समाचार पत्र का महत्व पर निबंध | Essay On Newspaper In Hindi

Essay On Newspaper In Hindi प्रिय विद्यार्थियों यदि आप समाचार पत्र का महत्व पर निबंध पढ़ना चाहते है तो आज हम आपके साथ समाचार पत्र इसके इतिहास पर आधारित शोर्ट न्यूजपेपर एस्से आपके साथ साझा कर रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के विद्यार्थियों के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में हिंदी निबंध आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

समाचार पत्र पर निबंध Essay On Newspaper In Hindi

समाचार पत्र पर निबंध Essay On Newspaper In Hindi

समाचार पत्र का इतिहास (History of newspaper)

मनुष्य कौतुहल वृति के कारण संसार में नित्य नवीन घटने वाली घटनाओं से परिचित होना चाहता है. कुछ लोग व्यवसाय रोजगार सम्बन्धी और कुछ लोग राजनीती, सामाजिक तथा अन्य बातों की जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते है. इन्हें जानने का मुख्य साधन समाचार पत्र ही है.

आज समाचार पत्र-पत्रिकाओं की कोई भी देश उपेक्षा नही कर सकता. लोकतंत्र में ये शासक और जनता के मध्य दुभाषिये का काम करते है. वर्तमान काल में समाचार पत्र पत्रिकाएँ अभिव्यक्ति के महान अस्त्र है.

समाचार पत्र का जन्म इटली के वेनिस नगर में 16 वी शताब्दी में हुआ और उतरोतर इसका प्रचार हुआ. 17 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में इसका प्रचार हुआ.

भारत में ब्रिटिश शासन स्थापित होने पर इसाई पादरियों ने सर्वप्रथम ”समाचार दर्पण” नामक पत्र निकाला. उससे प्रभावित होकर भारतीयों ने उदन्त मात्ण्ड, कौमुदी एवं प्रभात आदि समाचार पत्रों का प्रकाशन आरम्भ किया. इनकी लोकप्रियता देश के विभिन्न भागों से अनेक समाचार पत्र निकलने लगे.

भारत में मुद्रण कला का विकास होने पर समाचार पत्रों का अत्यधिक प्रसार हुआ. अब दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक कई तरह के समाचार विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित हो रहे है.

अब समाचारों के सवाददाताओं से लेकर सम्पादक तक अनेक व्यक्ति इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर रहे है.

समाचार पत्र का महत्व (importance of newspaper in hindi)

वर्तमान काल में समाचार पत्र पत्रिकाओं का अपना विशेष महत्व है. देश की व्यवसायिक उन्नति में समाचार बहुत बड़े साधन है.

अपनी व्यवसायिक उन्नति के लिए हम समाचार पत्र में अपना विज्ञापन प्रकाशित करवा सकते है. पढ़े लिखे बेरोजगार लोग समाचार पत्रों में अपनी आजीविका के विज्ञापन पढ़ते है.

सरकारी तथा गैर सरकारी नौकरियों की सूचनाएँ आजकल समाचार पत्रों में मुख्यतया छपती है. इस प्रकार वर वधु से सम्बन्धित विज्ञापन, सम्पति क्रय विक्रय, चिकित्सा, विविध प्रकार की सेवा योजनाओं से सम्बन्धित नवीनतम समाचार प्रकाशित होने से आम जनता लाभान्वित होती है.

कुछ पत्रिकाएँ साप्ताहिक स्तर पर प्रकाशित होती है. इनमे धार्मिक साहित्यिक नारियों से सम्बन्धित तथा स्वरोजगार गृहउद्योग सम्बन्धी सामग्री प्रकाशित होती रहती है.

इससे सामाजिक चेतना को सर्वाधिक लाभ हो रहा है. भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रिय चेतना एवं राजनितिक समझ का प्रचार समाचार पत्रों का अत्यधिक योगदान रहा है.

समाचार पत्रों के लाभ और हानियां (Advantages and Disadvantages of Newspapers)

समाचार पत्रों से अनेक लाभ है, वहां इनसे कुछ हानियाँ भी है. कभी कभी कुछ स्वार्थी लोग दूषित एवं साम्प्रदायिक विचारधारा को समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकाशित करवाते है.

इससे समाज में अशांति फैलती है. कुछ सम्पादक चटपटी समाचार प्रकाशित करने के मोह में ऐसी खबरे छापते है. , जिनसे दंगे तक हो जाते है.

इसी प्रकार अश्लील विज्ञापनों एवं नग्न चित्रों के प्रकाशन से समाचार पत्रों के द्वारा सामाजिक वातावरण को हानि पहुचाई जाती है.

आज वैचारिक स्वतंत्रता का युग है. हमारे देश में स्वतंत्रता संग्राम में समाचार पत्र पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा था. समाचार पत्रों में शासन द्वारा इन्हें स्वतंत्रता देनी चाहिए,

परन्तु समाचार पत्रों के समाचार प्रकाशन में भी पूरी तरह निष्पक्षता जरुरी है. तथा इसका निरंकुश द्रष्टिकोण भी नही होना चाहिए. सामाजिक एवं राजनितिक परिष्कार की द्रष्टि से आज के युग में समाचार पत्रों का अत्यधिक महत्व है.

Essay On Newspaper In Hindi In 500 Words For Kids

समाचार पत्रों का महत्व- समाचारों का प्रसारण ही समाचार पत्रों का एकमात्र कार्य नहीं बल्कि समाज को सचेत जागरूक और सक्रिय रखना भी इन्ही का कार्य हैं.

समाज की राजनीतिक, सामाजिक, नैतिक एवं आर्थिक तस्वीर को सही रूप में प्रस्तुत करना और एकता, राष्ट्रीयता, स्वस्थ चिंतन तथा विकास में योगदान करना समाचार पत्रों का दायित्व हैं.

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में समाचार पत्र आज एक अतिमहत्वपूर्ण अंग बन चूका हैं. विश्व की राजनीति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाले समाचार पत्र ही हैं. निष्पक्ष समाचार एवं टिप्पणी से समाचार पत्रों का महत्व बढ़ता हैं. लोग उन पर विश्वास करते हैं.

प्रजातंत्र शासन में तो समाचार पत्रों की भूमिका और महत्वपूर्ण होती हैं. ये प्रजातंत्र के प्रहरी होते हैं. शासनरूढ़ राजनीतिक दल में सचेत करना, उनकी गलत नीतियों की आलोचना करना, जनता को जागरूक बनाना आदि इनके कार्य हैं. समाचार पत्र जनता के मत और आकांक्षा को प्रकट करते हैं.

देश की प्रगति की सच्ची तस्वीर जनता के सामने प्रस्तुत करते है. यही कारण है कि समाचार पत्रों को विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के अतिरिक्त प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता हैं.

समाचार पत्रों का वर्तमान स्वरूप- समाचार पत्र पर शब्द आज पूरी तरह लाक्षणिक हो गया हैं. अब समाचार पत्र केवल समाचारों से पूर्ण पत्र नहीं रह गया हैं.

बल्कि यह साहित्य, राजनीति, धर्म, विज्ञान आदि विविध विधाओं को भी अपनी कलेवर सीमा में संभाले चल रहा हैं.

किन्तु वर्तमान स्वरूप में आते आते समाचार पत्र ने एक लम्बी यात्रा तय की हैं. आज ज्योतिष, अंधविश्वास, भविष्यवाणी, भाग्यफल सभी कुछ समाचार पत्रों का अंग बनाए गये हैं.

समाचार पत्रों का दायित्व- समाचार पत्रों के विश्वव्यापी महत्व को देखते हुए उनसे कुछ दायित्व निर्वहन भी आवश्यक माना गया हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाचार पत्रों से आशा की जाती है कि वे विश्व शक्ति और विश्व बन्धुता की भावना को प्रोत्साहित करे.

उनके समाचार राष्ट्रीय या वर्ग विशेष के हितो से प्रभावित न हो उनमें पारदर्शिता और तटस्थता हो. राष्ट्रीय स्तर पर प्रजातंत्रीय मूल्यों की रक्षा और जनता को जागरूक बनाना तथा शासन की गलत नीतियों की आलोचना करना भी समाचार पत्रों का दायित्व हैं.

सामाजिक सोहार्द और धार्मिक समरसता को प्रोत्साहित करना भी समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए.

प्रचलित प्रमुख पत्र पत्रिकाएँ- आज हिंदी अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनेक पत्र पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं.

हिंदी भाषा में प्रकाशित नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनमत, पंजाब केसरी, नवजीवन, जनयुग, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, भारत, आज, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर आदि हैं.

तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, नार्दन इंडिया पत्रिका, स्टेट्समैन आदि हैं.

इनके अतिरिक्त अनेक साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक पत्रिकाएँ भी प्रकाशित हो रही हैं.

उपसंहार- समाचार पत्रों को देश की भावी तस्वीर बनाने में, नागरिकों को लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदार बनाने में और शासकों पर नियंत्रण रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हैं. व्यावसायिकता से ऊपर उठकर ही समाचार पत्र अपनी सही भूमिका निभा सकते हैं.

जनतंत्र और मिडिया (Essay On Newspaper In Hindi In 400 words)

प्रस्तावना- जनतंत्र में मिडिया का महत्वपूर्ण स्थान हैं. मिडिया को लोकतंत्र का प्रहरी तथा चौथा स्तम्भ माना जाता हैं.

विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका द्वारा हुई चूक को सामने लाकर वह लोकतंत्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता हैं. मिडिया के कारण ही अनेक घोटाले उजागर होते हैं. तथा जनता के अधिकारों की रक्षा होती हैं.

मिडिया का स्वरूप- मिडिया पत्रकारिता को ही कहते हैं. यदपि पत्रकारिता शब्द समाचार पत्रों से सम्बन्धित हैं. किन्तु आज उसका व्यापक रूप मिडिया ही हैं.

मिडिया के दो रूप है पहला मुद्रित या प्रिंट मिडिया तथा दूसरा इलेक्ट्रॉनिक मिडिया. मुद्रित मिडिया के अंतर्गत दैनिक समाचार पत्र, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रिमासिक, पत्र पत्रिकाएँ आदि आते हैं.

इनमें समाचार पत्रों के अतिरिक्त विभिन्न घटनाओं और सामाजिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि विषयों के बारे में प्रकाशित किया जाता हैं.

टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट आदि इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के अंतर्गत ही आते हैं. आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभाव तथा प्रसार बढने के कारण मुद्रित पत्रकारिता पिछड़ गई हैं, किन्तु उसकी आवश्यकता कम नहीं हुई हैं.

समाचार पत्रों का विकास- समाचार पत्र शब्द आज पूरी तरह लाक्षणिक हो गया हैं. इसमें अब न केवल घटनाएं तथा खबरों का ब्यौरा रहता है बल्कि साहित्य, धर्म, दर्शन, शिक्षा, राजनीति, फिल्म जगत, खेलकूद सभी क्षेत्रों को समाहित कर आगे बढ़ रहा हैं.

आज के दौर तक समाचार पत्रों के पहुचने के पीछे लम्बा इतिहास तथा अथक मेहनत के कारण समाचार पत्र इस मुकाम तक पहुच पाए हैं.

भारत में अंग्रेजी शासन की शुरुआत से ही समाचार पत्रों के दौर का अविर्भाव हुआ. इसके विकास और प्रचार में ईसाई मिशनरियों, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर और राजा राममोहन राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

प्रचलित पत्र पत्रिकाएँ तथा चैनल- देश के स्वतंत्र होने के पश्चात तीव्र गति से समाचार पत्रों का विकास हुआ. और आज अनेक अखिल भारतीय एवं क्षेत्रीय समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं.

इनमें हिंदी भाषा में प्रकाशित- नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनमत, पंजाब केसरी, नवजीवन, जनयुग, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, भारत, आज, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर आदि हैं.

तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, नार्दन इंडिया पत्रिका, स्टेट्समैन आदि हैं.

इलेक्ट्रॉनिक मिडिया- मुद्रित मिडिया के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मिडिया रेडियो दूरदर्शन के चैनल का भी देश में बड़ी तेजी के साथ विकास हुआ हैं. टीवी पर तो चैनलों की बाढ़ आई हुई हैं.

जो चौबीस घंटे दर्शकों के साथ समाचारों के साथ साथ अनेक रोचक सामग्रियां परोसते रहते हैं. सूचना प्रोद्योगिकी भी आजकल द्रश्य मिडिया या इलेक्ट्रॉनिक मिडिया का पूरा सहयोग कर रही हैं.

मिडिया जनतंत्र का प्रहरी- मिडिया एक सूचना प्रदायक और मनोरंजन का उपकरण मात्र नही हैं. जनतंत्र की सुरक्षा और विकास में भी इसका बड़ा योगदान रहा हैं.

आजकल मिडिया जनमत के निर्माण, जनतंत्र को सही दिशा देना, जनतंत्रीय संस्थाओं के गौरव की रक्षा करना, निर्वाचन प्रणाली की विवेचना करना, चुनावों के समय जनता को नव्यतम सूचनाओं से अवगत कराना आदि महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा कर रहा हैं.

मिडिया के दायित्व- एक सशक्त माध्यम होने के कारण मिडिया के कुछ दायित्व भी बनते हैं. उसे आत्मनियंत्रण और आत्म अनुशासन की प्रणाली विकसित करनी चाहिए.

पाठकों और दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए सनसनीखेज खबरों, कठोर भाव भगिमाओं और विवादों से बचते हुए जनतंत्र को प्रौढ़ और स्थायी बनाने में अपनी महत्ती भूमिका अदा करनी चाहिए.

आशा है भारतीय मिडिया जनतंत्र का सच्चा प्रहरी बनकर जनगणना का सच्चा मित्र बनेगा.

Essay On Newspaper In Hindi In 600 Words For Students

प्रस्तावना- संसार में नित्य नवीन घटने वाली घटनाओं की जानकारी पाने का सबसे मुख्य साधन समाचार पत्र ही है. कोई भी देश इनकी उपेक्षा नहीं कर सकता.

लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली में समाचार पत्र शासक और जनता में माध्यम का अर्थात दुभाषिये का काम करते हैं.

इसकी वाणी जनता जनार्दन की वाणी होती हैं. विभिन्न राष्ट्रों तथा जातियों के उत्थान एवं पतन में समाचार पत्रों का बहुत बड़ा हाथ रहा हैं.

समाचार पत्रों का इतिहास- समाचार पत्र का प्रचलन इटली के वेनिस नगर में 16 वी शताब्दी में हुआ और इसका प्रचार उतोत्तर बढने लगा. अठाहरवीं शताब्दी में अंग्रेजों का भारत में आगमन हुआ.

इसके साथ ही यहाँ पर समाचार दर्पण, कौमुदी, प्रभात, उदन्त मार्तण्ड आदि समाचार पत्र प्रकाशित हुए. फिर जनता में समाचार पत्रों की लोकप्रियता बढने लगी और देश के विभिन्न अंचलों से भिन्न भिन्न भाषाओं में अनेक समाचार पत्र निकलने लगे.

समाचार पत्रों का विकास- भारतवर्ष में जैसे जैसे मुद्रण कला का विस्तार हुआ, उसी गति से समाचार पत्र भी बढ़ते गये. आज यह व्यवसाय अपनी पूर्ण सम्रद्धि पर हैं. बड़े और छोटे सभी प्रकार के समाचार पत्र देश में निकल रहे हैं.

कंप्यूटर, फैक्स, आदि नवीनतम साधनों से तथा नवीनतम मुद्रण यंत्रों से समाचार पत्रों का प्रकाशन अतीव सरल बन गया हैं. परिवहन के साधनों के विकास से भी समाचार पत्रों का तीव्रता से प्रचार होने लगा.

समाचार पत्रों से लाभ- देशवासियों की व्यापारिक उन्नति में समाचार पत्र एक बहुत बड़ा सहायक साधन हैं. अपनी व्यवसायिक उन्नति के लिए हम किसी भी पत्र में अपना विज्ञापन प्रकाशित करवा सकते हैं. पढ़े लिखे परन्तु बेरोजगार लोग समाचार पत्रों में अपनी आजीविका ढूढ़ते हैं.

सरकारी तथा गैर सरकारी नौकरियों के विज्ञापन के लिए आजकल एक पूरा प्रष्ट समाचार पत्रों में आता हैं. समाचार पत्रों में वैवाहिक विज्ञापन, खेलकूद तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के समाचार, चलचित्रों एवं शैक्षणिक सूचनाए भी प्रकाशित होती हैं.

वर्तमान में राष्ट्रीय चेतना का प्रसार करने में समाचार पत्रों का अत्यधिक योगदान हैं. अतः समाचार पत्र सभी के लिए लाभदायक हैं.

समाचार पत्रों से हानियाँ- समाचार पत्र हमारी पूर्णतया सहायता करते हैं, परन्तु कभी कभी स्वार्थी और बुरी प्रकृति के प्राणी अपनी दूषित एवं विषैली विचारधाराओं को समाचार पत्रों में प्रकाशित करके जनता में घ्रणा की भावना फैला देते हैं. जिससे राष्ट्र में अराजकता बढ़ जाती हैं.

साम्प्रदायिकता उपद्रव होने लगते हैं. और एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को शत्रु की दृष्टि से देखने लगता हैं. चारित्रिक दृष्टि से समाचार पत्र कभी कभी देश को गर्त में धकेल देते हैं.

अश्लील विज्ञापनों तथा भ्रामक सूचनाओं को प्रकाशित कर समाचार पत्र विकृतियाँ फैलाते हैं. इससे सर्वाधिक हानि होती हैं.

उपसंहार- आज स्वतंत्रता का युग हैं. समाचार पत्र को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम माना जाता हैं. अतः समाचार पत्रों की निष्पक्षता एवं स्वतंत्रता जरुरी हैं, सामाजिक चेतना के परिष्कार की दृष्टि से समाचार पत्रों का अत्यधिक महत्व हैं.

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