सत्संगति पर निबंध – Satsangati Essay in Hindi

सत्संगति पर निबंध – Satsangati Essay in Hindi : आज के निबंध में आपका स्वागत हैं यहाँ हम सत्संगति पर निबंध बता रहे हैं.

इसका अर्थ  होता है अच्छे लोगों या मित्रों का संग या संगत. सत्संगति का भाषण, निबंध, अनुच्छेद, पैराग्राफ यहाँ शोर्ट रूप में क्लास 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100 वर्ड्स, 200 वर्ड्स, 250 वर्ड्स, 300 वर्ड्स, 400 और 500 वर्ड्स में छोटा बड़ा निबंध यहाँ लिखा गया है.

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सत्संगति पर निबंध – Satsangati Essay in Hindi

सत्संगति पर निबंध – Satsangati Essay in Hindi

एक इन्सान में सैकड़ो सत्प्रवृत्तियाँ है वह विवेकसम्मत, बुद्धिमान, तर्कशील, ज्ञानी, गुणवान, स्नेही, दयालु, ईमानदार, कर्तव्य परायण है ऐसी कई अन्य खूबियों से युक्त हैं, मगर वह एक दुर्जन व्यक्ति का संग करता है तो उसके चरित्र पर उनका प्रभाव पड़ना निश्चित हैं.

जिस तरह रेत की भरी मुट्ठी रिस रिसकर खाली हो जाती है उसी तरह सर्वगुणसम्पन्न इन्सान भी बुरी संगति के चलते एक दिन दुर्जन बन जाता हैं.

जीवन में सही दिशा, उचित मार्गदर्शन तथा आदत निर्माण के लिए अच्छे व्यक्ति के साथ रहना जरुरी है यानी सत्संगति की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका हैं.

कोई इंसान कैसा है इसे समझने के लिए उसकी संगति को जानिये, यह निश्चित है जैसे लोगों की संगत में व्यक्ति चलता है उठता बैठता, खाता पीता है वह उनके जैसा ही बन जाता हैं. इसलिए यदि हम अपने जीवन तथा चरित्र को महान बनाने चाहते है तो सदैव अच्छे लोगों का साथ ले.

सत्संगति के जीवन पर प्रभाव को समझना है तो हमें इतिहास के कुछ उदाहरणों पर नजर डालने की आवश्यकता हैं, आज हर हिन्दू के घर में मिलने वाली पुस्तक रामायण के लेखक वाल्मीकि की कहानी से तो आप परिचित ही होंगे,

वे एक डाकू थे तथा सप्तऋषियों की संगति से महान तपधारी बन गये और रामायण जैसे महान ग्रन्थ की रचना कर डाली, यह सब अच्छी संगत के नतीजेजन संभव हो पाया था.

हमारे जीवन में आसपास के वातावरण की बहुत सी चीजों से हम सत्संगति के महत्व को समझ सकते हैं. जिस तरह एक पवित्र जल का झरना एक गंदे नाले में बह जाता है तो अपनी पवित्रता, स्वरूप का त्याग कर देता हैं.

वही कोई मलिन जल की नाली पवित्र गंगाजी में मिल जाती है तो वह भी पवित्र बन जाती हैं. स्वाति की एक बूंद सीप में गिरने से वह अमूल्य मोती का स्वरूप ले लेती हैं इसी तरह पारस धातु की संगति से लोहा, ताम्बा आदि स्वर्ण बन जाते हैं.

हरेक व्यक्ति को यह प्रयत्न करना चाहिए कि वह समाज के अच्छे, सज्जन एवं ज्ञानी लोगों के साथ मित्रता रखनी चाहिए ऐसा करने से उनके चरित्र का विकास तो होता ही है साथ ही अच्छे विचार मिलते है.

हमारे धर्म ग्रंथों में सत्संगति को मनुष्य की आत्मा का भोजन माना गया हैं. अच्छे लोगों के साथ रहने से हमारा जीवन सुखी, संतुष्ट एवं शान्ति व समृद्धि से व्यतीत हो सकता हैं.

यदि सच्चे व्यक्ति का साथ हमें बुरे रास्ते से निकालकर सही रात दिखाता हैं, मार्गदर्शन की जरुरत पड़ने पर वह सही सलाह भी देता है.

वह सदैव उन्हें अच्छा और निरंतर अच्छा करने का प्रयत्न करते हैं. सत्संगति से व्यक्ति के जीवन की समस्याओं से उनका छुटकारा दिलाने या मुशीबत से बाहर निकालने में भी सहायक हैं.

अच्छा साथ हमें बुरे रास्ते से हटाकर अच्छे रास्ते पर ले जाता है। जरूरत पड़ने पर सही परामर्श देता है, सदैव सत्कर्मों की प्रेरणा देता है। सत्संगति वह पतवार है जो हमारे जीवन की नाव को भंवर और तूफान में फंसने नहीं देती। हमें किनारे तक पहुँचाने में सहायक होती है।

सत्संगति पर छोटा निबंध 200 शब्दों में, Short Essay on Satsangati in 200 words in Hindi

सत्संगति शब्द सत और संगति से मिलकर बनता है जहाँ सत का आशय अच्छा, श्रेष्ठ होता है संगति का आशय साथ रहने अथवा मित्रता से हैं. जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था बाल्यावस्था जिन्हें विद्यार्थी काल भी कहा जाता हैं, उम्रः के इस पडाव में अच्छी संगत का होना बेहद जरुरी हैं.

कहा जाता है कि बच्चें कच्ची मिट्टी के घड़े की भांति होते हैं. वे जैसा देखते सुनते है वैसा ही सोचते और बनते हैं. इस कारण उनकी संगत का चरित्र, व्यवहार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता हैं. बच्चों को सत्संगति से जीवन में सफलता, श्रेष्ठ आदतें अच्छे संस्कार एवं मूल्य प्राप्त होते हैं.

सत्संगति उस हीरे की तरह होती हैं जो जिसे प्राप्त होती है उसका जीवन चमक उठता हैं. पूर्व में बुरा अतीत लिए हुए इन्सान भी अच्छी संगति से विद्वान् एवं भले मानुष बन जाते हैं. सत्संग से मानव के व्यक्तित्व में दया, परोपकार, विवेक तथा साहस जैसे गुणों का जन्म होता हैं.

जीवन में जितना प्रभाव सुसंगति का पड़ता है उससे अधिक कुसंगति का पड़ता हैं. क्योंकि मानव का चरित्र जल धारा की तरह निरंतर पतित होने के लिए प्रतीक्षित रहता हैं.

यह सम्भव है एक व्यक्ति किसी ज्ञानी या धार्मिक व्यक्ति के साथ उठता बैठता है तो उसमें भी कुछ गुण व आदते अनायास ही विकसित हो जाएगी.

वहीँ चोर, डाकू और अत्याचारी लोगों के साथ वक्त बिताने वाला व्यक्ति अपराधी बनने का पूर्व प्रशिक्षण साथ रहने से ही प्राप्त कर लेता हैं.

सत्संगति पर 150 शब्दों में निबंध, Essay on Satsangati in 150 words

हम मानव है तथा सामाजिक होने के कारण हमें समाज के अन्य लोगों के साथ जीवन बिताना पड़ता हैं. हमारे साथ रहने वाले माता, पिता, भाई बन्धु, दोस्त, गुरु, पड़ोसी कोई भी हो सकता हैं.

हम जिस तरह के लोगों के साथ जीवन बसर करेगे हम भी वैसे ही बन जाएगे, इसलिए सदैव सत्संगति अर्थात अच्छे लोगों की संगति की बात कही जाती हैं.

शिवाजी, रत्नाकर, अंगुलिमाल, आम्रपाली, अर्जुन इतिहास के कुछ ऐसे नाम है जो सत्संगति पाकर अपना नाम अमर कर गये. वहीँ भीष्म, द्रोण, कर्ण, दुर्योधन जैसे पात्र शक्तिशाली होने के उपरान्त भी जीवन में कुसंगति के प्रभाव के कारण विनाश का शिकार बन गये.

हमारे धार्मिक ग्रंथों में सत्संगति के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि यह बुद्धि की जड़ता को भगाती हैं. वचन में सत्यता लाती है, सम्मान में वृद्धि करती है, पापों को मिटाती है,

मन को प्रसन्नता देती है व्यक्ति का यश चहुदिशा में फैलता है तथा सबसे बड़ी बात अच्छे लोगों की संगति नर को नारायण बनने का मौका प्रदान करती हैं.

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