित है. चम्बल नदी मध्यप्रदेश के महू के समीप जानापाव पहाडियों (Origin of the river Chambal) से निकलती है.

यह चौरासीगढ़ (चित्तौड़) के पास राजस्थान में प्रवेश कर चित्तौड़, कोटा व सवाईमाधोपुर में बहती हुई उत्तर प्रदेश के मुरादगंज के पास यमुना में मिल जाती है.

चम्बल नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर बांध व कोटा बैराज बने हुए है. बनास नदी कुम्भलगढ़ के पास वेरों के मठ से निकलती है. इसे वन की आशा कहते है.

यह सवाईमाधोपुर जिले में रामेश्वर के पास चम्बल में मिल जाती है. इस पर प्रसिद्ध बीसलपुर बाँध बनाया गया है. अन्य नदियाँ बेड़च, गंभीरी, कोठारी, खारी, कालीसिंध, पार्वती आदि है.

आंतरिक अपवाह की नदियाँ (Rivers of internal runoff)

इनमें वे नदियाँ है, जो किसी स्थान से आरम्भ होकर समुद्र तक नही पहुच पाती है. ये कुछ दूर बहने के बाद विलुप्त हो जाती है.

सरस्वती, कान्तली, काकनी, घग्घर, साबी, मन्था आदि ऐसी नदियाँ है. मन्था नदी सांभर झील में विलीन हो जाती है.

राजस्थान की प्रमुख नदियों के उद्गम स्थल

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चम्बल नदी

चम्बल का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश में विध्यांचल पर्वत के पास जानापाव से हैं. यह राजस्थान की सबसे लम्बी एवं एकमात्र वर्ष भर बहने वाली नदी हैं.

राजस्थान में यह नदी भैसरोड़गढ़ से प्रवेश कर कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर एवं धौलपुर जिलों में बहने के बाद उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती हैं.

इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ बनास, बेडच, कोठारी, कालीसिंध, पार्वती आदि हैं. राजस्थान की औद्योगिक नगरी कोटा इस नदी के किनारे स्थित हैं.

बनास नदी

यह चम्बल की एक प्रमुख सहायक नदी हैं. राजसमंद जिले के खमनौर की पहाड़ियों से निकलती हैं. यह राजसमन्द, चित्तौड़, भीलवाड़ा, टोंक जिलों में बहकर सवाई माधोपुर में रामेश्वर के निकट चम्बल नदी में मिल जाती हैं.

इसका जल ग्रहण राज्य में सर्वाधिक हैं और पूर्णतः राजस्थान में बहने वाली सबसे लम्बी नदी हैं.

इसकी लम्बाई लगभग 480 किलोमीटर हैं, बनास, बेडच और मेनाल नदियों का संगम स्थल जिसे त्रिवेणी के नाम से जाना जाता हैं. बीगोद भीलवाड़ा के पास स्थित हैं.

टोंक व सवाईमाधोपुर बनास नदी के किनारे स्थित हैं. बनास की अन्य सहायक नदियाँ कोठारी, गम्भीरी, खारी, मोरेल आदि हैं.

लूनी नदी

यह राजस्थान की तीसरी सबसे बड़ी नदी हैं. अजमेर जिले में गोविन्दगढ़ के निकट सरस्वती और सागरमती नामक दो धाराओ के मिलने इस लूनी नदी का उद्गम होता हैं.

अजमेर नागौर पाली जोधपुर, बाड़मेर, जालोर जिलों में बहने के बाद यह नदी कच्छ की खाड़ी में मिल जाती हैं.

लूनी नदी का जल बाड़मेर के बालोतरा तक मीठा होता हैं. औद्योगिक फैक्ट्रियों के केमिकल नदी में सीधे ही प्रवाहित करने के बाद लूनी का जल खारा व बदबूदार हो जाता हैं. इसकी सहायक नदियों में जोजरी, बाँडी, जवाई, मीठ्दी, खारी, सूकड़ी, सागी गुहिया आदि हैं.

माही नदी

मध्यप्रदेश में विध्यांचल पर्वत में अमरोरू नामक स्थान पर इस नदी का उद्गम स्थल हैं. यह नदी राजस्थान में बाँसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ जिलों में बहने के बाद खम्भात की खाड़ी में मिलती हैं.

बाँसवाड़ा जिले में इस नदी पर माही बजाज सागर बाँध बनाया गया हैं. इसकी सहायक नदियाँ सोम एवं जाखम हैं.

बाणगंगा नदी

इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में स्थित अरावली की बैराठ पहाड़ी से होता हैं. इस नदी का पानी भरतपुर में घना पक्षी राष्ट्रिय उद्यान में भूमिगत होकर नम भूमि का निर्माण करता हैं. इस नदी को अर्जुन की गंगा भी कहा जाता हैं.

घग्घर नदी

इस नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश में हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी से होता हैं. उत्तरी राजस्थान में यह नदी हनुमान गढ़ में प्रवेश कर श्रीगंगानगर में भूमिगत हो जाती हैं.

इस नदी को प्राचीन सरस्वती नदी की सहायक नदी माना जाता हैं. यह राज्य में आंतरिक प्रवाह प्रणाली की सबसे लम्बी नदी हैं.

राजस्थान की प्रमुख झीलें | Rajasthan Lakes In Hindi

राजस्थान की प्रमुख झीलों को जल की दृष्टि से दो भागों में विभाजित किया जाता है. खारे पानी की झीलें तथा मीठे पानी की झीलें. मीठे पानी की झीलों में जयसमन्द , Rajsamand , पिछोला, आनासागर, फाईसागर , पुष्कर , सिलसेढ , नक्की , बालसमन्द , कोलायत , फतहसागर व उदयसागर कुछ बड़ी झीलें है.

मीठे पानी की झीलों का पानी पीने एंव सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है. जबकि खारे पानी की झीलों में मुख्यतया नमक उत्पादन का कार्य ही सम्पन्न किया जाता है. एक नजर मुख्य Rajasthan Lakes पर.

खारे पानी की झीलें (salt water lakes in rajasthan)

खारे पानी की झीलों में सांभर, डीडवाना, लूणकरणसर व पचपदरा प्रमुख है. सांभर भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. जयपुर जिले में फुलेरा के पास है.

इस झील में मन्था, मेड़, खारी, रूपनगर व खंडेला नदियाँ गिरती है. डीडवाना झील नागौर जिले में डीडवाना शहर के दक्षिण में है.

यहाँ पर सोडियम व सल्फेट बनाने के संयत्र है. बीकानेर जिले में लूणकरणसर व बाड़मेर जिले में पचपदरा झील है. अन्य झीलें, फलौदी, कांवोद, कछोर व खोसा आदि है.

राजस्थान में मीठे पानी की झीलें (sweet water lakes in rajasthan)

राज्य में जयसमंद, राजसमंद, पिछोला, आनासागर, पुष्कर, सिलीसेढ़, उदयसागर, फतेहसागर, जनासागर, नक्की कोयलाना आदि मीठे पानी की झीलें है. जयसमंद झील राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है. यह उदयपुर के पास है. इसकें बिच में कई टापू भी है.

इसके सबसे बड़े टापू का नाम बाबा का भागड़ा व उससे छोटे टापू का नाम प्यारी है. यह पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

राजसमंद झील कांकरोली के निकट है. इसका निर्माण महाराणा राजसिंह ने 1662 में करवाया था. झील का दक्षिणी भाग नौ चौकी के नाम से प्रसिद्ध है. यहाँ संगमरमर के प्रस्तर खंडो पर 25 शिलालेख उत्कीर्ण है.

जिस पर मेवाड़ का इतिहास व झील के निर्माण का विवरण संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है. ये शिलालेख प्रकाशित है.

पिछोला झील उदयपुर में है. इसका निर्माण राणा लाखा के शासनकाल में हुआ था. आनासागर झील अजमेर शहर में है. इसे पृथ्वीराज चौहान के दादा अन्ना जी ने 1137 में बनवाया था.

यहाँ पर इसके किनारे शाहजहाँ द्वारा बारहदरी तथा जहांगीर द्वारा दौलत बाग़ (सुभाष उद्यान) बनवाया गया.

पुष्कर झील प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ विश्व प्रसिद्ध ब्रह्माजी का मन्दिर है. सिलीसेढ़ झील अलवर जिले में स्थित है. जहाँ मछली पालन किया जाता है.

कोलायत झील बीकानेर जिले में है. यहाँ प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था. जनासागर झील उदयपुर के पास बड़ी में स्थित है.

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राजस्थान सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय राजस्थान की प्रमुख नदियाँ व झीलें | Lakes And Rivers Of Rajasthan In Hindi में दी गई जानकारी आपकों कैसी लगी कमेन्ट कर जरुर बताए.

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