सर जगदीश चन्द्र बोस पर निबंध Short Essay On Jagadish Chandra Bose In Hindi And English

जगदीश चन्द्र बोस पर निबंध Short Essay On Jagadish Chandra Bose In Hindi And English भारत के प्रमुख भौतिक शास्त्रियों और जीव विज्ञानियों में डॉ बोस का नाम सम्मान के साथ लिया जाता हैं.

भारत के वैज्ञानिकों की सूची में इन्हें उपरी पायदान पर गिना जाता हैं आज के निबंध में जे सी बोस के जीवन के बारे में दिया गया हैं.

जगदीश चन्द्र बोस निबंध Essay Jagadish Chandra Bose In Hindi English

Essay On Jagadish Chandra Bose English

Sir Jagadish Chandra (J.C.) Bose Was an Indian scientist. he born on 30 November 1858. many of the discoveries done by this great man, in botany and science field, crescograph one of them these instruments discovered by Jagadish Chandra Bose.

he was also the winner of the Nobel award. in this bose essay in Hindi you will get this information Jagadish Chandra Bose inventions list, education, awards, books.

India has produced great men from time to time. sir Jagdish Chandra Bose was a jewel of India. he was a famous scientist in India.

he won the novel prize for his discovery in botany. an Indian was honored for the proven plants to have life. they multiply and die like men.

he invented an instrument to measure the heartbeats of plants. it was called a crescograph.

the plants like men have feelings of joy and grief. he is respected in the field of science. he has become immortal as a great scientist of India. we are proud of him.

सर जगदीश चन्द्र बोस पर निबंध- Short Essay On Jagadish Chandra Bose In Hindi

हमारे देश भारत में समय समय पर महान विद्वान् पुरुषों ने जन्म लिया है. सर जगदीश चंद्र बोस उनमें से एक है, वे भारत के अमूल्य रत्न है. सर जगदीश चंद्र बोस भारत के महान वैज्ञानिक थे.

इन्होने वनस्पति विज्ञान में अपने अनुसन्धान के फलस्वरूप नोबल पुरस्कार जीता था. पौधों के जीवन पर की गईं बोस की महत्वपूर्ण खोज के कारण उन्हें यह खिताब दिया गया था.

क्रेशोग्राफ नामक उपकरण जगदीश चंद्र बोस द्वारा बनाया गया था. इस यंत्र के माध्यम से पौधों के दिल की धड़कन को मापा जा सकता है.

बोस ने अपनी खोजों से यह साबित कर दिया, कि पौधों में भी मनुष्य की तरह जीवन होता है. इंसान की तरह वे जन्म लेते है, उन्हें संवेदनाएं होती है एवं मनुष्य की भांति ही मर जाते है.

बोस ने बताया कि पेड़ पौधों में भी सुख दुख की भावना होती है. इस प्रकार के महत्वपूर्ण नवीन शोधों के कारण बोस को विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण व्यक्तियों में गिना जाता है. भारत के इस अमर वैज्ञानिक ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया. हमे जगदीश चंद्र बोस पर गर्व है.

जगदीश चंद्र बोस पर निबंध Essay on Jagdish Chandra Bose in Hindi

हमारे भारत देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमारे भारत देश में ऐसे कई वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा के कारण भारत में तो नाम कमाया ही था, साथ ही विदेशों में भी नाम कमाया था। इसके अलावा उन्होंने मानव के लिए उपयोगी बहुत सारी खोजे भी करके दी थी।

प्रोफेसर जगदीश चंद्र बोस का नाम भी उन बड़े भारतीय वैज्ञानिकों में लिया जाता है जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। एक वैज्ञानिक होने के अलावा प्रोफेसर जगदीश चंद्र बोस भौतिक शास्त्री, जीव विज्ञानी, वनस्पति विज्ञानी और पुरातात्विक भी थे। 

यही वह व्यक्ति थे जिन्होंने लोगों के सामने इस बात को प्रस्तुत किया था कि जिस प्रकार इंसानों के अंदर भावनाएं होती हैं उसी प्रकार पेड़ पौधों के अंदर भी भावनाएं होती हैं। जगदीश चंद्र बोस ही वह वैज्ञानिक थे जिन्होंने माइक्रो वेव ऑप्टिक्स और रेडियो की खोज की थी जो आज भी मानव के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है।

पेड़ पौधों के अंदर भी इंसानों की तरह ही भावनाएं होती हैं इस बात को लोगों के सामने लाने वाले महान भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का जन्म ररौली गांव जो कि आपके बांग्लादेश में पड़ता है, में 30 नवंबर साल 1858 में हुआ था।

जगदीश चंद्र बोस के पिता जी का नाम भगवान चंद्र बोस था जो कि उस टाइम में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते थे।

जब जगदीश चंद्र बोस का जन्म हुआ था तब इनके पिताजी फरीदपुर के उप मजिस्ट्रेट के तहत काम करते थे और पैदा होने के बाद जगदीश चंद्र बोस का भी बचपन ज्यादातर इसी जगह पर व्यतीत हुआ था।

बोस के पिता की यह इच्छा थी कि जगदीश चंद्र बोस अंग्रेजी भाषा तो सीखे ही सीखे, साथ ही वह अपनी मातृभाषा पर भी विशेष तौर पर ध्यान दें और इसीलिए उन्होंने जगदीश चंद्र को प्रारंभिक एजुकेशन देने के लिए उन्हें अपने गांव के ही एक स्कूल में भर्ती करवा दिया,

जहां पर पढ़ाई करते-करते जब साल 1869 आया तो जगदीश चंद्र बोस के पिताजी ने उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में भेज दिया।

वहां पर जाकर के जगदीश चंद्र बोस को सेंट जेवियर कॉलेज में एडमिशन की प्राप्ति हुई और यही से इन्होंने भौतिक विज्ञान ग्रुप में बैचलर ऑफ आर्ट की एग्जाम को पास किया और फिर वह मेडिकल साइंस की पढ़ाई करने के लिए विदेश यानी की लंदन चले गए। 

लंदन में उन्होंने कैंब्रिज के क्राइस्ट कॉलेज से नेचुरल साइंस में बीए की डिग्री हासिल की और इसके बाद उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री को भी प्राप्त किया। इस प्रकार दोनों डिग्री को पाने के बाद साल 1885 में वह इंडिया वापस लौट आए।

इसके बाद वह धीरे-धीरे अलग-अलग चीजों पर रिसर्च करने लगे और अपनी रिसर्च करने के सफर के दरमियान ही उन्होंने एक ऐसे यंत्र को खोजा जिसके जरिए सूक्ष्म रेडियो तरंगों  को पैदा किया जा सके।

इसके अलावा जगदीश चंद्र बोस ने माइक्रो वेव ऑप्टिक्स और रेडियो का भी आविष्कार किया। यह जगदीश चंद्र बोस का ही प्रयास है कि वर्तमान के समय में हम इंटरनेट, टेलीविजन, संचार रिमोट, रेडियो, माइक्रोवेव, ओवन का इस्तेमाल कर पा रहे हैं।

बोस को उस समय सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने अपनी रिसर्च को करके इस बात को लोगों के सामने साबित कर दिखाया कि जिस प्रकार इंसानों के अंदर भावनाएं होती हैं, उसी प्रकार पेड़ पौधों के अंदर भी भावनाएं होती हैं और उनके अंदर भी जीव होता है। 

उन्होंने पेड़ पौधों पर की गई अपनी रिसर्च मे यह बात भी लोगों के सामने प्रस्तुत की कि जैसे हम लोग सांसे लेते हैं वैसे भी पेड़ पौधे सांसे लेते हैं और सांस लेने के दरमियान वह कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं

और उसके बदले में अधिक से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन निकालते हैं और इसीलिए बोस के इस रिसर्च को आधार मानते हुए लोगों के मन में यह बात तब से बैठ गई कि अगर हमें ज्यादा ऑक्सीजन प्राप्त करना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।

जगदीश बोस ने अपने जीवन में कई आविष्कार किए थे। उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नाम के यंत्र का आविष्कार भी किया था।

इसके अलावा बोस ने रिसर्च करने के लिए साल 1917 में 30 नवंबर के दिन बोस इंस्टीट्यूट को भी स्थापित किया था और मरते दम तक वह इसके निदेशक के पद पर बने रहे थे।

अपने जीवन काल के दरमियान किए गए कई रिसर्च और खोज के लिए जगदीश चंद्र बोस को कई सम्मान से सम्मानित किया गया था, जिसमें उन्हें साल 1917 में नाइट की उपाधि, साल 1986 में लंदन यूनिवर्सिटी से साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि,

साल 1920 में रॉयल सोसाइटी के द्वारा फैलों का चुनना, साल 1903 में ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा चैंपियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एंपायर का अवार्ड प्राप्त हुआ था।

भारतीय विज्ञान को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने वाले और अनेक सम्मान से सम्मानित तथा पेड़ पौधों में भी जीव होने की बात कहने वाले महान इंडियन साइंटिस्ट जगदीश चंद्र बोस ने साल 1937 में पश्चिम बंगाल के गिरिडीह में 3 नवंबर को इस धरती पर अपनी आंखें सांसे ली थी।

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